लेजेण्ड आफ बटालिक Mohd Siknandar द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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लेजेण्ड आफ बटालिक

रोम जिसे सात पहाड़ियो का देश भी कहा जाता है जिसकी पत्थरो पर आज भी तलवारों के निशान मौजूद है और उस घटना का जिक्र बार बार करते है जिसे हम भूलना भी चाहे तो इतिहास हमे भूलने नहीं देता । यहाँ के किले के अंदर से आज भी राजनीति और षडयंत्र बदबू आती है। किले के शाही कमरे अपने ही रेशतेदारों के खून से रंगे हुए और यहाँ की वीरान घाटियो मे आज भी युद्ध के शोर सुनायी देती है। इस पर आधारित है

लेजेण्ड आफ बटालिक

सन 705 ई0- रोम देश पर हुड नाम का एक शक्तिशाली और बेरहम शासक का शासन था । जिसने बीस राज्यो के राजाओ को मिलकर एक शक्तिशाली दल बनाया- ब्लैक शेडो । यानी काली परछाई जिस पर सुमंदरी शार्क का निशान था । जब भी हुड किसी देश पर हमला करने की तैयारी कर तो ब्लैक शेडो की पूरी सेना एक साथ युद्ध मे उतरती । उनकी विशाल सेना को देखकर विरोधी राजाओ की हिम्मत अपने आप टूट जाती । कई देश के राजाओ ने उनके सामने अपने घुटने टेक दिये । जिनके सिर नहीं झुके तो वहाँ पर दिखायी दी लाखो लाशे और जलता हुआ शहर । जो भी ब्लैक शेडो के सामने अपने घुटने टेकता उस राज्य पर उनका कब्जा हो जाता । वहाँ की सारी जनता को गुलाम बना लिया जाता और करो की सीमा इतनी बढ़ दी जाती कि उनका पूरा जीवन नरक से भी बदतर बन जाता । किसान और मजदूर को हथियार तैयार करने के लिये कारखानो की जलती हुई भटठी मे झोक दिया गया । ताकि उन हथियारो से पूरे विश्व पर कब्जा कर सके । देखते ही देखते ब्लैक शेडो ने आधे से ज्यादा यूरोप पर अपना कब्जा कर लिया । हुड का एक ही सपना था पूरे विश्व का एकलौता सम्राट बनाना । हारे हुए देश के राजाओ के साथ-साथ उनके पूरे परिवार को भी नौकर बनाकर अपने किले मे रखा लिया । जो राजा अपने किले मे शाही पकवाना खाते थे आज वो सम्राट हुड का बचा हुआ खाना खाने लगे । यह सब देखकर सम्राट हुड बहुत खुश होता । धीरे-धीरे उसने अपने आपको देवताओ का सबसे बड़ा पुत्र घोषित कर दिया। उसके बनाये गये नियमो के खिलाफ कोई भी आवाज उठता तो उसे जमीन मे जिंदा गड़वा दिया जाता । इस तरह रोम की सारी जनता भय और आतंक के साये मे अपने जीवन व्यतीत कर रही थी । धीरे-धीरे सम्राट हुड के मन मे अपने दल के लिये ईर्ष्या पैदा होने लगी । वह अपने सिंहासन पर बैठकर यह सोचने लगा कि जान की बाजी लगाकर बड़े –बड़े युद्ध मै जीता हूँ और युद्ध से मिलने वाले धन दास-दासियाँ और उच्चे नस्ल के घोड़े मेरे सारे साथ देने वाले राजाओ को बराबर हिस्सो मे बांटा दिया जाता है । जबकि वो इस धन के बिल्कुल काबिल नहीं । वो तो शराब के नशे मे धुत होकर नाचने वाली लड़कियो के साथ मजे उड़ते रहते है । यह सोचकर सम्राट हुड का खून खौल उठा । बस उसकी एक ही इच्छा थी कि सारी दुनिया पर उसी की हुकूमत चले । इसलिए वह अपने विश्वासपात्र सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको से इसके बारे मे बात की । सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको सम्राट हुड से कहते है कि “ महाराज अगर आप ने बीस राज्यो के किसी भी एक राजा पर हमला करने कि कोशिश कि तो सारे राजा आपके के खिलाफ हो जाएगे और एक जुट होकर आपके ऊपर हमला कर देगे । बीस राज्यो की विशाल सेना का मुक़ाबला कर पाना हमारे लिए मुश्किल होगा। इसलिए मेरी राय यह है कि आप कूटनीति का सहारा लेकर एक-एक करके सारे राजाओ को खत्म करके ही उनकी विशाल सेना पर कब्जा कर सकते है ।” यह सुनते ही सम्राट हुड के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान नजर आयी । एक महीने बाद – सम्राट हुड को अपने गुप्तचरों से पता चला कि “ दक्षिण देश के सम्राट कांव अपने यहाँ विद्रोहियो को शरण दे रखी है और उनके साथ मिलकर हम पर हमला करने कि तैयारी कर रहे है । अगर उन्हे जल्दी रोक नहीं गया तो उसके देख-देखी और देश भी हमारे सामने सिर उठाने कि कोशिश करेगे ।” यह सुनते ही सम्राट हुड अपनी म्यान से तलवार निकाल कर ऐल्दी देश के खिलाफ जंग की घोषणा का दी । सम्राट हुड अपने साथ वहशी और दरिंदों विशाल सेना लेकर ऐल्दी देश की तरफ निकाल पड़ा । अचानक बीच रास्ते मे ब्लैक शैडो की पूरी सेना उसके साथ मिल गयी और देखते ही देखते वो सेना एक बहुत बड़ी विशाल सेना मे बदल गयी। जिसे सम्राट हुड की शक्ति कई गुना बढ़ गयी । सेना के कदमो से जमीन पर बिखड़ी पड़ी छोटे-छोटे पत्थरो मे कम्पन होना शुरू हो गया । ढाल और तलवारों के टकराने की आवाजों को सुनकर आसमानों मे बिजली कड़-कड़ने लगी । धूल उड़ाते हुई सेना ऐल्दी देश की तरफ लगातार बढ़ती चली जा रही थी । इधर ऐल्दी देश मे- सम्राट कांव के राजमहल मे एक सुंदर सी राजकुमारी का जन्म हुआ । उसके जन्म लेते ही पूरे देश मे खुशी की लहर दौड़ पड़ी । सम्राट कांव अपनी पत्नी शिल्पा के साथ मिलकर उसके नाम-करण की तयारी मे पूरी तरह से व्यस्त थे । इस बात से बेखबर की मौत उनके बिल्कुल करीब पहुँच चुकी थी । पूरा ऐल्दी देश खुशी से जशन माना ही रहा था कि अचानक सम्राट हुड की विशाल सेना किले का मजबूत दरवाज़ तोड़कर नगर के भीतर घुस आयी । चारो तरफ से चीख –पुकार की आवाज़े सुनायी देने लगी । सम्राट हुड अपनी तलवार से रास्ते मे आने वाले हर बाधा को हटाते हुए राजमहल के अंदर तक पहुँच गया । खून से लथपथ सम्राट हुड का चेहरा देखकर राज महल की कई दासियाँ वही पर बेहोश हो गयी । तलवार से टपकता खून उसकी दरिदगी का साबूत दे रही थी । राज महल के चारो तरफ लाशे ही लाशे दिखाई दे रही थी । तभी एक सैनिक सम्राट कांव और महारानी शिल्पा के पास आकर कहता है कि “महाराजा आप महारानी को लेकर यहाँ से निकल जाइये । क्योकि शत्रु की सेना ने हमारे राज्य पर आक्रमण कर दिया है ।” इस से पहले कि वो सैनिक कुछ और कह पता , सम्राट हुड अपने सेना पति कुम्भ के साथ वहाँ पर आ गया । महाराजा और महारानी की रक्षा के लिए जैसे ही वो सैनिक अपनी तलवार बाहर निकालने की कोशिश की । वैसे ही सेनापति कुम्भ ने अपने तलवार के एक ही वार से उसका गर्दन धड़ से अलग कर दिया । इसके बाद महाराज कांव और सम्राट हुड अपनी-अपनी तलवार निकल कर एक –दूसरे की तरफ बढ़ने लगे । कुछ ही पलो मे दोनों के बीच एक घमसान