गुमशुदा की तलाश - 20 Ashish Kumar Trivedi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

गुमशुदा की तलाश - 20


गुमशुदा की तलाश
(20)



टीम ने अचानक ही सामने से हमला किया। सभी शराब पीने में मस्त थे। जब तक वह संभलते सरवर खान की टीम ने उन्हें घेर लिया था।
पीछे कमरे में रखी पेटियों को खोल कर देखा तो वही निकला जिसकी सरवर खान को आशंका थी। पेटियों में ड्रग्स के साथ अवैध हथियार भी थे। यह एक बड़ी सफलता थी।
सरवर खान ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। बरामद माल जब्त कर लिया गया। मीडिया में सरवर खान की टीम की इस कामयाबी ने खूब सुर्खियां बटोरीं। खासकर सरवर खान की दिलेरी की खूब तारीफ हुई।

अचानक सरवर खान को लगा जैसे सब इंस्पेक्टर राशिद किसी तकलीफ में है। वह 'शू शू...हट हट' कर रहा था।
"क्या हुआ राशिद ?"
"सर एक चूहा है। वह बार बार मेरे ऊपर चढ़ रहा है। उसे ही भगा रहा था।"
"ये गोदाम है। यहाँ तो चूहे होंगे ही। शुक्र है मेरी तरफ नहीं आया। क्या हुआ ? भागा कि नहीं।"
"हाँ सर फिलहाल तो चला गया।"
बहुत देर से सरवर खान और सब इंस्पेक्टर राशिद इसी जगह पर बंद थे। सब इंस्पेक्टर राशिद ने उनसे उनके बारे में कुछ बातें पूँछी थीं। पर सरवर खान उसके बारे में कुछ नहीं जानते थे। उन्होंने सब इंस्पेक्टर राशिद से कहा।
"राशिद एक बात पूँछूँ....पर्सनल है।"
"बिल्कुल पूँछिए सर...."
"शादी हो गई तुम्हारी ?"
"नहीं सर....अम्मी ने लड़की देख रखी है। मैंने भी हाँ कर दी है। हम उनके घर पैगाम लेकर जाने वाले हैं।"
"कब जाओगे ?"
"सर अभी क्या बताऊँ....यहाँ से निकलना तो हो।"
"यहाँ से तो हम निकल ही जाएंगे। वो भी सही सलामत।"
"सर बात पैगाम ले जाने की नहीं है। अगर मैं जल्दी यहाँ से नहीं निकला तो अम्मी को बहुत दुख होगा। क्लब जाने से पहले मैंने उनसे बात की थी। हर बार की तरह मुझे लेकर परेशान थीं।"
"तुम्हारी अम्मी साथ नहीं रहती हैं।"
"नहीं सर....अम्मी टीचर हैं। वह हमारे घर पर हैं। मैं अपनी पोस्टिंग पर यहाँ हूँ।"
"तुम्हारे अब्बा ??"
"सर उनका इंतक़ाल हुए दस साल हो गए। अम्मी ने ही मुझे इस लायक बनाया है। सर वो नहीं चाहती थीं कि मैं पुलिस में आऊँ। मेरी बहुत फिक्र रहती है उन्हें।"
"अब माँ होने के नाते तो फिक्र करेंगी ही। पर वो तुम्हें पुलिस में क्यों नहीं आने देना चाहती थीं ?"
"वही बात कि पुलिस की नौकरी में खतरा है। तुम मेरी इकलौती औलाद हो। तुम्हें कुछ हो गया तो मैं क्या करूँगी। सर बड़ी मुश्किल से उन्हें समझाया कि इस तरह से सोंचना ठीक नहीं है। जान का खतरा तो सड़क पर चलने में भी है। पर कोई घर से निकलना तो बंद नहीं कर देता।"
"तुमने सही कहा राशिद। मेरी बीवी भी मुझसे कहती थी कि आपके काम में जोखिम है। मुझे डर लगता है। मैं तुम्हारी तरह ही उसे समझाता था। पर उसकी मौत घर की सीढियों से गिर कर हो गई।"
"अफसोस हुआ सर....आपके बच्चे...."
"एक बेटी है शीबा। शकीना के जाने के बाद मेरे लिए उसे संभाल पाना कठिन था। इसलिए उसे हॉस्टल भेज दिया।"

