जीवन की कहानी Karan Somani द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जीवन की कहानी

ग्रीष्म काल की बात है एक राहुल नाम का लड़का जो कि एक सवेरा गांव में रहता था | राहुल मानसिक रूप से काफी नकारात्मक था, राहुल का एक छोटा सा परिवार था जिसमें उसकी मां, उसकी छोटी बहन मीनाक्षी, राहुल रहते थे राहुल के पिता का कुछ वर्षों पहले देहांत हो गया था और उनके पिता का सपना था कि राहुल अपनी इच्छा से जो कुछ भी अपने जीवन में करना चाहता है वो करें, सफल हो और अपने पिता का नाम रोशन करें राहुल के घर में कमाने वाला एकमात्र उसकी माँ जो कि तेज धूप में खेतों में काम किया करती थी| मुश्किल से उनके घर का गुजारा चला करता था. राहुल के सपना था की वो एक लेखक बने उसे लिखने का काफी शौक रहता था, लेकिन जैसे समय बीतता चला गया राहुल के घर की स्थिति अब पहले से काफी ख़राब हो गयी थी और राहुल अपने सपने को भी भूल रहा था | उसकी मां भी काफी कमजोर पड़ गए थे धूप में काम करने की वजह से राहुल को अब चिंता सताने लगी थी कि अगर मां को कुछ हो गया तो मेरा और मीनाक्षी का ध्यान कौन रखेगा राहुल इस बात से काफी दुखी हो गया था और हिम्मत खो चुका था उसको आशा की किरण कहीं नहीं दिखी | उसने सोचा जिंदगी में इतनी परेशानियां, गरीबी है इसे इससे अच्छा है मर ही जाऊ इन सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी | राहुल ने अगले दिन सूर्योदय के समय बिना किसी को बताए घर से निकल गया राहुल ने नदी में कूदने का निश्चय किया था जब राहुल नदी के किनारे पर चल रहा था, तब पास में एक छोटा सा मंदिर था जहां पर एक आयुर्वेदिक वेद रहते थे उनको आयुर्वेद का काफी ज्ञान था उस वेद के पास एक रौशनी नाम की लड़की आयी जो कि राहुल से छोटी थी और रौशनी शारीरिक रूप से काफी कमजोर थी और उसका दाया हाथ भी कटा हुआ था जिससे वह लिखती थी | वेद को इस बात का पता था कि रौशनी की माँ अब इस दुनिया में नही थी और उसके पिता की तबियत ठीक नही रहती, जब वेद ने उससे पूछा बेटी बताओ क्या चाहती हो बेटी ने कहा वेद जी मुझे ऐसी दवा दीजिए जिससे मेरी शरीर की कमजोरी दूर हो जाए ताकि मे सब का ख्याल रखने के साथ मैं अपने लेखक बनने का सपना पूरा कर सकू, राहुल दूर खड़े सब देख और सुन रहा था | जब वेद ने उसे दवा देते हुए पूछा कि रौशनी तुम्हारी मां दुनिया में नहीं रही तुम्हारे पिता की तबीयत ठीक नहीं रहती और तुम भी थोड़ी कमजोर चल रही हो तो तुम कैसे अपना लेखक बनने का सपना सोच रही हो, लड़की ने बहुत अच्छा जवाब दिया- बाबा भले ही मेरा शारीरिक रूप से दाया हाथ कटा है लेकिन मानसिक रूप से मैं अभी भी पहले जैसी स्वस्थ और दोनों हाथ वाली हु भले ही दया हाथ नही लेकिन मेरे पास अभी भी दूसरा हाथ है मे उससे भी लिख सकती हूं लेकिन मे अपने सपने को खोना नही चाहती अगर पिताजी की बात है तो मैं उनका भी ख्याल रख सकती हु और मुझे अपना सपना कैसे भी करके पूरा करना ही है और देश के नाम रोशन करना है | राहुल उस लड़की की बात सुनकर काफी चकित हो गया और उसकी बातों ने राहुल को एक नया मोड़ दे दिया राहुल ने मन ही मन सोचा कि मेरी तो यह छोटी सी प्रोब्लेम्स है जो की आज है कल नही, आती-जाती रहेंगी लेकिन इस लड़की का तो हाथ कटा हुआ है उसकी मां भी नही रही पिता भी ठीक नहीं रहते और वह अकेली लड़की है अगर यह लड़की लेखक बन सकती है तो मैं क्यों नहीं बन सकता, अच्छा हुहा मे मरने से बच गया मेरी आँखे खुल गी| राहुल उस लड़की के बातों से काफी प्रभावित हो गया और वह वहां से निकल गया और उसने लेखक बनने का निश्चय किया और अपने सफर की ओर चल पड़ा |
शिक्षा -"मन से हारा व्यक्ति कभी सफल नही हो सकता "
Be positive, Don't forget your goal.