पुस्तक समीक्षा - 5 Yashvant Kothari द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

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पुस्तक समीक्षा - 5

सफल और सार्थक व्यंग्य

सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार पूरन सरमा का सोलहवां व्यंग्य संकलन घर घर की राम लीला’ आया है। वे राप्टीय स्तर पर चर्चित व्यंग्यकार है। उन्होने व्यंग्य के अलावा उपन्यास एवं नाटक विधा पर भी कलम चलाई है। उनका एक उपन्यास समय का सच काफी चर्चित रहा है।

पूरन सरमा व्यंग्य - लेखन के क्षेत्र में अपनी मौलिकता तथा कथात्मक रचनाओं के कारण जाने जाते है। वे साहित्य अकादमी से समाद्रत है। लगभग हर पत्र पत्रिका में उनको स्थान मिलता रहा हैं। व्यंग्य हिन्दी में आधुनिक काल में पुप्पित पल्लवित हुआ है। भारतेन्दु काल से लगाकर हरिशंकर परसाई, शरद जोशी व श्री लाल शुक्ल तक की व्यंग्य - यात्रा के अवलोकन से स्पप्ट है कि आज व्यंग्य साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। पूरन सरमा के इस संकलन में विभिन्न विपयों पर लिखे उनके छियासठ व्यंग्य संकलित है। पूरन जी में विपयों को ढूढंने की क्षमता है और वे रचना के अन्त तक विपयों के निर्वहन में सिद्ध हस्त है। लगभग चालीस वर्पो से वे लिख रहे है।

इस संकलन में साहित्य, चुनाव, राजनीति, शिक्षा, भ्रप्टाचार, नारी विमर्श, सत्ता, सगंठन, सरकार, आदि विविध विपयों पर उन्होंने कलम चलाई है।

कई स्थानों पर वे सहज-सरल भापा में गहरा कटाक्ष कर जाते हैं। जैसे -

फेल होने के अपने मौलिक फायदे हैं, इन्हे लेने से मत चूकिये।

इसी प्रकार बनानी है सरकार में वे लिखते है -

गिरे हुए लोगों ने मिलकर बनायी थी सरकार, सो गिर रही थी सरकार।

इसी प्रकार एक अन्य व्यंग्य लेख सत्ता में आने दो में वे लिखते है -

बिना सत्ता में आये वे कुछ नहीं कर सकते है। सत्ता ही समाधान की सीढ़ी है। इस वाक्य में अनुप्रास अलंकार भी है। पाठक जी व आओ हड़ताल करे भी प्रभावशाली रचनाऐं है। आज के इस भौतिकवादी युग में समकालीन यथार्थ को, नंगेपन को पूरी ताकत के साथ पाठको तक पहुॅंचाने में पूरन जी सफल है पूरन सरमा के व्यंग्य यह बताते है कि समाज, सरकार, सत्ता, में कहॉं क्या गलत है। कभी कभी वें समाधान का रास्ता भी सुझाते है।

कथ्य, शिल्प, कथानक के सहारे वे रचना का ताना बाना बुनते है और बुनते ही चले जाते है। पाठक रचना को आधोपान्त पढ़ कर ही रुकता है। और यही पूरन जी की सफलता है। वे समाज में व्याप्त विसंगतियों , विद्रूपताओं, टुच्चेपन को पूरी शक्ति के साथ उजागर करते है।

इस पठनीय संकलन के प्रकाशन पर पूरन सरमा को बधाई। व्यंग्यकारों की इस भीड़ में पूरन सरमा एक ऐसा नाम है जिसकी अनदेखी संभव नहीं। पुस्तक का प्रोडक्शन -गेटअप सुन्दर है 000

पुस्तक का नाम - घर घर की राम लीला

लेखक- पूरन सरमा

प्रकाशक-पंचशील प्रकाशन,

जयपुर पप्ठ- 200

मूल्य- 400रु.

संस्करण- प्रथम

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समीक्षा

व्यंग्य की कटु मार

ष्यशवन्त कोठारी

डॉं०सुरेश अवस्थी का ताजा व्यंग्य संग्रह “नो टेंशन” मेरे सामने है। डॉं०अवस्थी ख्याति प्राप्त व्यंग्यकार, स्तम्भकार है। उनकी रचनाऐं मन को गुदगुदाती नहीं कचोैटती है, सोचने को मजबूर करती है और अन्त में गहरे में पैट़ जाती है। इस संकलन में 60 व्यंग्य रचनाऐं सम्मिलित है। कहीं कहीं दोहराव भी है। स्तंभ लेखन की सीमाओं के कारण विषय तात्कालिक लगते है। पर सोचने को मजबूर करते है।

बीमार समय को अवस्थीजी बार बार ऑक्सीजन देते है। लेकिन प्रजातंत्र का खेल चलता रहता है। नववर्ष को बचाएं लेख प्रभावित करता है।अवस्थी जी में विषय ढ़ूढ़ने की क्षमता है। और सफल व्यंग्यकार में यह कूवत होनी ही चाहिऐ। लगभग हर रचना के अन्त में काव्यमय पंक्तियां है जो अवस्थीजी के कविमना हृदय से निकलती है। कथ्य, शिल्प, तथ्य, सत्य, अन्वेषण आदि अवस्थी की रचनाओं में ष्शामिल है। वे मंच के कवि भी है। लेकिन यह उनकी व्यंग्य रचनाओं पर हावि नहीं है। उनकी रचनाओें के तीखे तेवरों की बानगी लेना उचित होगा।

1 राष्ट्रभाषा बनने के लिए दोस्ती व दिलों का मुंह ताक रही हमारी हिन्दी को लेकर इन दिनों पूरे देश में धूम है। (टुड़े इज हिन्दी डे)

2 उधर दिल्ली में मंत्रिमण्डल विस्तार की चर्चा गरम हुई और उपर ठंड विस्तार शुरू हो गया। (ठंडी ठडी हवा में)

3 यहां हवा में जहर,

पानी में जहर,

और धूप पर भी मौत की लिखावट है। (खुद से शर्मिंदा)

कुल मिलाकर सुरेश अवस्थी का लेखन आश्वस्त करता है और यह कहना उचित होगा कि उनकी कलम से अभी कई व्यंग्य संकलन निकलेंगे । पुस्तक का गेट-अप प्रोडक्शन सुन्दर है।

पुस्तक का नाम नो टेंशन ले॰ सुरेश अवस्थी प्र०हिन्दी साहित्य निकेतन बिजनौर, मूल्यः170 रू॰ पृ॰ 167।

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यशवंत कोठारी -९४१४४६१२०७