रात का सूरजमुखी - 12 - अंतिम भाग S Bhagyam Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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रात का सूरजमुखी - 12 - अंतिम भाग

रात का सूरजमुखी

अध्याय 12

खुशी के मारे बापू की सांस फूलने लगी।

"अप्पा..... यह...ये....!"

"यह शांता ही है। तुम्हें रास्ते पर लाने के लिए हम लोगों ने इस नाटक का प्लान किया। इंस्पेक्टर कोई और नहीं है ! अपने राघवन का ही दोस्त है। शांता को मैं जानता ही नहीं तुम्हारे जिद करने के कारण इस स्थिति में तुमसे उसकी शादी कर देते तो शांता का जीवन नर्क हो जाता ऐसा सोचा मैंने और तुम्हारे भाई ने.....

शांता के बड़प्पन को तुम्हें कैसे समझाएं सोचा....फिर हत्या के नाटक का अभिनय किया। इस नाटक का अभिनय करवाने वाले राघवन के दोस्त बेसन नगर के स्टेशन इंस्पेक्टर से सहायता मांगने के लिए हम लोग गए। उन्होंने शांता को डेड बॉडी जैसे अभिनय करा कर यह सब कुछ किया। बेसिन नगर के डॉक्टर ने भी हमारा साथ दिया। सिर्फ तुम्हारी भाभी कल्पना को इसके बारे में पता नहीं था। और सबको पता था। मेरे दोस्त कमिश्नर के साथ सभी को..."

बापू के आंखों में खुशी के आंसू आए। उसने सुबानायकम् के हाथ को पकड़ कर आंखों पर लगा लिया।

"अप्पा... अप्पा !"

"बापू... संसार में सबसे बड़ा पाप क्या है मालूम है ? एक लड़की को विश्वास दिला कर उसको जीवन जीने के लिए उकसा कर... उसको बर्बाद करना। एक लड़की को वस्तु मानना गलत है। जो एक लड़की की भावनाओं की कद्र कर उसे खुशी से रखे वही सचमुच का आदमी है।

शांता बापू के पास आकर खड़ी हुई।

बापू ने उसे देखा।

उसकी नई नजर में कश्मीर की ठंडक दिखाई दे रही थी।

कल्पना ने अपने पति को घूर कर देखा।

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