विवेक और 41 मिनिट - 13 S Bhagyam Sharma द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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विवेक और 41 मिनिट - 13

विवेक और 41 मिनिट..........

तमिल लेखक राजेश कुमार

हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा

संपादक रितु वर्मा

अध्याय 13

सुबह के 6.30 बजे |

डी. जी. पी. वैकुंड शर्मा ने विवेक और विष्णु के सामने जो कुर्सी थी उसकी ओर इशारा किया | फिर पूछा – “कहिए मिस्टर विवेक.............. क्या बात है ?”

“साहब ! शोरवरम में एक लड़की का ‘स्कल्’ मिला था उसकी इन्क्वायरी में हम शामिल हैं |”

“मालूम है.......! उस लड़की का नाम क़ारूँणया है ये बात आप ने इंवेस्टिगेट किया ये भी मालूम है | उसके आगे क्या हुआ उसके बारे में मालूम नहीं |”

“वही बताने के लिए ही हम अभी आए है साहब.......”

“बोलिए”

“उस क़ारूँणया के आवास की जगह ढूंढ कर उसके घर की तलाशी ली तो एक महत्वपूर्ण पत्र मिला साहब |”

“पत्र........? कौन सा पत्र ?”

विवेक ने अपने शर्ट के जेब में से संभाल कर रखे उस पत्र को निकाल कर डी. जी. पी. वैकुंड शर्मा को पकड़ाया |

“साहब ये पत्र क़ारूँणया के मेज की दराज में था | पुष्पवासन नाम के आदमी ने क़ारूँणया को लिखा है ये खत.......... ! इस पत्र में लिखी बातों को थोड़ा पढ़कर देखिएगा |”

वैकुंड शर्मा ने उस पत्र को लेकर अपनी नजर उस पर जमाई | शब्द आँखों के रास्ते दिमाग में दौड़ने लगे |

प्यारी क़ारूँणया को,

तुम्हारा पुष्पवासन लिख रहा हूँ- तुम्हारा पत्र पाकर कुछ क्षण घबरा ही गया फिर भी कस्तूरी हिरण वाले जंगल में कालेबंदर, रीछ का रहना तो स्वाभाविक है सोच कर मैंने अपनी घबराहट का समाधान किया | एक लड़की सुंदर भी हो और अनाथ भी हो तो जो बड़े ओहदे पर बैठे हैं वे अपनी कामुक आँखों को उस पर दौड़एंगे तो सही | परंतु तुम्हारे विषय में कानून, नीति, न्याय, धर्म की रक्षा करने वाला न्यायाधीश की नजरें ही बदल गयीं ये बहुत ही निराशा की बात है | न्यायाधीश सुंदर पांडियन अभी जितने भी न्यायधीश हैं उनमें वे ईमानदार हैं ऐसा मैं सोचता था | राजनीति में जो नेता गलत काम करते हैं उन्हें दंड मिलना ही चाहिए ऐसा पक्के इरादे रखने वाला आदमी है | उनकेसभी फैसले अलग तरीके के विवेक बुद्धी से लिए होते हैं | परंतु वह आदमी गलत आचरण वाला है अभी ही पता चला | पिछले हफ्ते न्यायाधीश सुंदर पांडियन के ड्राइवर दुरैमाणिकम ने तुम्हें रास्ते में देख धमकाया उसके बाद सुंदर पांडियन ने तुम्हें धमकी देकर ऊंटी में जो उनका गेस्ट हाउस है उसमें तुम्हें आने के लिए बाध्य किया तुमने लिखा था | ऐसे अधिकारी बुढ़ऊँ शेर को होशियारी से निपटाना होगा | वर्षा होने के बाद कीचड़ वाले रास्ते में चलते समय पहने हुए कपड़ों के ऊपर कीचड़ न लग जाय ऐसे सावधानी से रहना होगा | उसी तरह की सावधानी की सोच अभी होनी चाहिए | मैं अगले हफ्ते चेन्नई जब आऊँगा इसके बारे में आमने-सामने ही बात करेंगे | किसी बात से घबराना या डरना नहीं | मेरे रहते तुम्हें क्या फिकर ?”

