समर्पण Anju Gupta द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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समर्पण

सुबह -सुबह चाय की चुस्कियों के बीच राहुल ने पत्नी सोना से अचानक पूछा – “क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है?“

यकायक ऐसा अटपटा प्रश्न सुन कर सोना घबरा सी गई कि कहीं उसके मुँह से कुछ निकल तो नहीं गया या …. । इससे पहले वह कुछ बोल पाती, राहुल ने दूसरा प्रश्न दाग दिया- “शादी से पहले लड़के-लड़की के बीच के सम्बंधों के बारे में तुम क्या सोचती हो ?”

सोना को काटो तो खून नहीं। फिर भी अपनी घबराहट छुपा कर बोली “तबीयत तो ठीक है न, पागलों की तरह ये क्या अंट-शंट प्रश्न पूछ रहे हो?”

सोना को भड़का हुआ देख राहुल बोला – “अरे बाबा ! ऐसी कोई बात नहीं है। आज कल के माहौल को देख कर लगा क्या पता अपनी जान का भी कोई आशिक हो, बस इसीलिए पूछ लिया। “

राहुल और सोना की शादी हुए तीन साल हो चुके थे और दोनों ही अपने जीवन से खुश थे। दोनों की अरेन्जड मैरेज थी। एक यह सच यह भी था कि सोना शादी से पहले किसी को पंसद करती थी और उससे शादी करना चाहती थी… पर शादी से पहले वह कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती थी जिससे वह अपनी ही नज़रों में गिर जाए इसी वजह से कुछ मुलाकातों में ही उसे बहनजी का तमगा मिल गया और उसका कालेज के दिनों का प्रेम प्रसंग कुछ दिनों में ही धहाशाही हो गया। यही वजह थी कि राहुल के ऐसे प्रश्न सुनकर वह घबरा सी गई थी कि कहीं राहुल को कुछ पता ना चल गया हो!

फिर अपनी आवाज़ को संयत करते हुए वह बोली- “पहेलियां न बुझाओ और क्या बात हुई है, यह बताओ ?”

राहुल बोला – “अरे यार, क्या बताऊँ ! आफिस का माहौल ही खराब हो गया है । आज मैं आफिस के किसी काम से स्टोर में गया, तो वहाँ का दृश्य देख कर दंग रह ही गया। अपने आफिस में काम करने वाले पंकज और पूनम, एक कोने में एक दूसरे के साथ आलिंगनबद्ध थे । दोनों के होंठ सटे हुए थे और दोनों दूसरी ही दुनिया में खोए हुए थे। मैं कोई दो मिनट तक रूका। पर उन्हें तो मेरे होनों या न होने का अहसास ही नहीं था। फिर दोनों को उन्हीं की दुनिया में छोड़ कर मैं वापिस आ गया। मैं कभी सोच भी नही सकता कि दिन में ऑफिस में भी कोई बेशर्मी की ऐसी हदें पार कर सकता है।“

फिर कुछ रुक कर राहुल बोला – “अरे यार ! यदि वे प्रेम में है और विवाह करना है तो अपने परिवार से बात करें। पर खुले आम ये छिछोरापन ! मैं तो इसे अनुचित मानता हूं और इससे आफिस का माहौल भी खराब हो रहा है।“

“आप उनसे बात क्यों नहीं करते ? उनके सीनियर भी हैं और हमउम्र भी” सोना धीमी आवाज़ में बोली ।

“चलो, आज यही काम निपटाता हूँ” राहुल बोला । लगता है पंकज और पूनम का कल्यान मेरे ही हाथों होने वाला है सोचकर राहुल मन ही मन में मुस्कुरा दिया और आफिस जाने को तैयार होने लगा गया।

लंच के समय राहुल ने पंकज को बुलाया और बिना किसी औपचारिकता के सीधे मुद्दे पर आ गया ।

राहुल – “पंकज, देखो मुझे बातें घूमा फिरा कर करना नहीं आता। तुम्हें और पूनम को लेकर आफिस में सभी चटकारे ले ले कर बातें कर रहे हैं, इसका आफिस के माहौल और कामकाज पर भी फर्क पड़ रहा है। तुम बताओ कि क्या तुम पूनम से प्यार करते हो?”

