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साज़िश

लगभग रात के गयारह बज रहे थे संजय अपनी गाड़ी को फुल मस्ती में भागते हुए ले जा रहा था।संजय ने काफी पी भी रखी थी जिससे वो गाडी में चल रहा गाना धीरे धीरे गुनगुना रहा था। सड़क बिलकुल सुनसान थी और गाडी की स्पीड सौ से ऊपर थी। तभी संजय को लगा की कुछ दुरी पर सड़क पर कोई खड़ा हुआ है वो लड़की है या लड़की ये समझ नहीं आ रहा था क्युकी गाडी की लाइट वहां तक नहीं पहुंच रही थी। संजय ने जोर जोर से हॉर्न बजाना शुरू कर दिए और साथ में ब्रेक भी मारे ताकि स्पीड काम हो जाये। वो गाडी को दूसरी साइड ले नहीं जा सकता था क्युकी एक तरफ जंगल और दूसरी तरह खाई थी। ब्रेक मारने पर बहुत जोर से आवाज़ आई। संजय ने बहुत बचाया पर गाडी का कोना उस शख्स को लगा और वो सीधा खाई में गिरा। गाडी भी एक कोने में जा कर टकरा कर वही ठुक गई। संजय को भी चोट आ गई थी। जैसे तैसे वो गाडी से उतरा और खाई की तरफ गया। खाई में घुप अँधेरा था कुछ भी नहीं दिख रहा था। उसने गाडी की तरफ देखा तो गाडी अब चलने की हालत में नहीं थी। साथ ही उसे डर लगने लगा था की कहीं पुलिस ना आ जाये। उसे पास ही एक झोपडी दिखाई दी उसके दिमाग में एक प्लेन आया उसने गाडी को धीरे धीरे धक्का मार कर गाडी को खाई में ही गिरा दिया। अभी गाडी नीचे गिरी ही थी की पुलिस के साइरन के साथ आती हुई जीप दिखाई दी। संजय को लगा की इस एक्सीडेंट के बारे में पुलिस को पता चल गया। संजय ने अपने कपडे सही किये और अपना हुलिया ठीक किया और सिगरेट निकाल पीने लगा। पुलिस ने उससे पूछा की वो यहाँ इतनी रात में अकेले क्या कर रहा है।

संजय ने कहा की वो यही पास में रहता है और अपना मुँह थोड़ा ढक रखा उन लोगो को संजय की शक्ल सही से ना दिखे। पुलिस वालो के जाने बाद संजय ने आपने आप को सही किया। वो फिर से खाई के पास गया और देखने लगा ,अचानक संजय को बचाओ बचाओ की आवाज़ सुनाई देने लगी। वो तुरंत सोचने लगा की नीचे कैसे जाया जाये। खाई के पास एक रास्ता मिला नीचे जाने का , बड़ी मुश्किल से वो नीचे पंहुचा पर तब तक देर हो चुकी थी जिस आदमी को टक्कर मरी थी वो मर चूका था पर उसी के पास एक बैग पडा हुआ था। संजय ने जल्दी से वो बैग उठा लिया और ऊपर आ गया। बहुत देर तक पैदल चलते चलते जब थोड़ी सी रोशिनी बड़ी तो उसने बैग खोल के देखा तो बैग में एक पेन और एक डायरी निकली और कुछ छोटे मोटे बिलों के कागज़ थे , डायरी खोली तो काफी सारी चीज़े लिखे हुई है। संजय ने सोचा की आराम से घर जाके पङेगा वो फ़िलहाल तो उसे बस या कोई ऐसे चीज़ ढूंढ़नी होगी जो उसे इस गांव से निकाल दे उसे। हिमाचल के गांव भी ना कैसे कैसे है और गाडी का ननुकसान भी हो गया है ये बात उसने मन में सोचते हुए कहा।

सुबह के चार बजे थे। उसे दूर से एक जीप आते हुए दिखाई दी। थोड़ी देर में वो जीप पास आई संजय ने उससे कहा की वो उसे पास के ही होटल में छोड़ दे। बदले में वो उसे भाड़ा देगा। जीप वाला भी मान गया। जीप में बैठने के बाद संजय मन ही मन खुश हुआ इसलिए नहीं की उसे जीप मिल गई बल्कि इसलिए खुश हुआ वो की उसे एक डायरी मिली जिसके जरिये वो एक बहुत ही अच्छी कहानी लिख सकेगा।संजय को कहानी लिखने का भी शॉक था। आधे घंटे बाद वो होटल पंहुचा जीप वाले को पैसे देकर अपने कमरे में जा कर सबसे पहले उसने खाने का आर्डर दिया। फिर उसके बाद वो नहाने चला गया। नहाते नहाते उसे ऐसा लगा जैसे कोई कुछ लिख रहा है किसी पेपर पर। लिखते वक़्त पेन से जो आवाज़ आती है कुछ उसी तरह की आवाज़ आ रही थी। संजय ने कहा की कौन है ,तो आवाज़ आना बंद हो गई। जब वो नहा कर आया तो उसे ऐसा लगा की वो जो डायरी लाया था उस पर किसी ने कुछ लिखा है। तभी बेल बजी संजय का ध्यान डायरी से हट कर दरवाजे पर गया। दरवाजा खोला तो वेटर आया हुआ था खाना ले कर। संजय ने खाना खाना शुरू किया तो फिर से वही आवाज़ आने लगी , उसने तुरंत डायरी की तरफ देखा तो आवाज़ बंद हो गई। थोड़ी देर डायरी के साथ रखा पेन टेबल से गिरा। अब संजय को थोड़ा सा डर लगा संजय उठा और पेन को उठा कर रख दिया और डायरी उठा कर पढ़ना शुरू कर दिया। डायरी के पहले पेज पर नाम लिखा था राहुल।अंदर टूटी फूटी लिखावट में लिखा हुआ था सब जैसे किसी ने बहुत डरते डरते और जल्दबाजी में लिखा हो ये सब। संजय ने अब डायरी पढ़ना शुरू किया।

