Chintu - 18 books and stories free download online pdf in Hindi

चिंटू - 18

रिया ने अपने ग्रुप में सबसे पूछ लिया था। उसके साथ उसे और चिंटू को मिलाकर पंद्रह लोग हो गए थे। उसने और चिंटू ने सबकी बुकिंग एजंट के पास करवा दी। इधर राहुल ने भी अपनी बुकिंग करवा ली थी। सुमति के साथ इवान और शोभना भी आ रहे थे। चिंटू और सुमति एक ही दिन वहा से निकलते है और एक ही साथ वहा पहुंचते है। दोनों की होटल्स अलग अलग थी। और अभी तक दोनों एक दुसरे से मिले भी नहीं थे। आज तो वहा पहुंचते पहुंचते दोपहर हो गई थी। तो आज सबने आराम ही किया। रिया की टूर में टूर ऑपरेटर ने अगले दिन साइट सिन देखने के लिए कह दिया था। राहुल ने ऑनलाइन होटल बुकिंग करवाई थी। इस सीज़न में काफी लोग यहां घूमने आए थे। पहले ऐसा लगा कि यहां कौन आता होगा? पर यहां आकर देखा तो यहां तो हम जैसे काफी लोग आए हुए थे। ये देखकर रिया को तसल्ली हुई के यह जगह देखने लायक तो होगी ही तभी तो इतने टूरिस्ट्स आए है यहां।

* * * *
सुमति और उसका परिवार भी अपनी होटल मै आराम कर रहा है। राहुल ने होटल के मैनेजर से बात करके अपने लिए एक टैक्सी का इंतजाम करवा दिया था। वे भी अगले दिन साइट सिन देखने जाने वाले है। शाम को सभी बाहरवाले गार्डन में बैठते है। बाहर का नज़ारा देख स्नेहा कहती है- यहां का मौसम बहुत ही अच्छा है। चारो तरफ हरियाली ही हरियाली। हमारे शहर से यहां ज्यादा सुकून महसूस होता है।
राहुल- हां तो रिटायर होने के बाद हम दोनों यही शिफ्ट हो जाएंगे। क्या कहती हो?
सुमति- और मै? मै नहीं आऊंगी क्या यहां?
स्नेहा- तु तो अपने ससुराल जाएगी न! यहां मिलने आ जाना पुनिश की छुट्टियों में।
सुमति- अपने मां बाप को मिलने के बजाय वो यहां क्यु छुट्टी मनाने आएंगे?
शोभना और इवान उनकी बातो में मूक दर्शक बने हुए थे।
राहुल ने कहा- देख तो ज़रा स्नेहा इसे, अभी से ससुराल वालों की हो गई ये तो।
सुमति- पापा..., मै हमेशा आपकी परी ही रहूंगी।
राहुल- वो तो तुम रहोगी ही। पर ससुराल का भी तो ध्यान रखना है न तुम्हे!
सुमति- अभी कहा ससुराल जानेवाली हुं तो अभी से सलाह दे रहे है। अभी मुझे एन्जॉय करने दीजिए ना।
स्नेहा- और नहीं तो क्या?? आजा मेरी बच्ची हम बाहर थोड़ा टहल आए।
इतना कहकर स्नेहा, सुमति, शोभना और इवान बाहर की ओर चलते है।
राहुल- हा हा जाओ, हमारी किसे फिकर है?
सुमति राहुल को गले लगाकर उनके गाल चूमकर बाहर जाते हुए कहती है- आप के बिना हमारा कोई वजूद नहीं है, समझ लीजिएगा।
स्नेहा सबके साथ बाहर टहलने निकल गई। उनके जाने के बाद राहुल होटल के मैनेजर से कल के टाइम के बारे में पूछने जाता है। कितने बजे निकल ना है?

दूसरे दिन चिंटू का ग्रुप और सुमति की फैमिली निकलती है साइट सिन देखने। पर दोनों में से कोई एक दूसरे को नहीं मिल पाता। दरअसल दोनों के टैक्सी ड्राइवर ने अलग अलग लोकेशन लिया था। जिसकी वजह से वह दोनों मिल नहीं पाते। चिंटू मन ही मन गुस्सा कर रहा था के सुमति उसे मिल क्यों नहीं रही है।
राहुल टैक्सी ड्राइवर से पूछता है- यहां के बीहड़ों में अब कोई डाकू है क्या?