युद्ध छिड़ गया । दोनों योद्धा अपने-अपने तलवार के बेहतरीन दांव पेच दिखाने लगे । मगर सम्राट हुड के तलवार के आगे महाराज कांव की तलवार कमजोर साबित हुई और इस तरह लड़ाई के दौरान महाराज कांव सम्राट हुड के हाथो मारे गये । अपने पति की सामने हुई मौत को देखकर महारानी शिल्पा सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ को अपने हाथो से मारने लगी । उसकी इस हरकत को देखकर दोनों लोग शैतान की तरह हंसने लगे । हँसते-हँसते दोनों ने अपनी तलवार एक साथ महारानी शिल्पा के पेट मे दे मारी । जिस से उनकी भी मौत वही पर हो गयी । सम्राट हुड और सेना पति कुम्भ पालने मे खेल रही राजकुमारी को जैसे ही मारने के लिए तलवार को ऊपर उठाया । वैसे ही राजकुमारी उन दोनों को देखकर हंसने लगी । राजकुमारी को हँसता देखकर सम्राट हुड भी मुस्कुराने लगा और अपना इरादा बदल दिया । सेनापति कुम्भ सम्राट हुड से पूछता है कि “ सम्राट आप ने इसे मार क्यो नहीं ?” सम्राट हुड उस से कहता है कि “ खून से लथपथ मेरा चेहरा देखते ही राजमहल के सारी दासियाँ डर कर बेहोश हो गयी । लेकिन ये बच्ची हंसने लगी । इसका एक ही मतलब निकलता है कि ये शेरनी है और शेरनी को मारा नहीं जाता । बल्कि पालतू बनाकर अपने पास रखा जाता है ।” सेना पति कुम्भ सम्राट हुड का इशारा समझ गया और पालने मे खेल रही राज कुमारी को कम्बल मे छिपाकर राजमहल के पीछे वाले रास्ते से बाहर निकल गया । उनके जाने के कुछ ही देर बाद ब्लैक शैडो का दल वहाँ पर आया । कमरे मे पड़ी लाशे और तलवार से टपकता हुआ खून देखकर ब्लैक शैडो का दल उस से कहता है कि “ वाह हुड ! तुमने तो पूरे ऐल्दी वंश को खत्म कर दिया । अब यहाँ की सारी दौलत हमारी है ।” सम्राट हुड अपनी तलवार को म्यान मे रखते हुए उन सब से कहता है कि “ इतना खुश मत हो क्योकि ऐल्दी वंश की राजकुमारी अभी भी जिंदा है । मेरे यहाँ से आने से पहले उस राजकुमारी का रक्षक उसे लेकर भाग गया । मेरे सैनिक उसका पीछा कर रहे है ।” मगर सारे राजा ने यह कहकर बात टल दी कि “ भला एक लड़की हमारा क्या बिगड़ा लेगी ? उसकी चिन्ता मत करो बस जशन की तैयारी करो ।” सम्राट हुड अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाकर उनके जशन मे शामिल हो गया । सात दिन के बाद – सम्राट हुड अपनी विशाल सेना के साथ रोम देश मे वापस आया । राज महल पहुँचते ही सम्राट हुड ने सेनापति कुम्भ को ऐल्दी देश की राज कुमारी को अपने सामने लाने का हुक्म दिया । सम्राट हुड हुक्म मानकर प्रधानमंत्री टोको उस नन्ही सी परी को उनके सामने लाया । सम्राट हुड उस बच्ची को जब अपने गोद मे लिया तो वह बच्ची अपने मुलायम और नाजुक हाथो ले उनके तलवार को पकड़ने की कोशिश करने लगी । यह देखकर सम्राट हुड बहुत खुश हुआ और सेना पति कुम्भ से कहता है कि “ इस फूल सी दिखने वाली राजकुमारी को हेराना को सौपा दो । उसे कहो कि इसे दुनिया का सबसे खतरनाक और बेरहम योद्धा बनाये । जिसके आगे दुनिया का हर सूरमा छोटा साबित हो और लोग इसे बटालिक के नाम से पुकारे ।” इतना कहकर उस बच्ची को सेनपति कुम्भ के हवाले कर दिया गया । सेनापति कुम्भ उस बच्ची को अपने साथ “ जेक्सर ” ले गया । ( जेक्सर- लड़ाकू योद्धा का प्रशिक्षण केंद्र था जहां पर नये सैनिको को लड़ाई के बेहतरीन दांव-पेच सिखाया जाता ) सुबह का समय – हेराना सैनिको को तलवार बाजी और मार्शल –आर्ट के गुण सीखा रहा था कि तभी पीछे से एक आवाज सुनायी दी – गुरु जी । जब वह पीछे पलटकर देखा तब उसे सेनापति कुम्भ दिखायी दिया । दरअसल हेराना एक हिजड़ा और बेहतरीन लड़ाकू योद्धा था । सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ जैसे कई कातिल योद्धा उनके शागिर्द थे । हेराना सेनापति कुम्भ से कहते है कि “ यहाँ कैसे आना हुआ कुम्भ ? और तुम्हारे हाथ मे ये बच्ची किसकी ।” सेनापति कुम्भ उस बच्ची को हेराना के गोद मे डालकर उनसे कहता है कि “ गुरु जी सम्राट हुड ने इसे आपको देने के लिए कहा है ताकि आप इसे लड़ाकू योद्धा बना सके ।” इसके बाद सेनापति कुम्भ अपने घोडा पर बैठकर वहाँ से चला गया । जब हेराना ने उस बच्ची की तरफ देखा तो ‚वह उनके गोद मे खेल रही थी । उस दिन के बाद से ही हेराना उसकी माँ-पिता और भाई-बहन सब कुछ बना गया । पाँच साल तक बटालिका का पालन-पोषणा एक राजकुमारी की तरह हुआ । इसके बाद उसके आगे का पूरा बचपन एक लड़ाकू योद्धाओ की तरह बीतता । बटालिका प्रशिक्षण पर हेराना की पैनी नजर रहती । धीरे-धीरे वो हर हथियार चलाने मे काफी माहिर हो गयी । दस साल की उम्र मे वो तलवारबाजी , घोडसवारी , मार्शल-आर्ट और निशानेबाजी मे उस से बड़ा योद्धा इस धरती पर कोई नहीं था । लोगो का मानना था कि उसका निशाना कभी नहीं चूकता । 15 साल की उम्र मे बटालिका ने अपने ही देश के प्रसिद्ध योद्धा गोन्द्र को खूनी लड़ाई के दौरान जान से मार डाला । इस तरह बटालिका के योद्धा बनाने की तालिम (शिक्षा) पूरी हुई । अगले दिन बटालिका को लेने के लिए सम्राट हुड के शाही सेना वहाँ पर आ गयी । हेराना बटालिका के कमरे मे गया , जहां पर वो अपना सारा सामान बंधा रही थी । हेराना को सामने खड़ा देखकर बटालिका उनसे कहती है कि “ क्या हुआ बाबा ? आप इतने परेशान क्यो है ।” हेराना बटालिका से कहता है कि “ खूनी लड़ाई लड़ने के लिए तुम्हें शाही सेना के साथ अलग-अलग देश मे भेजा जायेगा । जहाँ पर तुम्हारा सामना दुनियाँ भर के सबसे खतरनाक योद्धा से होगा इसलिये तुम्हारी फ्रिक हो रही है। क्योकि तुम मेरी बेटी हो इसलिये संभाल कर लड़ना ।” इतना कहते ही उसके आंखो मे आँसू आ गये । हेराना के आंखो मे आँसू देखकर बटालिका उनसे कहती है कि “ अपना हमेशा ध्यान रखना । मै दुबारा लौट कर यहाँ जरूर आओगी ।” इसके बाद बटालिका अपने कमरे से बाहर निकली और घोड़े पर बैठकर शाही सेना के साथ वहाँ से चली गयी । हेराना बस उसको देखता रहा । देखते ही देखते बटालिका वहाँ से काफी दूर चली गयी । बटालिका अलग-अलग देशो मे जाकर खूनी लड़ाई लड़ने लगी । जहाँ पर उसका सामना दुनियाँ के सबसे बेरहम और कातिलो योद्धाओ से हुआ । खूनी लड़ाई मे सारे योद्धाओ को हारने के बाद बटालिका का नाम पूरे यूरोप मे फैल गया । उसका नाम सुनते ही हर देश की सेना मौत से घबराकर अपने हथियार उसके कदमो मे डाल देती । इस तरह बटालिका पूरे