फिर............. अमेरिका के एक योग सेंटर में तुम्हें काम मिलने की आशा है तुमने कहा था |

वह बात कहाँ तक पहुंची ? बताना |

बाकी सब दूसरे पत्र में |

हमेशा की तरह तुम्हारे होंठ में बायी तरफ जो छोटा सा राई जैसे मस्सा है उसको मेरा ज़ोर का चुंबन |

तुम्हारा पुष्पवासन

नोट – न्यायाधीश सुंदर पांडियन को आराम से युक्ति से टेकल करो | किसी भी कारण से पुलिस में मत चली जाना |

पत्र को पढ़ने के बाद डी. जी. पी. शर्मा विवेक को घूरने लगे | “मिस्टर विवेक ! ये सुचमुच में एक आश्चर्य का विषय ही है | न्यायाधीश सुंदरपांडियन कॉलेज के दिनों में थोड़े दिल फेंक तो थे ही परंतु अभी भी ऐसे होंगे ऐसा संदेह है | हम तुरंत इन्क्वायरी में उतरे तो बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी और पूरे डिपार्टमेन्ट को ही वह हिलाकर रख देगा |”

“सॉरी टू से दिस सर.......... इस पत्र में कही गई बातें सच है या गलत है मालूम करने के लिए हत्या से संबन्धित लोगों, सुंदर पांडियन से पूछने में कोई गलती भी नहीं है |”

“पहले ये पुष्पवासन कौन है इसे पहले पकड़े तो क्या सही नहीं है...?”

“साहब......... पुष्पवासन कौन है मालूम करने के लिए क़ारूँणया के घर की दो घंटे तक एक-एक अंगुल जगह को भी हमने अच्छी तरह से छान डाला | उपयोग में लाने लायक कोई भी तत्व सामने नहीं आया | मतलब नहीं मिला | अड़ोस-पड़ोस के घरों में भी पूछ कर देखा | पुष्पवासन के बारे में किसी को कुछ नहीं पता | जग ज्योतिस्वामी जी के आश्रम में रहने वाली उसकी नजदीकी सहेली से भी पूछ कर देख लिया | उस लड़की को भी कौन है पता नहीं चला |”

“सो...........! क़ारूँणया ने अपना प्रेमी कौन है किसी को भी न बताकर उसे अपने दिल में ही कैद कर रखा था |”

“हाँ साहब........ लेटर में वह ‘अगले हफ्ते मैं चेन्नई आऊँगा तब आमने-सामने बात हो जाएगी’ लगता है वह पुष्पवासन दूसरे शहर में रहने वाला है ऐसा मुझे प्रतीत होता है......... ऐसे ही सुंदर पांडियन का कार ड्राइवर दुरैमाणिकम की अपहरण कर हत्या के मामले में पुष्पवासन एक कारण हो सकता है |”

“हत्या केआरोपी विनोद कुमार की रिहाई के लिए सुंदर पांडियन के मना करने से विनोदकुमार के हितैषी ने नाराज होकर न्यायधीश के कार ड्राइवर की हत्या कर दिया ऐसा पुलिस वालों को सोचना चाहिए ऐसा पुष्पवासन का इशारा हो सकता है |”

“मे......... बी......... सर.........”

“ठीक है............. क़ारूँणया की हत्या किसने की होगी आप क्या सोचते हैं ?”

“पुष्पवासन के पत्र के अनुसार देखे तो न्यायाधीश सुंदरपांडियन और कार ड्राइवर दुरैमाणिकम दोनों ने क़ारूँणया को धमकी दी थी | अपनी इच्छा को मानने से मना करने से क़ारूँणया का सुंदर पांडियन भी हत्या कर सकते है |”

“ऐसा हो तो उस पुष्पवासन से सुंदर पांडियन के जान को संकट है ना..........?”