ड्राइवर- हां एक है, डाकू दिग्विजय। वह बीहड़ों में ही रहता है अपने परिवार और टोली के साथ।
स्नेहा का रिपोर्टर दिमाग चलने लगा- क्या वह भी लोगो को मारता है।
ड्राइवर- एक दो बार बात हुई थी एसी की उसने दो लोगो को बंदूक की गोली से उड़ा दिया था।
यह सुनकर सब अवाक रह जाते है और सोचते है अभी भी यह सिलसिला शुरू है क्या?
राहुल- किसे और क्यों मारा गया था?
ड्राइवर- वो जो दो लड़के थे वह यही बाजू के गांव से थे। वे दोनों एक लड़की को जंगल में उठा ले गए और जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगे। तभी दिग्विजय डाकू अपने काफिले के साथ वहा से गुजर रहा था। उस लड़की की चिखे सुनकर वह उस दिशा में गया। उन दो लड़को को जबरदस्ती करता देख वहीं के वही गोली से भून दिया। और वह लड़की को अपने साथ ले गया। सुना है वह लड़की अनाथ थी। जिसकी मां बचपन में गुजर गई थी और बाप जब वह सोलह साल की हुई तब बीमारी से मर गया था। बाकी दिग्विजय डाकू किसीको परेशान नहीं करता।
इवान- हम उसे मिल सकते है?
सुमति- तुम्हे मिलकर क्या करना है?
इवान- यहां तक आए है तो एक इंटरव्यू ले लेते है।
यह सुनकर ड्राइवर हंस पड़ता है और कहता है- आज तक किसी ने उसे नहीं देखा। और कोई एक ठिकाना थोड़े ही होता है डाकुओं का। जिधर अच्छा माल मिले उसी और चले जाते है।
स्नेहा- मतलब?
ड्राइवर- मतलब जहा जमीनदार पैसेवाला हो वहीं और जो लोगो को परेशान करता हो वहीं पर लूट चलाने चले जाते है।
राहुल- पुलिस ने उसे नहीं पकड़ा अब तक?
ड्राइवर- वो कहा हाथ आने वाला है? इन बिहड़ में एक बार चले गए तो मुश्किल से बाहर निकल पाते है। इतने बड़े चंबल में कहा कहा ढूंढ़ते फिरे?
स्नेहा- हम वह बीहड़ों में जाना चाहते है, जहा कभी वीरप्पन और फूलन देवी रहा करते थे।
ड्राइवर- उनके गांव दिखा सकता हुं मै, जंगल तो नहीं।
राहुल- ऐसा कोई है जो हमें वहा ले जाए?
ड्राइवर- मेरे चाचा का लड़का गाइड है उससे बात करके आपको बताऊंगा।
फिर सब चंबल नेशनल वाइल्डलाइफ सेंच्युरी देखने जाते है।

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शाम को राहुल का जो टैक्सी ड्राइवर था वह अपने चाचा के लड़के को मिलने जाता है। वह उसे सारी बात चीत बताता है।
यह सब बाते चिंटू भी सुनता है। क्योंकि आज उसका गाइड उस ड्राइवर का भाई ही था। जब वह गाइड घर जाने के लिए निकला तभी उसे वह ड्राइवर मिल गया था। और चिंटू ऐसे ही बाहर टहलने निकला था। उन दोनों कि बात चीत सुनकर चिंटू उस गाइड के पास जाकर कहता है- भाई साहब अगर ऐसा हो तो हम भी उन बीहड़ों में जाना चाहते है। पर यह बताइए आप उन बीहड़ों का रास्ता जानते है?
गाइड़- मै पहले डाकू के गिरोह में ही काम करता था। जब बीबी बीमार होकर मेरे बगैर ही मर गई तब मेरे बच्चे को संभालने के लिए मैंने वह गिरोह छोड़ दिया। मै नहीं चाहता था कि मेरे बच्चे अनाथ की तरह जिए। मै अपने गाव सरदार से कहकर वापस आ गया।
चिंटू- आपके सरदार का नाम क्या है? और उन्होंने आपको आने दिया वापस?
गाइड़- हां, वह सिर्फ उनके दुश्मन है जो गरीबों को परेशान करते है। वे जबरदस्ती किसीको अपने गिरोह में नहीं रखते।
चिंटू- तब तो आप उनके ठिकाने भी जानते होगे। क्या हमे उनसे मिलाओगे?
गाइड- तुम इतने सवाल क्यों कर रहे हो? कहीं तुम पुलिस तो नहीं..??
