वीरान किला Renu Jindal द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

वीरान किला

अनु तकरीबन 1 घंटे से स्टेशन पर गाड़ी का इंतजार कर रही थी। उसने गाड़ी के आने की सूचना सुनी वह अपना सामान उठाकर एकदम तैयार हो गई , गाड़ी स्टेशन पर आ चुकी थी ....हर तरफ हलचल मच रही थी, सब गाड़ी की तरफ भागे जा रहे थे ।अनु भी गाड़ी की तरफ जाने लगी, हर तरफ इतना शोर था के कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था।

अचानक से अनु के कानों में एक धीमी सी आवाज गूंजने लगी, जैसे कोई उसका नाम लेकर बुला रहा हो.....

" अनु.......... अनु...... रुक जाओ ...मत जाओ....."

अनु हैरानी से इधर-उधर देखने लगी पर हर तरफ भीड़ भाड़ होने से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था अनु एकदम से चौक सी गई थी । वह हर तरफ बड़ी हैरानी से देख रही थी कि उसका नाम लिखकर उसको कौन बुला रहा है। पर अनु के मन में डर था कि कहीं इस गलतफहमी में उसकी गाड़ी ना छूट जाए , वह कभी गाड़ी की तरफ जाती तो कभी पीछे मुड़कर देखती स्टेशन पर लोगों के इधर-उधर होने से उससे एक हल्की सी नजर से अपनी सहेली कोमल दिखाई दी।
कोमल भी भीड़ के कारण आगे नहीं आ पा रही थी परंतु वह इशारे कर रही थी कि .....अनु गाड़ी पर मत जाओ, रुक जाओ। अनु कोमल का इशारा समझ गई थी परंतु वह ऐसा क्यों कह रही थी? यह उसको समझ नहीं आ रहा था, वह इधर-उधर देखते हुए एक तरफ बैठ गई... इतने में गाड़ी निकल गई अनु अंदर से बहुत उदास थी क्योंकि वह अपने माता-पिता के पास जाना चाहती थी। कोमल धीरे धीरे से आगे निकल कर आती है और अनु के पास आकर कहती है..
" अनु आज रुक जाओ मैंने अभी कुछ समय पहले ही हमारी प्रोफेसर सोनिया मैम को बात करते हुए सुना, वह कह रही थी कि इस बार हम बच्चों को किसी ऐतिहासिक स्थान पर घुमाने ले चलते हैं। जो बच्चे किसी वजह से अपने घर नहीं जा सकते, वह छुट्टियों में अगर हॉस्टल में रहेंगे तो बोर हो जाएंगे। अभी उनका विचार पक्का नहीं कह सकती पर फिर भी अगर वह जा रहे हैं तो हम तेरे बिना नहीं जाएंगे। तू 1 दिन इंतजार कर नहीं तो कल या परसो निकल जाना।” अनु सोच रही थी कि अगर मैम को घुमाने लेकर जाना था तो पहले भी बता सकते थे। मुझे बहुत देर हो गई थी मैं अपने माता-पिता से नहीं मिली थी इसलिए मेरा मन हो रहा था कि मैं जल्दी अपने माता-पिता के पास आ जाऊं, वैसे भी हॉस्टल में अब छुट्टियां काफी समय के बाद पड़ी हैं।
वह थोड़ी उदास लग रही थी और घूमने जाने के लिए खुश भी थी। उसने अपने पिताजी से फोन करके बोला
“पिताजी इस छुट्टियों में मैं नहीं आ रही क्योंकि हमारे प्रोफेसर ने ऐतिहासिक स्थान पर घूमने का प्रोग्राम बनाया है।” पिताजी बहुत खुश हुए और उससे जाने की अनुमति दी और कहने लगे “यह तो बहुत अच्छी बात है इससे तो बच्चों का ज्ञान और बढ़ेगा और नई नई जगह आपको देखने को भी मिलेंगी।” पर घूमने जाना अभी पक्का नहीं था इसलिए मैं सोच रही थी कि अगर हम घूमने ना गए तो कहीं माता-पिता के पास जाना रह ना हो जाए। " मैं कोमल से बोली"...." अगर हमें कल तक पता ना चला तो उसके बाद मेरा जाना मुश्किल हो जाएगा"।। कोमल ने कहा.. “ऐसे मत सोच यार हो सकता है हम चले जाएं और हम दोनों एक साथ कभी कहीं गए भी नहीं मैं तो इतनी मजबूर हूं कि अपने घर भी नहीं जा सकती जबसे मां नहीं रही मेरा उस घर में जाने को मन नहीं करता , तू 1 दिन मेरे लिए ही रुक जा"।

