WO RIKSHA WALA books and stories free download online pdf in Hindi

वो रिक्शा वाला

वो रिक्शा वाला


"साहेब मुझे छोड़ दो साहेब"

"साहेब मुझे छोड़ दो साहेब" बार-बार यही फरियाद करता रहा, वो रिक्शा वाला थानेदार "साहेब" से.....

"साहेब मुझे छोड़ दो साहेब" मैं बहुत ही ग़रीब आदमी हूँ "साहेब" माँ-बाप ने जैसे-तैसे क़र्ज़ लेकर मुझे पढ़ाया । ताकि मुझे कोई अच्छी सी नौकरी मिल जाए, और मैं घर की ज़िम्मेदारी संभाल सकूँ । पढ़ाई पूरी कर के बहुत से ऑफीस की खाक छानी साहेब पर हर जगह से मुझे निकाल दिया गया । ये कह कर के "हमे अनुभवी लोगों की ज़रूरत है" फ्रेशर की नहीं.... बड़ी मेहनत करके साहब मैने इंटर की परीक्षा फ़र्स्ट डिवीजन से पास किया था.....आगे भी पढ़ना चाहता था, पर क्या करें साहेब क़र्ज़ का बोझ ज़्यादा हो गया था । इसलिए पढ़ाई छोड़ नौकरी की तलाश मे लग गया ।

बहुत कोशिश की साहेब पर मुझे कहीं नौकरी नही मिली, हर ऑफीस हर जगह से मायूसी मिली ! पिताजी की तबीयत भी ठीक नही रहती आज-कल, इसलिए नौकरी तलाशनी छोड़, आज ही किसी से किराए पर रिक्शा लेकर चला रहा था साहेब ।

मैं तो अपनी साइड ही था "साहेब" वो तो कार वाले "बाबूजी" ही ग़लत साइड से कार लेकर आ रहे थें ।

अभी उसने अपनी बात पूरी भी नही की थी की...."थानेदार साहेब" ने फिर दो थप्पड़ उसके गाल पे जड़ दिया । साले बोलता है उसकी ग़लती थी, पता है तुझे १९ लाख की गाड़ी थी सिंह साहब की,अभी लिए हुए महीना भी नही हुआ, और तूने स्क्रैच कर दिया ! लाखों का ख़र्चा आएगा, कौन भरेगा तेरा बाप...।
तुम साले गरीब लोग जब तुम्हें रिक्शा चलाने ही नहीं आती फिर चलाते ही क्यों हो।

पर साहब मेरी ग़लती थोड़ी न थी ममम मैं तो...। चुप साले वरना अभी अंदर डाल दूँगा...पड़ा रहेगा २-४ दिनों तक ।
चल ५०० रुपया निकाल छोड़ दूँगा तुझे, वरना केस बना के अंदर डाल दूँगा.....

साहेब मैं ५०० रुपया कहाँ से दूँगा "साहेब", सुबह से बस ये २० रुपये ही तो कमाए थें अब तक । वो भी जिनका रिक्शा है उनको पूरे दिन का किराया २० रुपया देना पड़ेगा ! उपर से कार वाले बाबूजी ने धक्का मार दिया....जिससे रिक्शे के आगे वाले पहिए का रिंग टूट गया है साहेब । हैंडल भी टूट गया है, रिक्शे का परदा भी फट गया है... "साहेब" १००० रुपया तो उसी मे खर्च हो जाएगा, "साहेब"....मैं ५०० रुपया कहाँ से दूँगा "साहेब"...."साहेब मुझे छोड़ दो साहेब".......

साले तूँ ऐसे नही मानेगा... पांडे....
जी साहेब....
बंद कर दे साले को अंदर, जब तक पैसे ना दे छोड़ना नहीं....
मैं जा रहा हूं सिंह साहब के घर, आज उनके बेटे का जन्म दिन है। स्पेशली हमको इनवाइट किये हैं, कह रहे थें बहुत ही अच्छा डांसर बुलाए हैं प्रोग्राम के लिए।

थानेदार साहब का बात सुन कर, पांडे जी हिचकिचाते हुए बोलें.....साहब हमहूं चलूं का आपके साथ, उ का है न साहब बहुत दिन हो गया है पैग लगाये और कवनो पार्टी अटेंड किये हुए, और उ कटीली नचनिया का नाच भी देख लेंगे ।

और फिर अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभा कर, और एक बहुत बड़े अपराधी को उसकी अपराध की सजा सुनाकर, और अपना पुलिसयाना रौब उस बेचारे गरीब रिक्शे वाले पर झाड़कर,


"थानेदार साहेब" बड़े गर्व से अपना कैप पहन कर पांडे जी के साथ सिंह साहब के बेटे की बर्थडे पार्टी में चले गयें...।।

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