ब्रह्माण्ड की एकलौती योद्धा बन गयी । उसके नाम और बहादुरी के स्तम्भ चारों दिशाये लगाये गये । पूरे यूरोप के मास्टर ने मिलकर उसे एक नया नाम दिया- “युद्ध की देवी” । बटालिका को सन-साइन नामक एक तलवार दी गयी । जो बहुत ही अदभूत और प्राचीन थी-कुछ इतिहासकारो का मानना था कि यह तलवार स्वर्ग मे बनायी गयी थी तो कुछ का कहना था कि इसे जापान मे एक सुमराई योद्धा ने बनायी थी । जिसने इसे देवता के खिलाफ इस्तेमाल किया था । उसकी चमकती धार किसी भी चट्टान का सीना चीर देने की क्षमता रखती थी । बटालिका पूरे यूरोप से जीता हुआ धन लेकर रोम वापस लौट आयी । नगर मे प्रवेश करते ही बटालिका के सम्मान मे ढ़ोल-नगाड़े बजवाये गये । सम्राट हुड राज महल के सबसे ऊंची मीनार पर खड़े होकर यह सब देख रहा था । आखिरकार उसकी योजना कामयाब होती हुई नजर आ रही थी । महल मे पहुँचते ही आराम करने के लिए अपने शाही कमरे मे चली गयी । सेनापति कुम्भ को तुरंत ही सम्राट हुड के सामने हाजिर होने का हुक्म मिला । सम्राट हुड सेनापति कुम्भ से कहता है कि “ हमारे गुरु जी ने बटालिका को वैसे ही बनाया , जैसा मैंने सोचा था । उसकी जय-जयकार की आवाज़े चारो दिशाये आ रही है । तुम इसका मतलब जानते हो कि मुझे विश्वविजेता सम्राट बनने से कोई नहीं रोक सकता ।” यह कहकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा । तभी प्रधान मंत्री टोको वहाँ पर आकर सम्राट हुड से कहता है कि “ मांफ कीजिये सम्राट ! मैंने आपकी खुशी मे बाधा पहुंचायी । मेरा मानना है कि इस खुशी के अवसर आप को एक विशाल शाही दावत का आयोजन करना चाहिये । ताकि सब को पता चल जाये कि आप इस धरती और स्वर्ग के सच्चे उत्तराधिकारी है और लोग आप से डरे ।” सम्राट हुड उसकी बात से सहमत हो गया । बटालिका के कमरे मे एक दासी आकर उसको शाही फरमान देती हुई कहती है कि “ राजकुमारी जी आज आपकी शाही दावत सम्राट हुड के साथ है । इसलिये आपके शाही कपड़े और आभूषण यहाँ पर लाकर रखा दिये गये है ।” बटालिका इस बात से खुश हुई कि आज पहली बार उसको अपने पिता जी से मिलने का मौका मिलेगा । वह अपने बिस्तर से उठाकर नहाने के लिए चली गयी । इधर शाही जशन की तैयारी बड़े-जोरों शोरों से होने लगी । राज महल को मोमबतियों और दीयो से सजा दिया गया । रात के समय पूरा रोम एक तारा की तरह चमक रहा था । बटालिका एक सुंदर सी पोशाक पहनकर शाही जशन मे आयी । उसके आते ही वहाँ पर मौजूद सारे योद्धाओ के साथ-साथ ब्लैक-शेडो का दल भी युद्ध “ युद्ध की देवी ” को सम्मान देने के लिए घुटनो पर बैठ गये । कई पर्दो के पीछे अपने सिंहासन पर बैठ सम्राट हुड यह सब देखकर बहुत खुश हुआ । अचानक पर्दो के हटते ही सम्राट हुड सबके सामने दिखायी दिये । शाही –सभा को संबोधित करते हुए सम्राट हुड उन सब से कहते है कि “ यह बताते हुए मुझे काफी गर्व हो रहा है कि मेरी बेटी बटालिका को स्वर्ग के देवताओ ने युद्ध की देवी के रूप मे चुना है । अगर किसी ने भी उसका आदेश नहीं माना तो देवताओ के प्रकोप से उसके सारे वंश का विनाश हो जायेगा । ” यह सुनकर बटालिका को कुछ अजीब सा लगा , मगर वह सम्राट के आगे कुछ नहीं कह पायी और शाही सभा से उठकर सोने के लिए अपने कमरे मे चली गयी । सम्राट हुड यह सब देख रहा था लेकिन अपने दोस्तो के सामने कुछ नहीं कहा । अगली सुबह-जब बटालिका तलवार का रियास (अभ्यास ) कर रही थी कि तभी एक दासी वहाँ पर आकर कहती है कि “ राजकुमारी जी आपको तुरंत ही शाही सभा मे हाजिर होने का हुक्म दिया है ।” बटालिका तलवार को इधर-उधर घुमाते हुए कहती है कि “ तुम जाओ मै अभी आती हूँ ।” शाही पोशाक पहनकर बटालिका सम्राट हुड के पास गयी । जहां पर पहले से सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको वहाँ पर खड़े होकर उसका इंतजार कर रहे थे । शाही पर्दे के हटाते ही सम्राट हुड को सामने खड़ा देखकर तीनों एक साथ घुटनो पर बैठ गये । सम्राट हुड बटालिका से कहते है कि “ हम तुमसे काफी नाराज है। कल रात शाही जशन के दौरान तुम्हारा यू चुपचाप वहाँ से चले जाना । मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा आइन्दा ऐसी गलती दुबारा ना हो ।” इस बार बटालिका अपने-आपको रोक नहीं पायी और वह सम्राट हुड से कहती है कि “ शाही जशन के दौरान मेरा यू चुपचाप से चले जाना आपको बिल्कुल अच्छा नहीं लगा । लेकिन कभी आपने मेरे बारे मे नहीं सोचा । जब मुझे आपकी जरूरत थी तब आपने मुझे योद्धा बनने के लिए जक्सर भेज दिया । मेरा पूरा बचपन युद्ध की भट्टी मे जलकर राख हो गया । लेकिन अब मै थक चुकी हो । मुझे सम्राट नहीं बल्कि पिता का प्यार चाहिये ।” सम्राट हुड बटालिका से कहता है कि “ प्यार जैसे शब्द योद्धाओ को शोभा नहीं देते । तुम्हारे जीवन का सिर्फ एक ही मकसद है-मेरी प्रति वफादार रहना और रोम देश की रक्षा करना ।” बटालिका वहाँ से रोते हुए वापस अपने कमरे मे आ गयी । तीन दिन बाद- बटालिका को एक खुफिया अभियान के लिए भेजा गया । सेनापति कुम्भ उसके कमरे मे आकर बताया कि “ कैली देश के राजा हेरिट सम्राट हुड को मारने की साजिश रच रहे है और उनका साथ दे रही जमाल देश की महारानी फिजा । तुम्हें सिर्फ कैली देश जाकर देश हेरिट को इस तरह से मारना है कि उसका पूरा शक जमाल देश की महारानी फिजा पर जाये । ताकि सभी सब को ऐसा लगे कि अपने क्षेत्र विस्तार की लालच मे उसने अपने साथी को ही मरवा डाला । ये रहा जमाल देश की तीर ।” उसको यह देकर सेनापति कुम्भ वहाँ से चला गया । बटालिका घोडा पर सवार होकर कैली देश के लिए रवाना हो गयी । रास्ते मे उसे बंजारो की एक टोली दिखायी दी । जब उसे पता चला कि ये सब कैली देश के राजा हेरिट के जन्म उत्सव के अवसर पर खेल तमाश दिखाने जा रहे है तो उसने इसी मौके फायदा उठाया । बटालिका ने कबीले के सरदार को सोने के मोहरो से भरा हुआ थैला दिया और उनके दल मे शामिल हो गयी । कैली देश पहुँचते-पहुँचते उन सब को चार दिन का समय लगा । कैली देश के बाजार मे पहुँचते ही उन्हे चोर-चोर की आवाज सुनायी दी । तभी उनके सामने से एक सुंदर सा राजकुमार दिखने वाला लड़का दौड़ता हुआ नजर आया । जिसके पीछे शाही सेना लगी हुई थी वह दौड़कर बंजारो की टोली मे जाकर छिप गया । शाही सेना बंजारन बनी बटालिका से पूछते है कि “ सुनो लड़की तुमने यहाँ से किसी लड़के को भागते हुए