The Author Er.Bhargav Joshi અડિયલ फॉलो Current Read तमन्ना है By Er.Bhargav Joshi અડિયલ हिंदी कविता Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books मुनस्यारी( उत्तराखण्ड) यात्रा-२ मुनस्यारी( उत्तराखण्ड) यात्रा-२मुनस्यारी से लौटते हुये हिमाल... आई कैन सी यू - 41 अब तक हम ने पढ़ा की शादी शुदा जोड़े लूसी के मायके आए थे जहां... मंजिले - भाग 4 मंजिले ---- ( देश की सेवा ) मंजिले कहान... पाठशाला पाठशाला अंग्रेजों का जमाना था। अशिक्षा, गरीबी और मूढ़ता का... ज्वार या भाटा - भाग 1 "ज्वार या भाटा" भूमिकाकहानी ज्वार या भाटा हमारे उन वयोवृद्ध... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे तमन्ना है (63) 1.6k 6.8k 1 नमस्कार मित्रो, हिंदी में कविता लिखने का ये मेरा पहला प्रयास है, हो सकता है कि इसमें कुछ कमिया भी हो,कुछ शब्द की गलतियां भी हो ।आप इसे पढ़कर आपके प्रतिभाव और सुचन दे जिससे मै आगे इसकी कमिया दुरकरके और अच्छा लिख पाऊ,आपके सुचन मुझे नया लिखने हेतु प्रोत्साहत करते रहेंगे इसलिए आप पढ़िए और कमिया और अच्छाइयां सूचित करे। ? आपका दोस्त। .. ✍️ भार्गव जोशी "बेनाम" "तमन्ना है"तमन्ना है यही के तेरे दिल में भी बाहर आये,मुझे देखकर दिल तेरा मुझ पर ही वार जाये ।तमन्ना है बस इतनी की वो लम्हा थम जाए,जब तू गुजरे सामने से वक्त यूहीं थम जाए ।तमन्ना है इतनी सी की आंखे यूहीं भर आए,तुझे याद दिल करे और आंखो में तेरा चहेरा आए ।तमन्ना है यही दिल की तेरा दीदार हो जाये,तुझे देखूं मैं पल भर को तुझी से प्यार हो जाये ।तमन्ना है कि तेरे आंचल में सर रखकर सो जाए,फिर कभी न हो सुबह ऐसी वो एक रात हो जाए।तमन्ना है इतनी की तेरी चाहत कभी कम होने ने पाए,जिंदगी खत्म हो जाए पर दिलसे तेरी आरजू ना जाए।तमन्ना है कि उसकी खुशी में यूहीं दुनिया लुटाई जाए,फिर क्यों न उसकी जिंदगी में एकबार ही मेरा नाम आए ।तमन्ना है कि खुदा से तुम्हे कयामत तक खुश रखा जाए,"बेनाम" क्यों न मेरे हिस्से में जमाने के सारे फिर दर्द आए । "कारवां" एक कारवां चला था यहां से जो बाहर नहीं लिख पाया,भंवर में उलझ गया था जहां से वो निकल ही नहीं पाया।रास्ता बड़ा वीरान सा था इसीलिए तो पार नहीं कर पाया,मंजिल बड़ी खूबसूरत थी वो बस उसे देख ही नहीं पाया।गहरे राज सब दफन हो चले बस उसे मुंह कह नहीं पाया,जिंदगी की कमियां निकली थी और वो उसे सह नहीं पाया ।दर्द सबके हीस्से में बट जाता बस सिरे से बात कह न पाया,खुशियांभी बहुत थी सबके हिस्से पर चहेरे तक ला न पाया।बेनाम कोई ख्वाब नहीं लिखता हूं जिसे वो याद न रखते,अहेसास हूबहू लिखे थे इसी लिए कोई उसे भूल नहीं पाया। तो क्या करते ??हम तो अनजान थे इस महोबत के शहर में,सही रास्ता भटक ना जाते तो फिर क्या करते ??पेहली दफा तुम्हे देखकर रूह हार चुके थे,तुमसे इश्क का गुनाह ना करते तो फिर क्या करते ??तुम्हे देखकर दिल हमसे बगावत करता था,तुम पे जान ना छिड़कते तो फिर क्या करते??तेरे आंखो में बहुत नमी बह रही थी,हम रुमाल लेकर दौड़े न आते तो क्या करते???घना अंधेरा था वहां पर जहां तुम थे, हम खुद को न जलाते तो फिर क्या करते ?? माना कि महोबत तुमसे हमने ही की थी,एकतरफा थी फिर ना तड़पते तो क्या करते ???सरहद तोड़ी थी मैंने तेरे इश्क की यहां,फिर ये दर्द की सजा ना भुगतते तो क्या करते ??तुम्हे अब मेरे सजदे से भी परदा जो करना था, हम तेरा शहेर छोड़ न जाते तो फिर क्या करते??तुझे अब मेरे होने से भी असहजता होती थी,हम ये दुनिया छोड़ ना जाते तो फिर क्या करते ???=×=×=×=×=×=×=×=×=×=×=×=×=×=×=×=×= Download Our App