हैवनली हैल - 3 - अंतिम भाग Neelam Kulshreshtha द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हैवनली हैल - 3 - अंतिम भाग

हैवनली हैल

नीलम कुलश्रेष्ठ

(3)

``सॉरी री मैडम !आई एम होल्डिंग यू टुडे. प्लीज़ ! सिट डाउन. ``

मजबूरन उसे बैठना पड़ा था.

``इतने दिनों बाद आए हो. अच्छी अच्छी बात करो. अच्छा बताओ आई एम गुड़ ओर बैड ?``

उनके चेहरे पर बिछी मासूमियत देख़कर उसे विमू ड़ बना दिया था. जो व्यक्ति जान बूझकर उसे तंग कर रहा है वही भोले चेहरे से पूछ रहा है, ``लाइक माई एल्डरली फ्रेंड यू एनालाइज़ माई पर्सनैलिटी, आई एम गुड़ ओर बैड. ``

`` यू कैन एनालाईज़ योरसेल्फ. ``तब वह कहकर उठ ली थी.

बाद में उसने जो उसने जगह जगह संपर्क करके नर्क झेला, लोगों को बिकते देखा तो उसे ये व्यक्ति अद्भुत लगने लगा. वह जैसा है, वैसा है, बिना नकाब के. उसके अपने स्वर्ग के देवताओ जैसा तो नहीं है जो स्निग्ध चेहरे के नकाब लगाये तलवार से वार करते हैं.

दो बरस बाद उसके छोटे भाई ने मेरठ में रहने वाले अपने मित्र के भाई का नाम ढूंढ़ निकाला था, किसी को हवा भी नहीं लगने दी थी कि गियर्स वहा बनवाये जा रहे थे. ना बनाने वालों को पता था कि किसके लिए वो काम कर रहे हैं. इस बीच वे मानसिक रुप से लड़ते रहे थे. वह अपने व्यवसाय की दुनियाँ में फिर से उठ खड़ी हुई थी.

कुछ वर्ष बाद बड़ी मुश्किल से उसकी शादी तय हुई थी. उसके विवाह को उसी भाई ने उसकी ससुराल में झूठा गुमनाम पत्र डालकर तुड़वा दिया था कि वह चरित्रहीन है कि कहीं बाकी एक भाई बहिन को उसे ना पालना पड़ जाए. अपनों के दिए नर्क की लपटों ने उसके जीवन को झुलसा दिया था. उनकी कम्पनी की होर्डिंग हर दिन दिखाई देते थे, उसके जीवन को घेरे हुए थे. इस तपन से घबरा कर वह उन्हें फ़ोन कर बैठी थी.

पहले फ़ोन पर उन्हें अपना व्यवसाय ख़ड़ा करने के लिए बधाई दी थी व जता भी दिया था कि उसे स्टेट अवॉर्ड मिला गया है. उसकी सफ़लता छोटी ही सही लेकिन है तो सही

पुरस्कार की बात सुनकर वे बोले थे, ``मिठाई कब खिला रहे हो ?``

``अपने भी तो इतना बड़ा बिज़नेस ख़ड़ा किया है, उसकी मिठाई ?``

``आप हमारे यहां आओ तो सही. ``उनकी आवाज़ की निचली पर्त से उसके साँस थम गई थी, वह उन्हें फ़ोन क्यों कर बैठी ?

उसके मौन रहते हुए भी वे बोले थे, ``मै रफ़ रोड का आदमी हूँ, आपका साथ चाहिये. ``आवाज़ में वही तड़प तड़फड़ा गई थी, ``तरला कंसत्ट्रक्शन का हमने दूसरा कॉन्ट्रेक्ट रिजेक्ट कर दिया है, बहुत थर्ड क्लास काम था. हमे एफ़िशिएंट लोग अच्छे लगते हैं.

उस आवाज़ की सच्चाई भरी कातरता उसके रेशे रेशे को झनझना गई थी. बरसों छूटा हुआ कुछ क्या दोनों को नहीं झनझनाये दे रहा था.