मेरा नाम राहुल है। में और मेरा पूरा परिवार यानि की में मेरी माँ पापा और छोटा हम सब यहाँ कांगड़ा घूमने आये हुए थे। 17 दिसंबर को रात में मेरा पूरा परिवार एक घने जंगल में भटक गया था , मेरा छोटा भाई अचानक से गायब हो गया। ऐसा लगा जैसे उसे किसी ने पकड़ लिया हो जान मुझकर हम लोगो से दूर करने के लिए। हम लोग बहुत देर तक उसे ढूंढ़ते रहे पर वो कहीं नहीं मिला। तभी एक हवा का झोंका हम तीनो को लगा जिसमे मेरे माँ और पिता दूर जा कर एक नदी में गिर गए। मेने बहुत कोशिश की वो लोग बच जाये पर कोई फायदा नहीं हुआ। में बहुत जायदा डर गया था और मुझे कोई बाहर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था। तभी मेरा पॉंव एक गड्ढे में पडा और में बुरी तरह गिर गया। मेरी सुबह आंख खुली तो मेने देखा चारो तरफ इतना घाना जंगल है की सूरज की किरणे भी जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी। सारा दिन इधर उधर भटकने के बाद और भूखा प्यासा रहने के बाद रात के वक़्त मुझे बहुत ऊँची पहाड़ी से सड़क दिखी। मेने सीधा उसी तरफ दौड़ना शुरू कर दिया। काफी देर तक दौड़ने के बाद में सड़क पर पंहुचा। में बहुत जायदा थक चूका था और ठण्ड भी लग रही थी इसलिए मेने मेरे बैग में रखे हुए कम्बल को ओड लिया ताकि ठण्ड से बच सकू। मेरा फ़ोन भी ऑफ हो चूका था इसलिए अब में सुबह होने या फिर किसी मदद का इंतज़ार करने लगा। में सड़क के साइड में खड़ा हो गया। लगभग आधे घंटे बाद मुझे एक गाडी आती हुई दिखाई दी। में सड़क के बीच में खड़ा हो गया ताकि वो गाडी रुक जाये और मुझे छोड़ दे। पर उस गाडी वाले ने मुझे पर वो गाड़ी चढ़ा दी और में खाई में गिर। उस इंसान में इतनी इंसानियत भी नहीं थी की वो मुझे नीचे गिरने के बाद कम से कम बचाने तो आ जाता। इसकी सजा तो उसे मिल के रहेगी।

संजय को अचानक पढ़ते पढ़ते याद आया की जो चीज़ उसने आखिरी में पढ़ी है वो सब तो उसके साथ ही हुआ है और ये सब लिखा किसने आखिरी वाला हिस्सा। इतना उसने मन में सोचा ही था की तभी कमरे की लाइट बंद हुई बिलकुल घुप अँधेरा हो गया। संजय को उसके सामने दो डरावनी नीली आंखे दिखी। संजय का डर की वजह बुरा हाल हो गया। जैसे ही वो इधर उधर भागने लगा तभी अचानक कमरे की बत्ती जल गई। अब संजय समझ चूका था की उसे अब यहाँ नहीं रुकना चाहिए। उसने तुरंत आपने सामान बंधा और होटल से चेक आउट किया। संजय को याद आया की उसकी गाडी तो अब है नहीं और वो घर कैसे जायेगा। उसने एक टैक्सी करी ऊना स्टेशन तक की और फिर स्टेशन पहुंच कर तत्काल की टिकट ली। ट्रेन रात आठ बजे की थी तो उनसे सोचा की पास ही एक ढाबे पर जा कर खाना खा कर आता है वो क्युकी अभी दोपहर के तीन बजे थे। ढाबे पर पहुंच कर उसने एक थाली आर्डर की। जब वो वेटर खाना लेकर आया उसके पास तो उसने संजय के कान में एक बात कही

-''सर जी आपने उस आदमी को एक तो गाडी से टक्कर मार दी नशे में और ऊपर से उसे वही अधमरी हालत में छोड़ आये ''

इतना कहते हुए वो आदमी वहा से चला गया। संजय उस आदमी के पास गया और धीरे से उससे बोला की क्या बकवास कर रहा है वो ?

आदमी बोला जो सच है वो बताया मेने आपको , वैसे ट्रेन से जाने में कोई फायदा नहीं ,सजा तो मिलेगी ही (भारी आवाज़ में कहा उसने )

शाम के सात बज चुके थे संजय अभी भी स्टेशन से बहार ही था। उसने तभी ठीक वैसा ही आदमी देखा जैसा उसने कल रात देखा था जो उसकी गाडी से टकराया था। संजय उस आदमी के पास गया। पर जैसे जैसे संजय उसके पास जा रहा था वो आदमी उससे दूर भागते जा रहा था। संजय को डर भी लग रहा था पर उसका मन नहीं मान रहा था। संजय अब स्टेशन से थोड़ा दूर आ गया था और वो आदमी उसे दिखना भी बंद हो गया था

संजय अब इतना आगे आ गया था की चारो तरफ बस घनघोर अँधेरा था तभी किसी ने संजय के कान के पास कहा अजीब सी डरावनी आवाज़ में ''संजय '' संजय बुरी तरह डर गया। अब बस चारो तरफ जिंघुरो की आवाज़ आ रही थी। तभी कहीं दूर से किसी की सूखे पत्तो पर चलने की आवाज़ आई। धीरे धीरे वो आवाज़ और तेज़ होने लगी और संजय को वो आवाज़ काफी तेज़ आने लगी। वो शख्स बहुत ही तेज़ से संजय की तरफ चला आ रहा था और जो भी उसके पास आ रहा था वो सच मुच् बहुत ही डरावना था। वो शख्स संजय के शरीर से आ पास करते हुए निकला गया। संजय को अब कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे। थोड़ी देर में ट्रेन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी। ट्रेन की आवाज़ सुन कर संजय उसी तरफ भगा। संजय अपनी पूरी जान लगा के भागने लगा। ट्रेन का बिलकुल आखिरी डिब्बा वो पकड़ पाया। अंदर जा कर उसने अपनी सीट ढूंढी। जब वो अपनी सीट पर पंहुचा तो वहा पहले से कोई सर निचे करके बैठा है। संजय ने उस आदमी से कहा की भाईसहाब ये मेरी सीट है। तो उस आदमी ने जैसे ही ऊपर अपना सर किया अचानक पूरी ट्रेन की बत्ती चली गई और चारो तरफ घुप अँधेरा था और फिर से वही नीली आंखे दिखी जो संजय को उसके होटल वाले रूम में दिखी थी। जैसे ही संजय जोर से चिल्ल्या डर की वजह से अचनाक से फिर सब पहले जैसा नार्मल हो गया। पर ये सब संजय ने मन मे ऐसा सोचा था। संजय की सीट की सबसे ऊपर वाली बिर्थ खाली थी तो संजय वही जा कर लेट गया और फिर कब उसे नींद आ गई पता ही नहीं चला। सुबह स्टेशन के शोर गुल चाय चाय की आवाज़ से संजय की नींद खुली। संजय उठा और किसी से पूछा की कोन सा स्टेशन है ये तो जवाब में उसे मिला की ये दिल्ली का निजामुद्दीन है। संजय जल्दी से अपना सामान ले कर स्टेशन से बाहर निकला और अपने एक दोस्त को फ़ोन किया की वो उसे स्टेशन लेने आ जाये। विक्की थोड़ी देर में संजय के पास गाड़ी ले कर आ गया।

विक्की-''अबे तेरी गाड़ी कहा गई ''

संजय-''यार वो एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था और गाड़ी को मेने फिर वही गेराज में डाल दिया ठीक कराने के लिए ले आऊंगा वापिस में।

विक्की-''कैसा एक्सीडेंट ''

संजय-''अरे कुछ नहीं वो मेने रात में थोड़ी पी ली थी इसलिए गाड़ी चलाते हुए एक पेड़ से टकरा गई''

विक्की-''चल ठीक है हम दोनों जा कर गाडी ले आएंगे।

संजय ने हिमाचल में जो कुछ भी उसके साथ हुआ उसके बारे में विक्की को कुछ भी नहीं बताया। संजय बिलकुल शांत थे जिस दिन से उसके साथ वो सब हुआ था।

मैने आपको बताया नहीं की विक्की और संजय दोनों बिज़नेस पार्टनर है और दोनों कुछ ही दुरी अलग अलग फ्लैट में अपने घरवालों से अलग रह रहे थे।

अपने फ्लैट पर पहुंच कर संजय सीधा नहाने गया। नहा कर आने के बाद उसने अपने लिए ब्रेकफास्ट बनाया और अपना फ़ोन जो की स्विच ऑफ पडा था उसे चार्जिंग पर लगा कर ऑन किया। ब्रेकफास्ट कर के संजय ऑफिस के लिए निकला। संजय जब लिफ्ट लेने के लिए जा रहा था उसे लगा की उसका कोई पीछा कर रहा है। संजय के पीछे पीछे कोई शख्स चल रहा था। वो शख्स अपने कदमो की आवाज़ संजय के कदमो से मिला कर चल रहा था। संजय दौड़ कर लिफ्ट में घुस गया , उसकी सांसे काफी तेज़ हो गई थी। बिल्डिंग से बहार आकर

