मेरीड दोस्त  Niyati Kapadia द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मेरीड दोस्त 


एक फ्लेट के कमरे में सोफा पर पड़ा एक लड़का सो रहा है। उसके पाँव जमीन पर लटके हुए है वहाँ नीचे एक और लड़का सो रहा है। कमरे में चारो और कागज के टुकड़े और कपड़े बिखरे हुए पड़े है। कल रात को आए हुए पिज्जा का खाली बॉक्स और कुछ टोपिंग के टुकड़े सोफा चेर पर पड़े है। टीपोय के नीचे पड़ा मोबाइल कबसे बज रहा है...
विशाल: करन तेरा फोन बज रहा है।
करन: मेरा नहीं तेरा फोन आया है, तू उठा।
विशाल: अबे ये तेरा सेमसंग आवाज करा रहा हे।
करन: तूँ मरेगा न साले तो तुजे नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी।
करन आंखे मसलता हुआ नीचे जमीन पर ही पड़ा पड़ा साँप की तरह आगे बढ़ा और टीपोय के नीचे हाथ डालकर फोन उठाया, मोबाइल की स्क्रीन पर देखा और फिर कॉल लिया,
“हल्लों... क्या..? हा? ना... हा...” फोन रखकर करनने विशाल को उठाते हुआ कहा, “अबे उठ साले अभी आ रहा हे साथ उसकी वाइफ भी है उसने फ्लेट खाली करने को कहा है।“
विशाल : अभीने एसा कहा? वो अपनी बीविकों लेकर आ रहा है तो क्या हुआ? हम साथ साथ रह लेंगे न तुजे कोई प्रोब्लेम है?
कारण: मूजे नहीं उसे प्रोब्लेम है और कहा हे की घर साफ करके जाना!
दोनोंने कमरे में नजर डाली और फिर हसते हुए सब बिखरी चिजे बटोरने लगे। एकने जाडु लगाया और दूसरेने पोज़ा किया। बाथरूम और किचन की भी सफाई की और फिर अपने फ्लेट में लौट गए।
शाम को विशाल और करन अभी को मिलने उसके घर आए तो उसकी बीवी को देखकर दोनों की आंखे फटी की फटी रह गई,
“अबे सालो नजरे गुमाओ ये तुम्हारी भाभी है...!” अभीने कहा तब ही दोनों होंश में आए। उनकी आंखे अभी से पूछ रही थी, इतनी सुंदर लड़की कैसे पटाई भाई?
अभीने भी आंखो और हाथ से इशारा किया, अरेंज मेरेज उसने अपने हाथ की उंगली दिखाई जिस पर हीरे की अंगूठी चमक रही थी।
“आइये न भैया खड़े क्यों हो बेठिए। अब सोफा बिलकुल साफ है, मैंने आधा घंटा वेकयुम से साफ करवाया अभी से। पता नहीं यहा कौन जंगली लोग रहा कराते थे? पूरे घर की इतनी खराब हालत थी दो बार अभीने जाडू पोज़ा किया अगर मूजे पुराने किराएदार मिल जाए तो में एक चांटा लगा दु,”
“अंजलि...अंजलि... ये मेरे दोस्त है कुछ चाय पानी?” अभीने बात संभालली।
“हाँ लाती हूँ न,” वह किचन में गई और अभी को आवाज दी,
“साले... पता हे मैंने और इसने दोनोंने मिलकर पहली बार जिंदगी में जाडू पोज़ा किया, तेरे गंदे कपड़े उठाए,”
विशाल बोल रहा था अंजलि की आवाज आने पर अभीने उसे चुप रहेना का इशारा किया और वो अंदर गया। अंजलिने ग्लास में पानी निकाल के रखा था वह ट्रे में दो ग्लास लेकर आया। उसे इस तरह ट्रे लेकर आता देख विशाल और करन दोनों की हसी छुट गई।
“वो चाय बना रही है सालो!” अभीने धीरे से कहा, तभी फिर से अंजलिने अभी को आवाज दी।
“जाओ बेरा अब चाय लेकर आओ!” करनने कहा।
अभी अंदर गया और थेली लेके बाहर आया, “चाय पत्ती नहीं है! कहा मिलेंगी?”
“नीचे दुकान में जाकर पूछ ले भाई।“ दोनों फिर से हंस पड़े।
“असीस्टंट मेनेजर ऑफ येवला बेंक को देख लो!” विशालने कहा।
“भाई घर में दूध भी नहीं होगा वो भी लेते आना।“ कारण बोला।
अभी जैसे ही चाय पत्ती लेकर वापस आता है अंजलि की आवाज आती है, “अभी... फ्रीज़ में दूध नहीं है जरा वो भी लेते आओ प्लीज़!”