फिर गोदाम का दरवाज़ा खुला। अनीस और ज़फर खाना लेकर आए थे। अनीस ने कहा।
"खाना लाए हैं। पर उससे पहले बाथरूम जाना हो तो बता दो।"
सरवर खान और सब इंस्पेक्टर राशिद दोनों ने ही बाथरूम जाने की इच्छा जताई। पहले सब इंस्पेक्टर राशिद बाथरूम गया। अनीस ने सरवर खान का पांव उन्हें दिया। सरवर खान ने अपना पैर सही तरह से पहना। बैठे बैठे उनका शरीर अकड़ चुका था। सब इंस्पेक्टर राशिद ने सहारा देकर उन्हें खड़ा होने में मदद की।
खाना खाते हुए सरवर खान ने अनीस से पूँछा।
"हमें यहाँ कैद करके क्यों रखा है ? क्या चाहते हो हमसे ?"
"खान साहब हम तो हुक्म के गुलाम हैं। जैसा हुक्म मिलता है कर देते हैं। हम क्या बता सकते हैं।"
सरवर खान को उसकी बात ठीक लगी। वह तो अपने बॉस रॉकी के आदेश का पालन कर रहा है। उससे कुछ पूँछना बेकार है। वह चुपचाप खाना खाने लगे।
उनके दिमाग में वह सवाल फिर घूमने लगा। आखिर रॉकी और मदन कालरा का क्या संबंध है। क्यों रॉकी की आँखें मदन कालरा की याद दिलाती हैं।
खाना खिला कर अनीस और ज़फर उन्हें वैसे ही फिर से अलग अलग बांधने लगे तो सब इंस्पेक्टर राशिद ने कहा।
"अब हमें इस तरह एक दूसरे से विपरीत दिशा में बांधने का क्या मतलब है ?"
इस बार ज़फर ने जवाब दिया।
"देखो रंगरूट बाबू...हमें जो कहा गया है वही कर रहे हैं।"
सरवर खान ने सब इंस्पेक्टर राशिद का समर्थन करते हुए कहा।
"पर हमें एक साथ रखने में हर्ज़ क्या है। हम यहाँ से भाग तो सकते नहीं हैं। जहाँ राशिद को बांधते हो वहाँ चूहे हैं। परेशान करते हैं। पास में रहेंगे तो कुछ तो एक दूसरे का खयाल रख सकेंगे।"
ज़फर कुछ कहने जा रहा था पर अनीस ने रोक दिया।
"ठीक है इन्हें एक दूसरे से कुछ दूर अगल बगल बांध दो। एक दूसरे को देख सकेंगे।"
ज़फर ने पहले तो आनाकानी की। पर अनीस ने उसे आश्वासन दिया कि कुछ नहीं होगा। ज़फर ने सब इंस्पेक्टर राशिद को सरवर खान के बगल में बांध दिया।
उन लोगों के जाने के बाद सब इंस्पेक्टर राशिद ने कहा।
"सर मैंने महसूस किया कि आप किसी बात को लेकर फिक्रमंद लग रहे हैं। क्या बात है सर ?"
"राशिद.. जब पहली बार मैंने रॉकी को क्लब में देखा था तभी से मुझे वह बहुत जाना पहचाना लग रहा था। मैंने बहुत सोंचा तो पाया कि उसकी आँखें मुझे किसी की याद दिलाती हैं।"
"किसकी याद सर ?"
"मदन कालरा की...."
"ये मदन कालरा कौन है ?"
"ये एक बहुत बड़ा ड्रग माफिया था। पर मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि रॉकी और मदन कालरा में संबंध क्या है ?
"मुझे लग रहा था सर कि कोई गहरी बात है। सर आप मुझे इस मदन कालरा के बारे में बताइए। शायद आप दोनों के बीच संबंध की कड़ी का पता लगा सकें।"
सरवर खान को सब इंस्पेक्टर राशिद की बात सही लगी। वह अतीत में झांक कर मदन कालरा को तलाशने लगे।
हथियारों और ड्रग्स का बड़ा जखीरा पकड़ने के बाद सरवर खान के हौसले बुलंद थे। वह अब इस ड्रग्स और हथियारों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए कमर कस चुके थे। अपने सूत्रों के ज़रिए उन्होंने इस तरह की तस्करी में लिप्त माफियाओं का पता करवाया। जो लिस्ट उन्हें मिली उसमें मदन कालरा का नाम सबसे ऊपर था।
सरवर खान ने अपने खबरी मदन कालरा के बारे में पता करने में लगा दिए। उन लोगों ने मदन कालरा का पूरा इतिहास उन्हें बता दिया।
मदन का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। लेकिन बचपन से ही उसे अमीर बनने का शौक था। पढ़ने लिखने में उसका मन नहीं लगता था। किशोरावस्था से ही अपराध की दुनिया उसे आकर्षित करती थी।
पिता को उसकी हरकतें पसंद नहीं थीं। वह उसे सही राह पर लाने के लिए उस पर पाबंदियां लगाते थे। इससे तंग आकर पंद्रह साल के मदन ने घर छोड़ दिया। अब वह निरंकुश था। अपराध की दुनिया उसे अपने पास बुला रही थी।
शुरुआत उसने प्रतिबंधित क्षेत्रों में शराब की सप्लाई करने से की। इसके ज़रिए उसे अच्छा पैसा मिलने लगा। पैसों ने उसके अमीर बनने की इच्छा को और बढ़ा दिया। देखते देखते इस धंधे का वह बादशाह बन गया।
उसने अच्छी खासी तरक्की कर ली थी। लेकिन उसे संतुष्टि नहीं हुई थी। उसने दूसरे धंधों की तरफ देखना शुरू कर दिया। ड्रग्स के धंधे में उसे अपना सपना पूरा करने की पूरी संभावना नज़र आई। मदन ने पहचान लिया कि ड्रग्स का नशा शराब के नशे से अधिक सर चढ़ कर बोलता है।
अमीर घर के हों या गरीब, स्कूल कॉलेज जाने वाले हों या नौकरी पेशा लोग। सबको इस नशे की लत लगा कर गुलाम बनाया जा सकता है। एक बार जो इसका गुलाम बन जाता है वह इसके बिना नहीं रह सकता है। नशा करने के लिए कुछ भी कर सकता है।
मदन ने हाई प्रोफाइल पार्टियों में मैंड्रेक्स सप्लाई करने का काम शुरू किया। इसने मदन को गई गुना दौलतमंद बना दिया। अब उसने ड्रग्स के कारोबार का सम्राट बनने की ठान ली।