टैक्सी ले कर सीधा ऑफिस पंहुचा। ऑफिस पहुंच कर सभी ने संजय को हैरानी से देखा। थोड़ी देर बाद रिसेप्शन वाली लड़की आई संजय के केबिन में और एक लिफाफा दे कर गई। संजय ने उस लिफाफे को खोला तो वो हैरान हो गया। उस लिफाफे में हिमाचल में हुए रात वाले एक्सीडेंट की फोटो थी की कैसे उसने उस आदमी को टक्कर मार कर खाई में गिरा दिया था और साथ में उस मरे हुए इंसान की फोटो भी थी । संजय को बहुत जोर का झटका लगा। उसने वो फोटो अपने केबिन में बने सेफ लॉक में रख दी

दिल्ली का एक बियर बार जहा तीन लोग बैठे हुए थे।

पहला-''तेरे से इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई , तुझे उसे गिरना था गाड़ी से खाई में ना की तुझे खुद गिरना था।

तीसरा-''छोड़ ना यार , अब जो हुआ सो हुआ , पर कम से कम हम लोगो ने वो फोटो खींच कर अच्छा किया था।

अब तक तो उसे वो फोटो उसे मिल गई होगी। ''

दूसरा-''अब आगे क्या करना है ?

पहला-''कुछ नहीं अब कोई और प्लान बनाना होगा उसे मारने का।

इतने कहते हुए तीनो ने बियर के कप को चियर्स करते हुए बियर पी।

दूसरी तरफ संजय को समझ नहीं आ रहा था की वो इस बारे में किसे बताये , अगर वो पुलिस को बताएगा तो पुलिस इस बात को मानने से साफ़ इंकार कर देगी , लेकिन अगर वो अच्छे से बताएगा और समझयेगा तो पुलिस जरूर समझ जाएगी। संजय पुलिस के पास गया।

दिल्ली का पुलिस थाना जिसने इंस्पेक्टर राठौर तैनात है। संजय ने राठौर से मिलने के लिए कांस्टेबल से पूछा तो उसने कहा की अभी बीस मिनट रुकिए। बीस मिनट बाद संजय अंदर गया और बोला

संजय-सर मुझे आप से कुछ बात करनी है अकेले में , में एक बिजनेस वाला आदमी हु।

तभी विक्की का कॉल आ गया। संजय विक्की को बिना बताये ऑफिस से थाने आया हुआ था। संजय ने कहा की वो किसी से मिलने कहीं बाहर आया हुआ है। थोड़ा टाइम लग जायेगा उसे। फिर उसने राठौर की तरफ रुख करते हुए कहा की में आपको जो कुछ भी बता रहा हु उसे पहले ध्यान से सुनिए और उसके बाद ही सही और गलत का फैसला लीजिए।

अब संजय ने बताना शुरू किया-सर में पांच दिन पहले हिमाचल गया था , वहा से लौटते वक़्त अँधेरा हो रहा था लगभग रात के बारह बज रहे थे। गाड़ी की स्पीड भी काफी थी और मेने थोड़ी ड्रिंक भी कर रखी थी। तभी मेरे सामने एक आदमी आ गया अचनाक जिसने कम्बल ओड रखा था।मुझे उसका चेहरा नहीं दिखा बिलकुल। मेने

गाडी को काफी संभाला और ब्रेक भी लगाये पर गाडी उस आदमी से टकरा गई और वो आदमी उछल कर खाई में जा गिरा। मेरी गाडी भी एक पेड़ से टकरा गई थी में भी फिर गाडी से उतरा और उस आदमी को देखने के लिए पर खाई में अँधेरा होने की वजह से मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था। तभी वहां पुलिस की जीप गश्त लगाते हुए वहा आई मुझे लगा की इस एक्सीडेंट की वजह से आई है मेने जल्दी से अपनी गाड़ी को धक्का दे कर खाई में गिरा दिया और यु ही घूमने लगा। किसी तरह पुलिस को अपने यहाँ होने की झूठ कहानी सुनाई और पुलिस वहा से चली गई। फिर उसके बाद से मेरे साथ अजीब अजीब घटना होने लगी।

बाकि की सारी घटनाये इंस्पेक्टर को बताईऔर वो लिफाफा भी दिया जिसमे उसे किसी अनजान से एक्सीडेंट वाली फोटो भेजी थी । इंसपेक्टर ने सारी बाते सुन कर संजय से कहा -

''तो तुम चाहते क्या हो , क्या अपने जुर्म काबुल करवाना चाहते हो ''

संजय-''नहीं सर , में चाहता हु की आप इस केस की तहकीकात करे , क्युकी मुझे लगता है की मेरी जान को खतरा है , कोई मुझे मारना चाहता है ''

''तुम्हे ऐसा क्यों लगता है ? इंस्पेक्टर ने पूछा

सांय-क्युकी मेरे साथ काफी अजीब अजीब घटनाये हो चुकी है। जिस इंसान को मेने टककर मारी थी वो मुझे बार बार दिखता है। जब में अकेला होता हु तो अचानक मेरे कमरे की लाइट चली जाती है और मुझे वही इंसान दिखता है और फिर ये फोटो तो आप देख ही रहे हो ''