रात हो चुकी थी, वह दोनों आपस में बातें करते-करते कब सो गई पता ही नहीं चला। सुबह एक अजीब सी कशिश दोनों के मन में थी।। इतने में ही सोनिया मैम संदेश लेकर आई "कि जो भी बच्चे ऐतिहासिक स्थान पर घूमना चाहते हैं वह शाम तक तैयार रहना"।। बस इतना सुनते ही अनु और कोमल खुशी से झूम उठी। उन्होंने जल्दी ही जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी, अपना जरूरी सामान... फोन ,कैमरा, टॉर्च, कुछ कपड़े ,चद्दर और खाने-पीने का सामान अपने एक बैग में रख लिया। वे दोनों बहुत खुश थी ,इतने में शाम के 5:00 बजे राजस्थान घूमने के लिए बस आ गई थी। जो प्रोफेसर जा रहे थे वे सभी बस के पास आ गए , उन्होंने एक लिस्ट पर सब छात्रों का नाम लिखा और निर्धारित समय पर निकल गए।

राजस्थान में बहुत सारे पुराने किले देखने के लिए प्रसिद्ध है जैसे कि- चित्तौड़गढ़ का किला, कुंभलगढ़ का किला, राजगढ़ का किला, भानगढ़ का किला, यह सब पुराने किले हैं जो राजा रानियों से संबंध रखते थे। वहां पर जाकर बच्चों का ज्ञान बढ़ेगा, यह सब सोचकर प्रोफेसर उनको वहां पर लेकर जा रहे थे। जब वह राजस्थान पहुंचे, उन्होंने वहां पर जाकर एक होटल में कई कमरे ले लिए, वहां पर उन्होंने रात का खाना खाया और वहीं पर रात बिताई।
अगले दिन सुबह जल्दी ही सब उठ गए थे। किला देखने के लिए सब निकलने लगे थे इन कीलों के बारे में सब ने कुछ ना कुछ सुन रखा था। कहीं के लोगों के बारे में तो अजीब सी बातें भी सुनी थी, परंतु विज्ञान इन सब बातों को नहीं मानता कि उन किलो में कुछ डरावना जा कुछ अजीब या खोफनाक हो सकता है इसलिए बच्चों को यह दिखाने के लिए ही प्रोफेसर ने यह निर्णय लिया था कि आज विज्ञान कितना आगे निकल गया है।
हम सब बस में सुबह निकलें और शाम तक एक किला देखकर वापस आ गए। इसी तरह हर रोज सुबह निकलते और शाम तक वापस आ जाते और रात को किले के बारे में बातें करते रहते। उन्हें वहां बहुत कुछ अजीब भी देखने को मिला, बहुत सी डरावनी चीजें... भी थी जिनका कोई मतलब ही नहीं बनता था परंतु सब खुश थे। इसी तरह से 3 दिन बीत चुके थे।

