Vivek aur 41 Minutes - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

विवेक और 41 मिनिट - 1

विवेक और 41 मिनिट..........

तमिल लेखक राजेश कुमार

हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा

संपादक रितु वर्मा

अध्याय 1

दिसंबर के महीने में एक इतवार की सुबह चेन्नई में पौ- फटने का समय बहुत ही सुंदर था | हल्की ठंड व कोहरे के बीच में वॉक पर जाने वाले लोग कभी नजर आते तो कभी अगले ही क्षण छिप जाते | उन लोगों की आवाज हवा में सुनाई दे रहीं थी |

“गुड मॉर्निंग कार्तिकेयन...........”

“गुड मॉर्निंग शिवप्रकाशम........”

“बिजनेस कैसे चल रहा है ?”

“वेरिवेल गोइंग |”

“क्यों........... सभापति तुम्हारी लेटेस्ट पिक्चर सभी सेंटर्स में हाउस फुल है सुना..........?”

“ये सब अरविंद माँ का आशीर्वाद है | मेरी जो माँ है , वह हमेशा मेरी रक्षा करती है |”

“अब पिक्चर और मत बनाओ............ जो रुपया है वह भी चला जाएगा...........”

“रमा........! अब तुम वह स्लिम होने वाली गोली मत खाओ........!”

“क्यों...?”

“डॉक्टर से पूछा | उसका साइड इफेक्ट बहुत भयंकर होता है.........”

“हमारे फैमिली डॉक्टर ने तो खाने को बोला था........?”

“मुझे जो कहना था मैंने कह दिया........... फिर............. तुम्हारी मर्जी..........”

आवाज़ें चारों तरफ से आकर टकरा रही थीं उन पर ध्यान न देकर सुंदर पांडियन तेजी से चल रहे थे | उनका पहना हुआ जॉगिंग सूट पसीने के कारण गीला हो गया |

तीस साल से सैर करने के कारण पचपन के आयु में भी अपने को फिट रखे हुए हैं | अपनी चौबीस साल की उम्र में ही वे काला गाउन पहन कर सेशन कोर्ट में प्रविष्ट हुए थे अब पचपन साल के उम्र में वे हाईकोर्ट के जज बन गए | उनके दिये फैसले सब बहुत ही उच्चकोटी के रहने के कारण आजकल के दैनिक अखबारों में उनका एक प्रमुख स्थान था |

“हैलो........... गुडमॉर्निंग सुंदर पांडियन !”

अपने पीछे बहुत ही समीप आवाज सुन मुड़ कर देखा सुंदर पांडियन ने |

डी. जी. पी. वैकुंड शर्मा जॉगिंग सूट में नजर आए | वे पचास साल के थे | वे छ: फीट ऊंचे, बहुत ही घने बाल कुछ सफ़ेद झलकलिए हुए | ऊपर की होठ को पूरी तरह ढके हुएे मूछें |

सुंदर पांडियन खुश हुए |

“ओ…………… शर्मा............... आप........ गुड मॉर्निंग | आज जॉगिंग के लिए जल्दी ही आ गए लगता है.......?”

“हाँ............! आपसे मिलकर बात करनी है इसीलिए आधे घंटे से इंतजार कर रहा हूँ |”

“मुझसे बात करने के लिए..........?”

“हाँ........”

“क्या बात है..........?”

“मेरी गाड़ी में चला जाए...........?”

“चलिए............”

दोनों फुटपाथ से उतर कर सड़क के किनारे खड़ी कार के पास आए जो एेश रंग की लांसर गाड़ी थी |

“क्या बात है शर्मा.............. नई गाड़ी जैसे लग रही है............. बैलेनोकार को दे दिया क्या.............?”

“हाँ………….! मेरी पत्नी को लांसर कार से प्रेम है | लेने की एकदम जिद्द करने लगी............ पिछले महीने ही खरीदा |” डी. जी. पी. वैकुंड शर्मा बोलते हुए कार की चाबी को आगे के दरवाजे पर लगाया | दरवाजे खुलते ही दोनों लोग अंदर बैठे गये | सुंदर पांडियन ने पूछा “क्यों शर्मा............. एनिथिंग इंपोर्टेन्ट ?”

