वारलॉक - इतिहास का सबसे निर्मम तांत्रिक और सीरियल किलर Vikkram Dewan द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वारलॉक - इतिहास का सबसे निर्मम तांत्रिक और सीरियल किलर

वारलॉक (अंग्रेजी) की प्रशंसा

“ एक रोचक किताब! दिलचस्प, जानकारीपूर्ण और विश्वसनीय। " - डेक्कन क्रॉनिकल अख़बार

“वॉरलॉक भारतीय तांत्रिक गतिविधियों की जड़ों में ले जाता हैं। - द एशियन एज अख़बार

“हर विवरण पृष्ठ-दर-पृष्ठ दहशत लाता हैं। - मुंबई मिरर अख़बार

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“अपने आपको मत छलो; परमेश्वर को कोई बेवकूफ़ नहीं बना सकता,

जो जैसा बोयेगा, वैसा ही काटेगा।” -बाइबिल के उत्तरार्द्ध ‘नये-नियम’ की पुस्तक ‘गलातियों’ से, 6.3

डरावने बादशाह मोलॉक का वजूद,

इंसान के खून और

उन माता-पिता के आंसुओं से सना हुआ था;

जिन्होंने नगाड़े और डफली के तेज शोर के बीच,

अपने बच्चों के रुदन को अनसुना करते हुए

उन्हें निष्ठुर आराध्य की नरकाग्नि में झोंक दिया था।

-जॉन मिल्टन रचित महाकाव्य ‘पैराडाइज लॉस्ट’ से

खंड १ - सरकस

प्रस्तावना

मैं केवल दो माह का वह मासूम शिशु हूँ, जिसे एक क्रूर तांत्रिक बलिवेदी पर कुर्बान करने वाला है। मुझे अपने अपनी आस-पास की दुनिया का एहसास तभी होता है जब मेरे पिछले जन्मों की स्मृतियाँ उभर कर मुझ तक पहुँचती हैं। आमतौर पर ऐसा मुसीबत या घोर विपत्ति के क्षणों में ही होता है। मुझे बताया गया था कि ये पिछले जीवन की यादें समय के साथ धीरे-धीरे ख़त्म हो जायेंगी, ताकि मैं एक कोरे स्लेट के साथ नया जीवन शुरू कर सकूं।

मुझे नहीं मालूम कि मैं इस सुनसान जगह पर कैसे पहुंचा। मैं अपने कपड़ों के नीचे मेरे जिस्म से लिपटी झाड़ियों और काटों की चुभन महसूस कर रहा हूँ। मेरे सिर पर अमावस का काला आसमान और निगाहों के सामने झील का ठहरा हुआ पानी है। मैं रो रहा हूँ लेकिन मुझे अपनी महफूज बाहों में लेने या मेरी भूख मिटाने के लिए मेरी माँ यहाँ नहीं है। मैं भूखा, प्यासा और भयभीत हूँ। मुझे उम्मीद है कि अगर सामान्य मनुष्य मेरा रोना नहीं सुन पा रहे होंगे तो कम से कम अलौकिक शक्ति धारण करने वाला कोई इंसान टेलीपैथी के माध्यम से मेरे विचारों को जरूर सुन या महसूस कर रहा होगा।

मैंने टोपी युक्त काला चोगा पहने हुए उस लम्बे आदमी को कहते सुना:

‘एलेक्सा। पीटर गंड्री का गाना 'दी कॉवेन’ चलाओ।’

झील के किनारे रखे ‘स्मार्ट स्पीकर’ पर लयबद्ध ध्वनि के साथ खौफनाक संगीत बजने लगा।

सुनहरा मुखौटा लगाया हुआ वह आदमी झील में उतरा। उसने कमर तक गहरे पानी में खड़े होकर कुछ मिनटों तक किसी मंत्र का जाप किया। जाप के पूर्ण होते ही कहीं से आग का एक गोला प्रकट हुआ और उसके सिर के चारों ओर चक्कर काटने लगा। इसके बाद उस आदमी ने बगैर विचलित हुए खुद को जलमग्न हो जाने दिया। झील की सतह पर कुछ देर के लिए बुलबुले उभरे और पानी दोबारा पहले की तरह शांत हो गया। इसी के साथ आग का गोला ‘हुश’ की ध्वनि उत्पन्न करते हुए दूर चला गया।

