चिंटु - 27 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटु - 27

चिंटू 27

सुबह से आसमान मै बूंदाबूंदी शुरू हो गई थी। पुनिश का माथा ठनक रहा था। इस वक्त वह पुलिस थाने में इंस्पेक्टर राजीव के साथ बैठा हुआ था। वह राजीव से कहता है- मै अब और देर नहीं करना चाहता सौम्या को ढूंढने में। तुम सब आओ या ना आओ पर मै जरूर अब जाऊंगा।

इंस्पेक्टर राजीव उसे कहता है- फिकर ना करो, हम तैयार ही है। बस एक खबरी की राह देख रहे है। हमे खबर मिली है कि आपके दोस्तो को कल एक गांव में देखा गया है।
पुनिश- क्या? और ये बात आप मुझे अब बता रहे हो?😡
राजीव- मुझे भी आज सवेरे ही पता चला है। आज मेरे एक खबरी का फोन आया था। उसका एक दोस्त उस गांव में रहता है जहा तुम्हारे दोस्तो को देखा गया है। हमारा आदमी ज्यादा जानकारी पाए उससे पहले आज सुबह ही वे उस गांव से निकल गए है। हमारा आदमी उसके पीछे जाने जी कोशिश कर ही रहा था पर उस डाकू के किसी चमचे ने उसे पकड़ लिया है।
पुनिश- तो हम राह किसकी देख रहे है? हमे अभी उस गांव में चलना चाहिए।
इंस्पेक्टर राजीव- वहां के पुलिस थाने में मेरी बात हो चुकी है। वहा का पुलिस इंचार्ज मेरा दोस्त है। वह भी अभी छानबीन कर ही रहा है। कुछ देर रुक जाओ, कोई न कोई खबर मिल ही जाएगी।
पुनिश- जो करना है जल्दी करे plz। कहीं वे लोग मेरी सौम्या को कोई तकलीफ़ न पहुंचाए।i
इंस्पेक्टर राजीव- उस बारे में तुम निश्चिंत रहो। डाकू दिग्विजय कभी औरतों और बच्चों को हानि नहीं पहुंचता। यह उसका उसूल है और उसके इस उसूल की मै कद्र भी करता हुं। वैसे तो वो जो कुछ भी कर रहा है वह दरअसल पुलिस को करना चाहिए पर कानून ने हमारे हाथ बांध रखे है। उसके खिलाफ शिकायत दर्ज होने के कारण हमे उसे पकड़ना पड़ रहा है। वरना मै उसे कभी नहीं पकड़ता।

पुनिश का डाकू दिग्विजय पर गुस्सा अब कम हो जाता है। वह उस डाकू के बारे में सोचता है ' इतना अच्छा है तो डाकू क्यों बना है? उसे अच्छा आदमी बनकर ऐसे ही सबकी मदद करनी चाहिए।' तभी टेबल पर रखे फोन में रिंग बजती है। वह कॉल उसी गांव से था जहा कल सुमति रुकी थी। इंस्पेक्टर सामने कुछ देर बात करता है। उसके बोलने के हावभाव से पता चलता है कि सामनेवाले को सफलता नहीं मिली। फोन रखके राजीव ने भी पुनिश को बताया के - आपकी मंगेतर और दोस्तो का पता नहीं चला। पर वहा की पुलिस भी पूरी कोशिश कर रही है उन्हे ढूंढने की। पुनिश को यह सुनकर गुस्सा आ जाता है। वह गुस्से में बाहर कि तरफ चल देता है।

इंस्पेक्टर राजीव एकबार फिर अपने खबरी को फोन लगता है। पर कोई सुराग नहीं मिल पाता। वह सोचता है ' अब कमिश्नर साहब से बात करनी ही पड़ेगी।
वह अपने थाने से निकालकर कमिश्नर ऑफिस चला जाता है। वहां कमिश्नर गुप्ता उसे अपने ऑफिस के बाहर ही मिल गए। राजीव कमिश्नर साहब को सब बाते बताता है और ज्यादा फोर्स की मांग करता है। कमिश्नर गुप्ता उसे मदद की उम्मीद दिलाकर मंत्रीजी के घर चले जाते है आगे की बात करने।

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स्नेहा और राहुल ने मुंबई अपनी ऑफिस में सौम्या और इवान के किडनैप होने की बात बताई और इस बात को अपने चैनल पर प्रसारित करने के लिए भी बोल दिया। अब वह यहां की पुलिस के भरोसे नहीं बैठना चाहते थे। वे चाहते थे बात ऊपर तक जाए और जल्दी कोई एक्शन लिया जाए। चिंटू की मां शारदा और पिया को तसल्ली देते देते वे भी थक गए थे। शारदा की हालत चिंटू के न मिलने से बिगड़ रही थी। पिया जैसे तैसे उन्हे संभाले हुए थी। वह बार बार स्नेहा से पूछती रहती थी ' चिंटू और सुमति मिल तो जाएंगे न?'

