Raat ka Surajmukhi - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

रात का सूरजमुखी - 5

रात का सूरजमुखी

अध्याय 5

शाम 6:00 बजे।

सुबानायकम् के बंगले के सामने ऑटो को रोक कर मीटर देख रुपए देकर कंधे पर पर्स को लटका कर शांता ने घर के अंदर प्रवेश किया।

घास को पानी दे रहे सुबानायकम् उसे देख कर बोले "जाकर सोफे पर बैठो------मैं अभी आ रहा हूं।"

शांता अंदर गई।

सामने के कमरे में कल्पना दिखी। उसके हाथ में एक पुरानी पुस्तक थी।

"नमस्ते।"

पुस्तक से आँख उठाकर कल्पना, शांता को देख धीरे से मुस्कुराई।

"आओ !"

"कुछ बात करनी है फोन किया था।"

"बैठो ! बड़ों को आने दो।"

शांता बैठी।

कुछ देर मौन के बाद पूछा"क्या फैसला किया?"

"हम सब मिलकर इस फैसले पर आए हैं वह फैसला तुम्हें पसंद होगा सोचती हूं।"

"क्या फैसला ?" वह पूछ रही थी तभी सुबानायकम् अंदर आ गए।

"बेटा शांता-----बापू तुम्हें नहीं जानता कहने से----इस समस्या का कोई और तरीके से हल करना ही पड़ेगा !"

"मुझे नहीं जानता ऐसा आपके बेटे का कहना, एक सफेद झूठ है। कॉटेज और अस्पताल दोनों में आपने पूछताछ करके देख लिया।"

"उसे एक तरफ रहने दो-----अब इस समस्या का दूसरा हल ढूंढ लिया है !"

"क्या हल ढूंढा ?"

"सुबानायकम् अपनी बहू की तरफ मुड़कर बोले "हमने जो फैसला किया है उसके बारे में तुम ही बता दो।"

कल्पना ने शांता की तरफ देखा। फिर बोली "बापू के साथ तुम्हारा संबंध था वह झूठ है या सच! उसके बारे में बात ही मत करो।"

"फिर !"

"एक सौदा करते हैं ?"

"किस का सौदा ?"

"इस समस्या से निजात पाने के लिए तुम्हें कितने रुपए चाहिए ?"

शांता मुस्कुराई।

"आप कितने रुपए दोगे ?"

"तुम मांगो !"

"मुझे नहीं पता। इस समस्या का समाधान करने की आपने सोचा तो आपने कितना देना है वह राशि भी तय किया होगा ?"

सुबानायकम् बीच में बोले "50,000 ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌हजार-----"

"आप से 50,000 लेकर बापू से मुझे दूर होना है ?"

"हां !"

"ऐसा है तो आपके बेटे का मूल्य 50,000 रु. है ? मैं आपको 50,000 रु. दे दूं तो-----बापू की शादी मुझसे कर दोगे क्या?"

सुबानायकम् का चेहरा काला पड़ा।

"सौदा हो तो दोनों तरफ एक सा न्याय होना चाहिए। मुझे बापू चाहिए। मेरी गले में जो ताली (मंगलसूत्र) पहनाएगा ! वह आपके रुपए नहीं।"

सुबानायकम् ने कुछ बोलने की कोशिश की तो शांता ने उन्हें इशारे से रोक दिया स्वयं बोलना शुरू हुई।

"आप इस शहर के एक बड़े आदमी हो ! उस जमाने के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए त्यागी पुरुष हो! आपसे मुझे न्याय मिलेगा इस विश्वास से ही मैंने आप को पत्र लिखा था। मैं चरित्रहीन नहीं हूं। आपके बराबर मेरे पास रुपए या मेरा जीवन- स्तर नहीं है इसलिए मुझे जैसे चाहें वैसा सोचने का आपको अधिकार नहीं ! बापू ने मुझसे प्यार किया यह सच है। मुझे बापू ही चाहिए------वे मुझे नहीं जानते बोल रहे हैं उस पर आप विश्वास मत करिए----!"

बापू ऊपर से जल्दी-जल्दी नीचे उतरकर आया।

"क्या बोली तू ? मैं तुम्हें चाहिए? शहर में कितने अमीर लड़कों के होने के बावजूद तुम्हें मैं ही मिला? किसी दूसरे पर तुम्हें जाल फेंकना चाहिए?"

शांता धीरे से मुस्कुराई।

"बापू यदि मेरी शादी जैसे कुछ हो तो वह सिर्फ आपसे, तब तक मैं चुप नहीं रहूंगी।"

"अरे ! हमें धमका रही है!"

"यह धमकाना नहीं है-----यह मेरा लक्ष्य है।" कहकर गुस्से से उठी शांता सुबानायकम् से बोली "उस जमाने में आपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। मैं अभी अपने अधिकार के लिए लड़ रही हूं। मुझे देखा ही नहीं आपके बेटे कह रहे हैं। परंतु उनके पास जो एक बात मैंने देखी वह मैं आपसे कहने वाली हूं। एक लड़की को इसे बाहर नहीं बोलना चाहिए पर अभी ऐसी हालत हो गई है अतः मैं बताऊंगी।"

सुबानायकम् अपनी गर्दन ऊंची की ।

"क्या--क्या कह रही हो ?"

"आपके बेटे के बाई तरफ के जांघ में एक अंगुल लंबा कटे का निशान है----यह बात आपके बेटे की पत्नी को ही मालूम होना चाहिए !"

बापू सदमे से चिल्लाया।

"यह यह ---यह सब तुम्हें कैसे पता ?"

"बड़े लोगों के बीच उस निशान के बारे में बहुत विस्तार से मुझे बोलने के लिए मजबूर मत करो----मैं आपको एक हफ्ते का समय देती हूं। उसके अंदर आपका आखिरी फैसला हो जाना चाहिए। नहीं तो उसके बाद होने वाली घटनाओं की जिम्मेदारी मेरी नहीं होगी!"

शांता एक छोटा मोटा तूफान जैसा खड़ा करके चली गई। कमरे में एक मिनट की शांति थी। बापू गला भरे जैसे आवाज में सुबानायकम् की ओर मुड़ा।

"अप्पा जो मेरे बारे में अच्छी तरह सब कुछ जानते हैं उन्होंने इसे सिखाया है।"

"मुझे ऐसा नहीं लगता ?"

"अप्पा यह आप क्या कह रहे हैं ?"

"मैं एक फैसले पर आ गया हूं।"

"फैसला ?"

"हां---शांता ही इस घर की दूसरी बहू है।"

"अप्पा !"

"तुम कुछ मत बोलो ! अगली शादी के मुहूर्त में उसके गले में ताली (मंगलसूत्र) तुम्हें बांधना है।"

"अप्पा--किसी के साथ खराब हुई लड़की को मैं रखूं यह कहां का न्याय है ? उसकी धमकी से आप डर गए?"

"उसने धमकाया नहीं। अपनी बात को कह कर जा रही है। उसकी बात पर मुझे विश्वास है।"

"मैं उससे शादी नहीं करूंगा।"

"क्या ? नहीं करेगा?"

"हां।"

"ऐसे ही तुम जिद करो तो इस घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है। मेरी संपत्ति में से एक पैसा भी नहीं मिलेगा।"

"अप्पा !"

"बिना चिल्लाए जाकर सोचो !"

……………………………

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED