समीर ने नाश्ता छोड़कर मिश्रा जी को उसके फ़ोन पर आयी आखिरी कॉल की लोकेशन ढूंढने को बोल दिया । सीरियल किलर ने अपना अगला शिकार दबोच लिया था अब उसका शिकार होगा या वो बच जाएगा इसका कुछ पता नहीं था । समीर को तो ये भी नहीं पता था वो लड़की कोन है । समीर टेंशन में पूरे कमरे में चहलकदमी करने लगता है । थोड़ी ही देर में मिश्रा जी समीर के फ़ोन पर आए कोल की लोकेशन ढूंढ़ लेते हैं । समीर आेर बाक़ी सब पुलिस थाने के बाहर निकलते हैं । मातरे जी पुलिस ज़िप लेकर तैयार खड़े थे । समीर ने जीप में बैठते ही कमिश्नर साब को फ़ोन किया । पहले ही रिंग में उन्होंने फोन उठा लिया जैसे उन्हें इसी फ़ोन का इंतजार हो ।
समीर ने कहा की “ सर अभी अभी एक फ़ोन आया था पुलिस स्टेशन में । लड़की बहुत डरी हुई थी उसने कहा कि उसकी जान को किसी से ख़तरा है । कॉल की डिटेल्स निकाली तो पता चला की वो बॉपल के आख़िर में जो गोडाउन है वहीं से आया था । फ़ोन किसी आेर नहीं मनोहर शर्मा के नाम से रजिस्टर्ड है ” ।
समीर ने अपनी बात ख़त्म की । कमिश्नर सर बड़े ध्यान से समीर की बातों को सुन रहे थे और जैसे ही मनोहर शर्मा का नाम आया वो चौक गए क्यू की वो जानते थे की वो कौन हैं और अगर उसका इसमें कुछ भी लेना देना हुआ तो पूरे देश में हल्ला होगा ।
इसीलिए कमिश्नर साब ने कहा की “ तुम उस गोडाउन पर पहुंचो , में भी जल्दी वहा पहुंचता हूं । जब तक कोई भी बात पूरी तरह से कन्फर्म नहीं होती तब तक कुछ भी प्रेस के सामने लीक मत करना । ये बड़ा नाज़ुक मामला है । अपनी सारी टीम को ये बता देना ”। समीर ने यस सर कहां आेर फ़ोन रख दिया । समीर को कमिश्नर सर ने जो भी बोला था उसने अपनी पूरी टीम को बता दिया , सब समझ गए । जिस स्पीड में मातरे जी गाड़ी चला रहे थे ये तय था कि कुछ ही देर में या तो वो गोडाउन पहुंचा देंगे या यमराज के पास । समीर आेर बाक़ी सब उस लड़की के लिए दुआ कर रहे थे कि वो कैसे भी करके बच जाए और अगर वो किलर किसी के हाथ में भी आ गया तो उसका कीमा बनना तो तय था ।
जैसे ही गोडाउन पहुंचे समीर ने उतरने के साथ ही गोडाउन की तरफ़ दौड़ लगाई । बाक़ी सब भी समीर के साथ साथ गोडाउन के दरवाजे पर पहुंचे । दरवाजा अधखुला हुआ था । कमिश्नर की गाड़ी भी तभी आ गई । वो गाड़ी से उतरे और सीधे समीर के पास पहुंचे । समीर आेर बाक़ी सब ने कमिश्नर को सैल्यूट किया । समीर आेर बाक़ी सब ने अपनी अपनी गन निकाल ली । क्यू की अंदर कुछ भी हो सकता था । वो किलर अभी भी अंदर हो सकता था ।
समीर ने धीरे से दरवाज़ा खोला आेर गोडाउन के अंदर घूस गया । उसके पीछे पीछे बाक़ी सब भी अंदर चले गए । अंदर सिर्फ अंधेरा था , काला घना अंधेरा । कुछ दिखाई नहीं दे रहा था । समीर ने अपनी टॉर्च निकाली और सावधानी से हर तरफ देखने लगा । सब लोग अपने हाथो में टॉर्च लिए अलग अलग जगहों पर छानबीन कर रहे थे । थोड़ी देर तक समीर को कुछ नहीं मिला । पर जैसे ही वो टॉर्च लेकर गोडाउन के बीच में पहुंचा उसे वहां पर ख़ाली कुर्सी दिखाई दी । कुर्सी के बाजू में खुली हुई रस्सियां पड़ी थी जो ये बयान कर रही थी कि कोई अभी अभी यहां से भागा है । समीर ज्यादा चौकन्ना हो गया । सामने थोड़ी दूर उसने जब टॉर्च की रोशनी की तो उसे कोई लड़की उल्टी पड़ी हुई दिखाई दी । समीर इस बात से डर गया की कहीं सीरियल किलर ने अपना काम तो नहीं कर दिया , क्या पुलिस से देर तो नहीं हो गई ।
