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द लास्ट रिसोर्ट

आज संडे था तो अंकित हर बार की तरफ आठ बजे तक ही उठता था। फ्रेश हो कर अंकित किचन में चाय चढ़ा कर अपना फ़ोन चेक करने लगा। फ़ोन में एक मेल आई हुई थी जो उसके होटल की तरफ से थी। मेल में लिखा था की अंकित का ट्रांसफर कुछ दिनों के लिए उसी के होटल की उत्तराखंड ब्रांच में हो गया है। वो सीधा यहाँ से दिए गए पते पर चला जाये वहा कंपनी की तरफ से उसके रहने और खाने का पूरा इंतेज़ाम हो चूका है। अंकित को मेल पढ़ कर थोड़ा अजीब तो लगा इसलिए उसने अपने बॉस को कॉल करके इस बारे में पूछा तो बॉस ने कहा की ''हा तुम्हरा ट्रंसफर वहा कर दिया गया है क्युकी वहा के एक एम्प्लोयी ने जॉब छोड़ दी है।

अंकित के बॉस उसके उत्तराखंड वाली ब्रांच की जायदा खबर नहीं रखते। वहा उनका मैनेजर ही सारा काम संभालता है।

अंकित ने अपना सारा सामान एक बैग में पैक किया और निकल पड़ा नए होटल के लिए क्युकी उसके लिए तो वो नया ही था । दरअसल अंकित यहाँ अकेला ही रहता है उसके बाकि फॅमिली दिल्ली में रहती है और अंकित यहाँ जॉब की वजह से गुडगाँव में था। अंकित ने अपने घर पर भी बता दिया की वो कंपनी की तरफ से उसे उत्तराखंड में काम करना पड़ेगा। अपने फ्लैट से निकल कर अंकित बस स्टैंड पंहुचा और मेल में चेक करने वहा का पता देखने लगा , उसे मसूरी से थोड़ा आगे एक गांव जो अब धीरे धीरे शहर जैसा विकसित होते जा रहा था। अंकित ने देहरादून तक के लिए बस ली। सफर लम्बा था सो अंकित को अब नींद आने लगी और वो सो गया , लगभग दो घंटे बाद उसकी नींद खुली तो देखा उसकी बगल वाली सीट पर एक लड़की बैठी है। अंकित ने जायदा धयान ना देते हुए खिड़की की तरफ मुँह कर लिया और बाहर के नज़ारे को देखने लगा। दो बजे तक अंकित देहरादून पहुंच गया। जब वह बस से उतरा तो उसने एक बात पर गौर किया वह लड़की जो उसकी बगल वाली सीट पर बैठी थी वह उसे देख रही है।

खैर इस बात को नज़रअंदाज़ करते हुए अंकित ने एक दो टैक्सी वालो से मसूरी तक के लिए बात करनी शुरू करी। क्युकी पहले उसे मसूरी तक जाना पड़ेगा उसके बाद आगे होटल पहुंच पायेगा। जिस होटल में अंकित को जाना था उसका नाम ''द लास्ट रिसोर्ट ''

अंकित को होटल का नाम बहुत ही अजीब लगा। एक टैक्सी वाले से अंकित की बात हुई की वो उसे मसूरी छोड़ देगा। टैक्सी ने टेड़े मेढे रास्तो पर चलना शुरू किया। मसूरी के लिए गोल गोल और गहरी गहरी खाई थी। जैसे जैसे टैक्सी आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे वो और जायदा उचाई पर जाते जा रहा था। खैर दो घंटे बाद अंकित मसूरी पंहुचा। वहा पहुंच कर उसने ''द लास्ट रिसोर्ट '' का पता पूछना था तो वो एक चाय की दुकान पर गया और चाय के लिए बोल कर बेथ गया।

अंकित-''अरे चाचा ये ''द लास्ट रिसोर्ट '' यहाँ से कितनी दूर है ?

चाचा-'' यहाँ से 15 मिनट का रास्ता है चाहो तो गाडी से चले जाओ या मन हो तो पैदल।

अंकित से सोचा सुबह से बस ही है वो बैठा ही है थोड़ा चलेगा तो शरीर भी खुल जाएगा। चाय पी कर उसने अपने बॉस को फ़ोन किया और बताया की सर वो बस थोड़ी देर में होटल पहुंच जाऊंगा। इतना बता कर वो होटल की तरफ चल दिया। थोड़ी देर बाद वो एक सुनसान रास्ते पर पहुंच गया जहा दूर दूर तक कोई इंसान नहीं था ,साथ में बगल में घाना जंगल और था जिससे माहौल थोड़ा डरावना हो रहा था। जंगल में उल्लू की आवाज़े आ रही थी।थोड़ी देर बाद उसे एक बड़ा सा होटल दिखा जिसकी दूसरी मंजिल पर एक बोर्ड टंगा था उस पर लिखा था ''थे लास्ट रिसोर्ट ''

होटल के अंदर घुसते ही सामने रिसेप्शन पर एक लड़की बैठी थी जो देखने में यही लोकल की लग रही थी।

अंकित-'' में गुडगाँव से आया हु आपको शायद बता दिया होगा ''

लड़की-''जी सर में आपका ही वेट कर रही थी '' इतना कहते हुए उसने फ़ोन करके एक लड़के को बुलाया जो शायद उसी होटल में साफ़ सफाई का काम करता है।

लड़की फिर से बोली-'' सर आपके रहने का अर्रेंज्मेंट सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर है आप वहा अपना सामान रख कर आराम कर लीजिये। पांच बजे गुप्ता सर आएंगे वो आपको यहाँ के काम के बारे में बता देंगे ''

लड़के ने अंकित का सामान उठया और सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर सीढ़ियों से ले कर जाने लगा।

अंकित- तुम्हरा नाम क्या है और ये बताओ की इस होटल में कोई लिफ्ट क्यों नहीं है

लड़का - मेरा नाम मोहन है , लिफ्ट तो है पर गुप्ता सर ने बंद करवा दी थी

अंकित-बंद करवा दी , क्यों भला ?