वह समय नियत करके चली आई है तो सामने बैठा इस एम्पायर का स्वामी पी ए के फाइल्स ले जाने के बाद बार -बार अपने को फ़ोन कॉल्स में उलझाये हुए है. जब फ़ोन नहीं आता तो स्वयम्‌ फ़ोन करने लगाता है. कभी इंटरकॉम पर पी ए को ऊटपटाँग आदेश देने लगता है. उसकी उपस्थिति में वे क्यों वर्षो पहले असहज हैं ?उसे स्वयम्‌ क्या कम सनसनी हो रही है. वह क्यों चली आई है ?क्या ढूंढ़ ने चली आई है?

इसी कातरता में वह कह पाते हैं, ``सो, नाउ वी आर सीनिअर सिटीजन्स बट नॉट सिक्सटी प्लस. ``

वह हल्के से हंस पड़ती है. इतने वर्ष लांघने के बाद वे बात ढूंढ़ ने में असमर्थ हैं. वह भी सोच रही है कि बात कहाँ से शुरू करे, बस यही सूझता है, ``आई वॉन्ट टु लीव. ``

``अभी से. ``बरसों पहले वाली तड़प उनकी आँखों में तड़पती है जो उसे भी कभे कभी तड़पा देती थी. ये बड़ा प्रतिष्ठान, उनके यहाँ नौकरी करने वाली लड़कियां इस अंदरूनी तड़प का आज भी जवाब नहीं बन पाई हैं ?

``नहीं, प्लीज़ ! देर हो रही है. ``

` `कितने दिनों बाद आए हो, चाय पीकर तो जाओ. ``

`वह `न` नहीं कर पाती. चपरासी की लाए पानी को पीकर चाय का प्याला उठा लेती है. उन दोनों को साथ साथ चाय पीते देख़कर कौन सोच सकता है कि उनका शिकार व शिकारी का रिश्ता रहा है.

वे चाय पीते हुए दूसरे देशो में फ़ोन लगा रहे हैं, उस पर रौब गाँठने की पुरानी आदत` ही इज़ अ मेंन ऑफ़ पॉवर `.अब तो उन्होंने सिद्ध भी कर दिया है. वे झिझकते हुए पूछते हैं, `यू वॉन्ट दु सी मी ?``

``यस आई वॉन्ट दु सी योर एम्पायर.``उसके गले से बहुत मुश्किल से आवाज़ निकलती है.

``कैसा लगा ?``

``वंडरफ़ुल. ``

वे गर्दन को रिवॉल्विंग चेयर पर पीछॆ की तरफ टिका देते हैं. वही पुरानी अकड़ी हुई गर्दन, नीचे झुकी मोटी मांसल आँखों का पुराना ग़रूर --दुनियाँ हमारी सल्तनत है. उसे आज भी नहीं समझ आता कि दुनियाँ को ख़रीदकर अपनी जेब में रख़ने वाले व्यक्ति से वह ख़ौफ़ क्यों नहीं खाती ?शायद इसलिए कि वह उसका पहला व्यावसायिक मित्र भी था. उसे आश्चर्य होता है. सामने बैठे वे कह रहे हैं, ``भगवान कहीं है ?ये दुनियाँ एक नर्क है. हम स्वयम्‌ अपने भगवान है. ``

सच ही उन्होंने अपना भगवान बनकर दिखा दिया है. बरसों पहले उनकी नीयत सूँघकर बिंद्रा ब्रदर्स ने उन्हें सड़क दिखा दी थी. उस सड़क पर से वो ऎसे उठ ख़ड़े हुए थे जैसे रबर का खिलौने को ज़मीन पर जितना समतल लिटाओ, कुछ क्षण में वह उठ ख़ड़ा होता है. इसी तेज़ रफ्तार कर्मठता ने उसे बाँधा है. ये साथ उसने भी कहाँ छोड़ना चाहा था, जब तक मजबूर ना कर दी गई थी, ग़लत समझौता करना उसकी आदत नहीं थी.

