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सबसे बड़ा नशा

पुराने ज़माने में युद्ध के पहले हाथियों को सोमरस का पान कराया जाता था।उस सोमरस में श्रेष्ठ नशीला पदार्थ घोला जाता था भारी मात्रा में।इन सब प्रक्रियाओं के बाद हाथी पागल हो जाते थे।पागलों को मानव-दलन करने में मजा आना लाज़मी है।नशे में दलन करना ही उत्कृष्ट कार्य समझ आता है।सारी बुद्धि क्षीण हो जाती है।संवेदना का हरण हो जाता है।इसके तमाम उदाहरण महाभारत में पड़े हुए हैं।ऐसा नहीं है कि यह सोमरस सिर्फ़ हाथी को ही पिलाया जाता था।देवलोग को जब भी पार्टी करनी होती थी सोमरस और नृत्य दो अनिवार्य मनोरंजन हुआ करते थे।देवलोक का शायद ही कोई बचा हो जिसने सोमरस पान कर अहंकार नहीं पाला हूँ।चाहे उसके बाद मर गए या तो किसी निर्बल को मार डाला।जैसे आज दलित हैं वैसे ही पहले द्रविड़ हुआ करते थे।उनमें भी सोमरस को प्रवृति थी।जब दोनों पक्षों के लोग पी लेते थे तो भयंकर गर्जन और नाद होते थे।इंद्र का तो बहुत प्रिय हुआ करता था सोमरस।पर,इंद्र ठहरे डरपोक देवता।इसलिए,नशे में भी डरे रहते थे।दुश्मनों का दलन इनके वश में था नहीं।इसलिए,अहिल्या जैसी कितनी स्त्रियों के साथ छल कर के उनका दलन किया।उसके बाद उसे कथानक में ढ़ालकर समाज से बचने की कोशिश की गई।दरअसल,सोमरस पौरुष प्रदान करता था।जिसका ज्यादा फायदा अपने अहंकार को पूरा करने के लिए उठाया गया।लोकहित में राम जैसे पौरुष ने काम किया है।
अब रक कहानी का ज़िक्र करता हूँ।बचपन में एक कहानी पढ़ी थी।खरगोश सोया था।उसके बगल में कोई फल गिरा।आवाज़ से डर गया और ख़ूब तेज भागने लगा।जो मिला उसको कहता गया-"तुम भी भागो आसमान गिर रहा है।"उसके साथ जंगल के छोटे से बड़े सारे जानवर भागते रहे।अंत में शेर मिला।सबको भागते देख पूछा-"तुम लोग कहाँ भाग रहे हो और क्यों भाग रहे हो?"सबने खरगोश की तरफ इशारा कर के कहा-"खरगोश ने कहा कि भागो-भागो,असमान गिर रहा है।"शेर ने आसमान की ओर देखा।मामला समझ गया।दरअसल,शेर सोमरस का पान नहीं करता था।इसलिए,उसे नशे की आदत नहीं थी।ऐसा भी बताया जाता है कि शेर भूख लगने पर ही शिकार करता है।भूख न लगने पर किसी जानवर को सताता नहीं है।अपने पौरुष का घमंड नहीं होता है उसे।
हाँ,तो शेर ने खरगोश से कहा कि चलो बताओ आसमान कहाँ गिर रहा है?खरगोश अभी भी नशे में था।उसे नहीं समझ आ रहा था कि आसमान हमारे ऊपर भी है।उसने दौड़ते हुए सबको रास्ता दिखाया।सब जानवर वहाँ पहुँच गए।खरगोश ने बताया कि यहाँ पर आसमान गिरा था।शेर वहाँ जाकर देखा तब वहाँ एक नारियल फल गिरा हुआ था।पर,खरगोश अभी भी नशे में ही था।मान ही नहीं पा रहा था।उसके साथ के सब जानवर भी नहीं मान रहा थे।शेर ने खरगोश को एक पंजा लगाया।बोला नशे से बाहर आओ।इतना भी नहीं जानते,अफ़वाह का नशा सोमरस के नशे से ज्यादा तगड़ा होता है?
राजा ने पहले ख़ुद सोमरस का पान किया।फिर अपनी प्रजा को पान करने की प्रेरणा दी।प्रजा कब भेड़ हो तो जाँच-परख की आवश्यकता नहीं होती।सारे भेड़ कुएँ में कूदने चला जाता है।सबने सोमरस की आदत डाल ली।जब सोमरस असर कर गया उसके बाद राजा ने किसी एक को अफ़वाह बाँट दिया।उसके बाद से देश नशे में है।

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