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अग्निपरीक्षा

अग्निपरीक्षा

तड़ाक!!!!!!!!

जोर का थप्पड़ पड़ा सूरज के गाल पें.....

सूरज लडखडा कर पीछे हो गया..... उसने सोंचा भी नहीं था कमजोर सी दिखने वाली राधिका उस पर इस तरह हाथ उठाएंगी ......शराब का नशा पूरा एक ही थप्पड़ में उतर गया....

हिम्मत कैसे हुई तेरी मुझे छूने की?????क्या समझा है तुने, औरत को???? औरत सिर्फ भोगने के लिए नहीं हैं.....समझ के क्या रखा है, तुने....चंडी का रूप धारण कर लिया था राधिका ने .....

साली.....सती सावित्री बनती है, तू खुद आई ना मेरे साथ.....तुझे भी तो मजा आ रहा था ना मेरी बातों का.....खूब हँसी आ रही थी ना.....पास बैठी थी मेरे....जरा सा छू लिया तो क्या बुरा किया...????????

छी.....!!!! कितनी गिरी हुई सोंच है तुम्हारी.....साथ आई थी,क्योंकि एक ही रास्ता था....तुम्हारा और मेरा.....क्या पता था तुम इस हद तक गिर जाओगे..........!!!!!!दोस्त माना था मैंने तुम्हें.....और साथ आई थी तो बताओं क्या यें कोई एकांत जगह है?????? मेरी कौन सी बात से तुम्हें मेरी सहमती दिखीं??????हाँ, मैं तुम्हारे साथ हंसती बोलतीं थी तो बताओं क्या मैंने मूक निमंत्रण दिया तुम्हें????कोई भी मर्द बिना सहमती के किसी औरत को छूने की दूर एक ऊँगली तक नहीं लगा सकता है..........

क्यूँ सूरज??? तुम तो मेरे दोस्त हो ना??? फिर कैसे तुम्हारे मन में यें पाप आया....??????तुम्हारे साथ मैं खुद को महफ़ूज समझतीं थी .....मुझे क्या पता था कि तुम ही भक्षक बनने तैयार हो..... तुम्हारे मन में ऐसा था, पता होता तो कभी तुम से बात नहीं करतीं.....

चलो तुम्हें अब समझाऊँ मैं क्या चाहती हूँ.......

हैलो....पुलिस स्टेशन....मैं राधिका माथुर....माॅल रोड से बात कर रही हूँ..... मेरे साथ काम करने वाले सूरज मिश्रा ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की है....आप प्लीज जल्दी यहाँ पर आ जाए.... थैंक्स सर....

हैलो....अर्धया जी .....मैं राधिका.....जी मिसेज सूरज..मैं सूरज के साथ काम करती हूँ ...सूरज के खिलाफ मैंने पुलिस मे शिकायत की है.... हाँ....सूरज ने मेरे साथ जबरदस्ती करने......आगे नहीं बोल पाई राधिका......रूलाई फूट पड़ी राधिका को ....

नहीं राधिका, रोओं मत.....मिसेज सूरज ने कहा, तुम ने जो किया सही किया....सूरज की रोज की मार पीट और अत्याचार सह कर भी मैं कभी हिम्मत नहीं कर पाई..... मैं तो तुम्हारी ऋणी हो गई....मैं तुम्हारा हर कदम साथ दूँगी..... मैं अभी पुलिस स्टेशन पहुंचती हूँ......

राधिका यें तुमने क्या कर दिया..........जिन्दगी बरबाद कर दी मेरी.....मैं तो बस....

बस सूरज???तुम ने दोस्ती जैसे पाक रिश्ते को कलंकित कर दिया ..... ...और अगर तुम अपने मनसूबे में कामयाब हो जाते तो?????

तुमने तो अपनी अर्धांगनी को भी सिर्फ भोगने....जिल्लत और जरूरत की वस्तु समझ लिया था...........तुम मर्द यें भूल जाते हो कि, औरत वस्तु नहीं.....जीवन है.....हमें भी पीड़ा होती हैं.....

नहीं राधिका......माफ कर दो मुझे, मैं बहक गया था.....माफ कर दो...... माफ कर दो मुझे.....

मैं तुम्हें माफ कर भी देती सूरज, तो भी तुमने जो तुम्हारी पत्नी के साथ किया वो माफ नहीं किया जा सकता है..........


बस सूरज........अभी इसी घड़ी से तुम्हारी अग्निपरीक्षा शुरू.......... हमेशा एक औरत ही क्यूँ दे अग्निपरीक्षा राधिका ने एक एक शब्द चबाते हुए कहा... और यें कहतें हुए राधिका ने पुलिस की आती हुई पीसीआर वैन की तरफ़ इशारा किया.......

समाप्त

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