चिंटू- अरे नहीं नहीं, मै अभी तो पुलिस नहीं ही हुं। घबराओ मत। बस मै यह कह रहा हुं के वो दूसरे ग्रुप के साथ हमे भी ले चलो। हम करीब पंद्रह लोग है पर सभी नहीं आएंगे।
गाइड़ सोच में पड़ जाता है- इन्हें नजदीक वाले जंगल में ही ले जाता हुं। कुछ आमदनी भी हो जाएगी। बच्चो के स्कूल की फीस भी भरनी है। फिर वह कहता है- मै ले जाऊंगा पर आप में से सिर्फ पांच लोगों को ही ले जाऊंगा। बाकी के पांच दूसरे ग्रुप में से भी है।
चिंटू- मुझे कोई एतराज़ नहीं है।
गाइड- ठीक है आप अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए मै जब जाना तय होगा तब बता दूंगा।
चिंटू- हम यहां सिर्फ पांच दिन के लिए ही है अब तो जरा जल्दी करना। ( ताकि जल्दी से मुझे सुमति भी मिलेगी)
गाइड- जी सर जी। मै आपको जल्द ही बता दूंगा।

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अगले दिन ड्राईवर ने राहुल से कहां कि मै जल्द ही तय करके जंगल में जाने के लिए बतादुंगा। वैसे आज हम चंबल नदी की सैर करने जाएंगे। आप लोग पंद्रह मिनट में आ जाईए।
राहुल- अच्छा, हम अभी आए।
जब वे लोग नदी की सैर करने एक बोट में जा रहे थे तभी सामने से दूसरी बोट भी आ रही थी जिसमे चिंटू एंड फ्रेंड्स बैठे हुए थे। चिंटू की नजर सुमति पर पड़ती है पर सुमति की पीठ उसकी ओर थी तो वह चिंटू को नहीं देख पाई थी। सहेलानियो की भीड़ भी ज्यादा थी तो बोटवाला जल्द से जल्द फेरी करके दूसरे टूरिस्ट्स को बिठाने की जल्दी में था। चिंटू ओर रिया अपने फ्रेंड्स के साथ नदी किनारे कुछ देर के लिए बैठ जाते है।
रिया कहती है- तुम्हारा डिसीजन सही था। यह जगह वाकई में अच्छी है। कभी कभी ऐसी जगहों पर भी आना चाहिए। बहुत सुकून मिल रहा है यह वातावरण में।
चिंटू- सही कहा, वैसे मै एक बात करना भूल गया। मैंने हमारे गाइड से कहकर चंबल के जंगल में जाने का प्रोग्राम बनाया है। वह हम में से किसी पांच लोगो ही ले जा सकता है। तो मेरे साथ कौन कौन आना चाहेगा? तुम पूछ लो सभी से।
रिया- मै तो आऊंगी ही और किसको आना है हमारे साथ?
जाना सभी को था पर फाइनल उनके साथ साथ तीन लोग मिल गए।
रिया- जाना कब है?
चिंटू- वह गाइड बताएगा। दूसरे फ्रेंड्स से माफी चाहूंगा, सबका साथ आना नहीं हो पाएगा।
सब फ्रेंड्स उसे कोई बात नहीं कहके वापस होटल चलने लगते है। आज वह सब पूरी रात केंप फायर करने वाले थे। गाना, बजाना, डांस, गेम्स वगैरह करने वाले थे।

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सुमति भी अपने फैमिली और फ्रेंड्स के साथ वापस होटल आकर आराम करती है। वे लोग शाम को वहा के मंदिरों में जाने वाले थे। चिंटू कबसे सुमति को मिलने के लिए उतावला हो रहा था। वह अपने रूम में बैठे बैठे सोच रहा था कि सुमति मिलेगी तो क्या बात करूंगा, कैसे बात करूंगा? तभी उसके मोबाइल में पिया का कोल आता है। चिंटू उसे यहां बिताए पलो के बारे में उसे बताता है। वह गाइड के साथ चंबल के बीहड़ों में जाने वाला है यह भी बताया।
पिया- अब वहां डाकू तो रहे नहीं तो वहा क्या देखने जाना है?
चिंटू- बस वही की वे किस तरह ओर कहां कैसे रहते थे। गूगल में तो सर्च करने से सिर्फ बस वह डाकू थे यही लिखा होता है। पर वह कैसे ओर कहा जीते थे यह तो नहीं लिखा है तो बस उसे ही देखने जा रहे है। ओर हमे जो आदमी वहा ले जाने वाला है वह खुद भी एक समय में डाकू ही था।
पिया- क्या बात कर रहे हों, डाकू?? और अब वो वहा क्या करता है?