मोहन- वो यहाँ लाइट की थोड़ी दिक्कत है. इन्वेटर और जनरेटर बस होटल की में लाइट और टीवी पाते है और एक बार एक गेस्ट लिफ्ट में फ़स गए थे और लिफ्ट बीच में रुक गई। दम घुटने की वजह से उनकी मौत हो गई।

ये सुन अंकित को झटका तो लगा और इतने में अंकित का रूम भी आ गया।

मोहन-सर जब आपको खाने का आर्डर देना हो तो 108 पर कॉल कर देना में आ जाऊंगा।

रूम में जा कर अंकित ने अपना सामान रखा और नहाने चला गया। नाहा कर आने के बाद उसने 108 पर कॉल किया और खाने का आर्डर दिया। थोड़ी देर में खाना भी आ गया। खाना खाने के बाद अंकित ने अपने बॉस को फ़ोन किया

अंकित-'' हेलो सर ''

बॉस-'' हा अंकित बोलो , कैसे हो ''

अंकित-'' में ठीक हु पर मुझे आपसे कुछ कहना था ''

बॉस-'' हा बोलो न ''

अंकित -'' सर मुझे ये होटल थोड़ा अजीब सा लग रहा है ''

बॉस-'' अजीब मतलब ''

अंकित-'' यहाँ चारो तरफ बस शांति ही शांति है ''

बॉस-'' ये होटल नया नया ही खुला है इसलिए यहाँ कम गेस्ट है और फिर जब सीजन आएगा तभी तो यहाँ भीड़ होगी ( हसते हुए बोले ) और फ़ोन रख दिया।

अंकित ने भी फ़ोन साइड में रख कर सो गया। अंकित काफी गहरी नींद में सो रहा था तभी उनकी नींद को उसके फ़ोन की रिंगटोन ने ख़राब किया। कमरे के सन्नाटे को तोड़ रही थी वह आवाज़। अंकित नींद में बडबडते हुए पता नहीं कौंन है अब कहते हुए फ़ोन उठया। उधर से आवाज़ आई -

''हेलो में रवि गुप्ता बोल रहा हु तुम्हरा नया बॉस''

अंकित-''जी सर , गुड इवनिंग ''( नींद भरी आवाज़ में )

गुप्ता-'' लगता है सो रहे हो , ऐसा है मुझे आधे घंटे में मुझे रेसपेशन पर मिलो तुम्हे तुम्हें सारा काम समझना है क्युकी कल से तुम्हें काम संभालना है।

अंकित-''ओके सर '' इतना कहते ही फ़ोन कट गया।

अंकित बाथरूम में थोड़ा फ्रेश हो कर रिसेप्शन पर गया वहा उसका गुप्ता सर पहले से ही इंतज़ार कर रहे थे।

गुप्ता सर- '' वेलकम अंकित , आओ मेरे साथ में तुम्हे तुम्हारा ऑफिस दिखता हु।

अंकित गुप्ता के साथ पीछे पीछे चलने लगा। गुप्ता अंकित को एक केबिन में ले गया जहा पहले दो लड़किया बैठी थी , जिसमे से एक लड़की वही थी जो बस में उसकी बगल वाली सीट पर बैठी थी। एक पल को अंकित उसी लड़की को देखता रहा। गुप्ता ने उसे होश से बाहर किया और उसकी सीट दिखाई। केबिन में सीट इस तरह से उसमे दिवार की एक तरफ बस लोग ही बैठ सकते है। जिसमे एक तरफ वो दोनों लड़किया बैठी हुई थी और दूसरी तरफ दो कुर्सी थी जिसमे से एक पर अंकित को बैठना था। गुप्ता ने अंकित का उन दोनों से परिचय करवाया। अंकित ये है सीमा और ये है जोया , जोया वही थी जो उसके बगल वाली सीट पर बैठी थी बस में। अंकित ने एक प्यारी सी स्माइल के दोनों को देखा , उन दोनों से इसी तरह ग्रीट किया अंकित को उसके बाद गुप्ता ने अंकित को ''द लास्ट रिसोर्ट '' का काम समझना शुरू किया। लगभग आधे घंटे में वो इस होटल का सारा काम समझ गया।

गुप्ता-'' देखो काम तो तुम्हे सारा मेने बता ही दिया है अगर फिर भी कोई दिक्कत तो सीमा और ज़ोया से पूछ लेना और हा एक बात और तुम इन दोनों के सीनियर हो।

अंकित -'' ओके सर ''

गुप्ता-'' अब तुम जाओ और कल से यहाँ का काम सम्भलना ''

अंकित -''नहीं सर , में थोड़ी देर यही बैठ कर थोड़ा काम को देखूँगा और फिर चला जाऊंगा वैसे भी अब इस टाइम तो में फ्री ही हु।

गुप्ता-''ठीक है जैसी तुम्हरी मर्जी ''

पर अचानक सीमा बोली - '' सर आप कल से ही शुरू करिये काम क्युकी हम दोनों भी जाने वाले है अब ''

अंकित-'' मुझे अकेले में काम करना जयदा पसंद है ''

गुप्ता केबिन से बहार चला गया। अंकित थोड़ी ऐसे ही कुछ फाइलें देखा रहा खोल खोल कर। तभी सीमा बोली -सर क्या आपको पता है की यहाँ जो पहले सर थे उन्होंने जॉब छोड़ी नहीं '' सीमा ने इतना बोला ही था की ज़ोया ने चुप करवा दिया।

अंकित - हाँ हाँ बताईये कया हुआ था उन सर के साथ ''

ज़ोया - '' वो अचानक उनके घर से फ़ोन आया था की वो फौरन घर चले जाये और उसके बाद वो ही नहीं ''

अंकित- आप तो मुझे बस में भी मिली थी कल '' ज़ोया की तरफ इशारा करते हुए

ज़ोया - '' हा सर , में अपने मम्मी पापा के पास गई हुई थी कुछ दिनों के लिए ''

अंकित - '' जिन सर ने यहाँ से जॉब छोड़ी है उनका क्या नाम बताया आपने ''

सीमा-'' नीलेश रावत ''

अंकित - चलिए में चलता हु कल मिलते है , गुड नाईट !

