Kota Factory - Web Series Priya Saini द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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Kota Factory - Web Series

राघव सब्बू द्वारा निर्देशित 'कोटा फैक्ट्री' को 16 अप्रैल 2019 को यूट्यूब व द वायरल फीवर पर रिलीज किया गया। आज के रंगीन दौर में इसे ब्लेंक एंड वाइट शेड में दर्शाया गया है। राजस्थान का कोटा शहर पूरे भारत में आईआईटी की कोचिंग के लिए विख्यात है। आईआईटी में एडमिशन के लिए अलग-अलग राज्यों से विद्यार्थी आकर कोटा में कोचिंग लेते हैं। इन विद्यार्थियों को कोटा में बसने के लिए किन-किन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है इसी की एक कहानी को इस वेब सीरीज में दिखाया गया है।
कहानी की शुरूआत होती है वैभव पांडेय (मयूर मोरे) के साथ जो इटारसी से कोटा आईआईटी में एडमिशन के लिए आता है। आईआईटी में एडमिशन के लिए वो कोटा की सबसे जानी-मानी कोचिंग 'एक्सीलेंस क्लासेज' में एडमिशन लेना चाहता है परन्तु सिफारिश के बावजूद उसे एक्सीलेंस में एडमिशन नहीं मिल पाता, हताष होकर वह दूसरी कोचिंग 'प्रोडिजी क्लासेज' में एडमिशन ले लेता है। देर से ऐडमिशन लेने के कारण उसे पीछे का बैच मिलता है। पीछे का बैच मिलने से न खुश होकर वैभव दूसरे बैच में जाने की इच्छा व्यक्त करता है पर नियम के अनुसार कोटा कोचिंग में हर दो महीने में एक परीक्षा होती है। उसके रिजल्ट के अनुसार विद्यार्थियों के बैच बदले जाते हैं, जो अच्छे अंक लाता है उसको आगे के बैच में भेज दिया जाता है और इसके विपरीत कम अंक वालो को पीछे के बैच में भेज दिया जाता है। कोचिंग के मैनेजर द्वारा ये बात समझाने से वैभव सहमति दे देता है और दिए बैच में रहकर पढ़ने का मन बना लेता है।
वैभव पीजी में रहने आता है जहाँ उसकी मुलाकात बालमुकुंद मीना ( रंजन राज) से होती है। जिसे प्यार से सब मीना कहते हैं। मीना बिहार का रहने वाला बहुत साधारण सा लड़का है। उसी पीजी में उदय गुप्ता (आलम खान) अपनी गर्लफ्रेंड्स शिवांगी (एहसास चन्ना) के साथ रहता है। उदय एक अमीर घर का लड़का है जिसे पढ़ाई में रुचि कम है पर दोस्ती यारी में सबसे आगे रहता है।
वैभव और मीना बातें करना शुरू ही करते हैं तो वैभव द्वारा बताए जाने पर कि उसको सबसे पीछे का बैच मिला है, मीना उसे बताता है, "आखिरी बैच में कोई पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता न ही अध्यापक रुचि लेते है इस बैच को पढ़ाने में", ऐसा सुनकर दूसरे ही दिन वैभव कोचिंग फ़ैकल्टी के पास जाता है और बैच बदलने की बात सामने रखता है। जिस पर फ़ैकल्टी मना करती है तभी कोचिंग के जीतू भैया (जितेंद्र कुमार) वहाँ आते हैं। वैभव उनको अपनी समस्या बताता है जिसे सुनकर जीतू भैया उसे एक पेपर देते हैं और कहते हैं कि अगर वो इस पेपर को हल कर लाता है तो उसे उसके योग्य बैच में भेज दिया जायेगा और यदि नहीं कर पाता तो उसे उसी बैच में रहना पड़ेगा। वैभव सहमित के साथ पेपर लेकर चला जाता है परन्तु उसे हल करने में असमर्थ रहता है। मीना की मदद लेकर वैभव कोचिंग के बाकी विद्यार्थियों से प्रश्न पेपर हल करने को कहता है पर इस पर कोई भी राजी नहीं होता। अंत में वैभव और मीना, उदय के पास जाते हैं। उदय प्रश्न तो हल नहीं कर पाता पर उपाय बता देता है। अलग-अलग किताबों से लेकर बना प्रश्न पेपर का हल वो तीनों अलग-अलग किताबों से ढूंढ़ने लगते हैं और इस तरह वो अधिक्तर प्रश्न हल कर लेते हैं। इस तरह तीनों में दोस्ती भी हो जाती है।
