विवेक और 41 मिनिट..........
तमिल लेखक राजेश कुमार
हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा
संपादक रितु वर्मा
अध्याय 15
टी. वी. के समाचार चेनल में लेटेस्ट प्योर सिल्क की साड़ी पहन कर, लगाई हुई लिपस्टिक मिट न जाए उस सावधानी के साथ समाचार पढ़ रही वह न्यूज रीडर एक लड़की थी | रात के 9 बजे थे |
“न्यायाधीश सुंदरपांडियन का अपहरण हुए एक हफ्ता हो गया उन्हें ढूँढने के प्रयत्न में सुरक्षा कर्मी बहुत तीव्रता के साथ लगे हुए हैं | इसके बीच में न्यायाधीपति सुंदरपांडियन के बाल्यकाल में बलात्कार के समाचार पुलिस वालों को आश्चर्य में डाल बाहर आ रहे हैं | सुंदरपांडियन बाहरी दुनिया में भले ही अपने को एक बड़े उत्तम प्रकृति के आदमी जैसा दिखाते हों फिर भी दूसरी तरफ उनके कामुकपन की छुपी हुई कहानियाँ बहुत थीं | व्याभिचार के केस में फंसी नायिकाओं को भी ये नहीं छोड़ते इस सत्य का अभी पता चला | क़ारूँणया नाम की लड़की को सुंदर पांडियन ने पाने की कोशिश की तो उस लड़की के उनकी बात को मनाने से इनकार करने पर उसे एक साल पहले अपने ड्राइवर दुरैमाणिकम की सहायता से हत्या कर उसकी खोपड़ी को कोशवरम थोरीरपेट के क्षेत्र में दफनाने की बात अभी पता चली है | इस सच्चाई का खुलासा ड्राइवर दुरैमाणिकम के छोटे भाई ने पुलिस के सामने किया ऐसा पता चला | ‘दुरैमाणिकम की हत्या कर दी गई और जज का भी अपहरण हो जाने के कारण ये सच बोल रहे है’ ऐसा पुलिस को बताया | इस बीच मृतक क़ारूँणया का प्रेमी पुष्पवासन कौन है, व कहाँ है ? ये मालूम करने का प्रयत्न अब पुलिस मुस्तैदी से कर रही है | इसके लिए क्राइम ब्रांच ऑफिसर विवेक से हमारे टी. वी. संवाददाता साक्षात्कार लेते समय......... समाचार पढ़ने वाली का चेहरा छिप गया और विवेक का चेहरा नजर आया | संवाददाता माइक उनके आगे कर उनसे प्रश्न पूछ रहे थे |
“न्यायाधीश सुंदरपांडियन का अपहरण हुए एक हफ्ता हो गया इस स्थिती में उनके जीवन को कोई खतरा तो नहीं आप क्या सोचते हैं ?”
“उन्हें जीवित खोज लेंगे ये उम्मीद मुझे है |”
“इसे करने वाला पुष्पवासन है क्या ?”
“बिल्कुल पक्का पुष्पवासन ही है...... उसकी मदद के लिए कुछ लोग हो सकते हैं |”
“पुष्पवासन को आप पकड़ लोगे क्या ऐसा सोचते हो ?”
“क्यों नहीं होगा.......... पुष्पवासन के बारे में सूचनाओं को थोड़ा थोड़ा कर इकट्ठा कर रहे हैं | जल्दी ही पकड़ लेंगे |”
“एक न्यायाधिपति अपने बाल्यकाल में ऐसे हो सकते हैं क्या ?”
“ऐसा नहीं होना चाहिए.........! (सभी मनुष्यों में मोह- ममता होती है | उसे योग्य होना चाहिए |) उन्हें न्यायाधिपति की पदवी मिली है उसकी इज्जत करना वे भूल गए |
“ड्राइवर दुरैमाणिकम की हत्या और सुंदरपांडियन के अपहरण के पीछे हत्या के केस में फैसले के लिए इंतजार कर रहे विनोदकुमार के परिवार वाले इसका कारण नहीं हो सकते क्या ?”
“उन लोगों से पूछताछ करके देख लिया | दे आर हॉर्मलेस | यदि फैसला विनोद कुमार के विपरीत हो तो वे उसे सुप्रीम कोर्ट में देख लेंगे ऐसा पक्का मानस रखने वाले लोग हैं | विनोद कुमार के ओट में ये काम पुष्पवासन ही कर रहा है |”
“पुष्प वासन को कब पकड़ोगे ?”
“उसके नजदीक पहुँच रहे है |”
“ऐसा है तो उसके निवास स्थान का पता चला गया क्या ?”
“निवास स्थान का पता नहीं चला | परंतु उसके रहने की दिशा का ही सिर्फ पता चला.........”
टी. वी. में विवेक का साक्षात्कार हो रहा था तब रूपला रिमोट कंट्रोल के मदद से टी. वी. को बंद कर पास में बैठे विवेक को और सामने बैठे विष्णु को देखा |
“साक्षात्कार ऐसे देते हैं क्या ?”
“क्यों ?”