चिंटू- उसने डाकुगीरी छोड़ दी है और वह अब एक अच्छा गाइड बन गया है।
पिया- चलो अच्छा है, कोई सुधारना चाहे तो उसे मौका तो मिलना ही चाहिए।
चिंटू- हम्म! सही कह रही हो तुम। जो सुधरना चाहे उसे एक मौका तो मिलना ही चाहिए। अच्छा चल फोन रखता हुं, बाद में बात करते है।
पिया उसकी बात का इशारा समझ गई थी। वो सुमति के बारे में ही कह रहा था।

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चिंटू के गाइड का शाम को फोन आता है। वह अगली सुबह उन्हे चंबल की घाटी दिखाने के लिए ले जाने वाला था। उसने सुबह सात बजे सबको रेडी रहने को कहा। चिंटू यह बात रिया को बताने उसके कमरे के पास पहुंचा तो उसने देखा रिया
नेइलपॉलिश कर रही थी और फोन का स्पीकर ऑन करके कीसिसे बात भी कर रही थी। उसे पता नहीं था कि दरवाजा लॉक नहीं है। रिया कह रही थी- वैसे कहना तो सही है, मुझे भी यही लग रहा है। जैसे वह एग्जाम में पास हो गया वह मुझे छोड़कर चला जाएगा। सामने से आवाज आई- तुम्हारे पास यही मौका है उसे कैसे भी करके अपना बना लो। एकबार तुमने उसे अपना बना लिया तो वह तुम्हे कहीं छोड़कर नहीं जाएगा। और हमेशा अपने किए पर शर्मिंदा होगा। आज रात ही यह सब निपटा लो। तुम्हारे पास समय भी कम है।
रिया- सही कहा, अब तक उसका इंतजार किया अब उसे मेरा होना ही पड़ेगा।
सामने वाले इंसान की आगे की बातचीत सुनकर चिंटू हैरान रह जाता है। उसने सोचा भी नहीं था रिया उसके पास किस लिए आई थी। उसका सारा भ्रम टूटकर चुर हो गया। उसने तय कर लिया अब तो जो चाहे वो हो पर वह रिया से इसका खुलासा मांगकर ही रहेगा। चिंटू फिर इस तरह वापस उसके कमरे में जाता है जैसे पहली बार ही गया हो। उसे देख रिया सामनेवाले से कहती है- मै बाद में फोन करती हुं। फिर चिंटू से कहती है- कोई काम था?
चिंटू- हमे कल सुबह सात बजे जाना है अपने गाइड के साथ उन जगहों को देखने जहा कभी डाकुओं का बसेरा था।
रिया- सच! मै बहुत एक्साइटेड हुं उन जगहों को देखने के लिए। मै तुमसे एक बात करना कहती थी।
चिंटू- हां बोलो! क्या बात है?
रिया- तुम आज रात मेरे कमरे में रुक जाना। मुझे इस नई जगह पर रात को डर लगता है।
चिंटू- उसमे मेरी क्या जरूरत है? अपनी सहेली को बुला लो अपने साथ सोने। और तुमने ही अपने अकेले के लिए रूम बुक करवाया था और कहा था मुझे अकेले सोने की आदत है। अब डर किस बात का?
रिया- वो कोई डाकू आ गया तो?
चिंटू- डाकू को कैसे पता कि तुम ही इस कमरे में हो। चिंता मत करो यहां कोई डाकू नहीं आता।
रिया चिंटू को अपने कमरे में रोकने में असफल रहती है। डिनर का टाइम हो रहा था तो उसके फ्रेंड्स रिया और चिंटू को बुलाने आ गए। सब लोगो ने डिनर कर लिया फिर बाहर गार्डन में मस्ती मजाक करने बैठ गए। थोड़ी देर बाद रिया को अचानक ही चक्कर आए गए और वह चेयर से गिर पड़ी। सब लोग उसे उठाकर उसके रूम में ले जाते है। चिंटू ने होटल के मैनेजर से डॉक्टर को बुलाने को कह दिया। डॉक्टर के आने तक चिंटू रिया के पास ही बैठा रहता है। जब डॉक्टर आ गए तब उन्होंने रिया को चैक करके बताया कि घबरनेंकी कोई बात नहीं है। शायद कमजोरी की वजह से चक्कर आ गए थे। उन्होंने रिया को बराबर खाना खा लेने के लिए कहा। चिंटू डॉक्टर को बाहर छोड़ने जाता है। वह डॉक्टर से कहता है- डॉक्टर साहब रिया तो टाइम पर खाना खा लेती है वो भी अच्छे से। तो फिर ये चक्कर कैसे आ गए?
