बेनाम लफ्ज़ Er.Bhargav Joshi અડિયલ द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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बेनाम लफ्ज़

नमस्कार दोस्तो,

ये मेरी कुछ शायरी और नज़्म है। आप इसे एकबार पढ़े और आपका मंतव्य मुझे जरूर दे ताकि मै और अच्छी नज़्म लिखने का प्रयास करता रहूं ।


आपका दोस्त
भार्गव जोशी "बेनाम"


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आदत ये तेरी मुस्कुराने की वजह सब जानते नहीं,
दर्द तेरे हिस्से भी है मगर ये सब पहचानते भी नहीं।

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ये आदतें रोज मेखानो में जाने की बड़ी खराब है,
इश्क उसी से जिसेमें दर्द देने की अदा लाजवाब है।

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ना मै बदला हूं ना मेरे देखने का अंदाज बदला है,
कुछ वक्त बदला है और कुछ तेरा खुमार बदला है।

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उसे कहो के आकर सुलझा जाए ये उलझने,
वरना बेवक्त मेरा टूटना बड़ी तबाही मचाएगा ।

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बहुत मुश्किल है उस लम्हे को संभालना,
टूटकर फिर उसी की यादों को संवारना।

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मैंने तस्सवुर ही मांगा था तुझसे एक रोज का,
काम का बहाना लेकर कोई चला तो नहीं जाता ।

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तेरे घने बालों की खुश्बू मेरी सांसों को नशा दे जाती है,
फिर वक्त बेवक्त ना जाने वो जीने की दवा दे जाती है।

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मुझे नहीं पता उसकी फिजाओं में कितना गम है,
पर वो साथ है तो जिंदगी जीने का मजा हरदम है ।

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यूं ना इतरा अपने अच्छे वक़्त पर ऐ दिलनशी,
ये मेहरूम वक्त यूहीं किसी एक का नहीं रहता।

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ये रिश्ते जिस्मानी नहीं जो छोड़ दे हम,
रूह से रूह तलक है केसे छोड़ दे हम।
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कभी नई सुबह मिलेगी तो कभी ढलता सूरज मिलेगा,
जिंदगी दोस्तो संग चली खुशियोभरा मकाम मिलेगा।

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मुश्किल सफर है तो कुछ नया आयाम मिलेगा,
तुम साथ चलो जिंदगी को नया ही नाम मिलेगा।

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याद आती ही नहीं तुझे फिर ये जूठे दिलासे क्यों??
तुझे जाना ही है मुझसे दूर फिर इतने बहाने क्यों??

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टूटकर बिखरना मेरा नसीब था,
तुझे मिलकर बिछड़ना नसीब था,

खता इस बात की नहीं जुदा हुए,
अफसोस मुझे बस तेरे जूठ का था।

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आसान नहीं है दर्दे ए दिल को यू लफ्जो में बयां कर देना भी,
कलम से शब्दों को और आंखो से अश्क यूहीं निचोड़ देना भी।

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उसने मुझसे कहा था मै उसके वजूद में हूं,
आज पता चला मेरा ही कोई वजूद नहीं।

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अंजामे महोबत हमें भी सब मालूम था,
बस उसके इश्क ने पागल बना रखा था।

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तू अगर ख्वाब ना होती तो में सोना छोड़ देता,
तू अगर याद ना होती तो में जीना ही छोड़ देता,

तू वजूद है मेरे ये गुमनाम लफ्जो का बेनाम,
तू अगर इश्क ना होती तो मै दुनिया छोड़ देता।

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फिर फिजाओं में लिपटी हर शाम रहने दो,
छलकते है जाम से आंसू, वो जाम रहने दो;

मै तो आबाद कर लूंगा ये रुखसत जिंदगी भी,
एहसान है तुम्हारा थोड़ा भी तो एहसान रहने दो।

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गुलशन को हरबार यूहीं खिलाया तो नहीं जाता,
मुझसे तेरे आंगन में बेवक्त आया तो नहीं जाता;

तू है खुशनुमा चांदनी जहान की ये में जानता हूं,
पर अमास के दिन तो तुझे बुलाया तो नहीं जाता।

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