''वैसे आप हिमाचल क्यों गए थे '' इंस्पेक्टर ने पूछा

''एक मीटिंग में गया था ''

''आप काम क्या करते हो '' इंस्पेक्टर ने पूछा

''में और मेरा दोस्त विवेक दोनों पार्टनरशिप में काम करते है इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट का ''

''क्या आपने विवेक को इन सब घटनाओ के बारे में बताया '' इंस्पेक्टर ने पूछा

''नहीं ''

''क्यों '' इंस्पेक्टर ने पूछा

''अगर उसे बताया तो वो बेकार में टेंशन ले लेगा। बस आप मेरी इस परेशानी को ठीक को कर दीजिये में कितना भी पैसा देने को तैयार हु ''

''ठीक है आप अपना पूरा नाम , नंबर और पता वह लिखवा दीजिये , हम लोग तहकीकात करते है और इस लिफाफे पर भी हम कार्यवाही करते है '' इंस्पेक्टर ने कहा

संजय ने अपनी पूरी जानकारी हवलदार के पास लिखा दी

दिल्ली का बियर बार जहा एक बार फिर वही तीनो बैठे हुए थे। तीनो में से किसी का भी चेहरा दिख रहा था

पहला- '' उस संजय ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी है। और मैनें सुना है की पुलिस की एक टीम हिमचाल जा रही है छानबीन करने।

तीसरा-''तो क्या हुआ करने दे उसे ऐसा , अपने लिए ही गड्ढा खोदा है उसने , और पुलिस को तो कुछ मिलेगा भी नहीं क्युकी पुलिस के पहुंचने से पहले हम सारे सबूत मिटा देंगे। ''

दूसरा-''पुलिस उसको तो पकड़ेगी ही क्युकी उसकी किसी जान जो ली है , पर अफ़सोस जिसकी जान ली है वो तो मेरे सामने बैठा है तो पुलिस कोई उसकी लाश कैसे मिलेगी ''

तीनो जोर से हसें और दूसरे बन्दे ने वेटर को बुलाकर और बियर ले कर आने को कहा। पास ही पड़ी एक टेबल पर एक शख्स इन तीनो की बाते गौर से सुन रहा था

उस शख्स ने जेब में फोन निकल कर किसी से बात करते हुए बाहर चला गया।

अगला दिन , संजय और विवेक अपने ऑफिस में बैठे हुए थे की तभी विवेक संजय के पास आया और बोला

''चल तेरी गाडी ले आते है हिमचाल से ,अब तो ठीक हो गई होगी वो ''

''मेने अभी पूछा है गाडी के बारे में अब ठीक नहीं हुयी है , कोन सी जल्दी है गाडी की यहाँ पर तो है ही मेरे पास '' संजय ने थोड़ा हिजकीचाते हुए कहा

उधर दूसरी तरफ इंस्पेक्टर ने अपने साथ एक टीम ले कर हिमचाल के लिए निकल गए। घटना स्थल का मुयाना करने। हिमचाल पहुंच कर टीम ने अपना काम करना शरू कर दिया। पहले तो उस जगह को अच्छे से देखा जहा उस इंसान को गाड़ी से टक्कर लगी थी। अभी घटना को हफ्ता भर ही हुआ था पर ऐसा कुछ लग नहीं रहा था। संजय ने इंस्पेक्टर को बताया था की जिस जगह उसकी गाड़ी एक पेड़ से टकराई थी वहां वो पेड़ भी नहीं था। इंस्पेक्टर बहुत ही कंफ्यूसन में था। इंस्पेक्टर अपनी टीम ले कर नीचे खाई में गया। वहा काफी देर तक छान बिन के बाद एक हवलदार को एक मेमोरी कार्ड मिला। हवलदार दौड़ा दौड़ा इंस्पेक्टर के पास आया और उसे दिखाया। पुलिस टीम ने और बाकि की छानबीन कर के दिल्ली के थाने में पहुंची। थाने आकर

इंस्पेक्टर राठौर ने कॉन्स्टेबल को बुलाया

''कॉन्स्टबेल अमर , मुझे उन फोटग्राफ की रिपोर्ट दो ''

सर सर , वो रिपोर्ट , वो तो में भूल गया '' अमर बोला

''भूल गए , पागल तो नहीं हो। मेने क्या कहा था की हिमाचल से आने के बाद मुझे वही रिपोर्ट चाहिए सबसे पहले। अभी जाओ और पता करो ये कोन से कोरियर से कोरियर हुई है और किसने करी है ये कोरियर ''

कांस्टेबल अमर अब दौड़ा दौड़ा इस काम को पूरा करने के लिए थाने से बाहर निकला।

राठौर ने मेमोरी कार्ड लैपटॉप में लगे तो उसमे कुछ फोटो थे जो हूबहू उन फोटो जैसे थे जैसे उस लिफाफे में थी। एक वीडियो भी मिला जब उसे चलाया तो वीडियो देखने के बाद इंस्पेक्टर के होश उड़ गए। लगभग एक घंटे में अमर आया और उसने बताया की