डॉक्टर- सुनो बेटा, उसे कुछ नहीं हुआ है?
चिंटू- क्या?
डॉक्टर- हा बेटा! वह नाटक कर रही है। उसकी तबीयत बिल्कुल ठीक है। इसीलिए मैंने उसे कोई दवाई नहीं दी है। ये आज कल के बच्चे न अपनी मस्ती के लिए दूसरों को परेशान कर देते है।?
चिंटू ने डॉक्टर साहब से पुछा- डॉक्टर साहब आपकी फीस?
रिया- उसे कुछ हुआ ही नहीं और मैंने कोई दवाई भी नहीं दी है तो कैसी फीस? रहने दो बेटा, (हंसते हुए) उसके मजाक से संभलना।
डॉक्टर साहब के जाने के बाद चिंटू बाहर ही गार्डन में एक बेंच पर बैठ जाता है। वह सोचने लगता है क्या रिया ने उसे रात में अपने रूम में रोके रखने के लिए यह नाटक किया है? मै उसकी यह साजिश को कभी कामयाब नहीं होने दूंगा। उसने जो मेरे साथ इतने समय से जो घिनौनी साजिश रची है वह कभी कामयाब नहीं होगी। वह रिया के पास ना जाकर सीधे अपने रूम में चला जाता है।
चिंटू को वापस आता न देख रिया ने उसकी फ्रेंड से पूछा- चिंटू कहा गया? उसकी फ्रेंड ने कहा- मुझे मालूम नहीं, शायद डॉक्टर को छोड़ने बाहर तक गया है।
रिया ने बीमारी का नाटक किया था तो वह सब के सामने उठकर चिंटू के पास नहीं जा सकती थी। उसने सोचा कोई बात नहीं आज नहीं तो कल सही अपना तो तुझे बनाकर ही रहूंगी चिंटू। तुम मुझे छोड़कर कहीं नहीं जा सकते। रात को रिया की फ्रेंड उसके साथ रुक जाती है।

अगली सुबह सब चंबल देखने के लिए रेडी होकर आ गए थे। चिंटू ने गाइड से कहा क्या हम इतने ही लोग जाने वाले है?
गाइड- नहीं, दूसरा ग्रुप आ रहा है। उन्हे अलग जीप में जाना है और आपको अलग जीप में। आप सब आ गए हो तो हम सब एक ही जगह पर उनको बुला लेते है।
फिर गाइड सुमति के ग्रुप के ड्राइवर को फोन करके एक एड्रेस देकर वहीं आने के लिए कहता है। चिंटू के दिल में सुमति को देखने के लिए बेचैनी बढ़ती जा रही है। काफी समय से उसे देखा नहीं है। ना जाने अब कैसी लग रही होगी।

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सुमति एंड फैमिली बहुत एक्साइटेड थे बीहड़ों में धूमने के लिए। राहुल तो बिल्कुल तैयार होकर आ गया टोपी पहनकर और कैमरा बैमरा लेकर। उन्हे देख स्नेहा कहती है- जू देखने नहीं जाना जो ऐसे कपड़े पहनकर आ गए।
राहुल- अरे जंगल में जाना है कोई जानवर तो दिख ही जाएगा न!
सुमति- अब आप लोगो की बहस पूरी हो गई हो तो चले?
राहुल- मै तो कबसे रेडी ही हुं, ये तुम्हारी मम्मी ही जिकजिक कर रही है।
स्नेहा गुस्से से राहुल की तरफ देखते हुए जीप में सवार हो जाती है। ड्राइवर के साथ राहुल बैठ गया और बाकी सब पीछे बैठते है। जब वे लोग तय कि हुई जगह पर पहुंचे तो दूसरी जीप देखकर राहुल ने ड्राइवर से पूछा- ये सब भी हमारे साथ आने वाले है?
ड्राइवर- जी साहब, वे भी कोई पांच लोग है। उन्हे भी आपकी तरह यहां के डाकुओं का जीवन देखना है।
राहुल- ठीक है, एक से भले दो।
स्नेहा- जूठ, पांच से भले दस।?
