समीर ने सिगरेट सुलगा लिया और मनोहर से मिलने के लिए निकल पड़ा रेट्रो नाइट क्लब की तरफ़। रेट्रो नाइट क्लब इस शहर का सबसे महंगा नाइट क्लब था । बड़े बड़े लोग वहां पर आते थे । शहर के इस हिस्से में अभी बहुत चहल पहल थी । आसपास बहोत लोग थे जो क्लब में जाने के लिए बहुत उतावले हो रहे थे। समीर भी बहार ही खड़ा था क्लब के आेर कुछ सोच रहा था । अपने ख़यालो को झटक के वो क्लब के अंदर जाने लगा ।
दरवाज़े में घुसते ही समीर को बॉडीगार्ड ने रोक लिया और एक के बाद एक सवाल पूछने लगा । बॉडीगार्ड लगातार समीर के कपड़ों को देखे जा रहा था ।
“ हा में सीविल ड्रेस में हूं पर ज्यादा ही गरीब दिख रहा हूं क्या ” समीर मन ही मन सोच रहा था । वो सांढ़ जैसा बॉडीगार्ड समीर को अंदर जाने ही नहीं दे रहा था । “अब पुलिसगिरी दिखानी ही पड़ेगी ” समीर ने सोचा । समीर ने उसे पुलिस आेर रेड की ऐसी धमकी दी की उसने दो मिनिट में ही समीर को अंदर जाने दिया । अंदर जाते हुए समीर सोच रहा था कि “ सीधे तरीके से साला कोई काम ही नहीं होता आजकल ”।
क्लब के कोने वाली टेबल पर मनोहर अपने दो-तीन चमचों के साथ दारू पी रहा था । समीर को ये बात साफ साफ़ पता थी कि अगर मनोहर पे हाथ उठाया तो मीडिया वाले उसके पीछे पड़ जाएंगे इसीलिए दिमाग़ को ठंडा रखना जरूरी था । वैसे वो अपनी गन तो साथ लेकर ही आया था कहीं कुछ गड़बड़ हो जाए तो बचने के लिए किसी पे तो भरोसा होना चाहिए ना ।
दिमाग़ को ठंडा रखने के लिए समीर ने सेंटर फ्रेश निकाली और चबाने लगा ।उसके साथ साथ कुछ गहरी सांसे ली और म्यूजिक के साथ ताल मिलाता हुआ मनोहर के सामने रखी खाली कुर्सी पे जाके बैठ गया। मनोहर समीर को देख कर ही समझ गया था कि ये पुलिसवाला है । जैसे उसने सूंघ लिया हो । वैसे वो दोनों पहले कभी नहीं मिले थे ।
मनोहर ने दारू के नशे में भी बात साफ़ साफ़ आेर सीधे शब्दों में कही की “ देख पुलिसिये , मैने किसी को नहीं मारा, वैसे भी मेरे पास उनको मारने की कोई वजह नहीं थी । हा एक- दो बार झगड़ा ज़रूर हुआ था , वो तो में हर किसी से करता रहता हूं । पर बात यहां मर्डर की हो रही हैं इसीलिए साफ़ साफ़ शब्दों में बोल रहा हूं कि मैने किसी को नहीं मारा । अगर मारा होता तो साफ़ साफ़ बता देता क्यू की मेरे पीछे मुझे बचानेवाला मेरा बाप है । मेरा बाप बस नोट फेंकता आेर तुम पुलिसवाले मेरे पाव चाटने लग जाते ”।
समीर जितनी शांति से बात सुन रहा था उतनी ही शांति से उठ खड़ा हुआ और नाइट क्लब के बहार की तरफ़ चल दिया। वो तेज़ क़दमों से नाइट क्लब के बहार निकला और भागने लगा । थोड़े दूर जाकर वो रुक गया और जोर जोर से चीखने लगा । वो सिस्टम को गालियां दे रहा था । क्यू हम इन चूतीये लोगों को हाथ नहीं लगा सकते... क्यूं ... चूतीया था साला.. मादरचोद कहीं का ... ऐसी ऐसी गालियां निकाल रहा था वो रोड़ के साइड में खड़े खड़े । सामने से गुज़र रहे दो तीन लोग समीर को अजीब नज़रों से देख रहे थे ये सोचते हुए कि ये कोन पागल चिल्ला रहा है ।
समीर ने अपने आप को शांत किया आेर एक सिगरेट सुलगा दी । पुलिस स्टेशन पहुच कर समीर ने सबसे पहले अच्छे से नाश्ता किया और अदरक वाली चाय पी । समीर ने शाम से कुछ नहीं खाया था । वो तो नाश्ता भी मना कर रहा था ये तो मिश्रा जी ने जिद की तभी नाश्ता किया ।
समीर मिश्राजी की तरफ़ मुखातिब हुआ । आेर कहां की ..“ मिश्रा जी कल का दिन बहुत इंपॉर्टेंट है । कल कुछ भी हो सकता हैं । अभी सारा शहर सो रहा होगा सिवाय उस सीरियल किलर के । वो अपने अगले शिकार की तलाश में निकला होगा । पेट्रोलिंग करनेवालो को बोलो कि कोई भी संदिग्ध आदमी दिखे उसे उठा लो । आज रात कोई मर्डर नहीं होना चाहिए ” ।
“ यस सर ”.. मिश्रा जी ने जवाब में कहा ।