'' ये लिफाफा जहा से डिस्पैच हुआ है वो एड्रेस गुडगाँव का है और जिस आदमी ने इसे वहा पर डिस्पैच के लिए दिया था उसका नाम रमेश है और ये रहा उसका मोबाइल नंबर ''

''ये नंबर कहा का है '' राठौर ने कहा

''जी सर , हिमचाल का है ये ''

इतना सुनते ही इंस्पेक्टर के तो मानो सांप सूंघ गया हो।

''क्या हुआ सर , आप किस गहरी सोच में पड़ गए '' अमर ने कहा

''लगता है संजय को जो मारना चाहता है उसका पता चल जायेगा जल्द ही। लगता है इस खेल का खुलासा हिमाचल में ही होगा , तुम एक काम करो उस नंबर पर फ़ोन लगाओ और जानकारी पता करो।

''हेल्लो , क्या रमेश से बात हो सकती है '' अमर ने कहा

''हा बोल रहा हु आप कोन हो '' रमेश ने कहा

''मैं अमर बोल रहा हु दिल्ली पुलिस से , क्या तुमने कुछ दिन पहले कुछ फोटो कोरियर करी थी। ''

इतना सुनते ही रमेश ने तुरंत फ़ोन रख दिया और बीप बीप की आवाज़ ही गूंजती रही उसके कानो में।

इंस्पेक्टर राठौर ने अब फिर से हिमाचल जाने की तैयारी शुरू कर दी।

दिन शुक्रवार संजय गहरी नींद में सो रहा था , अचानक हुई खटखटाहट से उसकी हलकी सी नींद खुली पर अभी भी वो नींद में था। खिड़की में से किसी शख्स से घर के अंदर प्रवेश किया और संजय को ढूंढ़ने लगा। संजय अभी आधी गहरी नींद में था। पर संजय को इस बात का अंदाज़ा नहीं था की उसके कमरे में कोई था वो वैसे ही आंखे बंद करके बिस्तर पर लेता रहा। जिस शख्स ने घर के अंदर प्रवेश किया था वो अब संजय के बेड रूम में था और ठीक उसके बिस्तर के सामने खड़ा था। अचानक सोते सोते संजय को ऐसा लगा की उसके सामने कोई खड़ा है जैसे ही उसने आंखे खोली सामने एक डरावने चेहरे में एक इंसान खड़ा था जिसकी आंखे नील रंग की अंधरे में खूब चमक रही थी। संजय का ये सब देख कर बुरा हाल हो गया , वैसे भी संजय दिल की बीमारी का मरीज़ है। धीरे धीरे वो शख्स पास आने लगा संजय ने अपने लाइसेंसी पिस्तौल जिसे वो हमेशा अपनी तकिये के नीचे रख कर सोता था उसे निकली वो सामने की तरफ फायरिंग करी। एक गोली उस इंसान के कंधे को छूती हुई निकली। वो शख्स जल्दी से सामने वाली खिड़की से छलांग मार कर निचे कूद गया। संजय बिस्तर से उठा

और उसने लाइट जलाई कमरे की। फर्श पर अब थोड़ा थोड़ा खून पडा था। खिड़की से झांक कर देखा तो कोई दूर उसे भागता हुआ दिखाई दिया। संजय ने सोचा की पीछा तो अब वो कर नहीं पायेगा पर कल सुबह सबसे पहले इंस्पेक्टर राठौर को बताएगा इस घटना के बारे में। पर तभी उसे याद आया की कल तो उसकी मीटिंग है हिमाचल में और विवेक को भी जाना है इस बार तो , कोई नहीं सुबह सुबह इस्पेक्टर को इसकी खबर दे देगा वो। बाथरूम में जा कर मुँह धो कर फिर सो गया।

अगले दिन संजय ने पुलिस को सब कुछ बता दिया जो जो रात में हुआ , साथ में उसने ये भी बताया की कल रात वो मरते मरते बचा है क्युकी वो दिल का मरीज़ है और इतना डरावना चेहरा देख कर मेरी तो हालत खराब हो गई थी , शुक्र है कल रात बस में बच गया किसी तरह, अब तो आप कुछ कीजिये पता लगाइये की कोन है वो जो मेरी जान लेना चाहता है।

''अच्छा एक बात बताये मुझे आपका दोस्त और बिज़नेस पार्टनर विवेक कैसा आदमी है जरा उसके बारे में बताओ थोड़ा '' इंस्पेक्टर ने पूछा

''वो मुझे आज से पांच साल पहले एक बिज़नेस सेमीनार में मिला था , मेरे और उसके विचार काफी मिलते थे तो अपने छोटे बिज़नेस को बड़ा करने के लिए उसके साथ पार्टनर शिप कर ली। अब तो वो मेरा काफी अच्छा दोस्त भी है ''

''उसका पूरा नाम क्या है ''

''विवेक मल्होत्रा ''

''क्या आपको उस पर शक तो नहीं की वो ही आपकी जान लेना चाहता हो और सारा बिज़नेस अपने हाथ में रखना चाहता हो '' राठौर ने कहा