“येस............ ! नहीं तो इतने सुबह आपको वॉकिंग भी नहीं करने देकर ऐसे कार में लाकर बात करूंगा क्या..........?”

“कहिए........... क्या बात है..........?”

“आज सुबह पाँच बजे के करीब मैं उठकर छत पर ‘वार्म अप’ कर रहा था तो मुझे एक फोन कॉल आया | रिसीवर को उठाकर ‘हैलो’ बोलते ही दूसरी तरफ से एक आदमी ‘डी. जी. पी. सर ? पूछा |

मेरे ‘हाँ’ बोलते ही ‘आपके कंपाउंड के गेट में जो लेटर बॉक्स है उसे खोलकर देखिएगा |’ कहकर उसी क्षण रिसीवर को रख दिया | मैंने तुरंत इंटरकॉम के द्वारा बाहर खड़े अर्दली को फोन कर बोला लेटर बॉक्स को खोल कर देखो अंदर क्या है | उसने देखकर उसे लाकर मुझे दिया | डी. जी. पी. वैकुंड शर्मा बोलते हुए अपने पॉकेट में हाथ डाल कर ऑडियो केसेट........ को निकाल कर दिखाया |

“ये केसेट ही लेटर बॉक्स के अंदर था !”

“हाँ.......”

“केसेट को डाल कर देखा......... सुना तो ! विषय पूरा-पूरा आपके बारे में ही............”

“मेरे बारे में...............?”

“केसेट डाल रहा हूँ सुनिएगा.......”

वैकुंड शर्मा टेप रिकोडर को ऑन कर केसेट डाल टेप के बटन को दबाया ! कुछ क्षण के बाद ही एक लड़की की गंभीर आवाज सुनाई दी |

“नमस्कार डी. जी. पी. वैकुंड शर्मा को ! इस सबेरे के समय परेशान करने के कारण पहले माफी मांगती हूँ |

आपके द्वारा मेरा एक काम होना है |

उस काम के लिए आपको दूत बन कर आपके दोस्त न्यायाधीश हाईकोर्ट के जज सुंदर पांडियन के पास जाना है |

कुछ समय से सुंदर पांडियन बहुत से केसों के चौकाने वाले फैसले करके तमिलनाडु को ही हिला कर रख देते है | उनके फैसलों की साधारण जनता के द्वारा प्रशंसा की जाती है | इस कारण वे अपने आप को ‘मनु निधि शोरण’ (फैसला करने वाला पुराना राजा जिसने अपने बेटे को भी नहीं बख्शा) समझ कर बहुत ज्यादा घमंड में रहते है | घमंड उनके सिर पर चढ़ कर नाच रहा है | अभी कुछ समय पहले एंनकाउंटर के फैसले में ‘पेट्टा राउड़ी और पेट्ट दादा लोग इस समाज के लिए बिना जरूरत के बेवकूफ लोग’ उन लोगों को मार डालो तो भी गलत नहीं होगा ! उसी तरह जनता के टेक्स के रुपयों से जो राजनैतिक डाका डालते हैं वे कौन-कौन है पता कर एंकाउंटर में मार दिये जाएं तो उसका मैं स्वागत करूंगा’ बोले | आपके दोस्त को इन बातों को कहने की क्या जरूरत है............? मैं सोचती हूँ इनकी कोई जरूरत नहीं | थोड़ा उन्हें समझाइए | उन्हें सीख देना ही होगा | अब मैं महत्वपूर्ण बात की तरफ आती हूँ | आने वाले हफ्ते वे एक हत्या के मुकदमे पर फैसला सुनाने वाले है | हत्या के आरोपी का नाम है विनोद कुमार | एक बड़े उद्योग पति का बेटा है | मंजुला नामक लड़की की हत्याविनोद कुमार ने की ये पाँच साल के पहले सेशन कोर्ट में फैसला होकर विनोद कुमार की रिहाई हो गई थी | सरकार की तरफ से उस फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील हुई | उस केस को देख रहे सुंदर पांडियन आने वाले हफ्ते में फैसला सुनाने वाले हैं | ये फैसला विनोद कुमार के पक्ष में ही होना चाहिए |

इसका मतलब सेशन कोर्ट ने विनोद कुमार के रिहाई का जो फैसला दिया था वहीं सुंदर पांडियन का भी होना चाहिए | विनोद कुमार के विरुद्ध फैसला हो, तो आपके दोस्त सुंदर पांडियन के लिए खराब दिनों की शुरुवात हो जाएगी | आप उन्हें बता देना |”

टेप रिकॉर्डर की आवाज बंद हुई | बंद कर टेप को बाहर निकाल लिया शर्मा ने |

सुंदर पांडियन मुस्कुराए | दोनों हाथों को ऊपर उठकर अंगड़ाई लेकर बोले “इक्कीस..............”