बुरी तरह बर्बाद होने के दो ढाई वर्ष बाद के दौरान उसने बड़े बड़े बैनर्स को उनकी फेंकी थैली की आगे बिकते देखा था, दुनियाँ का नीच नजारा देखा था. उसके भाई की नौकरे नहीं लगी थी, उसका स्वार्थ जुड़ा हुआ था इसलिए उसी के सहारे वह उठ ख़ड़ी हुई थी. ब्रिंद्रा ब्रदर्स का काम बड़ी मुश्किल से पूरी करके उनके ऑफ़िस में गई थी. उनके चेहरे पर कहीं भी कोई लज्जा की परछाईं नहीं थी. वे अपनी सामर्थ दिखा चुके थे.

उसने व्यंग किया था, ``आपको तो दुनियाँ भर के औद्योगिक प्रतिष्ठान जानते हैं. ``

``आइ एम एन ऑर्डिनरी पर्सन.हूँ नोज़ मी इन द बिज़नेस वर्ल्ड ?``एक खिल्ली उड़ती ढीठ मुस्कान उनके चेहरे पर थी, वही आई एम अ मैन ऑफ़ पॉवर. फिर द्सरा रंग उनके चेहरे पर उभर आया था, ``माई वाइफ़ इज़ नॉट फ़ाइन. ``

``क्या हुआ ?``

`` बांये हाथ में तीन जगह फ़्रेक्चर हो गया है. ऑपरेशन करके स्टील रॉड डालनी होगी बट इट`स अ पार्ट ऑफ़ लाइफ. ``

उसे एक हिंस्त्र खुशी हुई थी कि दूसरो को तंग करने पर भगवान भी माफ़ नहीं करता. कुछ वर्ष बाद सीडी पर फिसल जाने से उसके हाथ में भी फ़्रेक्चर हो गया था, वह भी दान्ये हाथ में. उसका स्वर्ग- नर्क का हिसाब फिर गड़बड़ा गया था. वह उन्ही के बोले डायलॉग से अपने को सम्भालती रही थी --`इट`स अ पार्ट ऑफ़ लाइफ. ``

उनकी आवाज़ से चौंकती है, `` और क्या कर रहे हो ?``

``वही पुराना व्यवसाय ``

``वही ?``वह हल्के दर्प से मुस्कराते हैं, उन्होंने तो अपना व्यवसाय स्थापित किया है, कुछ और भी व्यवसाय आरंभ किए हैं. कोई भावुकता है जो मन में हिलोरे ले रही है. वह उसे बहने नहीं देना चाहती. वह आश्चर्यचकित भी है -उन दोनों के बीच इस भव्यता से परे, उस भयंकर महाभारत से परे, दोनों के व्यक्तित्व के विरोधाभास से परे, कुछ अलग थरथरा रहा है. उनकी आवाज़ उसी में डूब चुकी है, ``आई एम सरवाइव बिकोज़ ऑफ़ यू. ``

वह जड़ हैं मौन है. वह दुनियाँ की कोई पहली औरत तो नहीं है जो अपने शिकारी को भी बचा सकती है. अपने शिकारी को उसकी न्रशंसता का जवाब देकर, उसकी बर्बादी को देख़ उसके मन में सहानुभूति पैदा हो जाती है. बरसों पहले उसे जिस व्यक्ति को देख़कर लगता था कि जंगली कँटीले घास फूस से उगे इस खिलंदडे व्यक्ति को यदि वह या और कोई संयमित कर दे तो वह व्यक्ति एक दिन दुनियाँ में गज़ब ढा देगा. उनकी उसे हासिल करने की बेपनाह ज़िद का उत्तर तो उसके पास नहीं था. वह दुनियाँ को लट्टू की तरह घुमाने वालें के सामने कैसे झुक सकती थी ?एक दिन ख़ुद ही लट्टू की तरह घुमा दी जाती.