“ सारे ‘H’ नाम वाले लोगो को बोल दिया है ना कि चौकन्ने रहे , घर से बाहर ना निकले और किसी अजनबी को अपने घर में घुसने ना दे .. ” समीर ने पूछा ।
“ हा सर बोल दिया है ”.. मिश्रा जी ने जवाब में कहा ।
“ अब जल्द ही उस सीरियल किलर का रियल चेहरा लोगो के सामने होगा । पुलिस का डंडा फड़फड़ा रहा है मिश्रा जी उस सीरियल किलर की हड्डियां तोड़ने को ..” समीर ने कहा ।
पूरी रात पुलिसवाले बोपल सोसायटी का चक्कर काटते रहे । तीन चार बार समीर ख़ुद जाकर वहां का हाल देख कर आया था पर कहीं कुछ नहीं हुआ । समीर पुलिस स्टेशन में हीं सो गया । सुबह जब उसकी नींद खुली तो उसने देखा कि वो कुर्सी में हीं सो गया था । खिड़की से सूरज की किरणें कमरे को अपने आगोश में भरने के लिए भागी जा रही थी । समीर ने घड़ी कि तरफ़ नज़र घुमाई । सुबह के साढ़े छह बज रहे थे । उसने जोरो से अंगड़ाई ली और कुर्सी से उठ खड़ा हुआ । अपना नित्य क्रम ख़त्म करने के बाद समीर ने नाश्ते में गरमा गरम अदरक वाली चाय आेर समोसे खाए ।
सुबह से ही पुलिस स्टेशन में अजीब सा माहौल था । सब लोग टेंशन में इधर उधर घूम रहे थे । कोई भी फोन बजता सब चौक जाते की अभी कोई बूरी ख़बर आएगी । ग्यारह बजे के आसपास समीर की केबिन का फ़ोन बज उठा । सबकी नजरें फ़ोन पर आेर धड़कन तेज थी । समीर ने फोन उठाया, सामने मातरे जी थे । फ़ोन रखने के बाद समीर ने सब की तरफ़ देखा और दबे आवाज़ में कहां की एक और ख़ून हुआ है , हेमंत नाम के लड़के का । सब की आंखों में हताशा साफ़ दिखाई दे रही थी । ये नहीं होना चाहिए था …सब यहीं सोच रहे थे । तीन दिन में तीन ख़ून आेर पुलिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था ।
समीर पुलिस ज़िप में अपनी टीम के साथ पहुंच चूका था । पर क्राइम सीन तक जाने के लिए समीर के पैर लड़खड़ा रहे थे । उसकी हिम्मत ने जवाब दे दिया था । समीर के साथ बाकी सभी हवलदार भी उसके साथ बैठे थे । वो सभी हालात अच्छी तरह से जानते थे । उन्हें पता था आगे क्या होनेवाला हैं , मीडिया का झुंड गिध की तरह पुलिसवालों पे झपटने के लिए तैयार था ।
समीर ने हिम्मत कर के जीप से पैर बाहर निकाला और चल दिया क्राइम सीन की तरफ़ । बाक़ी सब हवलदार भी चल दिए समीर के पीछे पीछे । जीप से जैसे कोई कैदी निकला हो वैसे मीडिया वालों ने समीर को घेर लिया और सवालों कि छड़ी लगा दी । रिपोर्टर में सबसे आगे सलोनी गुप्ता थी । एसिड अटैक विक्टिम होने के बावजूद उसकी गिनती टॉप के रिपोर्टरो में होती थी । वो तो ज्यादा ही ज़ोर शोर से सवाल पूछने लगी थी कि तीन दिन में तीन ख़ून आेर पुलिस घोड़े बेच के सो रही हैं ? इस सोसायटी कि सुरक्षा की जिम्मेदारी कोन लेगा ? कितने ही रिपोर्टर ने पुलिस वालों से इस्तीफ़ा मांगा । समीर मीडिया वालो को नज़र अंदाज़ करता हुआ क्राइम सीन तक पहुंचा ।
माहौल में एसिड की बदबू घुल चुकीं थीं । लाश की हालत पहेली दो लाशों जैसी ही थी । रस्सी से बंधा होना , एसिड से जलाना , बीच वाली उंगली का कटा होना , दीवार पे हर बार कुछ न कुछ लिखा होना । समीर ने देखा कि …‘ इस बार दीवार पे “want” लिखा हुआ था । अब तक मिलाकर सेंटेंस बनता हैं ‘ i don't want ' । समीर ने सोचा कि …अभी भी सेंटेंस अधूरा है मतलब ये ख़ून का सिलसिला अभी ख़त्म नहीं हुआ है , आगे भी ख़ून होंगे ।
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(मुझे पता है मैने बहुत गलतियां की होगी इसमें । कहीं मेरी storytelling ख़राब होगी तो कहीं कहानी का फ्लो टूट रहा होगा । इसीलिए आप लोगों से रिक्वेस्ट है जहा पर भी मेरी गलती लगे मुझे बताइए। आपकी वजह से में बहुत कुछ शिख सकता हूं । आप यहां नीचे कॉमेंट में बताइए या मेरे व्हाट्सएप (8780948835) बताइए । Thank you। )