हमें भूत देखना है। विजित शर्मा अघोरा द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हमें भूत देखना है।

सन 2017 का अक्टूबर का महीना चल रहा था वातावरण में हल्की हल्की ठंड शुरू हो गई थी। इस हल्की-हल्की ठंडे वातावरण में स्कूली बच्चे आपस में हंसी मजाक करते हुए साथ-साथ विद्यालय जा रहे थे। विद्यालय जाते समय रास्ते में एक श्मशान घाट पड़ता था जिसे वैकुंठधाम नाम दिया गया था। यात्रियों को आने जाने वाले लोगों को असुविधा ना हो इस बात का ध्यान रखते हुए श्मशान घाट के रास्ते के बगल से एक दूसरा रास्ता निकाल दिया गया था ताकि लोग श्मशानघाट ना जा कर उस रास्ते से आया जाया करें, लेकिन बच्चे तो बच्चे उन्हें क्या पता कि श्मशान घाट के जाने वाला रास्ता सही है या गलत है। कुछ बच्चों को दूसरा रास्ता पसंद आता था लेकिन तीन ऐसे बच्चे थे जो हमेशा उस श्मशान घाट के रास्ते से आया जाया करते थे। तीनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे और तीनों के नाम प्रिंस, हेमंत और आर्यन थे जब भी यह तीनों श्मशान घाट के रास्ते से निकलते तो कभी कबार शमशान के अंदर जलती चिता को देखने लगते। इस पर वहां मौजूद लोगों में से कुछ लोग बच्चों को वहां खड़े रहने से मना करते जिस पर यह लोग वापस भाग के स्कूल के लिए आ जाते हैं 1 दिन की बात है हेमंत के आर्यन के घर गया कि कल संडे है छुट्टी के दिन का कोई प्लान है क्या। आर्यन बोलता है कोई खास प्रोग्राम तो मैंने नहीं बनाया है प्रिंस से पूछ लो उसके घर के पीछे मैदान भी है उसमें मैच खेला जाएगा। उसको कोई आपत्ति ना हो तो आर्यन प्रिंस के घर जाता है साथ में हेमंत भी होता है। प्रिंस कहता है कल तो खाली रहेंगे कोई खास काम नहीं है तुम दोनों कल मेरे घर आ जाना शाम को मैच खेल जाएगा।

अगले दिन रविवार की शाम को आर्यन हेमंत के साथ प्रिंस के घर चला जाता है दोनों 2 घंटे तक तीनो लोग मैच खेलते हैं ।मैच खेलने के बाद प्रिंस की बड़ी बहन अंशिका तीनों के लिए नाश्ता चाय लेकर आती है। तीनों बड़े आराम से खाकर छत पर टहलने के लिए पहुंच जाते हैं। छत पर जाकर इधर उधर देखते हुए तीनों को सामने रोड से एक छोटी बस दिखाई देती है। बस पर लिखा होता है लाश के वास्ते और बस के ऊपर किसी की अर्थी रखी होती हैं। तीनो लोग ध्यान से इस बस को देखते रहते हैं, थोड़ी देर में बस बैकुंठ धाम नाम के शमशान के सामने जाकर रुकती है। लोग उतरते हैं अर्थी को अपने कंधो पर उतारते हैं और श्मशान घाट के अंदर ले जाते हैं। यह देखकर आर्यन प्रिंस से कहता है शमशान चला जाए चल कर देखते हैं कि लोग लाश को कैसे जलाते हैं। हेमंत भी इस बात से सहमत हो जाता है लेकिन प्रिंस कहता है नहीं अभी जाएंगे तो वहां कई लोग होंगे जो मना करते हैं। एक काम करते हैं 6:00 बज रहा है 2 घंटे बाद जाएंगे क्योंकि मैंने कई बार देखा है रात में लोग लाशों को नहीं जलाते हैं सूरज ढलने से पहले ही लाशों को जलाया जाता है। आर्यन और हेमंत प्रिंस की इस बात पर राजी हो जाते हैं। 2 घंटे बाद रात के तकरीबन 8:00 बजे तीनो लोग घर में किसी को बिना बताए श्मशान पहुंच जाते हैं।