'' गुड़ नाईट '' दोनों लड़कियों ने एक साथ कहा

अंकित अपने कमरे की तरफ चल दिया , होटल के डाइनिंग हॉल में इस समय चहल पहल थी। पहले अंकित ने सोचा की यही खाना का ले पर सोचने लगा की यहाँ इतने भीड़ है इससे अच्छा तो कमरे में बैठ कर शांति से खायेगा और होटल से बाहर निकल आया थोड़ी आस पास की जगह घूमने के लिए। होटल के फ्रंट साइड में एक गार्डन और उस गार्डन में लगी लाइटों से और भी सूंदर लग रहा था। फिर अंकित बैक साइड में गया तो वहा एक नार्मल साइज का स्विमिंग पूल था और थोड़ा एक कमर तक बनी हुई बाउंडरी थी चारो तरफ , बाउंडरी के उस पार गहरी खाई थी जिसमे अगर कोई गलती से गिर जाये तो उसके शरीर का पता भी नहीं चलेगा। इस समय स्विमिंग पूल के आस पास कोई नहीं था ना जाने अंकित को क्या सुजा उसने अपनी शर्ट बस उतार कर स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी। शायद इस तरह का स्वीमंग पूल पहेली बार अंकित को मिला था। नहाते नहाते कुछ आवाज़ सुनाई दी लगा जैसे की बॉउंड्री के उस पास कोई है और कुछ नीचे गिरा हो। . अंकित जल्दी से बहार निकला और उस तरफ देखने के लिए भागा। लेकिन वहा उसे कोई नहीं मिला खाई में बस घुप अँधेरा था। अंकित ने शर्ट को अच्छी तरह से निचोड़ के उसे फिर से पहन ली।


सीमा- तुझे ये लड़का कहा मिला था ?

ज़ोया - जब में यहाँ आ रही थी तब ही मेरी बगल वाली सीट पर बैठा था पर मुझे क्या पता था की ये यही आएगा

सीमा-' बेचारा, मुझे तो बहुतडर लग रहा है यॉर ''

ज़ोया - तू चिंता मत कर हम इसे एक दो दिन में सब बता देंगे '

इस तरह दोनों लड़किया बाते करती हुई कॉरिडोर से जा रही थी , सामने से अंकित उन्हें दिखाई दिया।

अंकित- अरे आप दोनों यहाँ ?

सीमा- हम दोनों तो यही रहते है सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर ''

अंकित- गुड ,मेरा रूम भी वही ऊपर है। तीनो एक साथ ऊपर की तरफ जाने लगे। अब होटल के लगभग सभी गेस्ट अपने अपने रूम में जा चुके थे इसलिए कॉरिडोर में बस तीनो के कदमो की आवाज़ ही आ रही थी।

थर्ड फ्लोर पर पहले दोनों लड़कियों का रूम बना और उसके बाद अंकित का

अंकित अपने रूम में घुसते हुए बाकि रूम भी देख रहा था और मन में सोचने लगा की शायद बाकि का स्टाफ भी यही रहता होगा। रूम में एंटर होने के बाद उसने 108 पर फ़ोन किया और मोहन से खाने का आर्डर दिया।

15 मिनट बाद मोहन खाना ले कर आया और जाते जाते अंकित से एक बात कह गया -'' सर यहाँ इस होटल में रात में अकेले में मत घूमना और अगर कोई आवाज़ सुनाई दे तो उसे ऐसे अनसुना करना जैसे आप बेहरे हो चुके हो ''

अंकित- क्यों

मोहन-'' बस आप रात में मत निकलना बाकि क्यों का जवाब में नहीं दे सकता '' बोलते हुए कमरे से बहार निकल आया।

अंकित-'' अंकित अजीब ही है , लगता है लगा के बैठा है जो ऐसे बहकी बहकी बाते कर रहा है।

खाना कर अंकित गहरी नींद में सो गया। अभी उसे सोते हुए मुश्किल से दो घंटे ही हुए ही होंगे की उसे लगा जैसे कोई उसके कमरे के बहार से किसी को घसीटते हुए ले रहा हॉ। अंकित नींद से जगा पहले तो अंकित को बहुत लगा क्युकी उसे उस मोहन की बाटे याद आने लगी फिर उनसे हिम्मत करके उठ के दरवाज़ा खोला पर पूरा कॉरिडोर खाली पड़ा था और एक दो लाइटे बस जल रही थी। अंकित ने दरवाजा बंद किया और अंदर आ कर सोने चला गया। सुबह अलार्म बजा और अंकित की आंख खुली। फ्रेश हो कर अंकित निचे डाइनिंग हॉल में आया और नाश्ता करने लगा। पास की डेस्क पर सीमा और ज़ोया बैठी थी। अंकित हाथ में कॉफी लिए उन दोनों के पास गया और बोला - '' इफ यू डोंट माइंड , कैन आई सीट हेयर ?

ज़ोया-'' ओफ़्कौर्से सर ''

अंकित-'' अच्छा एक बात बताओ आप दोनों यहाँ कब से जॉब कर कर रहे हो ''

सीमा-'' मुझे दो साल हो गए है और ज़ोया को अभी छ महीने ही हुए है ''

ज़ोया- '' में तीनो के लिए सैंडविच ले कर आती हु ''

अंकित-'' आप दोनों को इस होटल में कुछ अजीब नहीं लगता ''

सीमा -'' अजीब , में कुछ समझी नहीं सर ''

अंकित बोलने वाला था की इतने में ज़ोया भी आ गई

''कल रात में मुझे ऐसा लगा जैसे कोई किसी कोई मेरे रूम के बाहर से घसीटते हुए ले जा रहा हो और जब मेने दरवाज़ा खोल के देखा तो वहा कोई नहीं था ''

सीमा - '' सर क्या आपको पता है जो नीलेश सर थे वो अचानक रहस्मयी तरीके से गायब हो गए। पुलिस ने उनको बहुत ढूंढा पर कहीं भी कुछ पता नहीं चला , शायद उनका किसी ने मर्डर किया है यहाँ की गहरी खाई में फेक दिया ''

ज़ोया ( चिल्लाते हुए )- '' सब बता दे सर को , तुझे मेने माना किया था ना ''

