*अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।*
अब चांद से होती गुफ़्तगू की रिहाई से,
पा लेते है राहत चंद लम्हो की कटाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब वो बात कहा है उन आंखों की नरमाई से,
अब फिर वो शाम कहा ढलती है रुसवाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब ये आंखमिचौली हो रही खुद की परछाई से,
कहा मिलेगी अब हमे रात आगोश की रजाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
सुनने को तरस रहे सुर तेरे आवाज की शहनाई से,
हो रहे है रुबरु हम ज़ालिम इश्क़ की तन्हाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
मिलने का मंजर झांख रहे है आंखों की गहराई से,
यादो के बादल में है खड़े इस इश्क़ की खुदाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
ख्वाब सँजोए रखे है हमने इश्क़-ए-हरजाई से,
तसव्वुर में मुलाकात हुई अहल-ए-इश्क़(lovers) की दुहाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
हर रोज जल रही है यह रूह तप-ए-जुदाई(heat of separation) से,
अब खुश होते है इश्क़ की वजा-ए-कज-अदाई(style of pride) से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
इस दौर में भी झुम उठता है जहन इस फिदाई से,
मिल रही है खुशिया पुराने इश्क़ की इब्तिदाई(initial/beginning) से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
हम सज रहे है फिलहाल तेरे इश्क़ की आराई(सजानेवाला) से,
पा लेते है जन्न्त हम तेरे यादो की टकराई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब कहा महकेगा जहाँ तेरे इश्क़ की महकाई से,
अब कहा बहकेगा समा तेरे इश्क़ की बहकाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
कहा मिलेगा वो इश्क़ एक मुस्कान की चुकाई से,
न उल्जा है ये हाथ बालो में वो हाथो की सरकाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब कहा टकराते है ये हाथ वो कोमल कलाई से,
अब कहा बहलता जी वो आपकी टाँगखिचाई से।
क्योकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब कहा दिल हारता है तुम्हारी अच्छाई से,
अब कहा ले चलता कोई इश्क़ की रहनुमाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
कहा करता है कोई यहाँ इश्क़ अर्श-पैमाई(meausring sky) से,
न होता है अब यहाँ कोई घायल चश्म-नुमाई(exhibiting eye) से।
क्योकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब ना भरता मन तेरे इश्क़ की भरपाई से,
अब भी जलता मन इस चिंगारी की सुलगाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
होश खोये बैठे है हम चंद लम्हों की रंगाई से,
न रोशन मेरा जहाँ उसकी सीरत के जगमगाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
रह रहे है जिंदा अब तो तेरे इश्क़ की भलाई से,
अब गुफ़्तगू होती है मेरी सिर्फ तेरी तखलाई(imagination/vision) से।
क़्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब न कहने वाला कोई खुश रहे मेरी बलाई से,
ना दिखे हर अदा तेरी जो कहती सब इठलाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
अब ना आना होता तुम्हारे दर पर कठिनाई से,
मार न डालना तुम तुम्हारे इश्क़ की महंगाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
ना जाने अब कब मिले हम हमारे वो आश्राइ(love) से,
अब न कोई खुश होनेवाला उनकी तवानाई(strength/power) से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
कब महके ये जिंदगी उनके कफ़-ए-हिनाई(hend printed with henna) से,
अब भर उठा है आंगन मेरा अश्क़-ए-हिनाई(tears of henna) से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
न जाने कब करे इश्क़ वो जमाने की बे-परवाई से,
दिल लगा बैठे है हम उनकी इश्क़ की कारवाई से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
फिर कब ये जी भरेगा तेरे इश्क़ की इंतिहाई(extreme) से,
कब फिर मिलेंगे हम इस इश्क़ की बे-इंतिहाई(limitless) से।
क्योंकि,
अरसा हो गया गुजरे तेरी गली की अंगड़ाई से।।
- Dilwali Kudi
शुक्रिया। कृपया अपना अभिप्राय जरूर दीजियेगा। कही कोई गलती हो तो हमे जरूर बताइयेगा ताकि हम गलती सुधार शके ओर अपनी बहेतरीन कविताए प्रकाशित कर पाएं।।