''नहीं नहीं वो तो दिल का बहुत अच्छा इंसान है , वो मुझे कभी नुक्सान नहीं पंहुचा सकता। अच्छा इंस्पेक्टर अब में निकलता हु क्युकी मुझे दो दिनों के लिए हिमाचल जाना है ''

''फिर से '' राठौर ने कहा

''हा बिज़नेस को लेकर मीटिंग है एक और साथ में एक छोटी सी पार्टी भी है , आप भी आ जाइये ''

''ठीक है कोशिश करता हु , मुझे वेन्यू व्हाट्सप्प पर भेज दीजिये '' राठौर ने कहा

संजय अब थाने से बाहर जाने लगा तभी कॉन्टेबल अमर वहां आया और कहने लगा की सर अब तो लगता है की पता चल जायेगा। ये सुन कर इंस्पेक्टर राठौर थोड़ा सा हँसा।

संजय और विवेक गाड़ी में बैठ कर हिमाचल के लिए निकल पड़े। हिमचाल पहुंच कर दोनों होटल में फ्रेश हुए और फिर आराम करके मीटिंग के लिए निकल गए। मीटिंग जहा थी वह जगह काफी उचाई पर थी बड़ी मुश्किल से दोनों पहुंचे। मीटिंग तीन बजे शुरू हुई और पांच बजे ख़त्म हुई। फिर उसके बाद जितने भी लोग आये थे सभी की पार्टी हुई। पार्टी में शराब और चिकन ही था बस। संजय ने काफी जायदा पी ली थी इतनी जायदा की उसे खुद का अब होश नहीं था। विवेक ने संजय को चलने के लिए कहा। विवेक ने कहा की गाडी वो चलाएगा की उसने जायदा पी रखी है , पर संजय की ज़िद के आगे उसकी एक ना चली। संजय ने गाड़ी चलानी शुरू करी। चारो तरह अँधेरा ही था , एक तरफ घाना जंगल और एक तरफ खाई। कुछ देर विवेक बोला की वो रोक दे उसे हल्का होना है। संजय ने गाडी रोकी। विवेक काफी देर नहीं आया। संजय को ज़ोर से गुस्सा आया और नशे में उसने गाडी भगा दी। कुछ देर बाद उसी जगह पर था जहा वो पहले भी आया था और उसने एक आदमी को टक्कर मार दी थी। तभी संजय के व्हाट्सप्प पर राठौर का मैसेज आया की अगर उसे सड़क पर कहीं भी कोई आदमी दिखे डरावनी शक्ल में तो गाडी को वही रोक कर ज़ोर ज़ोर से हॉर्न बजाये। थोड़ी आगे चलने पर बिलकुल ऐसा ही हुआ एक आदमी डरावनी शक्ल में गाडी के सामने आ गया। संजय ने गाडी रोकी और ज़ोर ज़ोर से हॉर्न बजाना शुरू कर दिया। अब उस आदमी को पुलिस ने चारो से घेर लिया। संजय की हालत भी बेकार हो गई थी क्युकी इतनी डरावनी शक्ल देखने से उसका दिल में दर्द होने लगा था। पुलिस उस आदमी को लेकर थाने पहुंची और संजय को हॉस्पिटल में एडमिट कराया

अगली सुबह संजय को देखने के लिए विवेक हॉस्पिटल पंहुचा इंस्पेक्टर राठौर पहले से ही मौजूद थे।

''अगर मेने सही पहचाना है तो आप ही विवके हो ना '' राठौर ने कहा

''जी में ही हु ''

तभी संजय को होश आ गया। डॉक्टर को बुलाया गया , चेकउप करके डॉक्टर ने कहा की इन्हे शाम को ले जा सकेंगे।

संजय-''राठौर जी , पता लगा लिया आपने उस आदमी का जो मेरी जान के पीछे पड़ा हुआ है ''

राठौर- ;; संजय जी सब पता चल चूका है , हम लो अभी एक बजे दिल्ली के लिए निकलेंगे और शाम को थाने में पहुंच कर सभी बातो का खुलासा होगा , और हा विवेक को भी हमारे साथ रहना पड़ेगा। आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं विवेक ''

विवेक-'' नहीं नहीं , मुझे क्या ऐतराज़ होगा भला।

राठौर-'' तो ठीक है फिर शाम को थाने में मिलते है ''

शाम को सब तो आ गए पर विवेक नहीं आया। कॉन्स्टेबल अमर आया और उसने खबर दी की विवेक फरार है।

सब चौंक गए सिवाय राठौर को छोड़ कर। राठौर ने कहा की मुझे पता था की विवेक जरूर ऐसी हरकत करेगा इसलिए मेरी टाइम ने उसे पहले ही थाने में बंद करके रख लिया था। राठौर ने एक आदमी को इशारा किया की विवेक को ले कर आये।

संजय -''अब तो बता दीजिये की कोन है अपराधी ''

राठौर - '' और कोई नहीं आपका अज़ीज़ और बिज़नेस पार्टनर विवेक सिंह है ''

संजय-'' क्या ....... ! ये क्या कह रहे हो आप ''

राठौर-'' क्यों सिंह साब सही कहा ना मेने ''

