किर_दार sk hajee द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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किर_दार

एक ही व्यक्ति के दो किरदारों को मानना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है, यूं कहूँ तो उसके दो किरदार मै मानता ही नही । पहले किरदार मे वह लोगों मे फुट डालने की बात करता है, लोगों मे नफरत फैलाने का काम करता है ।

उसके एक जिंदगी/किरदार की लोग बात करना ही नही चाहते (डरते है,उसके बारे मे बात ही नही करना चाहते) और उसकी दुसरी जिंदगी को जो भी उसने इनके नजर मे अच्छे काम किए हो या समाज मे विज्ञान को फैलाने मे मदत की हो ( यह भी उनके नजर मे) उसी नजरिये को लेकर फुले नही समाते ! उसका इतना जयघोष करते फिरते है के उसके बारे मे उसने जो हरकत,काम किया उसके पहले जिंदगी मे उसे माफी दे देते है (जो की उसने इनके बारे मे उतना घटिया तौर पर नही कहा, वरना यह उसे ऐसे दुत्कारते मानो यह सबसे बड़ा शैतान)

मै समझता हुं, अगर कोई लेखक दूसरों के बारे मे नफ़रत लिखे-फैलाए ( यह तो उसके परवरिश का असर) और हम यह चाहे की उसकी सब मिलकर उसे बहोत बड़ा इन्सान/महात्मा समझें तो यह नामुमकिन है ।

एक तरफ उसका जो किया हुआ गलत काम और एक तरफ (तथाकथित) अच्छा काम आप क्या लेना पसंद करेंगे ? बेशक हम उसका अच्छा/ पाजिटिव काम ही स्वीकृत करे यस मानसिकता छे !

लेकिन दुसरी और उसका वह काम जो हममें फुट डालने का काम किया, दो समुदायों मे नफरत फैलाई ( पैसा लेकर ) मन को (मालिक) को जो सही लगा वह बकते चल दिया । कसी बाहरी के कहने पर अपने खुद के घर मे फुट डालकर घर के बुजुर्ग की जगह लेने के नियत से उसकी हत्या मे शामिल होता है

बात अगर इस शख्सियत को मानने वालों(अनुयायी/भक्त) की अगर की जाए तो वह भी बड़े शोध/लेखन का विषय है । ऐसा क्यों कह रहा हुं आइए जानते है ।

उसकी जो कही गई तथाकथित अच्छी बाते है, उन बातों को प्रचार तो यह लोग बड़े जोर-शोर से करते है, मगर उन बातों को जब जमीनी हकीकत से रूबरू होने का समय होता है, तब यह मंडली जितनी अपनी फायदे/ना चुभने वाली बातें होती है उतनी ही ले लेते है बाकी सब कचरा समझ कर छोड़ देते है ऐसे मानो उसने इस बारे मे कुछ कहा ही नही ! मै समझता हुं, मेरे ख्याल मे यह दुनिया पहला ऐसा व्यक्ति है जिसके आधे बातों को छुपाया गया और बाकी बची आधी बातों के 90% बातों पर जब अमल करने की या उसे समाज मे लागु करने की बारी आयी तो उससे उसके अनुयायी/भक्तजनों ने दुर भागना ही बेहतर समझा, जो आजतक शुरू है ।

बस कहने का मतलब इतना ही है, आप जिस विचार को पकड़/मान रहे हो, उसका 100% साथ देना चाहिए और उसपर चलने की कोशिश करते रहनी चाहिए ।

क्या सभ्य समाज इतना( इससे भी ज्यादा) होने के बावजूद उसके कुछ अच्छे कामों की वजह से सब कुछ भुला कर ऐसे आदमी की पाजिटिव विचार लेने को कोशिश करेगा ? बात आपके हाथ मे है, क्या सही, क्या गलत इसका फैसला आपसे बढक़र और कोन कर सकता है ?

अब आपकी मर्ज़ी !!!

#माफीवीर