जिन रास्तों पर वे जा रहे थे. ब्रिंद्रा ब्रदर्स से भी बेईमानी कर रहे थे तो जाहिर है उन्हें ब्रिंद्रा ब्रदर्स ने अपने एम्पायर से बाहर फेंक दिया था. वह सड़क पर आ गये है तो वह यह सुन पसीज उठी थी. जानती थी दुनियाँ पर हुकूमत करने का सपना देख़ने वाले बहुत खुदगर्ज़ होते है. ऎसे लोगों का कोई मित्र नहीं होता. सॉरी भाग्यवश या दुर्भाग्यवश वह ऎसे ही व्यक्ति के साथ थोड़े समय काम कर उससे व्यावसायिक मित्रता महसूस करने लगी थी. उस बेजोड़ प्रतिभा को मिट्‍टी होते नहीं देख़ पा रही थी.

उनके परिवार का तो सहारा उनके पास था ही वह भी तार यंत्र से मौन सहारा देती रही थी. उनके ख़ड़े होने का शायद ये भी एक कारण रहा हो. वह भी तो उससे व्यावसायिक मित्रता महसूस करते थे. उनके उठ ख़ड़े होते ही वह निरपेक्ष होती चली गई थी. बाद में उनकी जेट जैसी प्रगति देख़ समझ में आ गया था कि दुनियाँ में जंगल क़ानून क्या होता है. अक्सर लोग अपने बचाव के लिए वार करते हैं लेकिन कुछ मुठ्ठी भर लोग लोगों पर वार पर वार करके अपनी ताकत बढ़ाते जाते हैं. आधी से अधिक दुनियाँ इन्ही ताकतवर लोगो के इशारे पर चलती है. कुछ अच्छे लोगो के कारण टिकी रहती है.

वे उसके इतने लंबे मौन से असहज हैं, ``मेरा मतलब है कि हमारे दोस्तों व वेलविशर्स की दुआओं व प्रार्थना से हम सरवाइव कर गए.``

वह तड़पकर कहना चाहती है हम औरतों के दिल में ब्रह्मांड की कोमलता रोपने वाला एक पुरुष ही है यानि की भगवान.वह अपने दुश्मन को,अपने को बर्बाद करने वालों को भी जीवनदान दे सकती है. जब तुम लोग आसमान की ऊंचाइयां छू रहे होते हो तो समझ लो नीचे किसी स्त्री की लाश पड़ी होती है कराहती, तड़पती, अर्द्धजीवित.यही है `अ वुमन बिहाइंड अ सक्सेसफुल मैन `का सत्य.

उसकी चुप्पी को वे चतुराई से तोड़ते हैं. `हाउ योर ब्रदर्स एंड सिस्टर्स ?``

``फ़ाइन, वॉट अबाउट योर चिल्ड्रेन ?``

``दे आर एक्सट्रीमली फ़ाइन. अब तो वे बड़े हो गए हैं. ``.

``हाउ इज़ योर डॉटर ?``पूछना तो यह चाह्ती है आपकी बेटी भी किशोर हो गई होगी. उसके भी आपकी तरह सपने होंगे. क्या आपको अच्छा लगेगा, आपसे कोई समर्थ व्यक्ति उसके काम में रुकावट डाले.

``माई डॉटर इज़ फ़ाइन. वुड यू लाइक टु जॉइन में कम्पनी ?``

वह उनके प्रस्ताव से चौंक जाती है, ``हाउ इज़ इट पॉसिबल ?वी हेव एक्सट्रीमली ऑपोज़िट पर्सनैलिटी. वीं कान`ट वर्क टुगेदर बट वी कैन फाइट प्रॉपर्ली. ``

वे हंस देते हैं, ``अब हमने झगड़ा करना छोड़ दिया है. अब तो आप एक एक्सपीरिएंस लेडी हैं. इनकम टैक्स व सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट को अच्छे तराह संभाल लेती होंगी. ``कहते हुए उनकी आँखों में बाज़ सी चमक दौड़ गई है.