अगले दिन पूरे मीडिया मै खलबली मच गई थी। कई सालों बाद चंबल के डाकुओं ने आम आदमी का किडनैप किया था। मीडियावाले तुरंत ही अपने सोर्स से पता करने लगे कि आखिर क्यों यह किडनेपिंग हुई है। स्नेहा ने अपने चैनल से लाइव रहकर सब बात बताई। सब चैनल्स पर वहीं बात रिपीट दिखा रहे थे। अब राजकीय पक्ष भी सरकार पर आरोपों की झड़ी बरसाने लगे थे।

****
इधर इन सब से बेखबर चिंटू और सुमति एकदूसरे के साथ को एन्जॉय कर रहे थे। क्या पता वापस जाकर ऐसा समय मिले या नहीं। वे जहां पर थे वहा बादल घिरे हुए थे पर बारिश बंद थी। सब लोग अपने अपने तम्बू में ही बैठे हुए थे। बारिश नहीं थी पर उसके कारण ठंड बढ़ गई थी, और ये तो जंगल है तो...।

बेला अपने टेंट से बाहर आई और सुखी लकड़ियां को जलाकर वहीं बैठ गई। अभी दोपहर के खाने में वक्त है तो अभी बाहर ही ठंडी हवा में बैठ गई थी। इवान थोड़ी देर में बाथरूम जाने के लिए बाहर आया। वह बेला को अकेले देखकर उसके पास जाता है। वह बेला से पूछता है- ऐसे मौसम में बाहर क्यों बैठी हो?
बेला- बस ऐसे ही। मन किया ठंडी हवा में बैठने का।
इवान- और ये लकड़ियां क्यों जलाई?
बेला- उसके साथ भी बैठने का मन हुआ।😜
इवान- अजीब है! लकड़ियों को तो रात में जलाकर बैठते है सभी और तुम हो की सुबह सुबह ही...।
बेला- अभी दोपहर होने आई है, कहा सुबह सुबह?
इवान- हां, वहीं! सब एक ही है।
बेला- लगता है तुम्हे सुबह और दोपहर का फ़र्क नहीं मालूम।
इवान- अभी मै बात करने की पोजिशन में नहीं हुं।
बेला- क्या हुआ?
इवान अपनी लास्ट वाली उंगली दिखाकर कहता है- जोर से आई है। अभी जाकर आता हुं।
बेला उसे देखकर हंसने लगती है।

चिंटू हीरा के साथ बैठा हुआ था। हीरा अपनी चिलम भरने में व्यस्त था। चिंटू उसे बाहर बैठने को कहता है। उसे इस बंद टेंट में बैठना अच्छा नहीं लगता था। वह जबसे यहां आया है तबसे ज्यादा वक्त बाहर ही बैठता था। पर बारिश के कारण उसे टेंट में ही बैठना पड़ रहा है। हीरा उसे बाहर आने के लिए मना करता है। तो चिंटू अकेले ही बाहर चला जाता है। बाहर वह बेला को देखता है तो इशारों से ही पूछता है- ' सुमति कहा है?' और बेला हाथ के इशारे से उसे कहती है- ' सुमति अंदर है।'
चिंटू बेला से धीरे से कहता है- इवान अभी तक नहीं आया?
बेला- तुम्हारे आने से पहले ही वह यहां से गया है। मोहन भाई भी उसके साथ गए है।
चिंटू- अभी ही गया? वह तो कबका बाहर आया था।
बेला- हां, वो मेरे साथ बात कर रहा था।
चिंटू बेला से कहता है- मै सुमति से मिलकर आता हुं। इवान को अंदर मत आने देना।
बेला- हम्म! क्या बात है? मामला इश्क़ का लग रहा है।
चिंटू उसे स्माइल देते हुए अपना सर खुजलाते हुए सुमति के पास चला जाता है।