अंकित-'' अरे अरे तुम दोनों लड़ क्यों रही हो और क्या बताने के लिए मना किया था ''

ज़ोया-'' कुछ नहीं और सीमा का हाथ पकड़ कर कहने लगी की चल ऑफिस के लिए लेट हो रहे है ''

दोनों के जाने के बाद अंकित ने अपनी कॉफी ख़त्म करी और वो भी ऑफिस के लिए निकला। केबिन में पहुंच कर उसने अपना काम शुरू कर दिया। काम करते करते अंकित मन में सोचता रहा की इस होटल में कुछ तो गड़बड़ है। अंकित ने सोचा क्यों ना आज रात नीलेश मेहता के बारे में ऑफिस के डेटा से पता किया जाये।

सारा दिन अंकित ने काम ख़त्म किया और लगभग काफी सारा पेंडिंग काम निबटाया। शाम हुई और शाम से रात हुई। अंकित ने चेक किया की होटल का सारा स्टाफ अब सो चूका है। बस दो लड़के जाग रहे थे ताकि रात में अगर किसी गेस्ट को जरूरत पड़े तो उसे पूरा कर दे। अंकित अपने रूम से निकला और ऑफिस की तरफ गया वहा बहुत सारि फाइलें रखी थी उन्हें देखने लगा। एक फाइल मिली जिसमे सारे एम्प्लाइज की डिटेल थी।

नीलेश मेहता के बारे में पढ़ा तो पता चला की वो यहाँ का एक लोकल था। होटल ज्वाइन करे उसे बस एक साल ही हुआ था और होटल छोड़ने पर रीज़न पर खाली था। संजय ने सोचा अब चला जाये कहीं ऐसा ना हो की वो पकड़ा जाये। वो ऊपर की तरफ जाने लगा तभी उसे लगा की कोई उसका पीछा कर रहा है। जो पीछा कर रहा था उसके कदम धीरे धीरे तेज़ हों लगे। अंकित ने मुड़ कर देखा तो एक आदमी जिसमे ब्लैक कोट पेंट और काऊ बॉय वाली हैट लगा रखी थी जिससे उसका चेहरा सही से नहीं दिख रहा था। अपने कमरे के पास पहुंच कर अंकित ने दरवाजा खोला और अंदर आ गया। उसकी दिल की धड़कन की आवाज़ बाहर तक सुनाई दे रही थी। कॉरिडोर के बाहर कोई तेज़ तेज़ कदमो से अंकित के रूम के करीब आ रहा था और जोर जोर से दरवाजा खटखटाने लगा। कुछ देर बाद वो शख्स चला गया। अंकित ने फिर दरवाजा खोला और बगल वाले रूम जिसमे सीमा और ज़ोया थी उन दोनों को जगाया। ज़ोया ने दरवाजा खोला -'' क्या क्या हुआ सर , इतना पसीना और आप इतने डरे हुए क्यों हो आप ''

अंकित-'' वो वो कोई मेरी जान के पीछे पड़ा हुआ है , मुझे कोई मारना चाहता है ''

अंकित रूम के अंदर आया तब तक सीमा भी जाग गई थी।

ज़ोया-'' लेकिन आप इतनी रात बाहर क्यों निकले ''

अंकित -''तुमने कहा था की नीलेश मेहता अचानक गायब हो चुके और या फिर उनका मर्डर हुआ है इसी वजह से में ऑफिस में नीलेश के बारे में जानकारी लेने गया था। पर जब में ऑफिस में वापिस अपने रूम में आने लगा तो ऐसा लगा की मेरा कोई पीछा कर रहा है।

सीमा -'' सर मुझे इस होटल में सारी चीज़े उलटी सीधी लगती है और मुझे डर भी बहुत लगता है ''

अंकित -'' अच्छा सुनो चार दिन बाद संडे है और ऑफिस तो बदं रहेगा , में नीलेश रावत के गांव में उनके बारे में पता करना जाऊंगा। क्या पता वो सही सलामत हो वहा पर ''

सीमा - ठीक है हम दोनों भी आपके साथ चलेंगे

ज़ोया -'' लेकिन आप क्यों जाओगे वहा आपको क्या मिलेगा ऐसा करने में ''

अंकित-'' मुझे इस तरफ की केसो में इंटरस्ट आता है ''

थोड़ी देर के लिए कमरे में सन्नटा सा छा गया फिर अंकित उठा और अपने रूम में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा। अगले दिन जब फ्रेश होकर नाश्ता करना नीचे की तरफ जाने लगा तो उसने देखा की पुरे होटल में अफरा तफरी मची है। होटल के मैं डोर पर पुलिस का पहरा है। अंकित नीचे गया तो उसे मोहन मिला।

अंकित-'' अरे मोहन क्या हो गया , इतनी भीड़ क्यों है और ये पुलिस यहाँ क्या कर रही है ? इतने में इंस्पेक्टर खुद अंकित के पास आ गया और बोला - '' हेलो मिस्टर तुम कोन हो ,दिख नहीं रहा पुलिस सभी गेस्ट को उनके रूम में जाने के लिए कह रही , तुम भी अपने रूम में जाओ। सभी के रूम में आकर उनका बयान लिया जाएगा ''

अंकित-में इसी होटल में काम करता हु और हुआ क्या कोई मुझे बातएगा ?

इंस्पेक्टर-'' खून हुआ है आपके होटल में ?

अंकित-'' किसका ?

इसंपेक्टर-'' आपके होटल में रवि भट्ट है , उनका हुआ है '' इसके बाद अंकित की आंखे गुप्ता सर या फिर सीमा और ज़ोया को ढूढ़ने लगी।

अंकित गुप्ता सर के केबिन की तरफ बढ़ा , वहा गुप्ता किसी गहरी सोच में खड़े थे। '' सर ये में क्या सुन रहा हु की हमारे होटल में खून हो गया। रवि भट्ट है कोन सर ?

