"मै देखती हूं"।विमला पलंग से उठते हुए बोली।
माँ के उठते ही वह पलंग पर लेट गई।वह अपनी सहेली निशा के घर गई थी।धूप और गर्मी की वजह से परेशान हो गई थी।विमला कुछ देर बाद ही कमरे में लौट आयी तो उसने पूछा था,"क्या हुआ मम्मी?"
"मैने तेरे पापा को भेजा है।"
"मम्मी आप भी----आप जानती है।पापा भोले भंडारी है।उस लफंगे से कुछ नही कह पाएंगे।आपको खुद जाकर उस लफंगे की खबर लेनी चाहिए थी।
"अनजान आदमी से औरत का उलझना सही नही है"।विमला ने बेटी को समझाया था।
"अजी सुनती हो"।माँ बेटी बातें कर रही थी।तभी रामलाल की आवाज सुनाई पडी थी,"जरा पानी तो लाओ।"
पति की आवाज सुनकर विमला पानी लेकर ड्राइंग रूम में आयी थी।रामलाल ड्रॉइंग रूम में बैठे युवक से परिचय कराते हुए बोले,"मेरी पत्नी विमला।"
उमेश ने हाथ जोड़कर नमस्ते की थी।रामलला उमेश का परिचय विमला से कराते हुए बोले,"यह उमेश है,शिवलाल का भतीजा।"
विमला ड्राइंग रूम से जाने लगी,तो रामलाल बोले,"हेमा को चाय नाश्ता लेकर भेज देना।"
"कौन है मम्मी ड्राइंग रूम मे?"विमला वापस कमरे में पहुंची, तो हेमा ने पूछा था।
'मुझे तो लगता है वो ही है,जो तेरे पीछे आया था।तेरे पापा ने तेरे साथ चाय नाश्ता भेजने के लिए कहा है"
"मम्मी तुमने पापा को उस लफंगे को डांटने के लिए भेजा था।डांटना तो दूर ।पापा उसे घर मे ही घुसा लायेऔर चाय नाश्ता और कराएंगे,"हेमा नाराज तो हुई लेकिन वह जानती थी।पापा बिना चाय नाश्ता किये उसे नही जाने देँगे।इसलिए चाय बनाने किचन में चली गई।
हेमा ने गैस जलाकर पानी रखा।वह ट्रे में बिस्कुट,नमकीन रख रही थी।तभी रामलाल रसोई में घुसते हुए बोले,"बेटी चाय बन गई?"
"पापा, आप भी खूब है।कोई भी ऐरा गेरा चला आये।आप उसे चाय नाश्ता कराये बिना नही जाने देते।",हेमा अपने पापा से नाराज़ होते हुए बोली थी।
"बेटी वह ऐरा गेरा नही है।तू जल्दी से चाय ले जा।""
"मम्मी दे आयेगी,।"हेमा उस युवक के सामने जाना नही चाहती थी।
"बेटी के होते माँ काम करे।वह भी क्या सोचेगा?रामलाल के समझने पर न चाहते हुए भी हेमा जाने के लिए तैयार हो गई।
"आपका नाम हेमा है।"उसे देखते ही उमेश बोला था।
"मेरे नाम से मतलब?"हेमा अभी भी गुस्से में थी।उमेश की बात सुनकर बोली,":मेरे पापा ने नही बैठाया होता तो तुम्हे धक्के देकर घर से बाहर निकाल देती।'
"मेरी यह समझ नही आ रहा। आप मुझसे इतनी खफा कयों है?"उमेश बोला,"लेकिन एक बात है"।
"क्या?"
