यह कहानी है सच ,जो सुनाऊं मैं आज इस मंच के माध्यम से आज l खाए धोखे मैंने हजार , लोगों ने ताने मार मार तोरा मेरा आत्मविश्वास l फिर एक शाम आई, गई में गुरुद्वारे की अरदास ,कहां मैंने प्रभु को क्या है गलती मेरी आज l करती हूं सबका भला , तब भी लोग मेरी बातें करते हैं नजरअंदाज , रो रो के मेरी आंख भर आई l
मन से निकली एक ही आवाज , नहीं मैं चाहती किसी को बेइज्जत करना ,जैसे किसी ने किया है आज l पर इतनी इज्जत बक्शों मेरे खुदा एक दिन ऐसा भी आए कि मैं भी इस आसमान के एक तारे की तरह चमकू खास l
वह शाम ना भूली मेरे जहन से आज तक ,जब मैं वापस आई गुरुद्वारे से मन कर शांत l आंख कब लग गई मेरी मुझे नहीं याद , बस जो दर्द दिल में धड़क रहा था एक सार l जैसे सागर में उबाल आ रहा हो बार-बार l सिरहाना था मेरा गीला जब एक कॉल आई मेरे मोबाइल पर , एक आवाज जो थी खास , पर थी नहीं मेरे आभास के आसपास l
मैंने कहा कौन हो आप कहती " मैं हूं मोमस्प्रेसो की कर्मचारी l जो लिखी है आपने कविता प्यारी , हजारों पाठकों
ने पसंद की है उसे आज , इसलिए लूं गी मैं इंटरव्यू आपका कल ,परसों या आज l
मुझे होश नहीं आई ,कुछ देर सोचा किसी ने मजाक किया है मेरे साथ आज , फिर मैंने गूगल में उसकी रिसर्च की , ट्रूकॉलर में नंबर चेक किया और वह कॉल सच थी l
मैंने बाबा जी को धन्यवाद किया जिस पहचान की खोज में निकली थी मैं जो इज्जत ढूंढती थी मैं उन्होंने मुझे बख्शी उस शाम l
फिर एक-एक करके कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गई मैं पर उस क्षितिज को छूने के लिए , करनी है अभी कुछ और मेहनत बरखुरदर मैंने l
रहमत जो हो तेरी मेरे सिर पर , मेरे खुदा
सिर झुकाऊं तेरी चौखट पर मैं सुबह शाम
मुझे जो जमाने ने तोड़ा है
पर तूने ही फिर मजबूती से मुझे जोड़ा है
मेरे सिर पर जो हाथ तूने फेरा है
उस झिलमिल आती कश्ती में
मुझे छोड़ा है ,
पतवार मेरी बन ,
मेरे ख्वाबों को सच तूने किया है l
हे मेरे प्रभु , खुदा मेरे पर्वत दीदार तू ना दिख कर भी सब देखता है ,l एक आवाज में मेरी मेरे पास आ जाता है l बस रहमत रखी मेरे सिर पर सुबह-शाम l जो एक कश्ती की पतवार तू ने संभालीी है , जो दर्द ए स्याही तूने इस दिल से निकाली है , रहूं मैं तेरी अधारी दिन रात l
लोग कहते हैं कि तू है नहीं , पर मेरी समझ में तू है सब कहीं l
लगता है जैसे अभी भी बैठा है मेरे पास मंद, मंद मुस्कुरा सुन रहा है मेरी सारी बात l फिर भी दिल से निकले एक ही फरियाद जब तू बैठा है मेरे पास इज्जत बरसाता रही तू दिन रात , रहूं मैं तेरी आभारी दिन हो या रात l
i write my heart on paper, as I know god you are reading it