उस वक्त उन सब को पता नहीं था दूसरी जीप में चिंटू बैठा है। जब सब बाहर निकले तभी उन सब की नजरें एक दूसरे पर पड़ी। चिंटू को देख राहुल ओर स्नेहा ने सुमति का हाथ पकड़ लिया। वे उसे अब कमजोर नहीं पड़ने देना चाहते थे। पर इस बार सुमति स्वस्थ थी। अब तक चिंटू को पता नहीं था कि सुमति और पुनिश का रिश्ता तय हो चुका है। सुमति को देखकर चिंटू के पूरे शरीर में एक सिरहन सी दौड़ गई। वह उसे एक टक देखता ही रह गया। इतना ट्रांसफॉर्मेशन!!? सुमति अब पहले से कई ज्यादा खूबसूरत हो गई है। लास्ट टाइम उसे रेसटोरेंट में देखा था। दिन ब दिन यह ज्यादा ही खिलाती जा रही है। उसका ध्यान तब टूटा जब उसके गाइड ने उन सब को यहां से पैदल चलने के लिए कहा।
रिया ने ये सुनकर कहा- क्या पैदल? कितना पैदल चलना होगा।
गाइड- मैडम थोड़ा चलना तो पड़ेगा। अंदर गीच झाड़ियों के बीच जीप नहीं चल सकती।
रिया- ओह गॉड!
चिंटू ने मुंह बिगड़ते हुए कहा- अगर तुम चल नहीं पाओगी तो यही से वापस चली जाओ।
रिया- नहीं नहीं, मै तुम्हारे साथ ही चलूंगी।
वह सोचती है इस वक्त चिंटू को नाराज़ किया तो रात में ये मेरे साथ नहीं रुकेगा।
सुमति शोभा और इवान के साथ अपने बैग्स लेकर चलने लगती है। उन्होंने अपने साथ पानी की बोतलें और खाना ले रखा था। चिंटू ने भी सब फ्रेंड्स से पानी लेने के लिए बोल दिया था और ब्रेकफास्ट पैक करवा लिया था।
काफी देर चलने के बाद रिया थक कर पूछती है- अब कितने अंदर तक चलना है?
गाइड- अभी तो हम आधे रास्ते भी नहीं पहुंचे है। मै जहा पर ले जा रहा हुं वहां फूलन देवी अपने दमकल के साथ रहते थे। वैसे उनके कोई एक ठिकाने नहीं था, पर यह एक मुझे पाता है।
राहुल- कोई बात नहीं भैया, आप चलिए हम रेडी ही है उस जगह को देखने के लिए।
चिंटू शोभना और इवान को देखता है। इन दोनों को तो कभी नहीं देखा। क्या इन्हे भी स्नेहा आंटी ने गोद लिया हुआ है? गाइड सब को साथ रहने के लिए कहता है, यहां जंगली जानवर भी है तो जरा संभलकर चलिएगा।
रिया का यह सुन बुरा हाल हो जाता है। जंगली जानवर? मै कहा इसके साथ यहां आ गई। मै अपनी इस जवानी में मरना नहीं चाहती। वह आगे पीछे देखते हुए चिंटू से चिपककर चलने लगती है। सुमति को यह देख हंसी आ जाती है। कितनी फट्टू है चिंटू की गर्लफ्रेंड!?
चिंटू को कैसे भी करके आज सुमति से बात करनी ही है पर कैसे? काफी देर बाद एक खुली जगह दिखी। वहा पर लकड़ियों के जलने के निशान थे। किसीने शायद आग जलाई होगी। स्नेहा गाइड से पूछती है- यहां तो किसीने आग जलाई थी। क्या आस पास कोई बस्ती है?
गाइड- नहीं है तो नहीं। कोई आया होगा दिग्विजय जी की टोली से।
यह सुन तो रिया और भी डर जाती है। उसकी हालत देखकर सुमति शोभना और इवान से कानाफूसी करके जोर जोर से ठहाके लगाकर हंसती है। स्नेहा और राहुल उन्हे चुप रहने का इशारा करते है। धीरे धीरे वह जगह आने लगी जहा कभी डाकुओं का डेरा हुए करता था। राहुल यह सब की वीडियोग्राफी कर रहा था। उसे देखकर गाइड कहता है- साहब यह सब आप टीवी वालो को मत बताना वरना हमारे खाने के लाले पड़ जाएंगे। आप ये सब बिना परमीशन नहीं दिखा सकते।
राहुल- चिंता मत करो। यह विडियो सिर्फ हमारे पास ही रहेगा। जिसमे हम सब भी आ जाएंगे। पर तुम सब ने एक बात नोटिस की?
