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बिन्नी से तृप्ति


हाँ! इसका नाम "बिन्नी"रखेंगे,हाँ! यही रखेंगे, पापा ने खुश होते हुए कहा और मम्मी ने भी मुस्कुराते हुए हामी भर दी।'बिन्नी',ये नाम दोनों को पसंद था,कुछ गहरी यादें जो जुड़ी थी उनकी इस नाम के साथ,शायद उन्हीं यादों को जीवंत देखने के लिए उन्होंने ये नाम अपनी तीसरी बेटी का रखा था।अभी दोनों खुश हो ही रहे थे कि उसी वक्त पीछे से दोनों की यादों की तंद्रा तोड़ते हुए एक कड़क आवाज़ उनके कानों में पड़ी। पीछे मुड़कर देखा तो बच्ची की दादी खड़ी थी,जो शुरुआत से ही इस तीसरी जान के घर में आने से क्षुब्ध और बहू के तिबारा तीसरी बेटी जनने से काफी क्रोधित थी।अभी उस नन्ही जान के मम्मी पापा कुछ समझ पाते,तब तक एक सलाह रूपी आदेश या यों कहें बहु बेटे को फ़रमान जारी हो चुका था। नहीं! इस लड़की का नाम 'बिन्नी' नहीं रखा जाएगा।बच्ची के मम्मी पापा ने आश्चर्य से एक दूसरे की तरफ देखा।तब बेटे ने माँ से पूछा कि माँ तुम ऐसा क्यों कह रही हो,क्या बुराई है इस नाम में और तुम तो जानती ही हो कि इस नाम से हमारी कैसी यादें जुड़ी हुई हैं।मैं सब जानती भी हूं और समझती भी हूं बेटा,पर तू नहीं समझ पा रहा,माँ ने बेटे से लाड़ जताते हुए कहा।अच्छा माँ! तो तुम ही बता भी दो और समझा भी दो कि तुम क्या नाम रखना चाहती हो इस बच्ची का ,बेटे ने भी लाड़ लड़ाते हुए तुरंत अपनी बात कही।
माँ की जैसे मन की मुराद पूरी हो गई,उन्होंने बड़ी खुशी के साथ तुरंत कहा-"तृप्ति"।इसका नाम 'तृप्ति' रखो तुम लोग। बेटे ने ये नाम सुनते ही माँ से कहा,क्यों माँ ! ये नाम ही क्यों जबकि इसका नाम तो ब या भ अक्षर से निकला है, इस तरह ये 'तृप्ति' नाम तो कहीं से सही नहीं बैठता। 'तृप्ति' नाम ही क्यों सोचा तुमने, क्या तुम्हें ये नाम पसंद है? माँ, क्या कारण है, बताओ ना! अब माँ ने मुस्कुराते हुए अपनी सोच पर गर्व करते हुए सुझाए हुए नाम का कारण बताना शुरू किया,अरे बेटा! तेरे कोई बेटा नहीं हुआ अब तक,इस बार उम्मीद थी कि वंश का नाम आगे बढ़ाने वाला पोता हो जाएगा लेकिन तेरी लुगाई ने इस बार भी बेटी ही जनी है। लेकिन बेटा तू चिंता मत कर मैंने इसका तोड़ सोच लिया है। बेटे ने तुरंत बीच में बात काटते हुए माँ से कहा कि हाँ, वो सब तो ठीक है पर 'तृप्ति' नाम से हमारे बेटा पैदा होने का क्या संबंध।अरे बेटा! रुक तो,ध्यान से सुन,'तृप्ति' का क्या मतलब होता है, 'तृप्ति' का मतलब होता है संतुष्टि या जी भर जाना, तो हम इस लड़की का नाम 'तृप्ति' रख देंगे मतलब अब हमारा जी लड़कियों से भर गया है, हम तृप्त हो चुके हैं, ऐसा करने से फिर लड़की नहीं होगी औऱ फिर इसी लड़की पर विराम लग जायेगा। यह कहते हुए माँ के चेहरे पर उनकी सोच और बुद्धि के लिए गौरवान्वित होने के भाव स्पष्ट देखे जा सकते थे। एक पल को तो मम्मी पापा कुछ सोच ही नहीं पाए कि ये क्या कह दिया माँ ने। उसी पल बेटा तुरंत माँ की बगल से उठते हुए बेटी को गोद में लेते हुए आक्रोशित हो बोला,ये क्या बोल रही हो माँ तुम। इसका नाम हम 'तृप्ति' इसलिए रखें क्योंकि हमारे कोई बेटा नहीं हुआ बल्कि तीन लड़कियां हो गई और इसकी ये गलती है कि ये तीसरी है और अब हमारा जी इससे भर गया है। माँ ये सोचने और कहने से पहले क्या तुमने एक बार भी सोचा कि ये तीसरे नंबर पर हो गई तो इसमें इसकी क्या गलती,जो इसकी सजा हम इसे इसका नाम 'तृप्ति' रखकर आजीवन दे।क्या तुमने कभी सोचा कि जब ये बड़ी होगी और अपने इस 'तृप्ति' नाम का मतलब और कारण हमसे पूछेगी तो माँ बाप होने पर हम इसे किस मुँह से और क्या जवाब देंगे। उस दंश के साथ इस नन्हीं जान को जीने को क्यों मजबूर किया जाए जिसकी जिम्मेदार ये बेचारी कहीं है ही नहीं।ये खुद तो इस संसार में नहीं आयी,हम लाए हैं इसे, तो तुम्हारे पछतावे की मोहर इसके माथे पर क्यों लगाई जाए। बेटा आक्रोशित होते हुए ये सब कहे जा रहा था। हमेशा माँ के कहे पर चलने वाले बेटे की मुद्रा आज अलग थी। बहु पर्दे की ओट से अश्रुपूरित आंखों से ये सब सुन रही थी। नहीं माँ नहीं, हम इसका नाम 'तृप्ति' बिल्कुल नही रखेंगे।आज से और अभी से ये हमारी "बिन्नी" है और 'बिन्नी' ही रहेगी।

पापा अपनी भावनाओं में कहे जा रहे थे और माँ ने एक कोने में गाँव वापिस जाने के लिए सामान बाँधना शुरू कर दिया था।पर्दे की ओट से मम्मी की दुख से अश्रुपूरित आंखों में अब खुशी के आंसू छलक रहे थे।

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