देखा है क्या ?” बटालिका शाही सेना से कहती है कि“ नहीं हजूर मैंने यहाँ से किसी को भागते हुए नहीं देखा ।” शाही सेना एक-दूसरे से कहती है कि “ उस चोर को जल्दी से ढूंढो । उसने महाराज हेरिट का का हार चुराया है ।” कुछ देर तक शाही सैनिक वही पर खड़े होकर उस चोर को भीड़ मे ढूँढने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्हे चोर नहीं दिखायी । गुस्साकर शाही सैनिक दूसरी दिशा की तरफ चले गये । शाही सेना के जाते ही बटालिका उस चोर से कहती है कि “अब तुम बाहर आ सकते हो शाही सैनिक जा चुके है ।” यह बात सुनते ही वह चोर बाहर आकर बटालिका से कहता है कि शुक्रिया ! शाही सैनिक से बचाने के लिए मेरा निकोलस है और तुम्हारा ? बटालिका गुस्से से भरी नजरों से कहती है कि “ मै सिर्फ अपने बंजारो वालों से ही बात करती हूँ और किसी ने नहीं ।” निकोलस बटालिका से कहता है कि “ कोई बात नहीं ! जब तुम कोई मुसीबत मे फँसोगी । तब याद रखना ये निकोलस ही तुम्हें बचाने आयेगा । क्योकि मै दोस्त का दोस्त हूँ और दुश्मनों का दुश्मन ।” तभी निकोलस को शाही सैनिक बाजार मे घूमते हुए दिखायी दिये । वह तुरंत ही अचानक भीड़ मे कही गायब हो गया । जैसे की मानो वो कोई भूत था । बटालिका ने इधर-उधर देखा लेकिन निकोलस नहीं दिखायी दिया । शाम के समय- बंजारो का सरदार कलाकारो के तम्बू मे जाकर कहता है कि “ सब कुछ अच्छी तरह से होना चाहिए । कोई गड़बड़ी मत करना , वरना महाराज हेरिट हम सब को मार देगे ।” सारे कलाकारो ने अपने सरदार को विश्वास दिलाया कि हमारे खेल-तमाशे मे कोई गड़बड़ नहीं होगी । इतना कहकर बंजारो का सरदार वहाँ से चला गया । रात मे सारे कलाकार अपनी-अपनी आतिश बाज़ियाँ दिखाने लगे देखते ही देखते पूरा आकाश आतिश बाजियों की रोशनियो चमक उठा । आकाश मे चल रही आतिश बाजी को देखने के लिए जैसे महाराज हेरिट अपने राजमहल के आँगन मे आये । वैसे ही बंजारन बनी बटालिका सामने से आकर उन पर तीर-कमान से हमला की । वह तीर हवा को चीरते हुए सीधा जाकर उनके सीने पर जा लगी । जिस से उनकी मृत्यु वही पर हो गयी । यह देखकर हेरिट की पत्नी ज़ोर से चिल्लाकर कहती है कि “ खत्म कर दो उस कातिल को ।” महारानी का हुक्म मिलते ही बंजारन बनी बटालिका के ऊपर तीर और भालो से हमला होने लगा । अपने-आपको बचाते हुए बटालिका राजमहल के मुख्य फाटक की तरफ दौड़ पड़ी । लेकिन महारानी के हुक्म पर उसे भी तुरंत बंद कर दिया गया । चारो तरफ से बटालिका के ऊपर तीर और भालो से लगातार हमला हो रहा था । हेरिट की पत्नी चिल्लाकर शाही सेना कहती है कि “ ये कातिल जिंदा बचाकर यहाँ से जानी नहीं चाहिये ।” राजमहल के सबसे ऊंची चोटी पर खड़ा शख्स मन मे कहता है कि “ लगता है जान बचाने का समय आ गया । ” उसी समय निकोलस रस्सी पर झूलता हुआ आया और शाही सेना के सामने से बटालिका को अपने साथ वहाँ से उठाकर राजमहल के मुख्य फाटक के ऊपर ले गया । इस से पहले की तीरंदाज उन दोनों पर तीर से हमला करते । उस से पहले ही दोनों फाटक से नीचे कूद गये । यह देखकर शाही सेना दंग रह गयी और उन दोनों पर तीर व भालो से हमला करने लगी । निकोलस सीटी बजाकर अपने घोड़े को बाहर आने का हुक्म दिया । जिसे वह पहले से झाड़ियो मे छिपा रखा था । अपने मालिक की सीटी की आवाज सुनते ही वो घोड़ा जल्दी से बाहर आया । निकोलस बटालिका को अपने साथ घोड़ा पर बैठाकर कैली देश की सीमा से काफी दूर ले गया । निकोलस अपने घोड़े को आराम देने के लिए एक झील के पास रुका । घोड़े से उतरकर बटालिका निकोलस से कहती है कि “ कौन हो तुम ? दुश्मन के जासूस या फिर एक चोर । ” निकोलस अपने घोड़े के पीठ पर हाथ फेरते हुए कहता है कि “ मै अभी सिर्फ अपने घोड़े से बात करता हूँ और किसी से नहीं ।” यह सुनते ही बटालिका ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी । इसके बाद दोनों झील के पानी मे उतरकर एक दूसरे के ऊपर पानी फेकने लगे । निकोलस बटालिका से कहता है कि “ मैंने तुम्हारी जान बचायी अब तो अपना नाम बता दो ! बटालिका अपने पीठ के पीछे-छिपा रखी तलवार को बाहर निकाली । सन-साइन तलवार को देखते ही निकोलस की आंखे फटी की फटी रह गयी । वह लड़खड़ाती हुई आवाज मे कहता है कि “इसका मतलब की तुम ही “ लेजेण्ड आंफ बटालिका ”। जिसे पूरा यूरोप “ युद्ध की देवी ” के नाम से पुकारता है । इतना महान योद्धा आज मेरे साथ है। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा , कही मे सपना तो नहीं देख रहा ?” बटालिका निकोलस को थप्पड़ मारकर कहती है कि “ ज्यादा नाटक करने की कोई जरूरत नहीं । ” इसके बाद निकोलस बटालिका को घोड़े पर बैठाकर उसको छोड़ने के लिए रोम की सीमा मे दाखिल हुआ । उसको सही सलामत रोम के बाजार मे छोड़कर वहाँ से चला गया । बंजारन बनी बटालिका बस उसको देखती रही , तभी रोम के शाही सैनिक वहाँ पर आ गये । राज महल पहुँचते ही बटालिका को सम्राट हुड के पास ले जाया गया । उसके यह बताये जाने पर कि कैली देश के महाराज हेरिट मारे गये । यह सुनकर सम्राट हुड के साथ-साथ सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको बहुत खुश हुए कि आखिरकार उनकी बनायी गयी योजना सफल हुई । कैली देश के राजा की हत्या का आरोप जमाल देश की महारानी फिजा पर गया । जिस से ब्लैक शैडो के दल मे फूट पड़ गयी । सब एक-दूसरे को शंक की नजरों से देखने लगे और इस तरह युद्ध का मौहाल बन गया । इस युद्ध मे जमाल देश की महारानी फिजा अकेली हो गयी । सम्राट हुड ने बड़ी चालाकी से महारानी फिजा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा और वह मान गयी । इसके बाद ब्लैक शैडो दल दो भाग मे बाँट गया । एक दल सम्राट हुड का था तो दूसरा दल-ब्लैक शैडो । दोनों दल ने एक-दूसरे को पत्र भेजकर युद्ध का ऐलना कर दिया । अगले महीने-एक विशाल सेना के साथ सम्राट हुड और महारानी फिजा युद्ध के लिए रोम देश से रवाना हो गयी । ओकान रेगिस्तान मे दोनों दल की सेना एक-दूसरे के सामने आकर खड़ी हो गयी । ब्लैक शैडो का दल सम्राट हुड से कहता है कि “ अभी वक़्त है सम्राट हुड ! महारानी फिजा को हमारे हवाले कर दो । हम तुम्हें माफ कर देगे । ” सम्राट हुड ब्लैक शैडो दल से कहता है कि “ महारानी फिजा अब मेरी पत्नी है । इसलिये उस तक पहुँचने से पहले मुझ से टकराना होगा ।” ब्लैक शैडो