विवेक-''पर आपको कैसे पता चला ''

राठौर-'' चलो में पूरी साजिश शुरू से बताते हु। संजय जी जब आपको हिमचाल को जब एक डरावनी शक्ल का आदमी दिखा था वो और कोई नहीं विवेक के द्वारा भेजा हुआ उसका साथी रमेश था जिसकी शक्ल थोड़ी जली हुई है। रमेश का तुम्हरी गाडी के सामने आने का मकसद तुम्हे डराना था क्युकी विवके को ये बात पता थी की संजय दिल की बीमारी का मरीज़ है। तुम उस डरावनी शक्ल को देखते और हार्ट फ़ैल होने की वजह से गाडी सीधा खाई में गिर जाती। जहां ये सारी घटना हुई थी वहा तीन लोग मौजूद थे। विवेक ने इस पुरे घटना कर्म की फोटो खींची। राकेश जान कर खाई में गिरा और मरने का नाटक करने लगा। राकेश के पास एक बेग थे जिसमे एक डायरी थी , उसमे एक मन ग्रन्थ कहानी लिखी हुई थी। विवेक को उम्मीद ही की संजय इस डायरी को जरूर पढ़ेगा। इनका तीसरा पार्टनर पहले से ही संजय के होटल वाले कमरे में पहले से ही छिप कर बैठ गया था।जब संजय ने कमरे में घुसा तो उस तीसरे पार्टनर ने संजय को डरना शुरू किया। इन तीनो को लगा की इस बार तो संजय मर ही जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ। फिर इन लोगो ने जो फोटो क्लिक करी थी उसे संजय के पास भेज कर डरने की कोशिश करी। यही पर इन लोगो ने गलती कर दी। हम लोग ने जहा से वो फोटो का लिफाफा डिस्पैच हुआ था वहा जा कर छानबीन करी तो पता चला की राकेश को किसी ने मार दिया है। हम लोगो को उसकी लाश मिली एक जगह जहा वो अधमरा था उसे हॉस्पिटल में एडमिट करा कर वहा उसे ठीक कराया। फिर बाद में उसने सारी बात बताई की विवेक ही संजय को मारना चाहता है।

संजय-'' पर विवेक क्यों मरना चाहता है मुझे ''

राठौर-'' क्युकी वो आपका सौतेला भाई है , ये सारी एक प्लानिंग थी की विवेक आपको एक बिज़नेस सेरमनी में मिला। वो आपका सारा पैसा हड़पना चाहता है।

विवेक -'' हा ये सच है , तुम मेरे सौतेले भाई हो , और अब पापा मरे थे तो वो सब कुछ तुम्हारे नाम करके चले गए। हम लोग हिमचाल में ही रह थे। मेने , राहुल भैया और हमारा नौकर रमेश हम तीनो ने मिल कर ये प्लान बनाया था। मुझे बिज़नेस और प्रॉपर्टी अपने नाम करवानी थी अगर में तुम्हे मार देता तो सारा बिज़नेस मेरे नाम अपने आप हो जाता। हमारा प्लान के बारे में किसी ना चले इसलिए हमने राकेश को भी मार दिया। पर उस राकेश ने सारी पोल पट्टी खोल दी और हम लोग पकडे गए।

संजय-'' पर पापा ने कभी बताया नहीं की मेरे सौतेले भाई भी है।

विवेक-कैसे बताते , हम नाजायज़ औलाद जो है ''

संजय-'' अगर तुम मुझे सच सच बता देता तो में शौक से तुम्हरे नाम अपनी प्रॉपर्टी और बिज़नेस कर देता पर अफ़सोस तुमने गलत रास्ता अपनाया। वो राहुल कहा है ''

उसे भी हम लोग जल्दी पकड़ लेंगे -राठौर ने कहा

संजय -'' राठौर जी आपको विवेक पर शक कैसे हुआ ''

राठौर-'' जब अपने ये बताया की आपको दिल की बीमारी है , तब मुझे लगा जितनी भी बार आपको मारने की कोशिश करी गई हर बार डराया गया आपको ताकि आप हार्ट फ़ैल से मारे जाये। फिर क्या था हमने एक टीम हिमाचल में भेज दी तहकीकात के लिए। और ये केस वही सॉल्व हो गया।

कांस्टेबल अमर हवालात में डाल दो इसको और इसका साथी रास्ते में है जैसे ही वो आये उसे भी अंदर डाल देना।

संजय-'' बहुत बहुत धन्यवाद आपका राठौर जी। आपने मेरी बहुत बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व कर दी ''

संजय एक लिफाफा निकलते हुए जिसमे एक नोटों का बंडल थे राठौर को देते हुए बोला ये छोटा सा तोफहा मेरी तरफ से।

संजय-'' अच्छा अब में चलता हु ''

और संजय विवेक को घूरते हुए थाने से बहार निकला पर चेहरे पर एक अजीब से हसी थी।

इंस्पेक्टर को पता इस तरह चला विवके के बारे में क्युकी मेमोरी कार्ड में जो वीडियो थे उसमे उसे थोड़ी देर के लिए विवेक दिखाई दिया था।

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