समीर ने कमिश्नर आेर बाक़ी सब को आवाज़ लगाई । सब लोग लड़की को देखकर हैरान थे । समीर हिम्मत कर के आगे बढ़ा । उसने लड़की को पलटा । उसका चेहरा सच में जला हुआ था । पर समीर ने देखा कि जलने के ज़ख्म बहुत पुराने थे । क्यू की वो आेर कोई नहीं भारत न्यूज की रिपोर्टर सलोनी गुप्ता थी । थोड़ी देर के लिए सब ने राहत की सांस ली क्यूं की किसी की भी जान नहीं गई थी । सलोनी का पूरा बदन चोटों से भरा हुआ था और वो कराह रही थी । मिश्रा जी दौड़कर पानी ले आए और उसे पिलाया । सलोनी ने कमिश्नर सर की तरफ देखकर मुश्किल से कहां की “ मेरा ये हाल मनोहर शर्मा ने किया है ”। इतना बोलने के साथ वो फुट फुट कर रोने लगी ।
थोड़ी ही देर में न जाने कही से मीडिया की पूरी टोली गोडाउन में घुसी जा रही थी । मीडिया वालो की तादात इतनी ज्यादा थी कि दरवाजे पर खड़े दो हवलदारों से उनको रोकना मुश्किल था । उन्हें ने आते ही कमिश्नर आेर सलोनी से सवाल पूछने शुरू कर दिए । कमिश्नर साब ने तो जवाब देने से मना कर दिया ये कहकर कि अभी इसे हॉस्पिटल लेके जाना है , फिर उसका बयान लेंगे , बाद में ही कुछ कह सकता हूं में मीडिया को । पर सलोनी तैयार थी । वो कराहते हुए उठ खड़ी हुई और मीडिया वालो के जवाब देने लगी । सलोनी ने उन्हें बताया कि उसकी हालात का जिम्मेदार मनोहर शर्मा हैं ।
समीर ये सब कुछ देख रहा था । उसने बाजू में खड़े कमिश्नर सर को पूछा कि “ ये मीडिया वाले कहां से आ पहुंचे यहां पर ”।
कमिश्नर साब को इस बात का ख़ुद कुछ पता नहीं था फिर भी तर्क लगाकर कहां की “सलोनी गुप्ता मीडिया वाली है , क्या पता तुम्हारे बाद उसी ने अपने साथियों को बुलाया हो” ।
कमिश्नर सर कि बात में दम तो था । समीर ने आगे कहा की “ सर अब अगला स्टेप मनोहर की गिरफ्तारी हैं ।
“हा, वहीं हैं ” कमिश्नर ने उत्तर दिया ।
समीर ने पूछा कि“ पर सर वोरंट , बड़ा आदमी है , ऐसे कैसे हाथ डाल दे ” ।
“ यहां आते वक्त मैने सब इंतज़ाम कर दिया था, वॉरंट रेडी है ” कमिश्नर सर ने उत्तर दिया ।
मनोहर बड़ा आदमी होने कि वजह से उसे गिरफ्तार करने के लिए कमिश्नर खुद गए । सलोनी को हॉस्पिटल ले जाया गया । बाक़ी सब वहां से चले गए पर समीर आेर मिश्रा जी वहीं खड़े थे । समीर सामने की दीवार पर लिखा हुआ पढ़ रहा था । वहां पर लिखा था “ Any sympathy” । समीर ने अब तक का अधूरा सेंटेंस पूरा किया की ‘ I don't want any sympathy ’ । मनोहर को किस बात की सिंपैथी दे रहे थे लोग जो इस तरह से ख़ून करके दुनियां को मेसेज देने के ज़रूरत पड़ी .. समीर मन में ये सब सोच रहा था तभी थोड़ी दूर खड़े मिश्रा जी समीर के क़रीब आए और पूछा कि “सर क्या बात है ? क्या सोच रहे हो ?