का दल उस से कहता है कि “ जैसे तुम्हारी मर्जी । ” इतना कहकर ब्लैक शैडो का दल हाथ से इशारा करके अपनी-अपनी सेना को हमला करने का हुक्म दिया । अपने सम्राटों का हुक्म मानकर सबके सेनापति सेना लेकर सम्राट हुड की तरफ बढ़ रहे थे कि अचानक हवा को चीरते हुए एक साथ कई भाले उनके सीनो पर जा लगे । जिस से सारे सेनापतियों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी । जब सब ने पीछे मुड़कर देखा । तो बटालिका घोड़े पर सवार होकर बड़ी तेजी से इस तरफ आ रही थी । उसने युद्ध की पोशाक पहन रखी थी । यह देखकर सेना मे भगदड़ मच गयी और वो सब डर कर पीछे हटने लगी । बटालिका ब्लैक शैडो के दल के सामने आकर कहती है कि “ सब लोग अपने हथियार नीचे फेककर घुटनो पर बैठ जाओ। वरना अपनी मौत के जिम्मेदार तुम सब खुद होगे ।” इतना कहकर बटालिका ने अपनी सन-साइन तलवार बाहर निकाल ली । बटालिका की बात मानकर सारी सेना घुटनो पर बैठ गयी । यह देखकर ब्लैक शैडो का दल भी अपना हथियार फेकते हुए सम्राट हुड और महारानी फिजा के सामने घुटनो पर बैठ गये । इस तरह उनकी सारी संपति और राज्य पर सम्राट हुड ने अपने कब्जे मे कर लिया । इस के बाद सम्राट हुड ने ब्लैक शैडो दल के ऊपर भारी हर्जाना थोपकर उन्हे जिंदा छोड़ दिया गया । एक फरमान के साथ जिसमे लिखा था- “उनकी वफादारी तब तक रहेगी जब तक सम्राट हुड को हर साल कर (टैक्स) भेजते रहेगे । हर छः महीने बाद ब्लैक शैडो के दल को सम्राट हुड के सामने हाजिर होना पड़ेगा । अब से तुम्हारी सारी सेना सम्राट के देख-रेख मे होगी । अगर किसी ने भी सम्राट हुड के खिलाफ जाने या फिर षडयत्र साजिश रचने की कोशिश की , तो उसे मौत की सजा दी जायेगी ।” इसके बाद ब्लैक शैडो का दल अपने राज्य वापस लौट गया । उन सब को अपना गुलाम बनाने के बाद सम्राट हुड बहुत खुश हुआ । इस तरह उसका विश्व विजेता बनने का सपना पूरा हो गया । बटालिका , सम्राट हुड और महारानी फिजा के साथ रोम देश वापस आ गयी । उनके पीछे थी-एक विशाल सेना, जिसका अंदाज लगा पाना बहुत मुश्किल था । नगर मे प्रवेश करते ही शाही नगाड़े बजाये गये । चारो तरफ से फूलो की बरसात होने लगी, यह सब देखकर सम्राट हुड बहुत खुश हुआ । एक रात निकोलस बटालिका से मिलने के लिए उसके कमरे मे पहुँच गया । यह देखकर बटालिका नाराज हो गयी और उसे यहाँ से चले जाने को कहा । मगर निकोलस कहा मनाने वाला था । आखिरकार उसने बटालिका को चाँदनी रात मे बाहर घूमने के लिए मान ही लिया । इसके बाद दोनों चोरी-छिपे राजमहल से निकल कर रोम के बाजारो मे घूमने लगे । बटालिका निकोलस से कहती है कि “ इतनी खुशी तो मुझे कभी नहीं मिली ।” निकोलस बटालिका से कहता है कि “ अभी तो पूरी रात बाकी है ।” इतना कहकर उसने बटालिका का हाथ पड़कर बंजारो का डांस दिखाने ले गया । यह सिलसिला एक साल तक चलता रहा और उनकी दोस्ती देखते ही देखते प्यार मे बदल गयी । एक दिन दूसरे के राज्य मे बटालिका को निकोलस के साथ घूमते हुए रोम के कुछ गुप्तचरों ने देखा लिया। इस बात की खबर उन्होने सम्राट हुड को कर दी । यह खबर मिलते ही सम्राट हुड का गुस्सा सतावे आसमान पर पहुंचा गया । उन्होने सेनापति कुम्भ और प्रधामन्त्री टोको को बुलाकर बटालिका के ऊपर नजर रखने ले लिए कहा । सम्राट हुड का हुक्म मिलते ही सब लोग चोरी-छिपे बटालिका के ऊपर नजर रखना शुरू कर दिया। एक रात सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ ने बटालिका को निकोलस के साथ राजमहल से बाहर जाते हुए देखा लिया । सम्राट हुड का इशारा पाते ही सेनापति कुम्भ सेना की छोटी सी टुकड़ी साथ लेकर उनके पीछे निकल पड़ा । बटालिका और निकोलस इस बात से बेफिकर थे कि उनका पीछा किया जा रहा था । जब निकोलस बटालिका को राजमहल के बाहर छोड़कर जाने लगा । उसी समय सम्राट की शाही सेना ने उसको चारो तरफ से घेर लिया । अगली सुबह-निकोलस को सम्राट हुड के शाही सभा मे हाजिर किया गया । जहां पर उसको दुश्मन का जासूस बताकर मृत्यु दण्ड की सजा सुनायी गयी । दुश्मन के जासूस की खबर सुनते ही बटालिका उसको देखने के लिए शाही सभा मे आयी । निकोलस को जंजीर से बंधा देखकर उसके पैरो तले से जमीन खिसक गयी । वह अपने तलवार एक ही वार से उसके सारे जंजीर को काट कर आजाद कर दिया । इस बात से सम्राट हुड बहुत नाराज हुआ और इसका कारण बताने के लिये कहा । बटालिका सम्राट हुड से कहती है कि “ सम्राट ये जासूस नहीं बल्कि, मेरा दोस्त निकोलस है और मै इस से बहुत प्यार करती हूँ । प्यार का नाम सुनते ही सम्राट हुड को अपनी विशाल सत्ता हाथ से निकलते हुए दिखायी देने लगी । रोम देश के खिलाफ दुश्मन का साथ देने के जुर्म मे उन दोनों को बंदी बना का हुक्म दिया गया । यह सुनते ही बटालिका के गुस्से का ज्वालामुखी शाही सभा मे फूट पड़ा और निकोलस की तरफ बढ़ रहे शाही सेना से लड़ने लगी । निकोलस भी जमीन पड़ी तलवार को उठाकर बटालिका के साथ सैनिको से लड़ने लगा । सम्राट हुड का इशारा पाते ही सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको तलवारों लेकर निकोलस पर टूट पड़े । निकोलस एक साथ कई तलवारों का सामना कर रहा था । अचानक लड़ते समय निकोलस की तलवार टूट गयी । जिस से वो बुरी तरह से घबराह गया । सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको एक साथ तलवार से निकोलस पर जैसे ही वार करने चले । वैसे ही बटालिका ने अपनी सन-साइन तलवार ने उनके तलवारों को बीच मे ही रोक लिया । बटालिका तलवारों के बेहतरीन दांव-पेचो को दिखाते हुए सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको से लड़ने लगी । यह देखकर सम्राट हुड ने शाही सभा मे खड़े सारे सैनिको को एक साथ हमला करने का हुक्म दिया । इसके बाद सारी सेना बटालिका और निकोलस से लड़ने लगी । इसी बीच सेनपति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको को संभालने का मौका मिला गया । सेनापति कुम्भ बड़ी चालाकी दिखाते हुए बेहोश करने वाली सुई से उन दोनों पर हमला किया । सुई के लगते ही बटालिका और निकोलस के सामने अंधेरा छाने लगा । देखते ही देखते दोनों लोग वही पर बेहोश हो गये । जब उन दोनों को आंखे खुली तब वो अपने आप को अलग-अलग कारागार मे जंजीरों से बंधा हुआ पाया । कुछ देर बाद सम्राट हुड के साथ सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको कारागार मे बटालिका से मिलने आये । सेनापति कुम्भ बटालिका से कहता है कि “ तुमने शाही सभा मे सम्राट हुड के खिलाफ जाकर दुश्मन के जासूस का साथ दिया । इसलिये सम्राट हुड ने तुम दोनों को मौत की सजा सुनायी गयी है । अगली सुबह होते ही निकोलस को शाही सेना के तीरो से और तुमको राजमहल के अंदर जिंदा जमीन मे दफन देने की सजा दी गयी । ताकि बटालिका दुनिया वालों की नजर मे हमेशा जिंदा रहे ।” बटालिका सम्राट हुड से कहती है कि “ क्या उन्हे अपने बेटी से बिल्कुल प्यार नही ।” तब सम्राट हुड ने बटालिका को बताया कि वो ऐल्दी देश की राजकुमारी है और उसके माता-पिता की हत्या सम्राट हुड ने की है ।” यह सुनकर बटालिका एक जख्मी शेरनी की तरह इधर-उधर हाथ-पाँव मरने लगी । लेकिन जंजीरों से बंधा होने की वजह से वो कुछ नहीं कर पायी । बस उसके मुंह से एक ही शब्द निकला –मुझे क्यो नहीं मार डाला । उसकी आवाज कारागार की दीवार से टकराकर रह गयी । उसको इस हालत मे देखकर सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ के साथ प्रधानमंत्री टोको भी हँसते हुए वहाँ से चले गये । निकोलस बटालिका से कहता है कि “ तुम्हें जिंदा इसलिये रखा क्योकि वो तुम्हारे नाम से कई देशो पर अकेले शासन कर रहे है । हर महीने करोड़ो की धन-दौलत सम्राट हुड के शाही राजकोष मे जाती है । पहले यह धन ब्लैक शैडो मे बराबर हिस्सो बाँट दिया जाता । यह बात सम्राट हुड को बिल्कुल पसंद नहीं थी । इसलिये तुम्हारे हाथ से कैली देश के राजा हेरिट को मरवाया और इसका इल्जाम जमाल देश की रानी फिजा पर लगा । महारानी फिजा से शादी करना सम्राट हुड की एक चाल थी । क्योकि वो उसके देश पर कब्जा करना चाहता था । फिर इन्होने ही पत्र लिख कर युद्ध की घोषणा की और तुम ने युद्ध के मैदान मे जाकर अपनी ताकत से उन सब को सम्राट हुड का गुलाम बनने पर मजबूर कर दिया । अगर ब्लैक शैडो के दल को पता चला कि बटालिका मर चुकी है । तब वो सम्राट हुड के खिलाफ विद्रोह कर देगे । इसलिये तुम्हें राजमहल के अंदर चुपचाप जिंदा दफनाया जा रहा है ।” बटालिका निकोलस से कहती है कि “ ये सब बाते तुम्हें कैसे मालूम हुई ?” निकोलस मुस्कुराकर बटालिका से कहती है कि “ क्योकि मै चोर हूँ धन दौलत चुराते–चुराते कभी सरकारी कागजात भी हाथ लग जाते है। बस उन्ही सारी जानकारी मिल जाती है ।” उसकी बात सुनकर बटालिका के मुरझाये हुए चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी । कारागार के दिवारे के पीछे से महारानी फिजा ने भी उन दोनों की यह बात सुन ली । सुबह होते ही शाही सेना निकोलस को कारागार से निकालकर अपने साथ ले गयी । यह सब देखकर बटालिका का खून खौल उठा । उसी समय महारानी फिजा बटालिका से मिलने के लिए उसके कारागार मे आयी । महारानी फिजा को देखते ही बटालिका उस से कहती है कि “ आप यहाँ पर क्या करने आयी है ?” महारानी फिजा बटालिका से कहती है कि “बस तुम्हें आखिरी बार देखने आयी हूँ।” इतना कहकर बटालिका को गले लगाने के बहाने उसके हाथ मे चुपके से जंजीरों को चाबी दे दी । बटालिका ने आंखो ही आंखो मे महारानी फिजा को शुक्रिया कहा । इसके बाद महारानी फिजा वहाँ से चली गयी । बटालिका ने चाबी से जंजीरों मे लगे सारे ताले को तुरंत ही खोल लिया । कारागार के बाहर खड़े सैनिक यह देखकर हैरान हो गये । जैसे ही सैनिको की एक टोली कारागार का दरवाजा खोलकर फिर से उस को बाधने ले अंदर आयी । उसी समय बटालिका ने जंजीरों को हथियार की तरह इस्तेमाल करके उनसे लड़ने लगी । जंजीरों से लड़ाई के बेहतरीन दांव-पेच दिखाते हुए सब के शरीर को हवा मे उछाल दिये । जमीन पर दर्द से तड़प रहे किसी भी सैनिक के शरीर इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो दुबारा अपने पैरो पर खड़े होकर बटालिका से लड़ सके । इस तरह बटालिका ने कारागार मे मौजूद सारे पहरेदारों को एक-एक करके मार डाला और वहाँ से भागने मे कामयाब हो गयी । सन-साइन तलवार को लेने के लिए बटालिका अपने कमरे मे पहुंची । जब उसने सुनहरे सन्दूक को खोला तब उसमे रखी तलवार की रोशनी उसके चेहरे से टकरायी । इसके बाद वो युद्ध की पोशाक पहनकर शेरनी की तरह एक छत से दूसरे छत पर छलांग लगाते हुए राजमहल के शाही मैदान मे पहुंची । जहां पर निकोलस को मारने के लिये शाही सेना तीर ताने खड़ी हुई थी । बस इंतजार था तो सम्राट हुड के हुक्म का । इस से पहले की सम्राट हुड तीर चलाने का हुक्म देते उस से पहले ही बटालिका राजमहल के ऊपरी छत से कूदकर ठीक शाही सेना के सामने आ गयी । सन-साइन तलवार को म्यान से निकाल कर निकोलस के हाथो मे बंधी जंजीरों को एक ही वार मे काट कर उसको आजाद कर दिया । यह सब देखकर सम्राट हुड ज़ोर से चिल्लाते हुए कहता है कि “ खत्म कर दो इन दोनों को ।”सम्राट हुड का हुक्म पाते ही सेना के हाथो से कई तीर एक साथ छूटने लगे । इस से पहले की वो सारे तीर बटालिका तक पहुँच पाते । वह सन-साइन तलवार की मदद से आने वाले सारे तीरो को बड़ी तेजी से काटने लगी । निकोलस भी जमीन पर पड़ी तलवार को उठाकर शाही सेना से लड़ने लगा । शाही सेना से लड़ते समय निकोलस बटालिका से कहता है कि “ हमे यहाँ से जल्दी बाहर निकलना होगा। क्योकि कुछ ही पलो मे रोम की सारी सेना यहां पर आती होगी।” बटालिका निकोलस को यहां से भाग जाने को कहा । मगर भागने के बजाये उसने अपने घोड़े को आवाज दी । अस्तबल मे बंधा उसका घोडा रस्सियों को तोड़ता हुआ युद्ध के मैदान मे आ गया । निकोलस बटालिका को अपने साथ घोड़े मे बैठकर हवा की गति से भाग निकला । रोम के बेहतरीन तीरंदाज उन दोनों पर लगातार तीर से हमला कर रहे थे । किसी तरह से अपने आपको को बचाते हुए दोनों रोम की सीमा से काफी दूर निकल गये । बटालिका ज़ोर से कहती है कि “अब हम आजाद है ।” तभी निकोलस घोडा पर से बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा । यह देखकर बटालिका घबराह गयी । जब वह पास जाकर देखी तो उसके पीठ पर कई तीर एक साथ धँसे हुए थे । वो तुरंत ही घोड़े पर से उतरकर उसके पीठ पर लगी तीरो को एक-एक करके निकालने लगी । फिर उसका सिर अपने गोद मे रखकर बटालिका उसे कहती है कि “ आखिर तुमने ऐसा क्यो किया ?” इस बात का जवाब निकोलस नहीं दे पाया और सिर्फ बटालिका की तरफ देखते हुए अपनी आंखे बंद कर ली । यह देखकर वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी । उसके मरे हुए शरीर को साथ लेकर बटालिका वहाँ से कही दूर ले गयी । एक घने जंगल मे पहुँचकर बटालिका को आदिवासियो का गाँव दिखायी दिया । जहां पर कबीले का सरदार हायसू उसको देखते ही सम्मान देने के लिए नीचे बैठ गये । उसने कबीले वालों को बताया कि “ युद्ध की देवी की सेवा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होगी । अगर किसी ने भी सच्चे मन से इनका स्वागत नहीं किया तो उसे देवताओ के प्रकोप का सामना करना होगा ।” उन कबीलो वालों की मदद से निकोलस का अंतिम संस्कार कर दिया । बटालिका के खोज मे निकली शाही सेना की छोटी सी टुकड़ी आस –पास के गाँव पर हमला करके विद्रोहियो के बारे मे पुछने लगे । यह खबर हायसू के कानो तक पहुंची । हायसू कब्रिस्तान मे खड़ी बटालिका से कहता है कि “ युद्ध की देवी आप यहाँ से भाग जाइये ।” रोम के सैनिको ने हमारे गाँव पर हमला कर दिया और हर किसी से आप के बारे मे पूछ रहे है ।” बटालिका निकोलस की क्रब की तरफ देखते हुए कहती है कि अब होगा असली युद्ध ! जिसे देखकर पूरा रोम काँप उठेगा ।” अपनी तलवार को म्यान से निकालकर जंग का ऐलान कर दी । इधर रोम के शाही सैनिक कबीलो वालों को मार-मार कर विद्रोहियो के बारे मे पूछ रहे थे कि अचानक बटालिका उनके सामने आ गयी । शाही सेना बटालिका को सामने खड़ा देखकर उसे मारने के लिये दौड़ पड़े । इस से पहले की शाही सेना कुछ समझ पाती , बटालिका सबको मरते-काटते हुए बड़ी तेजी के साथ आगे निकल गयी । उसकी तलवार की रफ्तार चमकती हुई बिजली की तरह दिखायी दी। जब वह पीछे मुड़कर देखी तो उसे शाही सेना के शव जमीन पर बिखरे पड़े हुए दिखायी दिये । “युद्ध की देवी” वाला रूप देखकर सारे कबीले वाले अपने आप नीचे झुक गये । डर कर भाग रहे एक सैनिक को हायसू ने पड़ा लिया लेकिन बटालिका के कहने पर उसको आजाद कर दिया । बटालिका उस शाही सैनिक से कहती है कि “ सम्राट हुड से कहना कि किसी सुरक्षित बिल मे जाकर छिप जाये। क्योकि अब इस धरती पर कोई भी सम्राट जिंदा नहीं बचेगा ।” वह शाही सैनिक सम्राट हुड के पास पहुँचकर बटालिका का संदेश पहुंचा दिया । सम्राट हुड गुस्साकर गुप्तचरों से शाही फरमान भेजवाया कि “ सभी राजा अपनी सेना लेकर तुरंत ही रोम देश पहुंचे ।” सम्राट हुड का हुक्म पाते ही सारे गुप्तचर अलग-अलग देशो के लिये निकल पड़े । इधर बटालिका जंगल के बहते हुए झील मे तलवार का रियास (अभ्यास ) कर रही थी । तो दूसरी तरफ- ब्लैक शैडो की विशाल सेना रोम देश की ओर बढ़ती चली आ रही थी । हायसू से बटालिका को पाता चली कि उसको खत्म करने के लिये ब्लैक शैडो की विशाल सेना यहाँ पर रही है । तो बटालिका ने भी उनको बीच रास्ते मे खत्म करने की योजन बनायी । युद्ध मे जाने से पहले सन-साइन तलवार का रहस्य बताने के लिये हायसू बटालिका को अपने साथ आदिवासियो के प्राचीन मंदिर मे ले गया । जहां पर ना जाने कितने सालो से हजारो पांडुलिपिया वहाँ के अलमारी मे पड़ी हुई थी । उन्ही पांडुलिपिया से एक लिपि निकालकर बटालिका से कहता है कि “दरअसल ये तलवार राडायर नाम के शैतान की है । जब यह तलवार स्वर्ग मे बनायी जा रही थी । तब राडायर वही पर मौजूद था । इस से पहले की ये तलवार देवताओ के सम्राट तक पहुँच पाती। उस से पहले ही राडायर ने यह तलवार चुरा ली । राडायर एक इच्छा धारी सर्प मानव था । उसकी दुनियाँ हमारी दुनियाँ से बिल्कुल अलग है । क्योकि उनकी दुनियाँ चमत्कारी शक्तियों से भरी हुई थी । जब देवताओ की सेना अपना तलवार लेने के लिए उसकी दुनियाँ मे गयी तो उन्हे हार का सामना करना पड़ा । इसलिये देवताओ ने एक अफवाह फैलायी कि देवताओ को धरती पर एक तिलिस्मी ढाल मिला है । यह सुनते ही राडायर खुशी से उछाल पड़ा और उस ढाल को लेने के लिए अपनी दुनियाँ से निकालकर हमारी दुनियाँ मे आया । जहां पर देवताओ की सेना पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी । एक तरफ थी- राडायर की सर्प सेना और दूसरी तरफ थी-देवताओ की सेना । दोनों के बीच घमसान युद्ध हुआ लड़ाई के दौरान तलवार को शक्ति देने वाले पाँच जादुई सिक्के प्रकाश का गोला बनाकर अलग-अलग दिशाओ मे जाकर गिरे । तलवार के शक्तिहीन होते ही राडायर और उसकी सेना धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी । इसी का फायदा उठाकर स्वर्ग की शाही सेना ने चट्टान पर जादुई मंत्र लिखने लगे । मंत्र के पूरा होते ही राडायर और उसकी सेना उस चट्टान के अपने-आप खिचती हुई चली गयी। इस तरह उसकी पूरी सेना उस चट्टान मे कैद हो गयी । जादुई सिक्को को खोजने का काम धरती के कुछ चुन्नीदा पुजारियों के दल को दिया गया । जिनके वंशज आज भी इसी काम मे लगे हुए है । कई सालो के बाद एक जादुई सिक्का यहाँ के मछुवारे को मछली के पेट से मिला । जब उसने यह सिक्का इस मंदिर की देवी पर चढ़ाया तो मै उसको देखते ही पहचान लिया कि ये वही सिक्का है जिसकी तलाश मुझे कई सालो से थी । लिपि के अंतिम पन्नो मे यह लिखा है कि जिसके पास ये तलवार होगी सिक्के उसी को दिये जाये । यह कहकर हायसू ने देवी के चरणो मे पड़ी वो सिक्के उठाकर बटालिका को दे दिये । जब बटालिका ने इसका इस्तेमाल करने का तरीका पूछा । तब हायसू ने कुछ नहीं बता पाया । इसके बाद वो निकोलस के घोड़े पर बैठकर वहाँ से चली गयी । बटालिका आदिवासियो की मदद से जंगल का सबसे छोटा रास्ता लेकर ब्लैक शैडो की सेना को रोम की सीमा पर ही रोक लिया। उसको सामने खड़ा देखकर ब्लैक शैडो की सेना तलवार निकालकर उसकी तरफ दौड़ पड़ी । बटालिका अपनी जेब से सिक्के निकालकर तलवार के नीचे बने खाली स्थान पर लगाते हुए कहती है कि “ यही वक़्त है इस तलवार की शक्ति आजमाने का । ” यह कहकर पूरी ताकत से उस तलवार को जमीन मे धंस दी । जमीन मे धँसते ही उस तलवार के अंदर से हरे रंग की रोशनी निकली और आसमान को चीरकर अन्तरिक्ष मे चली गयी । तभी मौसम बदल गया। देखते ही देखते आसमान मे पूरे काले बादल छा गये और तेज हवाये बहने लगी । अचानक बिजली के कडकड़ने की आवाज सुनायी देने लगी । यह सब देखकर बटालिका की तरफ बढ़ रही ब्लैक शैडो की सेना घबराह गयी । उसी समय आसमान से कड़कती हुई बिजली सेना के चारो तरफ गिरने लगी । इस से पहले की सेना और ब्लैक शैडो का दल कुछ समझ पाता । आसमान से