किटी पार्टी Deepti Khanna द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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किटी पार्टी

हर लम्हा कैद कर लूं इस जिंदगी का ,
समेट के रख लूं , तेरी खुदाई का ।
फिर मौका मिले या ना मिले,
तेरे से प्यार जताने का ।
आ तुझे गले लगा लूं ,
मेरा नन्हा फरिश्ता समझ कर तुझे आज ।

मेरी पड़ी मेरी जान क्यों गुमसुम बैठी हो आज । तेरी मुस्कुराहट से तो महकता है मेरा आंगन , तेरे सुंदर से चेहरे को ना देखूं हर सुबह तो मुरझा जाता है मेरा मन । तू ही है मेरी सुबह तू ही मेरी हर शाम । मेरी नन्ही परी , तू है अपनी मां की जान ।
फिर महकाया तूने मेरा जीवन। फिर खेल खिलौनों से भरा आंगन मेरा । जीवन का हर सुख मिल गया तुझे पाकर, तू देवों के देव महादेव की कृपा है मुझ पर । जब टूट जाती हूं जिंदगी से हार मानकर , तू अपने नन्हें हाथों से मुझे प्यार कर एक ही बात कहती बार-बार "सब ठीक हो जाएगा ,ठीक था, ठीक है और ठीक रहेगा ।"
कहते है लड़की पराया धन होती है । इसको प्यार करना मां-बाप का धर्म नहीं है । पर मां की अंतरात्मा की आवाज तो यही सुन पाती है। बेटी नहीं देवी होती है क्यों कि मां को ही नहीं सारे परिवार को एक माला में पिरो के रखती है ।जब मैंने पहली बार तुम्हें गोद में उठाया था , तेरे नन्हे नन्हे हाथों को फिर सहलाया था , मैंने खुद को खुद से एक बार फिर से मिलवाया था ।
सूरज की तेज रोशनी की तरह चमक रही थी वो मेरे घर आंगन में । खेल रही थी कभी घर-घर , कभी मेरे श्रृंगार के सामान से वो। मैंने कहा बेटा अब बस कर "आ कुछ खा ले मेरे संग ", कहती "नही , आप आओ खेलो मेरे संग ।" फिर मुंह फुला कर बैठ गई एक कोने में, मैंने कहा बेटा" सॉरी "फिर एक मीठी सी मुस्कान लेकर होठों पर ले गई मेरा हाथ पकड़ कर आंगन में। नीले अंबर के नीचे लेकर बैठी मुझे अपने मिट्टी के खिलौने के संग। नन्हें-नन्हें अपने हाथों से उसने डाली चाय अपने मिट्टी के खिलौनों में कहती "मम्मा पियो मैंने बनाई है स्पेशल चाय आपके लिए "।
मैं भी चुप उसके साथ चाय पी गयी , कभी बाल संवारे मेरे कभी प्यार से गले लगाए मुझे । कहती मम्मा " lets enjoy our kitty party। " फिर क्या था मुझे अपना बचपन याद आ गया कभी उसमें मुझे चाय पिलाई कभी बिस्किट और कभी ब्रेड बटर । मैं भी उसके साथ अपना सारा गम भूल गई और उसके प्यार में घुल गई ।
मेरा बचपन फिर झांक रहा था मेरे आंगन में , और मैं आंखे भीगी कर ढूंढ रही थी उससे अपने मां के आंचल में । वह ममता वह प्यार मिल गया मुझे मेरा सारा संसार, आज जब
तूने बरसाया अपना प्यार ।

बेटी को ना मानो पराया धन । वह होती है संजीवनी बूटी , मां की ममता की आकृति जो सजाए सारा घर । बेटी का अर्थ ही देवी है ।

संपूर्ण सृष्टि की यही रिद्धि सिद्धि है ।