श्मशान में एक अजीब सन्नाटा होता है।एक अजीब सी शांति होती है। तीन जगहों पर अलग-अलग चिताएं जल रही होती हैं। दो जगह पर चिताएं बिल्कुल ठंडी पड़ चुकी होती है। हल्की-हल्की अभी भी उनमें आग लग रही होती है। तीनों श्मशान में मौजूद एक बहुत बड़े विशाल पीपल के पेड़ को देखते हैं श्मशान में मौजूद लाइटों की रोशनी में उस पीपल के पेड़ में छोटी-छोटी मिट्टी की हांडीया लटकी होती हैं। प्रिंस हेमंत से पूछता है इन हांडियों में क्या होगा हेमंत बताता है जो लोग मर जाते हैं उनके लिए इसमें खाना पानी टांग के लटका दिया जाता होगा ताकि मरने के बाद उनकी आत्मा इसमे से निकाल निकाल कर खाएं। तीनो इस बात पर हंसते हैं। तभी पीपल के पीछे से एक बड़ी भारी आवाज आती है कौन है वहां किस बात की हंसी हो रही है। तीनो सहम जाते हैं पीपल के पीछे से एक काले रंग का साया निकल के आता है। रोशनी में आने पर पता चलता है कि कोई साधु है जिसने लंबे लंबे मोटे बाल रखे हुए हैं। नीचे केवल एक भगवा धोती पहनी है। ऊपर अजीब सी माला पहनी है जिनमें से एक माला में हड्डी पर होती है। उसके एक हाथ में लोहे का एक चिमटा और दूसरे हाथ की मुट्ठी में कुछ बंद रहता है। तीनों उसको साधु को देख कर डर जाते हैं। साधु पूछता है यहां क्या करने आए हो रात में यहां रात से कोई नहीं आता तुम लोगों को असुविधा ना हो इसीलिए दूसरा रास्ता बनाया गया है। उस रास्ते से आया जाया करो यहां से चले जाओ इतना बोलकर साधु पलट जाता है। तीनों जाने लगते हैं तब तक हेमंत कहता है क्या आपने भूत देखा है? हेमंत की बात सुनकर साधु को थोड़ा आश्चर्य होता है वह बोलता है क्या कहा? हेमंत कहता है क्या आपने भूत देखा है? साधु को हल्की सी हंसी आ जाती है वह हेमंत से कहता है क्यों तुम्हें क्या करना है? हेमंत कहता है हम देखना चाहते हैं क्या भूत होता है या नहीं। साधु कहता है भूत देखोगे पता चल गया कि अगर भूत है तो क्या करोगे? हेमंत कहता है यकीन हो जाएगा हम लोग को मम्मी बहुत डराती हैं कि वहाँ न जाओ भूत रहते हैं दादी भी डराती हैं इधर आ जाओ। तो कम से कम भूत को देखने के बाद हम भूत से यह कहेंगे कि जब भी हम कहीं जाया करें तो हमारे सामने मत आया करो और हम लोगों को डराया ना करो।