कड़कती हुई बिजली उन सब पर लगातार गिरने लगी और सब कुछ जलाकर रख कर दी । जैसे ही बटालिका ने जमीन मे धँसी तलवार को बाहर निकाला । वैसे ही पूरा मौसम साफ हो गया । इसके बाद बटालिका घोड़े पर बैठकर वहाँ से चली गयी और अपने पीछे छोड़ गयी लाखो जलती हुई लाशे । यह खबर जंगल मे लगी आग की तरह पूरे रोम मे फैल गयी कि बटालिका वास्तव मे “ युद्ध की देवी ” क्योकि उसके पास देवताओ के शक्ति है । जब यह बात सम्राट हुड के कानो तक पहुंची कि बटालिका जिंदा है और उसने ब्लैक शैड के दल को अपनी दिव्य शक्ति से खत्म कर दिया । यह सुनकर सम्राट हुड का खून खौल उठा । उसने तुरंत ही सेनापति कुम्भ और प्रधानमंत्री टोको को हमला करने का हुक्म दिया । रातो-रात एक विशाल सेना को लड़ाई के लिए तैयार होने लगी । सिंहासन पर बैठकर सम्राट हुड मन मे सोचने लगा कि “बटालिका को “ युद्ध की देवी ” तो मैंने ही बनाया । लेकिन उसके पास दिव्य शक्ति कहाँ से आ सकती है वो तो एक मामूली सी योद्धा है । मुझे लगता है कि ये जरूर अफवाह है ।” सुबह की पहली किरण पड़ते ही खतरनाक हथियारो से लैस पूरी सेना आदिवासियो के जंगल की तरफ निकल पड़ी । जंगल के बाहर जानवरो को चर रहे चारगाहों की टोली शाही सेना को अपने गाँव की तरफ आता देखकर एक खास आवाज निकलते हुए इस बात का संकेत दिया कि “ युद्ध की देवी ” को मारने के लिए रोम की सारी सेना यहाँ आ रही है । बटालिका अपने घोड़े पर बैठकर जैसे ही युद्ध के लिये जाने लगी । वैसे ही हायसू पूरे कबीले वालों को साथ लेकर उसके पास गया । मगर बटालिका ने यह कहकर मना कर दिया कि वो अपने इस परिवार को खोना नहीं चाहती । इस बात से सभी आदिवासी बहुत खुश हुए कि “ युद्ध की देवी ” ने उन सबको अपना परिवार कहा । इसके बाद बटालिका वहाँ से चली गयी । अचानक सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ को धूल भरी आँधी को चीरते हुए बटालिका नजर आयी । बटालिका को सामने खड़ा देखकर प्रधानमंत्री टोको उस से कहता है कि “तुमने यहाँ अकेले आकर बहुत बड़ी गलती कर दी । अब तुम देखोगी अपनी मौत का असली खेल। जिसके बारे तुमने सिर्फ किस्से-कहानी मे सुना होगा । ” सम्राट हुड का इशारा पाते ही प्रधानमंत्री टोको आधी सेना लेकर बटालिका की तरफ तेजी से दौड़ पड़ा । बटालिका अपनी तलवार मयान से निकाल कर इधर-उधर घुमाते हुए उनकी तरफ तेजी से दौड़ पड़ी । बटालिका बड़ी बेरहमी से शाही सेना को मारने लगी । प्रधानमंत्री टोको तलवार लेकर धीरे-धीरे बटालिका की तरफ बढ़ने लगा । शाही सेना से लड़ते समय बटालिका ने प्रधानमंत्री टोको को देखा लिया कि वो हमला करने का मौका ढूंढा रहे है । बिजली सी फुर्ती दिखाते हुए जमीन पर पड़ी भाले को पैर से हवा मे उछाल और बाये हाथ से पकड़ लिया । फिर पूरी ताकत से प्रधानमंत्री टोको की तरफ फेका । इस से पहले की प्रधानमंत्री टोको कुछ समझ पाता । भाले की नुकीली नोक हवा को चीरते हुए उसके सीने के आर-पार निकल गयी । इस तरह प्रधानमंत्री टोको की मौत वही पर हो गयी । लाशों के ढेर पर तलवार लेकर खड़ी बटालिका का यह रूप देखकर पूरी सेना डर गयी और अपने-अपने हथियार जमीन पर फेकते हुए घुटनो पर बैठने लगी । सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ अपने पीछे खड़ी सेना को हमला करने का हुक्म दिया । लेकिन सेना ने उनका हुक्म मनाने से साफ-साफ कर दिया । उन लोगो का मानना था कि “युद्ध की देवी” के खिलाफ विद्रोहों करने वाले को नरक की आग मे जलना होगा । इसलिये रोम की सारी सेना बटालिका की तरफ चली गयी । जिस से सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ इस युद्ध मे अकेले पड़े गये । “युद्ध की महान देवी के खिलाफ विद्रोहों करने के आरोप मे उन दोनों को चारो तरफ से घेर लिया । सेना तलवार और भाले लेकर उनकी तरफ बढ़ने लगी । लेकिन बटालिका ने यह कहकर मना कर दिया कि इन दोनों को सजा देने का हक सिर्फ उसको है । बटालिका का हुक्म मानकर सारी सेना पीछे हटने लगी । अपना सब कुछ खो चुका सम्राट हुड गुस्से से पागल होकर बटालिका की तरफ तलवार निकाल कर बढ़ने लगा । सेनापति कुम्भ भी तलवार निकाल कर उनके साथ चलने लगा । बटालिका खून से सनी तलवार को जमीन पर घसीटते हुए एक जख्मी शेरनी की तरह उन पर टूट पड़ी । फिर शुरुआत हुई एक घमासान युद्ध की । सन-सान तलवार के आगे सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ की तलवार कमजोर पड़ने लगी । बटालिका तलवार के साथ-साथ मार्शल-आर्ट के बेहतरीन दांव-पेचो का भी इसतेमाल कर रही थी । जो हेराना ने सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ को भी नहीं सिखायी थी । इसलिये वो उन दोनों पर भारी पड़ रही थी । बटालिका के शरीर पर जितने भी जख्म बनते। उसकी अंदर की छिपी हिंसा की आग उतना ही भड़क उठती । जो उसके तलवार मे साफ-साफ नजर आ रही थी । लड़ते समय सम्राट हुड और सेनापति कुम्भ का शरीर बुरी तरह से घायल और थक चुका था । उन दोनों के शरीर से खून पानी की तरह लगातार बह रहा था । जिसके वजह से दोनों लोग युद्ध मे लड़खड़ाने लगे और बटालिका के तलवार से डरकर उनके पैर अपने-आप पीछे हटने लगे । इसी का फायदा उठाकर बटालिका अपने तलवार के एक ही वार से उन दोनों की गर्दन धड़ से अलग कर दिया । इस तरह रोम से सम्राट हुड का आतंक खत्म हुआ । उसके किले मे बंदी बनाये गये हजारो राजाओ को आजादी मिली और एक बार फिर से रोम मे शांति कायम हो गयी । रोम का अलग शासक महारानी फिजा को बनाया गया । महारानी फिजा बटालिका को गले लगाकर कहती है कि“ मुझे अकेला छोडकर मत जाओ बटालिका ! मै इस सिंहासन के लायक नहीं हूँ ।”बटालिका महारानी फिजा से कहती है कि“ इस सिंहासन पर आपका ही आधिरकार है माँ । आपने भले ही गलत लोगो का साथ दिया, मगर दिल से आप साफ है। अगर आप नहीं होती तो मै उस कारागार से कभी नहीं भाग पाती ।” यह सुनते ही महारानी फिजा के आंखो मे आँसू आ गये । महारानी फिजा रोते हुए बटालिका से कहती है कि“ मुझे माँ कहने के लिए तुम्हारा शुर्किया।” उसी रात बटालिका किसी को बताये बिना ही राजमहल से काफी दूर चली गयी । मगर भविष्य यह नहीं बता सकता कि ये खुशी कब तक कायम रहेगी । क्योकि एक ना एक दिन राडायर की सर्प सेना उस चट्टान के अंदर से जरूर बाहर आये होगी । अगर ऐसा हुआ तो उस दिन होगी महायुद्ध की शुरुआत ।