“शादीके साइड इफेक्ट!” अभी के कानो में फूँक मारकर दोनों दोस्त चाय पी कर निकल जाते है।
फिर एक दिन उन्होने साथ बेठ कर गप्पे लड़ाने का प्लान बनाया अंजलिने भी खुश होकर सब के लिए पाऊभाजी बनाने को कह दिया। तीनों दोस्त जेसे बाते करने बेठे ही थे की अंजलि की आवाज आ गई, “अभी अब तुम यहाँ बैठ कर बाते ही कर रहे हो तो जरा ये मटर छिलते छिलते बाते करो ना तुम्हारे फ्रेंड भी मदद करेंगे तो काम जलदी हो जाएगा!” अंजलिने दो किलो मटर अभी की गोद में डालते हुए कहा।
करन और अभी मटर छिल रहे थे विशाल उन्हे देखकर मुश्कुरा रहा था तभी अंजलिने आकर कहा, “विशाल जरा अंदर आओ ना प्लीज़!” विशाल दोनों फ्रेंड की और देखता हुआ अंदर बेडरूम में गया। पाँच, दस, पंद्रा मिनिट हो गई फिर भी विशाल बाहर नहीं आया तब अभीने जाकर दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देखते हुए करन को बुलाया, अंदर एक टेबल पर चढ़ा हुआ विशाल पंखा साफ कर रहा था और अंजली जरा यहा से, थोड़ा इस तरफ से, कह कह कर सफाई करवा रही थी।
“अरे तुम दोनों यहा खड़े क्या देख रहे हों मेने आलू बोइल करके रखे है उन्हे छिल के रखो में बस पाँच मिनिटमें फिर भाजी बना लूँगी, पाउ बाहर से लेते आना!”
उस दिन घर से निकलते वक्त विशाल और कारण दोनोंने कसम खाई की जब अंजलि घर में हों वो कभी यहा नहीं आएंगे।
कुछ दिनो बाद अंजलि अपने मायके गई हुई थी और टीवी में भारत का मेच चल रहा था। आज कई दिनो के बाद तीनों दोस्त एक साथ मेच की मजा लेने बेठे थे। बाहर से नास्ता, कोल्डरिंक्स सब आ गया था जैसे मेच चालू हुई तभी अंजलि का फोन आया,
“अभी बाथरूम का नल खराब हों गया है प्लंबर को बुलाया?”
“अरे यार उसे कल बुला लूँगा आज विशाल और करन घर पर आए हुए है।“ अभिने कहा।
“अरे वाह अकेले अकेले पार्टी कर रहे हो! जरा स्पिकर ऑन करो,” अभीने स्पिकर ऑन किया,
“हाय विशाल, हाय करन कैसे हो दोनों?”
“बस मजे में है आप बताए,” विशालने कहा।
“अच्छा विशाल तुम तो कोम्प्यूटर के बारे में सब जानते हों ना, मेरा लेपटोप कई दिनो से बिगड़ा पड़ा है जरा उसे देखलोना प्लीज।“
“अंजलि वो में बाहर से ठीक करावा लूँगा,” अभी कहने लगा।
“एक हफ्ते से कह रही हूँ आज तक तुम्हें टाइम मिला, कितने दीनो से बेडरूम में पड़ा हुआ है अब जब विशाल घर पर आया है तो उसे ही कर लेने दो! क्यो विशाल तुम कर लोंगे ना।“
“जी कर लूँगा।“ विशालने आंखे निकालते हुए अभी की और देखा।
“करन तुम्हारी आवाज नहीं आ रही?”
“हा बोलो मुजे क्या करना होगा?”
“तुम्ही मेरे सबसे अच्छे वाले देवर हों कैसे मेरी बात समज जाते हों। एक खाली गेस सिलिन्डर कब से घर में पड़ा हुआ है अभी से तो उठाया नहीं जाता तुम उसे प्लीज नीचे, ग्राउंड फ्लोर वाली दिसोजा आंटी को दे आना। और पता हे मेरे पास मेरी मौसी की लड़की बेठी हुई है में सोचती हु तुम सबसे उसे एक बार मिलालू अगर बात बन जाए तो हम दोनों बहने एक ही शहर में,”
अभीने फोन काट दिया और मोबाइल बंध कर दिया। विशाल और करन दोनों उसे घूर रहे थे।
“अब मैंने क्या किया?”