गुप्ता -'' रवि हमारे होटल में कस्टमर सर्विस के हेड थे। आज सुबह उनके लाश पीछे बने स्विमिंग पूल में मिली। जब तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं आती कुछ नहीं कहा जा सकता। एक बात फिलहाल अभी किसी भी तरह का ऑफिस वर्क करने से माना किया है पुलिस ने।

अंकित-'' ओके सर '' और अपने केबिन की तरफ जाने लगा।

केबिन में सीमा और ज़ोया दोनों थी , दोनों चुप चाप गुमसुम सी बैठी थी केबिन में एंट्री लेते ही अंकित बोला-'' कोन थे रवि भट्ट ?

सीमा - वो हमारे होटल में ही कस्टमर सर्विस के हेड थे। पता नहीं कैसे उनकी अचानक और इतना कह कर रोने लगी लगी।

अंकित-'' अच्छा पुलिस ने काम करने के लिए मन किया तो क्यों ना हम लोग आज ही नीलेश मेहता के घर चले यहाँ से जायदा दूर नहीं है ''

ज़ोया-हम्म सर , चलते है फिर ''

अंकित - तो हम तीनो आज शाम को ही निकलते है ''

अंकित-'' टैक्सी करनी पड़ेगी बुक हम लोगो को ''

सीमा- '' आपको गाडी चलनी आती है ?

अंकित -'' हा

सीमा-'' ठीक है फिर , मेरा एक है जानने वाला उसके पास गाड़ी में में उससे अगर मगाऊँगी तो वो मन नहीं करेगा।

ज़ोया-'' मेरे हिसाब से हमें सुबह चार बजे चलना चाहिए ताकि सात बजे तक हम लोग पहुंच जाये और फिर वापिस भी आ जाये ''

सीमा ने अपना फ़ोन निकाला और किसी से बात करने लगी। फ़ोन कट करने के बाद चेहरे पर स्माइल थी।

सीमा -'' गाडी का इंतज़ाम हो गया ''

अंकित- '' चलो नीचे चलते है और देखते है क्या चल रहा है ''

ज़ोया-'' तुम जाओ ''

अंकित -''अकेले ही नीचे चला आया ''

अंकित स्विमिंग पूल के पास गया और जहा पर पुलिस द्वारा एरिया सील कर रखा था। फिर वो होटल के पीछे खाई है वहा देखने लगा। खाई काफी गहरी थी। खाई के अच्छे से झांक कर देखा तो वहा बहुत सारी बोरियो के गट्ठर पड़े थे। काफी देर तक उन गट्ठरों को देखता रहा अचानक किसी ने अंकित के कंधे पर हाथ रखा। अंकित को डर लगा और सोचने लगा। धीरे से वो पलटा तो इंपेक्टर था। ''क्या हुआ यहाँ क्या कर रहे हो ''- इंस्पेक्टर

अंकित-'' बस ऐसे ही देख रहा था की खाई कितनी ग़हरी है ''

इंस्पेक्टर-'' चलो खाई की गहराई बाद में देखना पहले तुम्हरी गहराई तो देख ले। हा तो ये बताओ कितने दिन हो गए है तुम्हे यहाँ पर ?

अंकित-'' ये मेरा तीसरा दिन है ''

इंपेक्टर-'' कहा से हो तुम ?

अंकित-'' में गुडगाँव से आया हु''

इंस्पेक्टर-''मेरी अनुमति के बिना इस होटल से बाहर मत जाना

अंकित-'' क्यों ना जाऊ मेरी मर्ज़ी , आपको क्या शक है मुझ पर ?

इंस्पेक्टर-'' शक तो मुझे हर किसी पर है ''

अंकित-'' करना है शक तो करिये किसी के माथे पर थोड़ी लिखा है की वो कातिल है ''

अंकित सीमा और ज़ोया के पास जाने लगा। केबिन में देखा तो वो दोनों थी नहीं तो वो सीधा उन दोनों के रूम के रूम की तरफ चला गया। दरवाजा खटखटया तो ज़ोया ने दरवाज़ा खोला।

''सब प्लान चौपट हो गया ''- अंकित ज़ोया-'' क्यों क्या हो गया ''

अंकित-'' मुझे अभी इंस्पेक्टर मिला मुझसे कुछ देर बात करने के बाद बोला की उसे बिना बताये होटल से बाहर नहीं जा सकते ''सीमा-'' अब ये क्या नई मुसीबत है ''

अंकित-हमें आज रात को ही निकलना होगा '' तभी गुप्ता की एंट्री हुई उस कमरे में और बोला अंकित जरा 208 पर कॉल करके 4 कॉफी बोल दो ''

अंकित ने कॉफी का आर्डर दिया थोड़ी देर में मोहन कॉफी ले कर आया। सबने कॉफी ली और सीमा बोली -'' सर मुझे लगा है की जिसने भी खून किया है वो कोई गेस्ट है जरूर उसे यहाँ की सर्विस पसंद नहीं आई और इसलिए उसने रवि भट्ट की हत्या कर दी।

गुप्ता-'' नहीं नहीं , खून जिसने भी किया है वो इसी होटल का है और इस जगह से अच्छी तरह वखिफ है ''

अंकित-'' आप इतना निश्चित दावा कैसे कर सकता है।

गुप्ता-'' क्युकी जिस समय लाश मिली थी उस समय स्विमिंग पूल की लाइट बंद थी अगर कोई बाहर का इस काम को करता तो वो लाइटों पर जायदा ध्यान नहीं देता और लाइटों के स्विच के बारे में बस सर्विस बॉयज को पता है। गेस्ट को स्वमिंग पूल की लाइटों के बारे में पता होना नामुमकिन है।

अंकित- '' हम्म पॉइंट तो है सर इस बात में ''

कुछ देर में कॉफी ख़त्म हो गई और गुप्ता उठ कर जाने लगा और बोला -'' टेक केयर और रात में अकेले मत निकलना कहीं अभी भी हम लोगो की जान को खतरा है।

ज़ोया -'' गुप्ता सर को क्या हो गया ''

अंकित-'' अरे उन्हें छोड़ो अब हम लोग निकलते है वैसे भी रात हो चुकी है। तीनो होटल की एक्सिस्ट की तरफ जाने लगे तो देखा पुलिस का पहरा लगा हुआ है।

सीमा -'' अब क्या करे यहाँ तो पुलिस है और वो हम लोगो को किसी भी कीमत पर जाने नहीं देगी।