स्नेहा- क्या?
राहुल- मौसम कुछ कुछ बदल रहा है। धूप कम हो रही है और बादल घिरने लगे है।
रिया- हा अंकल सच कह रहे है आप। बारिश हो जाएगी तो खामखां भीग जाएंगे। हम वापस चले? कल फिर आ जाएंगे।
राहुल- अरे नहीं नहीं, इतनी मुश्किल से यहां पहुंचे है। आगे का सफर तय करके है लौटेंगे। अभी तो असली देखना शुरू हुआ है। फिर गाइड से पूछते है- हा भाई ये बताओ ये डाकू लोग कहा रहते थे?
वैसे उनका कोई ठिकाना नहीं था। और वे नहाने के लिए चंबल की नदी में ही जाते थे। हा कहीं समतल जमीन पर पहले जोपड़िया दिख जाती थी। समय के साथ साथ वह भी नष्ट हो गई।
स्नेहा- अच्छा ये बताओ। अभी वो डाकू क्या नाम बताया था तुमने?
गाइड- डाकू दिग्विजय।
स्नेहा- क्या वो हमे मिल सकते है। मेरा मतलब उनसे मुलाकात...
गाइड- नहीं मेमसहाब, वो तो मुमकिन नहीं। उनको छोड़ने के बाद मै कभी उनसे मिला नहीं हुं।
राहुल- तुम उनका ठिकाना तो जानते होगे न? हम सिर्फ उनसे मिलना चाहते है। देखना चाहते है कि ये डाकू लोग दिखते कैसे है।
यह सुनकर गाइड हंसने लगता है- अरे वो हम जैसे इंसान ही है उसमे क्या देखना? उनका भी कोई एक ठिकाना नहीं है। पुलिस उन्हे भी तलाश ही रही है।
स्नेहा का रिपोर्टर दिमाग जाग गया। वह गाइड से पूछती है- क्यों तलाश रही है?
गाइड- सुना है कहीं पर डाका डालने गए वहा के जमीनदार ने उनके खिलाफ रपर्ट लिखवाई है। वैसे डाकू दिग्विजय के बड़े बेटे को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
स्नेहा- क्यों और कैसे?
गाइड- यही पास ही के गांव में अपनी माशूका से मिलने आया था। किसी खबरी ने पुलिस को बता दिया और पुलिस ने उसे वहीं धरदबोचा।
राहुल- इंट्रेस्टिंग! डाकुओं की भी माशूका होती है!
गाइड- वे भी इंसान ही है। उनके भी अरमान होते है।
चिंटू- ये बात तो सच है। हर किसी के कोई न कोई अरमान होते ही है।
फिर गाइड ने सबसे कहा यहां जगह साफ सुथरी है। आप लोग चाहे तो खाना खा लीजिए यहां। फिर हम नदी किनारे की ओर चलेंगे। वैसे भी एक बज चुका है। पांच बजे तक हमें वापस भी जाना है।
राहुल- बात तो तुम्हारी सच है पर हमे पहले चंबल नदी मै स्नान तो कर लेने दो, फिर चलेंगे। और नहाने के बाद खाने का मजा भी कुछ और ही होता है। क्या कहती हो बेटा।
सुमति- मै तो कब से तैयार हुं नदी में जाने के लिए। हमने तो कपड़े भी ले रखे है।
गाइड चिंटू और उसके फ्रेंड्स से पूछता है- आप सबका क्या खयाल है इस बारे में।
चिंटू ही जवाब देता है- हमे कोई आपत्ति नहीं है, हम भी चलते है साथ में। वैसे नदी कितनी दूर है?
