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बूढ़ी अम्मा


रवि, जय और खुशी अच्छे दोस्त है तीनों एक ही क्लास में पढ़ते है। शाम के वक्त खुशी जय के घर जाती है जहा पर रवि भी आया हुआ है।
खुशी: क्या सोचा? उस बूढ़ी अम्मा से मिलने जाना है की नहीं?
खुशीने अपनी बड़ी आंखोकों और बड़ा कराते हुए, अपने दोनों मित्र की और बारी बारी देखते हुए कहा।
रवि: तुजे क्या लगता है, हमे जाना चाहिए?
रविने जय के सामने देखते हुए पूछा था।
जय: बिलकुल नहीं। क्या पता वो बुढ़िया हमे किडनेप करले तो!
जय ने अपनी शक्ल को और ज्यादा गभराई हुई करके कहा।
खुशी: चुप रहो तुम डरपोक चूहे। हम अपने वादे से पिंछे नहीं हट शकते। अगर तुम दोनों साथ नहीं आए तो में अकेली जाऊँगी।
खुशीने दरवाजे तक जाकर वहाँ खड़े रह कर पिंछे देखा, वो दोनों अपनी जगह से हिले भी नहीं थे।
खुशी: में घर पर चिट्ठी छोड़ कर आई हूँ अगर में रात आठ बजे घर नहीं पहोंची तो तुम दोनों से पूछताछ की जाए!
खुशी के चहेरे पर शेतनी हंसी आ गई थी।
जय: मैंने पहले ही कहा था इन लड़कियो से दोस्ती रखना मतलब आफत को इन्वाइत करना।
रवि: खुशी जाना जरूरी है क्या?
खुशी: हाँ में अपना प्रोमिस कभी नहीं तोड़ती। अब चले जलदी जाएंगे तो जलदी लौट आएंगे।
जय: आमीन।
उसने अपनी छाति पर एक हाथ से क्रोसका निशान बनाते हुए कहा।
तीनों बच्चे सायकल लेकर निकल पड़े। उनके घर से थोड़े दूर जाते ही रास्ते के थोड़े अंदर की तरफ एक झोपड़ी थी। तिनोने झोंपड़ी के बाहर अपनी सायकले रखदी और दरवाजे तक जाकर खड़े रहे।
जय: कोई दिखाई नहीं दे रहा, लगता है बूढ़ी अम्मा बाहर घूमने गई है, चलो घर लौट जाये।
जय वापिस जाने लगा तभी खुशीने आवाज लगाई,
“अम्मा... अम्मा... हम लोग आ गए।“
जयने वापस आ कर रवि के सामने देखते हुए कहा, “ये पूरी मेंटल है!”
अंदर से एक बूढ़ी आवाज आई, “तुम लोग आ गए। मुजे लगा था नहीं आओगे। कोई नहीं आता। आजकल सब बस अपनी ही सोचते है, दूसरे के बारे में सोचने वाला कौन है यहा।“
एक बड़ा सा चाकू जिस पर से खून टपक रहा था उसे एक हाथ में पकड़े हुए वो बुढ़िया दरवाजे तक आई। तीनों बच्चे उस चाकू को देख रहे थे ये देखकर उसने कहा, “में तुम लोगो के लिए केक बना रही थी। रेड वेलवेट केक।“ उसने चाकू पर से लाल रंगको अपनी उंगली पर लिया और उसे चाटते हुए कहा, “डिलीसियस।“
“मुजे केक पसंद नहीं। में कभी नहीं खाता” जय ने कहा और बूढ़ी अम्माने उसे कंधे पर हाथ रख कर उसे अंदर खींचते हुए कहा, “तुम्हारे लिए मेरे पास कूकिस है, देखो उस प्लेट में।“
जयने उस प्लेट की और देखा, “छिपकली के शेप की कुकी मैंने पहली बार देखि। माफ कीजियेगा पर आज मेरा फास्ट है में कुछ नहीं खाऊँगा या पीऊँगा।“ उसने मुह बनाके खुशी की और देखते हुए कहा था। उसकी आंखे खुशी को यहा आने के लिए डांट रही थी।
“अम्मा आप को ये सब करने की जरूरत नहीं थी। सब को एक एक टॉफी दे देती तो भी चलता।“ खुशीने प्यार से कहा।
“अरे नहीं मेरे बच्चो इसमे तकलीफ नहीं हुई, मुजे अच्छा लगा आज सालो बाद अपने जन्मदिन पर मेने केक बनाई। तुम लोग आने वाले नहीं होते तो में अकेली बेठी बोर हों जाती।“
“नहीं कैसे आते हमने आप से प्रोमिस किया था की आप के बर्थडे पर हम विश करने जरूर आएंगे।“ खुशीने हँसते हुए अपने कोट की जेब से एक लाल गुलाब का फूल निकाला और अम्मा को देते हुए कहा, “हेपी बर्थडे!”