अंकित-'' जल्दी से ऊपर चलो अपने रूम में मुझे एक आईडिया आया है ''

तीनो ऊपर गए और अंकित बोला - '' हम लोगो को अपने रूम की खिड़की से निचे रस्सी डालनी होगी और उसी के सहारे नीचे उतरेंगे । सीमा तुम अपने दोस्त को बोल दो की गाड़ी होटल के बैक में खड़ी कर दे। थोड़ी देर बाद तीनो ऊपर गए , अंकित ने रस्सी का जुगाड़ कर लिया ही था। अंकित ने रस्सी को खिड़की से बाँधा और रस्सी नीचे फेंकी तो वह पूरी तरह से निचे तक नहीं पहुंची थी। सबसे पहले सीमा उतरी और उसके बाद ज़ोया और आखिरी में अंकित। इस समय रात के 11 बज रहे थे।

अंकित-'' ये ज़ोया के पैर में क्या हो गया ''

सीमा -'' पता नहीं ये कैसे कूदी इसके पैर में मोच आ गई ''

ज़ोया-'' नहीं नहीं में ठीक हु ''

फिर तीनो गाडी की तरफ गए वहा गाडी और उसके अंदर चाबी लगी हुई मिली। अंकित गाडी में बैठा पीछे ज़ोया बैठी और आगे सीमा। अंकित ने गाडी स्टार्ट की और वो लोग नीलेश के घर की तरफ चलने लगे।

सीमा-'' हमें कहीं रास्ते में रुक कर सुबह चलना है या फिर रात में वहा जाना है ''

अंकित-'' इस समय वैसे भी 11:30 बज रहे है तो हम लोग किसी ढाबे पर दो तीन घंटे इंतज़ार के बाद आगे जायेंगे ''

लगभग एक घंटे का रास्ता पार करने के बाद उन लोगो को एक ढाबा दिखा गाडी उसी तरफ ले जा कर वही रोक दी। एक टेबल पर तीनो बैठ गए और चाय का आर्डर दिया। ज़ोया के पैर में अभी भी दर्द था जैसे तैसे तीनो ने वहा अपना टाइम काटा। अब सुबह के पांच बज चुके थे लेकिन अभी भी अँधेरा था।

सीमा -अब शायद हमें चलना चाहिए ''

ज़ोया-'' लेकिन तो काफी अँधेरा है ''

अंकित-'' अँधेरा बस कुछ ही देर का है लेटस गो !

तीनो गाडी में बैठने के लिए जैसे ही आगे गए तीनो की आंखे फटी की फटी रह गई। गाड़ी के फ्रंट शीशे पर एक कागज़ के टुकड़े पर लिखा था -मौत तो सबकी निश्चित है उसकी भी जो तुम्हारे साथ नहीं है''

अंकित-'' इसका क्या मतलब हुआ ''

सीमा-'' मतलब कुछ भी हो पर हम सब की जान अब खतरे में है ''

तीनो जल्दी से गाडी में बैठे और नीलेश की घर की तरफ चल दिया। अंकित गाडी थोड़ी तेज़ चला रहा था। सात बजे वो उस गांव में पहुंच गए जहा नीलेश रहता था। दो चार लोगो से पूछताछ करने पर नीलेश के घर का पूरा पता चल गया और वो उसके घर पहुंचे। दरवाजा पर दस्तक दी थक थक थक ! एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला।

अंकित-''जी हम लोग होटल लास्ट रिसोर्ट से आये है। क्या नीलेश जी घर पर है ?

बुजुर्ग-'' बेटा नीलेश तो काफी दिनों से आया नहीं और उसका फ़ोन भी नहीं लग रहा ,में खुद होटल आकर पता करने वाला था। आप लोग आओ अंदर ''

सीमा-'' आपकी आखिरी बार उनसे बात कब हुई थी ?( अंदर जाते हुए पूछा )

बुजुर्ग-'' यही कोई दो हफ्ते पहले ''

अंकित- '' दरअसल बात ये है की नीलेश जी होटल में नहीं है , वहा के मैनेजर का कहना है की उन्होंने जॉब छोड़ दी और अपने घर आ चुके वो ''

एक बुजुर्ग महिला एक प्लेट में चाय ले कर आई। सबने चाय पी। तीनो अब वापिस होटल की तरफ आने लगे।

अंकित-'' नीलेश जी या तो अभी ज़िंदा है या फिर उनका मर्डर हो चूका है , और एक बात और मेरे दिमाग में आ रही है। सीमा तुम्हारे दोस्त जिसने ये गाडी दी है उसकी जान भी खतरे में उसे जल्दी फ़ोन करके सावधान रहने को कहो ''

सीमा-'' लेकिन तुम इतने यकीं से कैसे केह सकते हो ''

अंकित-'' देखो उस कागज़ पर क्या लिखा है तुमने ध्यान दिया - मौत सबकी निश्चित है जो हमारे साथ नहीं है उसके भी। कातिल को ये पता चल चूका है की ..... पहले नाम बताओ अपने दोस्त का ?

सीमा-'' राज ''

अंकित-'' हा कातिल को पता चल चूका है की राज ने अपने गाड़ी हमें दी है इसी वजह से वो उसे जरूर मारने जायेगा ''

लगातार गाडी चलाने के बाद वो लोग राज के घर पहुंचे पर वहा ताला लगा हुआ था।

अंकित- '' हमें किसी भी हालत में राज को ढूंढ़ना पड़ेगा ''

सीमा-'' रुको में फ़ोन करती हु '' रिंग गई तो घर के अंदर से ही फ़ोन की आवाज़ आ रही थी। अंकित ने दो तीन बार धक्का मार कर दरवाजा तोड़ दिया। फ़ोन बिस्तर पर था पर राज का कुछ भी पता नहीं चला।

ज़ोया जो अब तक चुप थी-'' हम लोगो को अब पुलिस को बता देना चाहिए सब कुछ ''

तीनो जब होटल पहुंचे तो उनको एक झटका और लगा , नीलेश की लाश से स्विमिंग पूल में मिली। ये मर्डर भी वैसे ही हुआ था जैसे पहले हुआ था। तीनो गुप्ता सर के केबिन में गए वहा इंस्पेक्टर पहले से ही बैठा था। इंस्पेक्टर-'' तुम तीनो कल से कहाँ थे , जल्दी बताओ ?