वह हैरान है इतने लंबे समय की लड़ाई, इतने कड़े संघर्ष,इतनी अग्नि परीक्षाओं को लेने के बवजूद उन्हें समझ में नहीं आया कि वह उनके जैसे उलटे सीधे रास्तों पर कभी चल ही नहीं सकती. वह चतुराई से कहती है, ``आई विल थिंक. ओ.के.नाउ आई वॉन्ट टु लीव. ``

उसके ख़ड़े होते ही वे भी उठ गए है. वे अपनी पेंट में हाथ डालते हुए पूछते है, ``अब तक कॉन्टेक्ट क्यों नहीं किया ?हम तो कब से बुला रहे थे. ``

वह चुप्पी लगाये चल देती है. सँकरे गलियारे में आगे वह हैं, पीछॆ वे आ रहे है. पीछे से आवाज़ आती है, ``सी ---दिस इज़ अ किचन ऑफ़ माई ऑफ़िस. ``

वह सिर तिरछा घुमाकर देख़ती है, बान्यी तरफ़ रसोई के सफेद टाइल्स के प्लेटफॉर्म पर कुकिंग गैस व बोन चाइना की क्रॉकरी सजी है. वह कहती है, `नाइस. ``

फिर पीछॆ से धीमी आवाज़ आती है, ``सी दिस इज़ एन एनदर एकस्ट्रा रूम एडजेसेंट टु माई ऑफ़िस. ``

उसके सीने में कुछ अटक गया है. उसका सिर पीट लेने को करता है. उसे घेर लेने के वारों को लगातार काट -काटकर भी वह उन्हें इतने वर्षो ये नहीं बता पाए कि स्त्री की शख्सियत ` एडजेसेंट रूम `से हटकर भी कुछ है. वह इस बार सिर नहीं घुमाती.केबिन का दरवाज़ा खोलकर बाहर निकल आई है. अपना चेहरा मोड़कर विदा लेने की इच्छा नहीं है. वह बिना मुड़े कहती है. ``ओ.के बाय. ``

``बाय ---फिर कब आओगे ?``

रिसेप्शन पर कोई उनके बेतक्कलुफ़ मित्र होंगे जो उन्हें देख़ते ही कहते है, `यार !इतनी गर्मी में तूने सूट क्यों पहन रक्खा है ?``

वह तेज़ी से बाहर निकल आती है.

दुनियाँ एक नर्क है. अपनी उजली दुनियाँ के नर्क से छिंदी बिंधी वह उन तक चली आई थी.इसी नर्क को अपने पाँवों से दबाये, अपनी दोनों सशक्त बाँहें फैलाये वे उसे अपने मज़बूत घेरे में लेने को तैयार है.क्या करे वह अपने अन्दर के स्फ़टिक स्वर्ग का जिसमें उसके ही लोगो ने उसे छेद छेद कर आधा मार डाला है. यदि वह दूसरी तरफ़ चली गई तो उसके अन्दर की अच्छाई की चाहना उसे लहुलुहान कर पूरा का पूरा मार डालेगी, अच्छाई यानि वही `जेनेटिक प्रॉब्लम `----और कुछ नहीं.

ऑफ़िस के बाहर, उस फ़ैक्टरी के बाहर दोपहर की सफेद उजली धूप अपने पूरे उजास पर है. उजाला उसके लिये अपनी दोनों बाँहें फैलाये ख़ड़ा है. अभी जो रईसी की भव्यता देख़कर आ रही है, कैसे करे गर्व अपने स्वर्ग पर ?अपने स्वर्ग के कीचड़ को देख़कर कैसे घृणा करे उस पार के जीवन से?उसे संदेह होता है कि कहीं वह उजाले से भी अपनी आस्था खो तो नहीं चुकी क्योंकि उजाले ने भी क्रोध में कहा था,

``दुनियाँ एक नर्क है. ``

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नीलम कुलश्रेष्ठ, अहमदाबाद

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