पंकज – “जी, सर।“
राहुल – “फिर तुमने आगे सोचा है?”
पंकज – “सर, मैं कुछ समझा नहीं।“
राहुल – “मेरा मतलब शादी से है।“
पंकज – “शादी के बारे में मैंने अभी कुछ नहीं सोचा है।“
राहुल – “बुरा ना मानो पंकज । मैंने और स्टाफ मैंम्बरज़ ने तुम्हें बहुत बार गलत पोज़िशन में देखा है, इसीलिए मैं तुमसे बात कर रहा हूं। अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारे घरवालों से बात कर सकता हूँ ।”

पंकज मुस्कुरा कर बोला– “सर, पूनम मेरी गर्ल फ्रेंड है और मेरा उससे शादी करने का कोई इरादा नहीं है ।”

“अगर तुम्हारा पूनम से शादी का इरादा नहीं है तो फिर तुम दोनों…. ” राहुल अपनी बात पूरी करता, इससे पहले ही पंकज बोला – “छोड़ो सर, पूनम मेरी बीवी वाली कैटेगिरी में फिट नहीं बैठती। रही नज़दीकियों की बात, जब उसे मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाने में कोई आपति नही है, तो मुझे क्या एतराज है। और हाँ, रही शादी की बात, वो तो मैं घर वालों की मर्जी से करूंगा।“

फिर कुटिल मुस्कुराहट से बोला – “सर, जब लड़की बिना शादी के शादी के मजे लेना चाहती है, मैं क्यों सोचूं ? अब आपको भी इस विषय में कुछ सोचना नहीं चाहिए। आफिस के समय आपको कोई शिकायत का मौका ना मिलेगा । वैसे भी सर, पहले कैरियर है, फिर शादी। कोई ऑफिस की बात हो तो कीजिए। इन निजी बातों को आप रहनें दें।“ कह कर पंकज चला गया।

पंकज की बातें सुन कर राहुल चकरा सा गया और बेचारी पूनम … पंकज की बेवफाई वह कैसे सहन करेगी। उसका तो दिल ही टूट जाएगा.. यह सब सोच कर ही राहुल को बुरा लगा। पंकज के जाने के बाद राहुल ने कुछ देर बाद पूनम को बुलाया और बोला – “पूनम, हालांकि यह बात करते हुए मुझे अच्छा नहीं लग रहा है, पर तुम्हें पता ही होगा कि आफिस के लोग तुम्हारे और पंकज के बारे में सभी लोग बातें कर रहे हैं। तुमने आगे का क्या सोचा है? क्या तुम्हें लगता है कि पंकज तुमसे प्यार करता है और वह तुमसे शादी करेगा?”

पूनम – “सर, पहली बात, पंकज मेरा दोस्त है और दूसरे मैंने शादी के बारे में अभी कुछ सोचा नहीं है।“

“मैं समझा नहीं। मुझे लगा कि तुम उससे शादी करना चाहती हो इसीलिए शायद तुम दोनों इतने आगे….. ” अपनी बात अधूरी छोड़ते हुए राहुल बोला ।

पूनम – “सर, बुरा ना मानें। यह मेरा निजी फैसला है, मुझे नहीं लगता कि आपको इस बारे में बात करनी चाहिए।”

“दूसरे, शादी मैं उस से करूंगी, जिसकी सैलरी फाइव फिगर में हो। क्या है पंकज की सैलरी? सिर्फ तीस हजार.. उस में होता ही क्या है, आज के जमाने में।“

“पर.. पर प्यार अनमोल है। उसे पैसों की कसौटी पर कैसे तौल सकती हो?“ राहुल बोला ।

पूनम – “सर, आप फिल्मी बातें कर रहे हैं। दूसरे, मैंने अभी शादी का नहीं सोचा है। पहले कैरियर है, फिर शादी। कोई ऑफिस की बात हो तो कीजिए।“ कह कर पूनम कुर्सी छोड़ कर खड़ी हो गई।

राहुल चुप हो गया। पंकज और पूनम ने उसे आज के जीवन की सच्चाई से रुबरु करवा गए थे। उसने लिव इन रिलेशन के बारे में तो सुना था, पर बिना लव के रिलेशन ? कोई बंधन नहीं, संपूर्ण आजादी । सही-गलत में राहुल उलझ सा गया ।

शाम को जब राहुल घर पहुँचा तो हमेशा की तरह, खुबसूरत मुस्कुराहट के साथ सोना उसका इन्तजार कर रही थी । यह मुस्कुराहट, अपनापन, पूरे दिन की थकान उतारने के लिए काफी था। सोना के हाथों चाय का प्याला थामते हुए, राहुल वास्विकता में ही बहुत खुश था कि वह सोना से विवाह रुपी ऐसी डोर से बँधा है जिसमें वे दोनों जीवन भर एक दूसरे के सुख-दुख के भागीदार हैं। उनका साथ पल दो पल का नहीं बल्कि जीवन भर का है जिसमें मौज मस्ती ही नहीं, बल्कि समर्पण है – अपने साथी के प्रति सम्पूर्ण समर्पण।

अंजु गुप्ता