अगले दिन वह सब भानगढ़ का किला देखने के लिए निकलने वाले थे। सब बहुत उत्सुकता से नीचे आए, भानगढ़ का किला होटल से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए उन्होंने वह आखिर में देखा। किले के सामने एक नदी बहती थी जिसमें बहुत बड़ी-बड़ी मछलियां और कई तरह के जानवर रहते थे। सुना था इन मछलियों ने कोई ना कोई आभूषण पहना है... जिससे यह लगता था कि वह भानगढ़ के आसपास के लोग हो। वहां चारों तरफ पेड़ पौधों की इतनी घनी हरियाली थी कि नदी अच्छे से दिखाई भी नहीं दे रही थी।
सब किले से कुछ कदमों की ही दूरी पर थे कि उन्हें वहाँ के दृश्य अजीब से लगे। थोड़े खौफनाक भी थे...... इस किले की डरावनी बातें सुन तो रखी थी परंतु विश्वास किसी को नहीं था। इतने में उन्होंने एक बोर्ड लगा हुआ दिखा जो बहुत पुराना टूटा- फूटा सा था जिस पर यह संदेश लिखा था कि ‘सूर्यअस्त होने के बाद अंदर जाना मना है’ वह बड़ी मुश्किल से समझ आ रहा था पर जैसे तैसे करके कोमल ने यह संदेश पढ़ लिया।

किले के बाहर ही बहुत बड़े-बड़े पत्थर जो के भयंकर काले रंग.. के थे दूर से ही दिख रहे थे। धीरे-धीरे से सब एक-एक करके अंदर जाने लगे। पूरा किला घूम कर जब वह बाहर निकलने की सोच रहे थे, तब अनु और कोमल किले के उस कोने में चली गई जहां पर थोड़ा भूल भुलैया सा था।

वहां से कई आवाज़े आती.... कभी पंछियों की, कभी लोगों की...... तो वह अंदर यह देखने जा रही थी कि यह खौफनाक आवाज़ें किसकी है??
इतने में उन्हें एक बोर्ड लगा दिखाई दिया जिस पर उस किले का इतिहास लिखा था। इतिहास में लिखा था
‘यह किला बहुत साल पुराना है। यह उस समय की बात है जब यहां पर एक रानी रत्नावती नाम की रानी हुआ करती थी। वह उस समय की सबसे खूबसूरत रानियों में से एक थी। जैसे ही वह 18 साल की हुई कई राजे उसके पास शादी का न्योता लेकर आए पर उसने सभी को इनकार कर दिया। उनमें से एक जादूगर भी था। उस जादूगर की छवि सबके लिए बहुत बुरी थी। वह जानता था कि इतनी बड़ी महारानी उसके साथ शादी नहीं करेगी इसलिए उसने रानी को पाने के लिए काले जादू.... का इस्तेमाल किया। एक बार जब रानी की दासी वहां बाजार में रानी के लिए इत्र लाने के लिए गई तो उस जादूगर ने उस इत्र की शीशी पर काला जादू कर दिया जिससे जैसे ही वह रानी उस इत्र को लगाएगी तो उस रानी को उस जादूगर से प्यार हो जाएगा, पर रानी को अपने गुप्तचरो के कारण पता चल गया कि उस इत्र की शीशी पर काला जादू किया गया है इसलिए उस रानी ने उस इत्र की शीशी को महल के बाहर एक पत्थर पर जोर से मारा जिससे वह शीशा टूट गयी और जादू उल्टा पड़ गया। वह पत्थर सीधा जाकर उस जादूगर के ऊपर गिरा। उसके बाद उस जादूगर ने मरते-मरते भानगढ को श्राप दे दिया कि जल्द ही वह पूरा शहर खत्म हो जाएगा और उसने रानी को भी श्राप दे दिया कि वह भी जल्दी मर जाएगी। ऐसा ही हुआ और उस घटना के कुछ समय बाद ही भानगढ़ में लड़ाइयां हुई जिससे पूरा का पूरा शहर खत्म हो गया और रानी भी किसी रहस्यमई तरीके से मर गई। आज भी उस किले में लोगों के मरने की चीखें और वह रानी की आत्मा दिखाई देती है।’

इतिहास पढ़ने में वो दोनों इतना खो गई थी कि ना उन्हें समय का पता चला और ना ही अपने किसी साथी का। उन्होंने पीछे मुड़कर देखा भी नहीं कि कोई उनके साथ है भी या नहीं और ऐसा इतिहास पढ़ कर वे दोनों इतनी डर गई थी कि एक दूसरे का हाथ कस कर पकड़ रखा था और इधर उधर देख रही थी उन्हें समय का ध्यान ही नहीं रहा कि कब सूर्यास्त हो गया। अंधेरे में अंदर ही फंसी रह गई वे दोनों चिल्लाने लगी


मैम......... मैम...... हमें बाहर निकालो!