अंकित -'' सर आप हमारी बात सुन लीजिये ये बहुत बड़ी साजिश है ''

गुप्ता ने फ़ोन पर मोहन को कॉफी लाने को कहा।

इंस्पेक्टर-'' कैसी साजिश ?

इसके बाद अंकित ने अब तक की हुई सारी घटना बता दी। इंस्पेक्टर-''लेकिन कातिल कौन है ?

इतने में मोहन ने कमरे में एंट्री ली कॉफी के साथ।

गुप्ता-'' मोहन सबको कॉफी दो। थोड़ी देर बाद कॉफी पी कर अंकित इंस्पेक्टर को राज की गाडी दिखाने ले गया। गाडी के पास पहुंच कर इंस्पेक्टर बोला राज का नंबर ट्राई नहीं किया तुम लोगो ने ?

सीमा-'' किया था पर लग नहीं रहा '' तभी मोहन की छत पर पर से बहुत तेज़ आवाज़ आई ''सर इधर आइये ये दिखिए एक और लाश है यहाँ पर ''

सब छत पर गए , सीमा चिल्लाई -'' राज राज'' और जोर जोर से रोने लगी इंस्पेक्टर-'' मोहन तू यहाँ क्या कर रहा था ?

मोहन -सर जी में तो पानी की टंकी बंद करने आया था और मेने ये सब देखा और आपको आवाज़ लगाई ''लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया '' नीलेश की रिपोर्ट कब तक आएगी ''- एक हलवदार से पूछा

हवलदार-'' सर कल सुबह आ जाएगी ''

इंस्पेक्टर-'' चलिए आप सभी लोग अपने कमरे में जाईये और कोई भी बाहर ना निकले होटल से मेरी परमिशन के बिना ''

सब अपने अपने कमरे में जाने लगे , सीमा का तो रो रो कर बुरा हाल था। अंकित अपने कमरे में गया जैसे ही कमरे का दरवाजा बंद किया बैक साइड में एक कागज़ पर लिखा था '' सबकी मौत निश्चित है पर आज किसकी होगी ये नहीं पता '' अंकित ने दरवाजा खोला पर वो नहीं खुला जैसे किसी ने दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया हो। अंकित ने सीमा को फ़ोन किया -'' हेलो सीमा जल्दी से अपने कमरे में से बाहर निकलो तुम लोगो की जान को खतरा है ''

सीमा ने दरवाजा खोला तो बाहर से लॉक था

सीमा-'' ये तो बाहर से लॉक है ''

अंकित-'' हम तीनो की जान खतरे में है ज़ोया कहा है ?

सीमा-'' वो तो बहरूम में नहा रही है ''

अंकित- उसको बोलो की जल्दी निकले बाहर ''

सीमा-'' पर तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ''

अंकित-'' क्युकी जब में अपने कमरे में एंटर हुआ तो मुझे एक नोट मिला जिसमे लिखा था की ''सबकी मौत निश्चित है पर आज किसकी होगी ये नहीं पता ''

तभी ज़ोया की बाथरूम में चिल्लाने की आवाज़ आई।

सीमा-'' क्या हुआ , दरवाजा खोल यार जल्दी ''

ज़ोया- शावर में से गर्म पानी आ है और में बुरी तरह जल गई हु '' सीमा से बार बार धक्का मार कर बाथरूम का दरवाजा तोडा अंदर ज़ोया आधी जली हुई पड़ी थी। सीमा ने गुप्ता को कॉल करके सारी जानकारी दी साथ में ये भी बताया की अंकित अपने कमरे में फसा हुआ है। गुप्ता इंस्पेक्टर के साथ एक टीम लेकर दरवाजे तोड़े और अंकित , सीमा और ज़ोया को बाहर निकला। ज़ोया को तुरंत हॉस्पिटल भेजा। सब लोग हॉस्पिटल पहुंचे

हॉस्पिटल में सब एक दूसरे को देख रहे थे।

गुप्ता - इंस्पेक्टर कुछ करो इस सब का , कातिल को पकड़ो जल्द से जल्द ''

इंस्पेक्टर-'' हम लोग लगे हुए है अब कातिल कुछ जयदा चालक है तो थोड़ा सा सब्र तो करना ही होगा ''

गुप्ता-'' वैसे ही धीरे धीरे पूरा होटल खाली हो चूका है अब बस स्टाफ ही बचा है ''

अंकित-'' सर में होटल जा रहा हु और सीमा तुम अपना ख्याल रखना ''

अंकित थोड़ी देर में होटल पंहुचा और मोहन के पास जाने लगा तो उसे गुप्ता सर के केबिन में कोई दिखा जो किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था और कह रहा था -''सर यहाँ तो एक के बाद एक मर्डर करने पड़ रहे है जिसका मर्डर करना है वो हमेशा पुलिस से घिरा रहता है। कुछ सबूत के लिए एक को तो मार दिया पर एक अभी हॉस्पिटल में है लेकिन आज रात वो जिसको आप मरवाना चाहते हो वो मरेगा भले ही मुझे हॉस्पिटल में मारना हो '' वो पलटा लेकिन अंकित जल्दी से साइड हो गया और वो उसे देख नहीं पाया लेकिन अंकित ने उसे देख लिया था और आज रात वो पकड़ा भी जायेगा। अंकित फिर से उलटे पॉव हॉस्पिटल की भगा और सारी बात इंस्पेक्टर और गुप्ता को बता दो सिवाय इसके की वो शख्स कोन है।

इंस्पेक्टर - लेकिन में तुम्हारी बातो का भरोसा क्यों करू हो सकता है ये तुम्हारा कोई प्लान हो जिससे तुम गुप्ता जी को मार सको ''

अंकित-''अगर मुझे मारना ही होता तो कब का मार देता , अब तक इंतज़ार क्यों करता में ''

इंस्पेक्टर-'' हम्म बात में दम तो है ''