अगले दिन हल किया हुआ पेपर लेकर वैभव, जीतू भैया के सामने जाता है पर जीतू भैया उसकी नकल पहचान लेते हैं और उसे एक लेक्चर से समझाते है कि निकल करना क्यों ग़लत है। वैभव समझ भी जाता है। इसी के साथ वैभव की आगे बढ़ने की चाह को देखते हुए जीतू भैया उसे आगे के बैच में भेज देते हैं। वैभव को कोटा में रहते हुए कुछ ही दिन होते हैं पर कोटा का खारा पानी, मेस का खाना ये सब पसन्द नहीं आता जिससे बचने के लिए वैभव हमेशा बिसलेरी की बोतल खरीद कर ही पानी पीता और मेस का खाना न खा कर बाहर से जंक फूड लेकर खाता। ऐसा करने से उसको कब्ज होने लगती है, नींद भी ठीक से नहीं आती तो क्लास में ध्यान भी नहीं लगता और पढ़ाई में मन भी नहीं लगा पा रहा था। इस समस्या को लेकर वैभव और मीना पहुंचे जीतू भैया के पास। जीतू भैया ने 21 दिन का फॉर्मूला बताया, कैसे 21 दिन में कोई भी आदत लग सकती है या कोई लत छोड़ी जा सकती है। जीतू भैया के इस फॉर्मूले से वैभव को काफ़ी मदद भी मिलती है।
इसी प्रकार अलग-अलग घटनाएं अलग-अलग संदेश देती हैं, जैसे एक अध्यापक को अपने विषय के बारे में पढ़ाने के साथ-साथ विद्यार्थियों की व्यक्तिगत उलझन भी सुलझानी चाहिए। अगर दोस्त सही हो तो कैसे आपकी हर समस्या में आपके साथ रहते हैं। सही मार्गदर्शन करते हैं। विद्यार्थी सभी विषयों में एक साथ अच्छा नहीं कर सकते तो एक को अच्छा करके आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, पता चले जिसमें अच्छा कर सकते थे उसमें भी नहीं कर पाए।
कहानी आगे बढ़ती है तो वैभव की अपने स्कूल में पढ़ने वाली लड़की मीनल पारेख (उर्वी सिंह) से दोस्ती हो जाती है। जिसके बाद दोनों साथ में पढ़ाई करने लगते हैं। मीनल एक्सीलेंस क्लासेज में एंट्रेंस के लिए तैयारी करती है वहीं वैभव, मीनल के साथ वक़्त बिताने के लिए उसकी पढ़ाई में मदद करता है। मीनल के साथ पढ़ाई का बहाना करते हुए वैभव को भी एक्सीलेंस का फॉर्म भरना पड़ता है। दोनों साथ में एक्सीलेंस का एंट्रेंस देने जाते हैं। जब रिजल्ट आता है तो मीनल सफल नहीं होती जबकि वैभव सफल हो जाता है परन्तु उसके सामने ये दुविधा रहती है कि वो अपने दोस्तों को और जीतू भैया जैसे अध्यापक को छोड़ कर कैसे जाए। अंत में अपने दोस्तों और जीतू भैया द्वारा मार्गदर्शन दिए जाने पर वैभव एक्सीलेंस क्लासेज चला जाता है। जहाँ उसकी फिर एक नई कहानी शुरू होती है, पुरानी कहानी की तरह।
ये वेब सीरीज ब्लेंक एंड व्हाइट होने के बाद भी अपना पूरा इफ़ेक्ट डालती है। इससे पता चलता है कि कहानी में जान होनी चाहिए फिर चाहें उसमें रंग हो न हो। जितेंद्र कुमार अपनी एक्टिंग के लिए जाने जाते है। इसमें भी उन्होनें उम्दा कलाकारी की है, साथ ही सभी एक्टिर ने अपने-अपने अभिनय से सभी पात्रों में जान डाल दी। ये एक अच्छी वेब सीरीज है। एक बार आप सभी को इसे देखना चाहिए। खास कर विद्यार्थियों को। मैं इस वेब सीरीज को 5 स्टार देती हूँ।