हम यहां पर फस गई हैं..... हमें कोई रास्ता नहीं मिल रहा!

मैम....! आप किधर हो.............

ऐसे चिल्लाते हुए वह किले में एक-दो कदम ही इधर-उधर उठा रही थी। उनके साथ ही उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे किला भी चिल्ला रहा हो। उन्हें लगा कि हमारी आवाज ही गूंज रही है इसलिए वह थोड़ा इधर-उधर देखती है परंतु जब वो चिल्लाना बंद कर देती है किला तब भी चिल्लाता रहता है। वहां से दर्दनाक चिल्लाने की आवाज उनके कानों में गूंज रही थी।

हर तरफ राजे-रानियों के कुंडल, तलवारे, बरसे, आभूषण, यह सब दिखाई देने लगा। किले के अंदर जो खंभे बने थे उन पर उन्हें बड़ी बड़ी आंखें, नाक, मुंह दिखाई देने लगे, वह पूरी तरह से डर गए थे। हिम्मत करके कोमल ने मैम से बात करने के लिए मोबाइल निकाला। एकदम से इतनी आग की लपटे उनके सामने से निकली कि उसका मोबाइल वहीं पर गिर गया और उन्हें दोबारा दिखा ही नहीं दिया। मोबाइल मानो मोम के भांति पिघल कर धरती में ही समा गया था.....। अब वह किसी से बात भी नहीं कर सकती थी। इधर उधर घूरने के सिवाय उनके पास और कुछ भी नहीं था।
वह अंदर से खुद को लाचार और बहुत डरी सी महसूस कर रही थी। धीरे-धीरे करके इधर से उधर जाने के लिए हिम्मत जुटाने लगी। जैसे ही अपनी गर्दन घूमाते तो उन्हें अजीब से इत्र की सुगंध आती जो एकदम से ही दुर्गंध में बदल जाती थी और यह सुगंध और दुर्गंध इतनी तेज थी मानो बेहोश करके ही छोड़ेगी।
वे भाग कर बाहर आना चाहती थी परंतु वह जहां से अंदर आई थी वह रस्ते अब दिखाई नहीं दे रहे थे। वहां पर बड़े-बड़े पत्थर नजर आ रहे थे.....। कभी इधर , कभी उधर वह ऐसे ही मुड़ - मुड़ कर देख रही थी। उन्हें कहीं आग तो..... कहीं आंखें...... तो कहीं नवाब कुंडल.... यह सब दिखाई दे रहे थे। ऊपर की तरफ ध्यान किया तो तेज तीखी तलवारें लटकती हुई...... नजर आ रही थी जो कि बहुत बड़ी और बहुत तीखी लग रही थी। किले के अंदर जहां भी वह तलवारे हल्का सा भी छूहती वहीं से बहुत तेज आग और धुआं निकलता था और एक चीख की आवाज उनको दबोच लेती थी। अबे बुरी तरह से थक और टूट चुकी थी और एक कोने में बैठ कर जोर जोर से रोने लगी, मानो उनकी चीखें भी अब थक चुकी थी। उनके चीखने चिल्लाने में अब आवाज नहीं रही थी...। अनु और कोमल एक दूसरे को देखते तब भी उन्हें डर लगने लगा था।
मानो धीरे-धीरे उनका दम घुट रहा हो और वह जो सुगंध- दुर्गंध उनको परेशान कर रही थी वह उनके भीतर तक समा गई हो। इतने में बाहर मैम सब छात्रों को लेकर वापस निकल गए थे। उन्हें हॉस्टल के पास जाकर पता चला कि अनु और कोमल किले में ही रह गई है। वह बहुत घबरा गए...... सोनिया मैम भागकर पीछे को मुड़े और उनको जोर से आवाजे देने लगे।
“अनु...........कोमल
अनु.......... कोमल
किधर हो आप...?”
मैम को लगा कि शायद वह हमारे साथ वापस आए ही नहीं। मैम डरे से एकदम किले की तरफ भागते हैं ।"उनके मन में बार-बार यह विचार आता है कि वहां पर बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था कि सूर्यास्त के बाद यहां आना मना है"। यह सोच कर वह और भी डर रहे थे।वे किले के सामने पहुंचे। उनके साथ ही दो छात्र और थे। जब वह सामने से किले की तरफ देख रहे थे तो वह हैरान रह गए वह किला अब किला नहीं लग रहा था वहां से भयानक आवाजें आ रही थी मानो पूरा किला आग की भर्ती जल रहा था......। काला धुआं और कितनी सारी परछाइयां इधर-उधर घूम रही थी। किले के पास जाना मुमकिन ही नहीं था परंतु वह अनु और कोमल को ढूंढना चाहते थे। वह जोर से आवाज दे रहे थे।
अनु .........कोमल!