“पुष्पवासन किस दिशा में है आपको पता है क्या ?”
“नहीं मालूम |”
“फिर ऐसा साक्षात्कार क्यों दिया ?”
“ये देखो रूपी....... अपराधी अपनी रहने वाले जगह से सरकना चाहिए इसलिए कुछ झूठ हम सच जैसे बोलते हैं |”
“क्यों जी मेरे मन में एक संदेह है उसे मैं बता हूँ क्या ?”
“बोलो |”
“क़ारूँणया की हत्या हुए एक साल हो गया है ना ?”
“हाँ.....”
“उसकी हत्या के कारण ड्राइवर दुरैमाणिकम और जज सुंदर पांडियन ही है ठीक है |”
“हाँ |”
“क़ारूँणया की हत्या के एक साल के बाद पुष्पवासन ने ड्राइवर दुरैमाणिकम की हत्या की है | न्यायाधीश सुंदर पांडियन का अपहरण किया | इस एक साल पुष्पवासन कहाँ था ? अर्थात एक साल तक वह बाहर न आ सकने वाले परिस्थिति में रहा मतलब वह निश्चय ही कोई जेल में कैदी रहा होगा| एक साल में उसका दंड का समय खत्म हो गया होगा और बाहर आते ही अपना बदला लेने की भावना से शुरू कर दिया होगा | इसीलिए वह पिछले एक महीने के अंदर जो कैदी जेल से रिहा हुए कौन-कौन है लिस्ट बनवा करके उन सब को फिर कैद कर लॉक अप में डाल कर एक टीम उनकी इन्क्वायरी करे तो सब सच्चाई बाहर आ जाएगी......... उससे कौन पुष्पवासन है जानने में सहूलियत होगी ?”
“विवेक मुस्कुराया |”
“क्यों हंस रहे हो ?”
विष्णु बोला “मेडम......! बॉस ने यह काम दो दिन पहले ही कर लिए | तमिलनाडु में जितने जेल है उसमें ही नहीं, इंडिया में जितने हैं उन सब से कोंटेक्ट कर तीन महीने पहले से रिहाई होने वाले लोगों की सूची को लेकर देख लिया गया | पुष्पवासन का नाम किसी लिस्ट में भी नहीं है |”
रूपला ने फिर कुछ बोलने का प्रयत्न किया, इतने में टेलीफोन की घंटी बजी | पास में बैठे विवेक ने रिसीवर को उठाया |
“हैलो...... मिस्टर... विवेक....” एक लड़की की आवाज आई |
“यस.......”
“मैं मृदुला..........”
“आप सिनेमा देखने ही नहीं जाते हो मुझे लगता है | मैं अभिनेत्री मृदुला हूँ |”
“ओह............ अभिनेत्री मृदुला क्या ? सॉरी........ मुझे थियेटर में जाकर सिनेमा देखे दस साल हो गए हैं | पोस्टर या किताबों में ही अभिनेत्रियों के चेहरों को देखने भर से ही है बस...... नाम सब नहीं मालूम |”
“नो प्रॉबलम मिस्टर विवेक......... मेरे बारे में आपको नहीं मालूम तो उसके लिए मैं चिंता नहीं करूंगी | आपका नेचर ऑफ वर्क ऐसा है.....”
“कहिए... मृदुला...... क्या बात है ?”
आपसे कुछ बात करनी है......”
“करिए ना............”
“फोन पर नहीं........... आमने-सामने आईयेगा |”
“क्या बात है बताएं तो ठीक रहेगा |”
“सब आपके ही काम के विषय में है......! पुष्पवासन के बारे में आपसे बात करूंगी |” विवेक सीधे होकर बैठा |
“पुष्पवासन को आप जानती है ?”
“बिना जाने मैं आपको फोन क्यों करूंगी ?”
“मैं कहाँ आऊँ.........?”
“बीच पर आ जाईयेगा.......उरपालर (मजदूर) मूर्ति के थोड़ी दूर पर मेरी सफ़ेद रंग की लांसर गाड़ी खड़ी होगी | कार के अंदर बैठ कर बात करेंगे | आधा घंटा बहुत है |”
“आ रहा हूँ......”
“दो कंडीशन है |”
“बोलिए”
“ सिर्फ आप ही अकेले आएंगें.......”
“ठीक है | दूसरी कंडीशन |”
“पुष्पवासन के बारे में मैं जो बातें बोलने वाली हूँ उन बातें को अपने मन के अंदर ही रखकर केस का आगे इंवेस्टिगेशन करोगे | पेपर में न्यूज नहीं दोगे | फिर भी न्यूज देना पड़े तो मेरा नाम नहीं बोलोगे......”
“ओके...”
“आइये”
“अभी आप कहाँ है ?”
“उरपालर की मूर्ति के पास कार में बैठ कर आपसे बात कर रही हूँ | तुरंत आ जाइए......... प्लीज !” उसके सेल फोन को दूसरी तरफ से बंद करते ही विवेक रिसीवर रखकर हाथ घड़ी में समय देखा | समय 9.30.
***