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धन धन बाबा दीप सिंह जी

धन धन बाबा डीप सिंह ,मेरे दुखहर्ता मेरे सुख कर्ता l
जहां चारों ओर दुखों ने मुझे घेरा , तुमने आपके हाथ मेरा पकड़ा , पिता समान सही रास्ता दिखाया और मेरा हाथ पकड़ मुझे हर तमस से निकाला ।
दुनिया के हर शहर में , कोई गुरुद्वारा , मंदिर ,मस्जिद , चर्च आदि नाम कि प्रभु ने अपने भक्तजनों के लिए दरबार बनाए हैं ।
जहां दिल से अरदास करने पर प्रभु सब भक्त जनों की पुकार सुन लेते हैं । आपके भी शहर में कोई ऐसा मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा या चर्च होगा । वैसे तो मन से कहीं पर भी भगवान को पुकारो तू प्रभु सब की पुकार सुन लेते हैं परंतु कुछ स्थल ऐसे होते हैं जहां पर प्रभु स्वयं विराजमान होते हैं ।
अमृतसर में भी एक प्रभु ने अपने भक्तजनों के लिए एक दरबार बनाया है , जहां बाबा दीप सिंह जी स्वयं विराजमान है । वह अपने भक्तों के एक पुकार पर उनके सारे कष्ट हर लेते हैं ।
मैं सप्ताह में एक बार बाबाजी से मिलने जाती हूं ,जैसे एक पुत्री अपने माता-पिता से मिलने जाती है । वहां बैठे अपने पिता परमेश्वर से अपने दिल का हाल सुनाती हूं । अपने हृदय की व्यथा सुना अनंत शांति का आभास होता है और स्वयं को प्रतीत होता है की बाबाजी हमारी हर व्यथा सुन रहे हैं , और अपने श्रद्धालुओं हर मुश्किल का हल निकाल रहे हैं ।
इस दास की हर अरदास प्रभु ने सुनी है । पांच वर्ष पूर्व जिस भक्त को कोई आस ना थी उसे आशा की रोशनी उन्होंने प्रदान की थी । आज भी जब भी कोई दुख संताप वेदना मुझे घेरती है
तो मेरे प्रभु मुझे रोशनी दिखाते हैं ।
उनकी जोत का घी , किसी भी रोग ग्रस्त व्यक्ति को लगाने से उनके सारे रोग प्रभू हर लेते हैं , और अपने भक्तजनों को खुशियां प्रदान करते हैं ।
माना जाता है कि बाबा दीप सिंह जी गुरु नानक देव जी के भक्त और बहुत पराक्रमी थे । उन्होंने हृदय से गुरु नानक देव जी से कहा था की वह अपनी अंतिम सांसे स्वर्ण मंदिर में प्रभु के दरबार में लेंगे ।
मुगलों ने जब आक्रमण किया तो वीर बाबा दीप सिंह जी उनसे लड़े
और मुगलों को उन्हें हरा दिया परंतु उनका स्वयं का मुगलों ने सीर काट दिया परंतु बाबा जी की प्रबल इच्छा के कारण उनकी सांसे चलती रही और उन्होंने गोल्डन टेंपल पे आकर दर्शन कर अपना शरीर त्याग दिया ।
इसके उपरांत बाबा दीप सिंह जी का गुरुद्वारा जग में लोकप्रिय हो गया
जो भी प्रभु के पास अपनी अरदास लेकर आता है प्रभु उनके सारे दुख हर लेते है । उनकी जोत का घी लगा , उनका प्रसाद का लंगर खा सो जाते हैं और उनके सारे दुख प्रभु हर लेते हैं ।
मेरे बाबा जी बहुत भोले है , सबका दुख सुनते हैं और अपने बच्चों को खुशियां प्रदान करते है ।
यह गुरु की नगरी में जब भी कोई भूला भटका आए तो प्रभु के दर्शन जरूर करें । वह अपने सच्चे भक्तों की पुकार जरूर सुनते हैं , उन्हें सुख प्रदान करते हैं ।।

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