इतने मैं मैम की भी आवाज निकलती बंद हो गई क्योंकि वह दृश्य इतना खौफनाक था कि किसी का भी वहां बोलना संभव नहीं था। किला इधर उधर हिल रहा था, आवाजें भी आ रही थी और वह ऐसे लग रहा था जैसे घूम कर सबको अपने अंदर समा लेगा। वहां बाहर से भी इत्र की सुगंध और दुर्गंध महसूस हो रही थी।
मैम देर रात तक वहीं पर बैठे रहे। वह बच्चों के बिना वापस भी नहीं जा सकते थे और वहां पर बैठना भी मृत्यु के मुंह में जाने से कम नहीं था।
अनु और कोमल को रानी रत्नावती की आत्मा हाथ में इत्र की शीशी लिए इधर-उधर घूमती हुई दिखाई दी पर उन्हें लगा शायद कोई उनकी मदद करने के लिए अंदर आ रहा है। वह उस आत्मा के पीछे चलने लगी।
रानी के हाथ में इत्र की शीशी इतनी बड़ी और चमकदार थी मानो उन्हें कोई रास्ता दिखा रहा हूं फिर उन्होंने ध्यान दिया कि वह रानी तोहर तरफ आर-पार जा रही है और यह जहां कदम रखती है वही रास्ता बंद हो जाता है। यह सोचकर वह डर गई और सोचने लगी कि यह कोई इंसान नहीं हो सकता..... यह तो कोई आत्मा है। वह वहीं पर रुक जाती है पर वह रानी इत्र की शीशी लेकर उनकी तरफ बढ़ती है। धीरे-धीरे से जब वह उनकी तरफ आ रही थी तो तेज झनझनाहट...... घुंघरू की आवाज में..... आग की लपटें सब एक साथ मिलकर उनकी तरफ आ रही थी। वह पीछे पीछे जाती है परंतु पीछे रास्ता ही नहीं बचता। हर तरफ पत्थर ही पत्थर आग ही आग दिखाई देने लगती है। इतने में रानी इत्र की शीशी खोल देती है जिसमें से एक तेज दुर्गंध निकलती है वे दुर्गंध इतनी जहरीली थी कि अनु और कोमल बर्दाश्त नहीं कर पाती और वहीं पर मर जाती है। फिर अगले दिन जब उनके प्रोफेसर उनको ढूंढते हुए किले के अंदर आते हैं तो उन्हें किले के एक कोने में एक बड़े से काले पत्थर पर उन दोनों के कंकाल पड़े हुए मिलते हैं........ जिसे देखकर वह बहुत घबरा जाते हैं और फूट-फूट कर रोने लगते हैं।
जैसे ही वह उस कंकाल को छूने की कोशिश करते हैं वह धरती में समा जाते है। फिर वह जितनी जल्दी हो सके राजस्थान से वापिस निकल जाते हैं। उस दिन से उन सभी बच्चों में से किसी ने भी उस किले में वापस जाने के बारे में सोचा तक नहीं..........