“बिल्कुल....... पुष्पवासन को हम ढूंढ निकाले तब तक सुंदर पांडियन को सुरक्षा देना होगा |”

डी. जी. पी. ने पास रखे टेलीफोन रिसीवर को उठाया, सुंदर पांडियन के घर के नंबर को घुमा कर इंतजार करने लगे | रिंग गई, रिसीवर को उठाने पर एक लड़की की आवाज आई |

“हैलो.......”

“कौन बोल रहा है सुभद्रा क्या ?” बेटे सुभद्रा मैं डी. जी. पी. शर्मा बोल रहा हूँ |

“ओह ! अंकल.......? क्या बात है अंकल ?”

“मामा है क्या बेटा........?”

“वे वॉक पर गए हैं |”

“कितने बजे रवाना हुए ?”

“पौने पाँच बजे होंगे | अभी मामा के आने का समय ही है | क्यों अंकल कोई विशेष बात है ?”

“हाँ भई....... गोकुलवासन उठ गए क्या ?”

“वे पेपर पढ़ रहें है अंकल |”

“थोड़ा उसे बुलाओ बेटा |”

“सुनो जी........ शर्मा अंकल लाइन पर हैं, आकर बात करो........”

अगले थोड़ी सी देर में गोकुलवासन की आवाज सुनाई दी | “गुड मॉर्निंग अंकल.......”

“गुड मॉर्निंग ! अप्पा....... वॉक पर गए हैं क्या ?”

“हाँ अंकल...........”

“ड्राइवर दुरैमाणिकम की हत्या हो गई ऐसे वातावरण में वॉक पर नहीं जाओ तो क्या बिगड जाएगा ?”

अंकल मैं बोलू तो वे मानेंगे क्या ? ‘ मैंने ऐसी हजारों धमकियों को सुना है | मेरा कोई कुछ नहीं कर सकता’ ऐसा कहते हैं | आपके दोस्त के लिए आप को ही बोलना पड़ेगा | लीजिए आपके दोस्त वॉकिंग से आ गए | अप्पा......! डी. जी. पी. अंकल इज ऑन लाइन लीजिए...”

शर्मा रुके हुए थे |

पूरे एक मिनिट के बाद सुंदर पांडियन बोले |

“गुड मॉर्निंग शर्मा.......... क्यों इतनी सुबह फोन ?”

ड्राइवर दुरैमाणिकम हत्या के संबंध में किसी को अरेस्ट किया क्या ?”

“नहीं....”

“फिर क्या.... बात है.......?”

“सुंदर पांडियन......! कुछ दिनों के लिए बिना सुरक्षा के आपको बाहर नहीं जाना है........ वह भी विशेष रूप से सुबह के समय वॉक पर तो जाना ही नहीं है.....”

“क्यों फिर से कोई केसेट आया क्या ?”

“केसेट नहीं है | आदमी........!”

“आदमी.....?”

“हाँ.......... नाम पुष्पवासन......”

“पुष्पवासन........?”

“इस नाम को कभी कहीं सुना है क्या ?”

“नहीं तो.........?”

“थोड़ा अच्छी तरह याद करके देखिएगा सुंदर पांडियन ?”

“इसमें सोचने को क्या है शर्मा ? आपने बोला पुष्पवासन नाम को आज ही पहली बार मैंने सुना |”

“ठीक है....... आप....... अभी फ्री हो क्या ?”

“फ्री हूँ..... कोर्ट नहीं जाना है...... क्यों क्या बात है..........?”

“मैं और क्राइम ब्रांच ऑफिसर मिस्टर विवेक दोनों को आपसे मिलकर कुछ बात करनी है........”

“आईयेगा.........! इतनी देर में मैं नहा कर रेडी हो जाता हूँ...... विवेक ने इस केस में एंट्री ले लिया क्या ? ऐसा है तो हत्यारा मिल गया समझो........!”

“एक घंटे के अंदर आ रहेहैं....!”

“आईएगा|”

***