****
सुमति टेंट में रखे छोटे से आइने में देख अपने बाल संवार रही थी। चिंटू उसके पीछे धीरे से जाकर उसकी कमर को पकड़कर कान में धीरे से कहता है- तु बाल नहीं संवारेगी तब भी अच्छी ही लगोगी।
सुमति डर जाती है फिर चिंटू को थोड़े गुस्से से कहती है- क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे बेला आ जाएगी।
चिंटू- आने दो। उसे भी पता चले दो प्यार करने वालो को अलग करना ठीक नहीं है।
सुमति- इवान आ जाएगा।
चिंटू- उसे बेला रोक देगी। मै उसे कहकर आया हूं कि इवान को अंदर ना आने दे।
सुमति- तुमने बेला से ऐसा कहा? क्या सोचेगी वो हमारे बारे में?
चिंटू- उसे सब पता है।
सुमति- क्या? उसे पता है? तुमने बताया?
चिंटू- मैंने नहीं बताया बाबा...। तुम्हारे उस उल्लू के सिवा सबको हम दोनों की आंखो में इकदुसरे के लिए प्यार दिखता है।
सुमति- सच कह रहे हो तुम?
चिंटू- तुम्हारी कसम।

इतना कहकर वह सुमति को अपनी ओर सीधा करके उसके होंठो पे अपने होंठ रख देता है। सुमति उसकी बाहों से निकलने के लिए छटपटाती है। चिंटू उसे कसके पकड़े रखता है और बेतहाशा चूमने लगता है। सुमति को यह अच्छा लग रहा था पर उसे लगा की ऐसा एकबार पहले भी हो चुका है और उसे पुनिश याद आ जाता है। वह एकदम से चिंटू को धक्का देकर अलग होती है और निछे बिछाए गद्दे पर अपना सर पकड़कर बैठ जाती है।
चिंटू उससे पूछता है- क्या हुआ? ऐसे क्यों बैठ गई।
सुमति सिर्फ एक शब्द बोलती है- पुनिश..!
चिंटू भी कुछ न बोलते हुए उसके बाजू में बैठ जाता है।
सुमति अपने आप में ही बड़बड़ाती है- मै वापस जाकर क्या जवाब दूंगी मम्मी पापा को? पुनिश को क्या कहूंगी? चिंटू हम ये गलत कर रहे है।
चिंटू- कुछ ग़लत नहीं है सुमति। हम एक दूसरे से प्यार करते है। तुमने कभी पुनिश को प्यार किया ही नहीं है।
सुमति- पर मै उससे क्या कहूंगी? उसे तो ऐसा ही लगेगा मैंने उसे धोखा दिया है। और एक बात मै तुमसे अभी कहना चाहती हुं कि हमने एक दो बार किस भी किया है।
चिंटू- मुझे पता है शुरुआत उसने ही की होगी। पर वो समय अलग था। हम एक दूसरे से प्यार करके भी अलग थे। यहां पुनिश है तो वहां रिया भी तो है।
सुमति- तुम्हारे पास तो वजह है उसे ना बोलने की पर मै कैसे ना बोल पाऊंगी?
चिंटू- तब की तब देखेंगे अभी इस हसीन पल को मत गवाओ।
चिंटू फिर से सुमति को अपनी ओर खींचता है और दोनों बेतहाशा प्यार करने लगते है।

बाहर बेला इवान को आता देख जोर से खांसने लगती है। यह चिंटू और सुमति के लिए इशारा था। इस पागल का क्या पता सुमति को मिलने के बहाने सीधा अंदर ही चला जाए! बेला की खांसी सुन चिंटू और सुमति अलग होकर एक दूसरे के सामने बैठ जाते है। बाहर इवान बेला के साथ बैठ जाता है और मोहन चिंटू और सुमति जहां बैठे थे वहां चला जाता है। वह इवान या चिंटू दोनों में से एक के पास रहता ही है। ताकि वे लोग कोई चालाकी ना कर सके।

इवान बेला को अकेला पाकर उसके बाजू में बैठकर उसका हाथ पकड़ लेता है। बेला उसकी इस हरकत से सहम जाती है और आगे पीछे देखने लगती है। फिर इवान से कहती है- हाथ छोड़ो मेरा अगर किसीने देखा लिया तो लेने के देने पड जाएंगे।
इवान- मै यही चाहता हूं कि कोई हमे देखे। तुम्हारे बाबा से डायरेक्ट बात करने की हिम्मत नहीं है मेरी।
बेला- किस बारे में?
इवान- तुम्हारा हाथ मांगना है उनसे, हमेशा के लिए?
बेला यह सुन शरमा जाती है। इवान इधर उधर देख किसी को ना पाते बेला के गाल पर चूम लेता है। बेला ' हाय दय्या..!' बोलकर इवान से अपना हाथ छुड़ाकर भााग जाती है।

क्रमशः