"गुस्से में तुम बहुत हसीन लग रही हो।"
"चाय दी"उन दोनों के बीच और तकरार होती उससे पहले रामलाल आ गए।हेमा चली गई। रामलाल ,उमेश से बाते करते रहे।काफी देर बाद उमेश उठते हुए बोला"अब चलूंगा"।
रामलाल उसे छोड़ने बस स्टॉप तक गए थे।वह लौटे तो हेमा गुस्से में बोली,'पापा मम्मी ने आपको बाहर कयो भेजा था
"एक लफंगा हेमा का पीछा करते हुए घर तक चला आया।मैंने तुम्हें उसे डांटने के लिए भेजा था।डाँटना दूर उसे घर मे घुसा लाये और चाय नाश्ता भी करा दिया।"विमला भी पति पर नाराज़ होतेहुए बोली।
",तुम माँ बेटी मेरी भी सुनोगी या अपनी ही गाती रहोगी।"
"क्या सुने?पहले तुम सुनाओ"।पति की बात सुनकर बोली थी।
"उमेश मेरे दोस्त शिवलाल के भाई दिनेश का बेटा है।दिनेश का दो साल पहले देहान्त हो चुका है।पिता की जगह उमेश की सरकारी नौकरी लग गई है।वह अपने ही घर आया था।हेमा से पता पूछ रहा था।"।रामलाल बोले थे।
"वह अपने घर कयो आया था।"विमला पति की बात सुनकर बोली थी।
"इस चिट्ठी को पढ़ लो"।रामलाल ने चिट्टी जेब से निकालकर पत्नी को दी थी।
"इसे पढ़ने के लिए चश्मा लाना पड़ेगा,"विमला चिट्टी हेमा को देते हुए बोली,"बेटी पढ़ना।'
हेमा चिट्टी खोलकर पढ़ने लगी,
प्रिय रामलालजी।हम दिल्ली में शादी मे मिले तब रिश्ते की बात हुई थी।मैं उमेश को भेज रहा हूँ।आप अपनी बेटी दिखा देना।मै चाहता हूँ।लड़का लड़की एक दूसरे को देख ले।
"तो उमेश,हेमा को देखने आया था।"चिट्टी सुनकर विमला बोली।
,"हॉ",रामलाल बोले और तुम माँ बेटी उसे लफंगा, लोफर न जाने क्या क्या कह रही हो"
"गलती हो गई।हेमा की बातों में आ गई,"विमला अफसोस करते हुए बोली,"उमेश को हेमा पसन्द आयी।"
"मुझे वो पसंद कभी नही करेगा"।रामलाल कुछ कहते उससे पहले हेमा बोली थी।
"कयों?"रामलाल ने पूछा था ।
"वह ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश कर रहा था।उसे ऐसी खरी खोटी सुनाई है कि भविष्य में किसी लडकी को होशियारी नही दिखायेगा।"
"अजीब लड़की है।चाहे जिससे चाहे जो बोल देती है।जवान हो गई है।सोच समझकर बोला कर,",विमला बेटी पर नाराज़ होते हुए बोली,"तेरा सांवला रंग रिश्ते में आड़े आ रहा है।अगर किसी को तू पसंद आती भी है तो दहेज इतना मांगते है कि हम ही चुप लगा जाते है।अब तो काफी दिन से रिश्ता आना ही बंद हो गया है।तेरे पापा तेरे लिए रिश्ता ढूंढते परेशान हो गए है।जैसे तैसे कोई आया तो तेरी जुबान ने खेल बिगाड़ दिया।"
"कुछ नही बिगड़ा है,"रामलाल बोले,"उमेश, हेमा को पसंद कर गया है।"
"सच,"पति की बात सुनकर विमला बोली थी।
"हॉ"रामलाल ,हेमा से बोले,"उमेश तो तुझे पसंद कर गया।अब तू बता तुझे उमेश पसन्द है?"
हेमा शरमाकर दूसरे कमरे में चली गई।वह सोचने लगी उसने उमेश से न जाने क्या क्या कह दिया।फिर भी उसने बुरा नही माना और उसे पसंद कर गया।जब अकेले में उससे मिलेगी तो कैसे उससे नज़रे मिला पाएगी।