अंकित-'' आप तो मुझे ही समझते हो शरू से कातिल ''

इंस्पेक्टर-'' ठीक है में तुम्हारे साथ हु पर अगर कहीं भी गड़बड़ हुई तो वही गोली से भून दूंगा ''

अंकित- ठीक है जैसी आपकी मर्ज़ी ''

गुप्ता -'' अगर तुम मुझे उसका नाम बता दो हम उसे ऐसे ही पकड़ लेंगे ''

इंस्पेक्टर-'' हम लोगो के पास उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं ऐसा अंकित ने कहा है ''

अंकित-'' ठीक है फिर , वो शाम को अपने काम को अंजाम देने आएगा तभी हम उसे पकड़ेंगे ''

अब आप सभी प्लान ध्यान से सुनो , गुप्ता सर की तबियत खराब होगी और लेकिन उनकी जगह में एडमिट हो जाऊंगा । सीमा अभी भी ज़ोया के पास ही थी। अंकित ने मोहन को फ़ोन करके कहा की खाना ले कर । थोड़ी देर में मोहन आया। सब लोगो ने थोड़ा थोड़ा खाना खाया। अंकित इस समय कमरे में अकेला लेटा हुआ था । बाकि लोग हॉस्पिटल में इधर उधर जा चुके थे। अंकित के कमरे के बाहर पुलिस का कोई पहरा नहीं था। रात के 11: 30 बज चुके थे गुप्ता और इंस्पेक्टर कमरे के पास आये तो देखा अंकित अभी लेटा हुआ था ।

गुप्ता -'' लगता है कातिल ने अंकित को मार दिया है हमें देखना चाहिए ''

इंस्पेक्टर -'' सर आप शांति बना कर रखो कातिल खुद अभी कमरे में आएगा। बस आप थोड़ा कमरे से इधर आइये। तभी एक वार्ड बॉय मुँह पर मास्क लगा कर गुप्ता के कमरे में दाखिल हुआ। वो वार्ड बॉय एक इंजेक्शन अंकित के लगाने लगा इतने में इंस्पेक्टर अपने दो हवलदार के साथ कमरे में घुसा और उस वार्ड को बॉय को पकड़ा। उधर से सीमा भी आ गई। इंस्पेक्टर ने उसके मुँह का मास्क हटाया तो सबकी की आंखे फटी की फटी रह गई। वो शख्स कोई और नहीं मोहन ही था।अंकित भी उठ गया और मोहन को कस के पकड़ लिया

इंस्पेक्टर -'' मोहन तू , तू ही था जो सबको मार रहा था ''

इंस्पेक्टर ने दो थप्पड़ जड़े और बोला -'' बता क्यों कर रहा है ये सब '' उसके बाद फिर से दो थप्पड़ मारे। पूरा हॉस्पिटल ये सारा नज़ारा देख रहा था।

मोहन-'' बताता हु सर ये सब में गुप्ता सर कहने पर कर रहा हु। वो ही मुझे बताते है की किसे किसे मरना है मुझे ''

इंस्पेक्टर-'' क्या !

गुप्ता भागने लगा तो हवलदारों ने उसे भी पकड़ लिया।

इंस्पेक्टर-'' तो गुप्ता जी आप खुद बताओगे या फिर हमें डंडे का इस्तेमाल करना होगा ''

गुप्ता -'' बताता हु , मुझे इस होटल का मालिक बनना है। बॉस इस होटल का ज़्यदा ख्याल नहीं रखते थे सब कुछ मेरे ऊपर ही था तो मेने सोचा की में इस होटल का पूरा मालिक बन कर रहूँगा पर बॉस गुडगाँव से कुछ टाइम बाद ही किसी ना किसी को भजते रहते , जिसकी वजह से मेने यहाँ आने वाले हर स्टाफ को मारना शुरू किया। जो मेने पहला मर्डर किया था तब पुलिस की तहकीकात से में डर सा गया फिर मेने मोहन को इस प्लान प्लान में शामिल किया क्युकी शराब के लालच में मोहन कुछ भी कर जाता है।

इंस्पेक्टर-'' चलो मान लिया की बॉस यहाँ स्टाफ भेजना बंद कर देते तो भी मालिक तो फिर भी नहीं बन पाते।

गुप्ता-'' बॉस यहाँ आज तक बस दो बार ही आये है और जब भी कहो की यहाँ आ जाओ तो माना कर देते है।

एक के बाद एक मर्डर के बाद उन्हें आना ही पड़ता फिर उनसे जबरजस्ती पेपर्स पर साइन कारा लेता।

तभी अंकित बोला -'' में एक चीज़ सबको बताना चाहता हु , में कोई बॉस यानि की मल्होत्रा साहब का स्टाफ नहीं हु बल्कि एक प्राइवेट जासूस हु। उन्होंने मुझे कॉन्ट्रैक्ट दिया था इसलिए में यहाँ आया था। मल्होत्रा साहब इसलिए यहाँ नहीं आते थे क्युकी एक के बाद एक मर्डर की वजह से उन्हें लगने लगा था की कहीं उनकी जान भी ना चली जाये। मुझे शुरू से ही गुप्ता पर शक था , इसलिए में नीलेश की घर भी गया था वो अफ़सोस की उनका मर्डर हो गया ''

इंस्पेक्टर-'' लेकिन राज को क्यों मारा उन्होंने ''

अंकित-'' राज होटल में चाबी देने के लिए सीमा के पास आया था। उसने मोहन को नीलेश की के मर्डर को प्लान करते हुए सुन लिया था इसलिए राज को मारना पड़ा।

इंस्पेक्टर-'' थैंक्यू वैरी मच अंकित , ये सब आपकी वजह से ही हुआ है ''

अंकित ने मल्होत्रा को कॉल किया -'' बॉस आपका कातिल पकड़ा गया ''

मल्होत्रा-'' कोन है वो ?

अंकित-'' आपका सबसे वफादार गुप्ता , और गुप्ता का वफादार मोहन ''

मल्होत्रा ने इतना सुन फ़ोन रखा थोड़ी देर में अंकित के फ़ोन पर मेसज आया। आपके खाते में एक लाख रुपये जमा हुए।


द एन्ड

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