यादे अभी सिंह राजपूत द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ

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यादे

यादें एक ऐसा शब्द नहीं नहीं शब्द तो है लेकिन ये एक स्थिति है मन की, जो शायद हर किसी के जीवन में होती है, जिन्दगी में कुछ ऐसा जरूर होता है सभी के जिसे हर व्यक्ति कभी खुशी में या कभी बेचैन होकर सोंचता है और जीवन में एक व्यक्ति ऐसा आता है जो कुछ इस कदर जिन्दगी के हर पहलू में, हर पल में अपनी ऐसी जगह बना लेता कि हर दु:ख,खुशी,या किसी भी तरीके की सिचूएशन में उससे बातें करने को दिल चाहता है,!!
दिल कहता है कि जिन्दगी की हर बातें हर समस्या उससे बांटे जिससे कुछ खुशी मिले !हर एक समय उसके साथ बिताने को दिल चाहता है, जब किसी बात को लेकर मन बेचैन हो तो उसके साथ बैठकर हर उसके कन्धे पर सर रखकर रो सकूं या खुशी बांट सकूं!!!
यूं तो जिंदगी में ऐसे हिस्से बहुत कम आते हैं जब मैं खुश रहूं लेकिन अगर कभी होता हूं तो उसे परिवार वालों और दोस्तों के साथ वो समय व्यतीत करना पसन्द है!!
माना कि बहुत से लोग हैं मेरे साथ जिनसे मैं अपना सब कुछ शेयर कर सकता हूँ लेकिन फिर भी कई बार ऐसा होता है कि बस मन उस व्यक्ति को खोजता है जो दिल के सबसे करीब होता है, जो हमेंशा साथ न होकर भी साथ होता है.....!
लिखना बहुत कुछ चाह रहा हूँ "याद?"पर लेकिन आज ये शब्द सुन कर ही अन्दर से एक अलग टीस उठ रही है, किसी काम में मन नहीं लग रहा कुछ लिख भी नहीं पा रहा बस चाहता हूँ कि कोई अपना आकर गले से लगा ले और जी भर कर रो लूं!!
जनती हो तुम्हारी मुस्कुराहटें मेरा वो सब कुछ हैं जो काफी हैं किसी प्रेम की बहुत गहरी नदी को पार करते हुए किसी इंसान के लिए बन कर उभर आने वाली वो मौज की लहरें जिससे कि वो थोड़ा और आगे तक बढ़ पाए उस नदी में, उसको जी लेने के लिए , उसको महसूस कर पाने के लिए। तुम्हारा पागलपन मुझे हमेशा से इतना समझदार होने से बचाता रहा है कि मैं तुम्हें अपनी बेवकूफी भरी बातों से हँसा ना पाऊँ। तुम्हारी लड़ाईयाँ हो या प्यार मुझे कभी भी दोनों में प्यार की कमी नही दिखी। मैंने तुम्हें कभी बताया है क्या कि तुम्हारी आँखें गुस्से में बड़ी और प्यार में छोटी हो जाती हैं! हाँ बताया तो है, ठीक उसी वक्त जब तुम्हारी आँखें बहुत छोटी थीं। तुम्हारे बड़े बाल! जब हमारे आसपास की दुनिया अपने धुन में भाग रही होगी उसमें से किसी पल मैं सबकुछ भूल कर तुम्हारे बालों से अपने चहरे को ढ़ककर तुम्हारी आंखों में कुछ पल देख लेना चाहता हूँ।
क्या इतना मुश्किल है तुमसे बात कर पाना? बेशक़! तुम्हें देखते हुए भला कौन बात करना चाहेगा तुमसे? मैं तो एक पल के लिए भी अपना कंसन्ट्रेशन किसी फालतू की बात में नही लगाना चाहता कभी भी। यकीन करो! दुनिया की सभी बातें फालतू ही होती हैं! जब तुम सामने दिख रही होती हो। यहाँ तक की अमित शाह ने कहाँ पर सरकार बना ली, ये भी। वो लम्हा बहुत खूबसूरत होता है जिसमें मैं और तुम होते हैं। मैं बहुत असहज हो जाता हूँ जब उस लम्हें में मेरे और तुम्हारे साथ भविष्य भी आ बैठ जाता है। भविष्य हमेशा बुरा ही हो ऐसा जरूरी तो नही है। पर ''भविष्य'' की एक बात सबसे ज्यादा बुरी है और वो ये है कि ''बुरे से बुरा भविष्य भी एक दिन अच्छे पास्ट में बदल जाता है''! कितना अच्छा? ठीक उतना ही जितना कि हममें उसे मान लेने की शक्ति होती है।
मैं अक्सर ऐसा चाहता हूँ कि मैं अचानक से रुक कर तुम्हें बताऊँ कि ''हमारी'' खुशियाँ कितनी खूबसूरत हैं, कितनी और हो सकती हैं! लेकिन उसी वक्त मैं खुद को बहुत दूर पहाड़ी के उस पार अब खंडहर हो चुके उस घर के मुख्य दरवाजे पर वर्षों से बंधा हुआ एक काले धागे के रूप में स्थिर पाता हूँ तो अगले पल फिर किसी छोटे बच्चे के खिलौने के पहिए के मध्य में चिपका हुआ कोई टुकड़ा जो बहुत तेज़ भागा जा रहा हो बच्चे की शोर मचाती खुशियों के तेज़ होते आवाज के साथ। मैं हर बार तुमसे कहना चाहता हूँ कि मैं तुम्हे खोना नही चाहता, कभी नहीं! लेकिन हर बार हार जाता हूँ जब मेरा ''मैं'' खुद से ये सवाल पूछता है कि मैं तुम्हें पाने के लिए क्या कर रहा हूँ । सब कुछ कितना अनिश्चित है ना। ये दुनिया सदियों से ऐसे ही रही होगी शायद कुछ दिल को हलका महसूस हो, जानता हूँ शायद आपको समझ न आये क्यूंकि जो कहना चाह रहा हूँ आज लिख नहीं पा रहा हूँ...बस भावनाओं को समझिये बाकी फिर कभी.......!!