मैं अपनी छोटी-छोटी आँखों से अपने आस-पास छिपी दुष्ट और पैशाचिक आकृतियों की मौजूदगी को पहचान रहा हूँ। मैं चीख कर अपनी माँ को आगाह करना चाहता हूँ, ताकि वे मुझे अपनी छाती से लगाकर मुझे बचा लें, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ और न ही अधिक देर तक रो सकता हूँ। मैं अब अपनी नाक पर सर्दी की अकड़न और जननांग के आस-पास गीलापन महसूस करने लगा हूँ। डरावने संगीत भी अब तेज़ हो गया है और अपनी समाप्ति की तरफ है।

‘हुश’ की ध्वनि के साथ झील के पानी को जैसे फाड़कर वह दुष्ट आदमी प्रकट हो गया है। उसकी दोनों भुजाएं फ़ैली हुई हैं और उसकी आँखें भावातिरेक में बंद हैं। वह पानी की गहराइयों से निकल कर हवा में ऊपर उठ रहा है। ऊंचा...और ऊंचा। ‘तो क्या...तो क्या वह उड़ भी सकता है?’

मुझे तांत्रिकों से नफ़रत हो चुकी है। प्रकृति ने जितने भी प्राणियों का सृजन किया है, उनमें ये सबसे घिनौने हैं। मैं अपना कोई भी जन्म तांत्रिक के रूप में नहीं लेना चाहूँगा। और इस नीच, अधर्मी, पापी को मुझ जैसे असहाय शिशु को बलि चढ़ाने के पाप का फल अवश्य भुगतना पड़ेगा । कोई भी बच्चा इसलिए जन्म नहीं लेता कि बलिवेदी पर उसका सिर काट दिया जाये। मैं इस तांत्रिक को कभी माफ़ नहीं करूंगा। इससे बदला लेने के लिए मैं अवश्य वापस आऊँगा। बहरहाल मैं आंसुओं से भरी हुई भयभीत आँखों से केवल यही देख पा रहा हूँ कि वह अपने बलि-कुठार (बलि की क्रिया में प्रयुक्त होने वाली कुठार) की फलक को एक काले पत्थर पर रगड़ते हुये उसकी धार तेज कर रहा है।

मैं शीशे के एक पिरामिड में हूँ, जिसका शीर्ष गायब होने के कारण उसका ऊपरी हिस्सा खुला हुआ है।बलि चढ़ाने के लिये आग जलायी जा चुकी है और उसकी लपलपाती लपटों की रोशनी में; इंसानी धड़ पर कुत्ते या शायद लोमड़ी के सिर वाले शैतान की मूर्ति नजर आ रही है। वातावरण लोबान के धुएं, पशुओं के गोश्त और उनकी हड्डियों के कारण घुटन भरा है।

उसका मंत्रोच्चार तो क्षण-प्रतिक्षण ऊंचा होता जा रहा है और घिनौनी और पैशाचिक शक्तियों को उनकी नींद से जगा रहा है। जल्द ही ये सब-कुछ ख़त्म हो जाएगा। लेकिन मुझे हैरानी है कि जब मुझे इतनी जल्दी और इस तरह दयनीय दशा में मरना था, तो मुझे ये जन्म मिला ही क्यों?

‘ओह। दुष्ट तांत्रिक। मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू हमेशा के लिए नरक की आग में सड़े।’

क्रमशः

फिर क्या हुआ? जानने के लिए अगली कड़ी का इंतज़ार करे.
लेख़क को कहानी के बारे में आपने विचारो से जरूर अवगत कराये. वारलॉक (हिंदी) उंपन्यास अमेज़न पर प्रकाशित किया गया है.

यूट्यूब टीज़र: https://bit.ly/2RkGwHP

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