“तूने शादी ही क्यों की!” दोनों एक साथ यह कहकर खड़े हुए एक ने बेडरूम में जाकर लेपटोप उठाया और दूसरे ने किचन में जाकर गेस सिलिन्डर और दोनों चले गए।
अभी को बुरा तो लगा, अंजलि के वापिस आते है उसने उसे कहा भी पर अंजलिने जट से एक तरीका बताया दोनों को खुश करने का। उसने कहा की वो दाल ढोकली खिला कर दोनों को फिर से मना लेंगी। घर पर आने के लिए तो कोई राजी नहीं था तब अंजलिने बड़े से टिफिन में तीनों के लिए दाल ढोकली भर कर दी। अभीने दोनों को फोन कर कह दिया के आज टिफिन मत लाना वो सबको ऑफिस में खाना खिलाएगा। लांच ब्रेक में सब मिले, सब के मुह में पानी आ रहा था।
“अरे यार अंजलि इतनी बुरी भी नहीं है, हाँ थोड़ा काम करवाती है पर टेस्टी खाना भी तो खिलाती है, आज तो सुबह से लगी हुई थी बोली एसी दाल ढोकली बनाउंगी के सब उंगलिया चाटते रह जाओंगे।“ अभीने अंजलि की तारीफ करते हुए डिब्बे खोले।
बड़ी अच्छी खुश्बु आ रही थी, तीनों ने खाने के लीए डिब्बे के आसपास देखा, कहीं पर चम्मच नहीं थी!
“ये खाये कैसे? इसे खाना है की पीना है?” विशालने कहा।
“अंजलिने कहा तो है सब उंगलिया चाटते रह जाओंगे, हाथ से खाना है और क्या?” करन हंसने लगा।
अभीने अंजलि को फोन लगाया उसका फोन बीजी आ रहा था। “वो चम्मच रखना भूल गई यार।“
“अब तूँ ही बता इसे खाये कैसे?” अभी जवाब ना देकर चुप हों गया। उसके चहेरे पर खेद साफ दिखाई पड़ता था।
“छोडना यार एक तो बिचारा पहले से परेशान है, सोच तूँ और में कुछ घंटे नहीं बिता पाते अंजलि के साथ ये पूरी जिंदगी कैसे बिताएगा?” एक साथ दोनों हंस पड़े और हाथ से ही दाल में से ढोकली उठा कर खाना शरू किया...
उस दिन अभी को अंजलि पर बहोत गुस्सा आया था। घर जाकर वह झगड़ा करने के मूड में था पर अंजलि से कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं कर पाया, अपनी गलती के बारे में सुन वो हंस रही थी...
एक दिन मुंबई में तेज़ बरिस होने लगी। चारो और पानी भर गया था। ये तीनों दोस्त जैसे तैसे अपनी बिल्डिंग तक पहोंचे तभी अंजलि का फोन आया और उसने सबको ऊपर बुलाया।
“अरे तुम सब तो पूरे भीग गए हों। जलदी से कपड़े बदल लो शरदी लग जाएंगी।“ अंजलिने तीनों को कहा। अभी की हालत खराब थी उसे छिंक पर छिंक आ रही थी।
अंजलिने तोलिया लाकर उसके बाल पोंछे और नए कपड़े देकर फ़ोरन कपड़े बदलने भेजा। जैसे ही वो कपड़े बदल कर आया अंजलिने सब को गरमा गरम अदरक वाली चाय पिलाई।
“अब कैसा लग रहा है?” अंजलिने बड़े ही प्यार से अभी को पूछा, “मेरा शिर फटा जा रहा है।“
अंजलिने बाम लाकर अभी के पास बौथ कर शिर पर मसाज करना चालू कर दिया। अभी आंखे बंध कर दो मिनिट पड़ा रहा और फिर उसने अंजलि को एक और कप चाय लाने को कहा, उसके अंदर जाते ही अभीने कहा,
“पूरी रात यही गुजारनी है सालो जाओ अपने फ्लेट में जाओ। अब यहा जो जो होंगा वो तुम देख नहीं पाओंगे!” अभीने आँख मारकर दोनों को बाहर धकेला। करन आगे गया और विशालने रुक कर कहा,
“सुन में क्या कह रहा था वो भाभी की मौसी की लड़की से मीटिंग करवा ना।“
अभी हँस पड़ा और अपनी मोबाइल की स्क्रीन विशाल को दिखाई, करन का मेसेज आया था, “अरे यार वो अंजलि की मौसी की लड़की से मेरी बात चला ना।“
“कुछ भी कह लों, चाहे जितनी बुराई करलों शादी के अपने ही मजे है।” अभीने अपने आप से कहा।
नियती कापड़िया।