“मिश्रा जी खूनी ने पहली बार अपनी पैटर्न बदली हैं । पहले तीन ख़ून उसने उन लोगो के घर में हीं किए थे लेकिन चौथे ख़ून के लिए गोडाउन चुनना …ये बात हजम नहीं हो रही । आेर यहां तो ना एसिड है ना आसपास कोई कंप्यूटर जिससे वो अपने अगले शिकार के बारे मैं बता पाता । आेर कैसा खूनी हैं जो अपने शिकार के पास फ़ोन छोड़ जाता हैं । क्या उसे पहले से मालूम था कि वो पकड़ा जानेवाला है । क्या यहीं उसका आखिरी शिकार था । पर उसे कैसे मालूम कि वो इस बार पकड़ा जानेवाला है ” समीर ने जवाब में कई सारे सवाल पूछे ।
मिश्रा जी ने सारी बाते ध्यान से सुनी और कहां “ शिकारी कभी न कभी बूढ़ा ज़रूर होता हैं सर। इसी चक्कर में ये फसा है , उसे लगा होगा तीन ख़ून करने के बाद भी कोई पकड़ नहीं पाया इसीलिए घमंड में आकर इस बार लापरवाही करदी होगी । क्या पता वो सलोनी को यहां से उसके घर लेजाकर मारता , क्या पता उसकी कार में एसिड और कंप्यूटर और बाक़ी सब होता । आेर रहीं बात फ़ोन कि तो क्या पता सलोनी को बेरहमी से पीटने में उसे पता ही ना हो उसका फोन गिर गया है । सर आप खामखां ज्यादा सोच रहे हैं वैसे भी हम तीन दिन से ठीक से सोए भी नहीं है । आज थोड़ा अच्छे से आराम करेंगे , चलो चलते हैं ”। मिश्रा जी की बात तो लॉजिकल थी फिर भी समीर को अंदर ही अंदर कुछ खटक रहा था ।
वहां से निकल कर वो पुलिस स्टेशन पहुंचे तब तक समीर को ये न्यूज़ मिल गई थी कि मनोहर को हिरासत में ले लिया गया है । उसके घर की छानबीन के दौरान डोग स्क्वाड को तीन कटी हुई उंगलियां मिली है उसके बगीचे से, जो कि पहली तीन लाशों कि हो सकती हैं । मनोहर के फिंगरप्रिंट मैच हो गए हैं पहले तीन ख़ून कि तहक़ीकात के दौरान मिले उंगलियों के निशान से ।
समीर ने अपनी केबिन में जाकर चाय आेर नाश्ता मंगवाया । चाय पीते पीते उसने टीवी आेन की आेर न्यूज चैनल लगादी । वो देखना चाहता था की मर्डर केस के बारे में मीडिया वाले क्या बोल रहे हैं । न्यूज़ चेनल में मनोहर की गिरफ्तारी का वीडियो दिखा रहे थे जिसमे वो चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था कि “मुझे फंसाया गया है , मैने कुछ नहीं किया , मेरी मदद करो ” । समीर ने ये देखकर चेनल बदल दी ।
दूसरी चेनल में पूरी घटना बता रहे थे कि “ पिछले तीन दिनों में हुई तीन हत्याओं में जो आरोपी है वो मनोहर शर्मा हैं । जिन्हें हाल ही में गिरफ़्तार किया गया है । उनके पापा भूतपूर्व एमएलए रह चुके हैं । इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था । सूत्रों के मुताबिक मनोहर शर्मा के गार्डन से तीन कटी हुई उंगलियां बरामद हुई है जो पहले तीन लाशों कि हो सकती हैं । इससे ये बात साफ़ होती है कि सीरियल किलर हमारे आसपास कहीं भी हो सकते हैं ।”
मीडिया वालो ने मनोहर आेर उसके बाप के इज्ज़त की धज्जियां उड़ा कर रख दी । वो दोनों किसी को मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं रहे थे । समीर अभी भी वॉचमेन के बारे में सोच रहा था कि मनोहर कब उगलेगा की उसने वॉचमेन को जिंदा या मुर्दा कहां रखा है । उस शाम समीर जल्दी ही घर वापस चला गया । वैसे भी वो बहुत थका हुआ था । रात को खाते वक्त भी वो बस वॉचमेन के बारे मैं ही सोच रहा था ।
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(मुझे पता है मैने बहुत गलतियां की होगी इसमें । कहीं मेरी storytelling ख़राब होगी तो कहीं कहानी का फ्लो टूट रहा होगा । इसीलिए आप लोगों से रिक्वेस्ट है जहा पर भी मेरी गलती लगे मुझे बताइए। आपकी वजह से में बहुत कुछ शिख सकता हूं । आप यहां नीचे कॉमेंट में बताइए या मेरे व्हाट्सएप (8780948835) बताइए । Thank you। )