“ये क्या इक्कीस.............?”

“पिछले छ: महीनों में मुझे आई धमकियों की गिनती............”

“एक लड़की में कितना साहस है देखा.............. सुंदर पांडियन...........?

“केसेट में बोलने वाली लड़की के बारे में |”

“वह लड़की है किसने कहा.........?”

“फिर...........?”

“मिस्टर शर्मा.......... मेरे तीस साल के कोर्ट के अनुभव में कितने ही क्रिमिनल्स से मिला और उनके बारे में उनकी कमियों के बारे में मैंने स्टेडी किया है | दोषी जब कटघरे में जाकर खड़ा हो, वाक्य बोल कर खत्म करने के पहले ही वह झूठ बोल रहा है या सत्य बोल रहा है वह मालूम करने की क्षमता पता नहीं कैसे मुझमें आ गई है | इस केसेट में बोलने वाली लड़की नहीं है | एक आदमी बहुत कठिनाई के साथ लड़की की आवाज में बात कर रहा था उसकी आवाज को आवाज टेस्ट करने वाले मशीन में डाल कर देखो तो वोकल कार्डस के वाइब्रेशन कैसे अलग होता है पता चलेगा.........”

“मिस्टर सुंदर पांडियन.......! आप इस धमकी को साधारण तौर पर मत लो..........”

“उस विनोद कुमार को छोड़ने की कह रहे हो क्या.............?”

“मैं ऐसा नहीं बोल रहा.......... अपनी सुरक्षा के विषय में आपको संभलकर रहना चाहिए | अर्ली मॉर्निंग वॉकिंग को मत जाइयेगा | सुबह छ: बजे के बाद ही जाइयेगा | मैं सिक्योरिटिगार्ड की व्यवस्था करता हूँ | उसे भी आपके साथ आने दो |”

“वह सब नहीं चाहिए शर्मा............ कोई भी मुझे कुछ भी कर नहीं सकता............ कितने ही लोग मुझे डराने की धमकाने की कोशिश कर चुके | मुंबई के दादाओं को भी मैंने देखा है |”

“राजनीतिक लोगों से टकराना बुद्धिमानी नहीं है सुंदर पांडियन.............”

ऐसा है तो वे जो अयोग्य है उनके बारे में एक जज होने के नाते मैं नहीं बोल सकता क्या ?”

“कह सकते हैं............... पर आपके कमेन्ट तो एक नए ब्लेड जैसे पैने होते हैं..........! वह बहुत से लोगों के मन को चीर कर घाव कर देता है............. देअर........... इज.... ए ......... लिमिट !”

“सॉरी शर्मा.......... नीति और न्याय के विरुद्ध गलत कोई काम करे............... वह इस देश का प्रधानमंत्री ही क्यों न हो......... मेरा कर्तव्य ही मुझे दिखाई देगा | विनोद कुमार एक उद्योगपति का लड़का है | उस उद्योगपति का दिल्ली तक राजनैतिक पहुँच होगा ही ये बात भी मुझे मालूम है | विनोद कुमार की शादी के समय कानून बनाने वाले वासुदेव भी शादी में शरीक होने आए थे | उसके लिए एक हत्यारे को घर जा रे राजा कह कर उसकी रिहाई कर सकते हैं क्या.........? उस विनोद कुमार को फांसी की सजा देने का फैसला लिखे मुझे दो हफ्ते हो गए | अब अगले हफ्ते सोमवार को सुबह ग्यारह बजे उस फैसले को पढ़ना ही बाकी है............”

जज सुंदर पांडियन कह कर हंसने लगे तो उन्हें कुछ डर के साथ डी. जी. पी. वैकुंड शर्मा ने देखा |

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