फिर सबने मिलकर केक काटी। लाल खून जेसी रंगकी वह अजीब सी दिखने वाली केक थी। सब को एक एक टुकड़ा काटकर प्लेट में दिया गया। जय शिर हालकर रवि को केक न खाने के लिए समजा रहा था तभी खुशीने केक का टुकड़ा अपने मुह में रखा।
“अरे वाह ये तो बहोत अच्छी है, लाजवाब। खालो जय एसी केक तुमने कभी नहीं खाई होगी।“ खुशी मजे लेकर केक खाने लगी। उसे देखकर रविने भी केक खाई। फिर जयने भी एक छोटा सा टुकड़ा टेस्ट किया और फिर बड़ा सा बाइट लिया।
“शुक्रिया मेरे बच्चो तुम्हें यहा देख के मुजे बहोत खुशी हुई।“
“हमे भी अम्मा।“ खुशीने कहा और तीनों बच्चे निकल चले।
खुशी जब अपने घर गई तो वहा कोई नहीं था। घरकी सभी लाइट भी बंध थी। वह अंदर गई तो अजीब सी बदबू आ रही थी। उसने लाइट जलाई तो ये क्या... उसका पूरा घर जल चुका था। काले धुए ने पूरे घर को घेर लिया था। हर एक चीज जलकर राख हों चुकी थी। खुशी रोने लगी तभी उसके पैर से एक वायर टकराई। पीले और काले रंग की इलेक्ट्रिक वायर अभी भी जल रही थी।
जय के घर पर छोटा सा पपी था। जब जय घर लौट कर अपने गार्डन में खेल रहा था तभी एक नीले रंगकी गाड़ी बड़ी ही तेजी से उसके घर के सामने से निकली। पपीने उसे देखा और वह खुले गेट से बाहर निकल कर उस गाड़ीके पिंछे भागा। जयने सब कुछ देखा पर वह गेम रोकना नहीं चाहता था वह अपनी बोल से खेलता रहा और रोड पर खड़े हुए उसके पपी के ऊपर से एक गाड़ी चली गई...
रवि जब अपने घर गया तो उसके घर के फॉन की घंटी बज रही थी। रविने तुरंत फॉन उठाया और हॅलो कहा, सामने से खबर आई की उसके मबाप जिस प्लेनसे जा रहे थे वह टूट पड़ा हे और कोई भी जिंदा नहीं बचा।
अगले दिन जब तीनों स्कूल में मिले तब जयने अपने कल रात के सपने के बारे में बताया। उसे एसा लगा जैसे सच में उसका पपी मर गया। जय की बात सुन कर खुशीने भी अपने सपने के बारे में बताया और तब रविने कहा,
“मैंने देखा मम्मी पापा का प्लेन क्रेस हो गया कोई नहीं बचा। पर वो लोग तो कहीं गए ही नहीं है।“
खुशी को ये बात अजीब लगी के सबने एक साथ कोई भयानक सपना देखा था।
दो दिन बाद खुशीने अपने घर में एक पीली काली वायर को एसी के नीचे लटकता हुआ देखा और उसे अपना सपना याद गया। उसने तुरंत अपने पापा को वो वायर दिखाई। ठीक से जांच करने पर पता चला की उस वायर के अंदर सोर्ट सर्किट हों रही थी और अगर आग लग जाती तो पूरे घर को जला देती।
खुशी फ़ोरन भागती हुई जय और रवि के पास गई और कहा, “मेरी समज में आ गया। वो जो हमने बुरे सपने देखे थे वेसा हमारी लाइफ में होने वाला है! हम चाहे तो उन्हे रोक शकते है। वो सपना हमारा भविष्य था जिसे हम चाहे तो बदल शकते है।“
“शाबास मेरी बच्ची तू जलदी समज गई।“ अचानक से वो बूढ़ी अम्मा हवा में दिखाई दी, सिर्फ उसका चहेरा जो कह रहा था,
“में एक चुडेल हूँ, अच्छी चूड़ेल उस दिन में अपने एक जादू के लिए खरगोश का नाखून लेने तुम्हारी स्कूल में आई थी। तभी तुम लोगोने मुजे देख लिया और मैंने युही कह दिया के परसो मेरा जन्म दिन है इसीलिए कुछ बच्चोकों इन्वाइट करने यहा आई हूँ, क्या तुम मेरे घर आओंगे? तुमने आने का वादा किया और सचमुच आये इसीलिए में बहोत खुश हुई। आज के जमाने में तुम्हारे जैसे अच्छे और सच्चे बच्चे मिलना मुश्किल है। तुम्हारे माथे पर से मेने आने वाले समय को पढ़ लिया था और तुम लोग भी वो जान शकों इसीलिए वो बाते मैंने तुम तीनों को सपने में दिखाई। अगर तुम चाहो तो अपनी भविष्य बदल शकते हों जैसे की खुशी ने अपने घर की आग को रोक लिया।“
तीनों बच्चोने मुश्कुरा कर ‘धन्यवाद’ कहा और वो अद्रश्य हो गई।
नियती कापड़िया।

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