गाइड- बस दस पंद्रह मिनट ही दूर है।
इवान- तब तो चलो जल्दी चले। मुझे वैसे भी भूख लग रही है। नहाने के बाद थोड़ी ज्यादा भूख लगने पर अच्छे से खा पाऊंगा।
शोभना- हा तु तो रामायण के काल से भूखा है कुंभकर्ण की तरह। जब देखो तब हमेशा खाते ही रहता है।
इवान- भगवान ने पेट दिया है तो खाना तो पड़ेगा ही।
सुमति- इतना भी मत खाना की हम भूखे रह जाए।
इवान- नहीं भाई, इतना भी भुक्कड़ नहीं हुं मै।

इधर रिया की हालत चल चल के खराब हो रही थी। जैसे ही नदी किनारे पहुंचे वह धपाक से पानी में गिर पड़ी। पहले तो पानी ठंडा लगा पर फिर मजे लेकर नहाने लगी। सभी लोग धीरे धीरे नदी में नहाने उतर पड़े। चिंटू की निगाहें हर वक्त सुमति को ताके हुए थी। सुमति की नजर भी चिंटू की तरफ हो जाती थी। जब वह चिंटू को अपनी ओर देखते हुए देखती तब भी चिंटू अपनी नज़र उस पर से नहीं हटाता था। यह देख सुमति को ही दूसरी तरफ देखना पड़ता था। राहुल उन दोनों को देखता रहता था। पर सुमति को नॉर्मल देख वह चिंटू से कुछ कह नहीं रहा था। अधे घंटे बाद सब बाहर आकर पहले खाना खाने ही बैठ जाते है। बाद में लड़कियां झाड़ियों के पीछे जाकर अपने कपड़े बदल लेती है। रिया के साथ भी उसकी एक फ्रेंड थी। रिया अब सुमति और शोभना से थोड़ी थोड़ी बात करने लगी थी। वह सुमति को पुनिश के साथ देख चुकी थी इसलिए उसे बात करने में एतराज़ नहीं हुआ था। स्नेहा ने सबको जल्दी से अब यहां से निकल ने के लिए कहा, फिर समय से वापस भी तो जाना है।

गाइड सबको बीहड़ों में डाकुओं का इतिहास बताते हुए चलता रहता है। नहाने से और खाना खा लेने से सबकी एनर्जी वापस आ गई थी। चिंटू बार बार सुमति से बात करने का मौका ढूंढ़ता है पर वह मिलता ही नहीं है। अगर ऐसे ही आज का दिन ढल गया तो फिर से वह सुमति को नहीं मिल पाएगा। सुमति सबसे आखिर में शोभना के साथ चल रही है। चिंटू अपनी शु लेस ठीक करने के बहाने एक जगह बैठ जाता है। बाकी सब धीरे धीरे आगे बढ़ते है। जैसे ही सुमति उसके पास से गुजरी वह पीछे से उसका हाथ पकड़ता है। और उसी वक्त पीछे से एकदम से आठ दस बंदूकधारी लोग आकर सुमति और चिंटू को पकड़ लेते है। सुमति के मुंह से चीख निकली तभी सब ने पीछे देखा। सुमति और चिंटू को पकड़ने वाले डाकू ही थे। उन सबको देख स्नेहा और राहुल उन दोनों को छोड़ने के लिए कहते है। चाहे तो हमे पकड़ लोंपर इन बच्चो को छोड़ दो। फिर उनका गाइड उन डाकुओं से बात करता है- आप सरदार दिग्विजय के आदमी है?
उनमें से एक ने हां में जवाब दिया। तो गाइड ने बोला- देखिए, मै भी एक समय उनके साथ ही गिरोह में था। मेरा नाम सुरेश है। सरदार मुझे अच्छी तरह जानते है। और यह सब मेरे महेमान है जो मेरे साथ आए हुए है। तो सामने से एक आदमी ने कहा- हम तुम्हे जानते है सुरेशबाबू। पर सरदार का हुक्म हमे मानना ही पड़ेगा। तभी इवान चालाकी से अपने पास पड़ा चाकू निकालकर सुमति को पकड़नेवाले पर हमला करने जाता है। तो एक डाकू ने उसे भी पकड़ लिया। स्नेहा के साथ साथ सभी लड़कियां रोने लगती है। रिया का शरीर पूरा कांप रहा था। वह डर के मारे उसकी फ्रेंड के पीछे छुपने की कोशिश करती है। उन डाकुओं के पास घोड़े थे जो उन्होंने दूर ही बांध रखे थे। एक डाकू ने धमकी देते हुए कहा अगर हमारे पीछे कोई आया तो इन तीनों की लाशे ही मिलेगी। स्नेहा उनके पैरो मेंगीर जाती है पर उस डाकू ने उसे पैर से धक्का दे दिया और सुमति, चिंटू और इवान को अपने साथ ले चलते है।

( यहां चंबल के डाकू का विवरण दिया है जो पूरी तरह से काल्पनिक है। इसका जीवित या मृत व्यक्ति से कोई वास्ता नहीं है। )

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