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उड़ान

"मैडम...! लीजिए मिठाई खाइए" मेरे सामने नसरीन खड़ी थी.. गर्वित चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक लिए..
"अरे बेटा..तुम! आओ कैसी हो? कहाँ हो आजकल?" उसे इतना खुश देखकर मैं पाँच साल पीछे चली गई।

अपने हाथ की हरी चूड़ियों को दिखाती हुई नसरीन बेतहाशा रो रही थी। दो दिन पहले रिश्ता पक्का हुआ और आज उसका मंगेतर किसी अन्य लड़की के साथ भाग गया था.. पहली बार किसी लड़के के घर से भागने की बात सुनी थी, उसे समझाया कि अच्छा है पहले भाग गया, निकाह हो जाता तो क्या करती.. वह समाज के उस पिछड़े वर्ग से आई थी जहाँ लड़कियाँ कॉलेज की सीढ़ी नहीं चढ़ती थीं.. ऐसे हालात में शादी का टूटना उसके चरित्र पर प्रश्नचिन्ह लगाने के साथ फिर से कुरीतियों की बेड़ी में जकड़ा जाना भी था, साथ ही उसका दर्द खुद को नकार दिए जाने का भी था। क्लास टॉपर और आल राउंडर होने से वो मेरी प्रिय छात्रा थी। समय लगा, करीब दो महीने में वो फिर पहले जैसी चहकने लगी थी कि फिर अचानक एक दिन कुछ उदास सी मेरे डिपार्टमेंट में आई। मेरी प्रश्नवाचक निगाहों को देख बोली... "मैडम संडे को फिजिक्स प्रैक्टिकल एग्जाम है और उसी दिन मेरी खाला की बेटी का निकाह है, आप प्लीज डेट चेंज करवा दीजिए"
"तुम देखो परीक्षा महत्वपूर्ण है या शादी?" मुझे गुस्सा आ गया उसकी नासमझी पर।
"नहीं मैडम वो दरअसल बहन मुझसे छोटी है तो सब कहेंगे कि मुझे बुरा लग रहा है, वो गाँव के लोग हैं, कहेंगे कि संडे को एग्जाम कहाँ होती है" इस बार वह समाज की नजरों में खुद को हेय और ईर्ष्या भाव से ग्रसित समझे जाने से आशंकित थी।
मैंने फिर उसे समझाया कि बेटा कोई कुछ भी कहे या समझे तुम्हें अपने लक्ष्य पर फोकस कर आगे बढ़ना है।
वो होनहार तो थी ही, मेरी बात भी मानती थी। सबकी चिंता छोड़ जुट गई पढ़ाई में.. और फाइनल एग्जाम सतहत्तर प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की.. अब उसका कॉलेज में आखिरी साल था।

इस बार मैंने स्वतंत्रता दिवस पर उसे स्पीच देने को कहा, वह झिझकी, फिर पूछा कैसे तैयारी करूँ?
"कुछ विशेष नहीं, बस जो तुम महसूस करती हो , वही बोल देना.."
"हमारा गर्ल्स कॉलेज है, इसलिए मैं लड़कियों की आज़ादी की बात करूँगी.. हमें मौका मिला है,, अपने सपने पूरे करने का.. तो हमें चलना है, आगे बढ़ना है लेकिन यह याद रखना है कि मछली तालाब में तैरती है, पर मगरमच्छ से बचते हुए, चिड़िया आकाश में उड़ती है, पर गिद्ध का ध्यान रखते हुए.. हमें भी अपने दायरे में रहते हुए अपने सपनों को पूरा करना है, किन्तु ध्यान रखना है कि कोई हमें नुकसान न पहुँचा सके, यही हमारी आज़ादी है.." नसरीन के उद्गार सुन मुझे सुखद आश्चर्य हुआ।

बी. एस सी. के बाद बैंकिंग परीक्षा की तैयारी के साथ उसने प्राइवेट एम. ए. भी कर लिया था। बैंक में सिलेक्शन के साथ मिलना कम हो गया।

आज अचानक मिठाई के साथ उसने खुशखबरी दी कि एक अच्छे परिवार के बैंकर के साथ अगले महीने उसका निकाह है.. "मैडम आपको जरूर आना है.." उसका विशेष आग्रह था।

मैं उसकी आँखों की चमक में सपनों की उड़ान और उन्हें पूरे होते देखने की खुशी महसूस कर पा रही थी।

-©डॉ वन्दना गुप्ता
मौलिक

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