साधु हेमंत की बात सुनकर हंस पड़ता है और कहता है जाओ बच्चों जाओ तुम लोग अभी बहुत छोटे हो भूत किसी को डराते नहीं है ना किसी के सामने आकर उनका रास्ता रोकते हैं। हां जब कोई भूतों की चीजों को नुकसान पहुंचाता है तब भूत नुकसान पहुंचाते हैं। तुम बहुत छोटे हो घर जाओ साधु की बात सुनकर तीनो शमशान से वापस अपने घर आ जाते हैं। अगले दिन सोमवार को तीनों उसी श्मशान वाले रास्ते से जाते हैं। शमशान के अंदर जाकर तीनों उस साधु को देखते हैं लेकिन वह साधु इन्हें दिखाई नहीं देता है। तीनों विद्यालय पहुंचकर इस बारे में सोचते हैं कि कैसे उस साधु से बात करके किसी तरह भूत देखा जाए। लंच के समय तीनों मिलकर खाना खाते हैं और एक प्लान बनाते हैं। 3:00 बजे छुट्टी होती है तीनों विद्यालय से निकलकर वापस उसी शमशान के अंदर आते हैं और आकर श्मशान में कुछ कुछ जगहों पर पत्थर की बनी हुई चबूतरे होते हैं उनमें से एक चबूतरे पर बैठ जाते हैं। चबूतरे पर बैठकर सामने कुछ दूरी पर दो चिताएं जल रही होती हैं उनको देखने लगते हैं तब तक इनके पीछे से फिर वही भारी आवाज आती है। तुम लोग फिर आ गए यहां तीनों झटके से अपनी गर्दन पीछे की तरफ मुड़ते हैं। इनको वही साधु दिखाई देता है जो कल रात में ही मिला था साधु इनके सामने आता है उसके एक हाथ में दो केले और दूसरे हाथ में एक सेब होता है पूरे शरीर पर सफेद रंग की कोई भसम लगी होती है, माथे पर लंबा गोल तिलक दोनों भुजाओं में लाल रंग की अजीब चिन्ह बने होते हैं और गले में वही हड्डियों की माला पड़ी होती है। साधु इनके सामने आकर केले और सेब तीनों को देता है और बोलता है बच्चों तुम लोग यहां ना आया करो बार-बार यहां क्यों आते हो हेमंत कहता है हमें एक बार भूत दिखा दीजिए फिर हम लोग यहां नहीं आएंगे। साधु कहता है तुम लोग अभी बच्चे हो क्यों इन सब चीजों में पड़ना चाहते हो? आर्यन कहता है हम लोग दोबारा कभी नहीं आएंगे वादा करते हैं, आपसे बस एक बार आप भूत दिखा दीजिए कि क्या वाकई सच में भूत होते हैं? हम देखना चाहते हैं साधु वापस जाने लगता है 5 कदम चल कर रोकता है वापस इनके पास आता है और इनसे कहता है अगर तुम लोगों ने सच में भूत देख लिया तो दोबारा यहां नहीं आओगे तीनों एक साथ कहते हैं हां हम दोबारा यहां कभी नहीं आएंगे वादा करते हैं। साधु बोलता है ठीक है अभी जाओ कुछ दिनों बाद दिवाली आने वाली है दिवाली के अगले दिन सुबह मेरे पास आना। तीनों खुशी-खुशी जाने लगते हैं तभी साधु तीनो को रोकता है और बोलता है तुम तीनों को मेरे लिए एक एक चीज लेकर आनी पड़ेगी तीन बोलते हैं बताइए क्या लाना है? साधु बोलता है एक लड़का मेरे लिए मिठाई लाएगा दूसरा मेरे लिए फल लाएगा और तीसरा मेरे लिए देसी शराब लेकर आएगा। तीनों शराब की बात सुनकर चौंक जाते हैं। हेमंत कहता है यह नहीं हो सकता हम लोग शराब नहीं ला सकते आप इसके अलावा जो कहेंगे हम ले आएंगे। साधु सोचता है 2 मिनट बाद बोलता है ठीक है, 1 लीटर गाय का दूध लेकर आना। इसके बाद बिना कुछ और शब्द से बाहर चला जाता है। तीनो वापस अपने घर आ जाते हैं एक हफ्ते बाद दिवाली आने वाली है, उसी की तैयारियां सब मिलकर करने लगते हैं। दिवाली वाले दिन तीनों मिलकर खुशी खुशी दिवाली मनाते हैं और आपस में यह भी तय कर लेते हैं कि फल मिठाई और दूध कौन-कौन लेकर अगले दिन सुबह उस अघोरी से मिलेगा। अगले दिन तीनों जल्दी उठ कर नहा धोकर तैयार हो जाते हैं। हेमंत केला और सेब लेकर जाता है, आर्यन 2 तरह की मिठाई का एक डिब्बा लेकर जाता है और प्रिंस 1 लीटर की प्लास्टिक की बोतल में गाय का दूध लेकर आता है। तीनों श्मशान घाट पहुंचते हैं और पीपल के पेड़ के पास चार चबूतरे में से एक चबूतरे पर बैठकर अघोरी का इंतजार करते हैं। 10 मिनट, 15 मिनट, आधे घंटे बाद अघोरी आता है। तीनों से कहता है आ गए तुम लोग, मुझे तो लगा तुम लोग भूल जाओगे। हेमंत कहता है हम लोग भूत देखना चाहते हैं आपने जो कहा था वह हम ले आये है। अब आप हमें बहुत दिखाइए। अघोरी हंसने लगता है और बोलता है भूत क्या मेरी माला में लटका हुआ है जो दिख जाएगा या मेरे बालों में रखा हुआ है कि हाथ से बाहर निकाल कर दिखा दूंगा कि लो देखो यह भूत है। भूत को देखना है तो आज रात को 12:00 बजे इस पीपल के पेड़ के सामने वह देखो जो छोटा सा मैदान है, वहां कब्रे बनी हुई है उन कब्रो के पास आ जाना मैं वहीं मिलूंगा। भूत भी दिखा दूंगा लेकिन मेरी यह बात किसी और को बताई तो ना भूत को देख पाओगे कभी और ना मुझे। रात को 12:00 बजे आना इतना बोल के अघोरी जाने लगता है। तब तक प्रिंस कहता है लेकिन हम रात को 12:00 बजे घर से कैसे निकलेंगे अघोरी पलटता है और बोलता है यह तुम्हारा काम है रात को 12:00 बजे आना अघोरी चला जाता है। तीनों आपस में सोचते हैं कि रात को 12:00 बजे कैसे निकला जाए, तब हेमंत कहता है एक तरीका है दोनों बोलते हैं क्या, हेमंत कहता है मेरे घर के बाहर वाली बाउंड्री छोटी है। आज रात को तुम दोनों मेरे घर रुक जाना 11:30 बजे किसी को बिना बताए हम दोनों चुपचाप बाउंड्री फाँद के यहां आ जाएंगे प्रिंस और आर्यन को हेमंत की बात ठीक लगती है, तीनो आपस में तय करते हैं कि आज की रात के हेमंत के घर रुकेंगे, और 11:30 बजे शमशान के लिए आ जाएंगे। तीनो शमशान से बाहर अपने-अपने घरों के लिए निकल पड़ते हैं।

रात के 11:30 बजे जब सब लोग सो चुके होते है, हेमंत प्रिंस आर्यन तीनों धीरे से दबे पांव अपने कमरे से निकल कर सीढ़ियां उतरते हुए घर के मेन दरवाजे पर आकर धीरे से दरवाजा खोलते हैं। दरवाजे से बाहर निकल कर बाउंड्री फाँद के तीनों श्मशान आ जाते हैं। शमशान में आकर उसी पीपल के पेड़ पर जहां मिट्टी की हांडीया लटकी हुई होती हैं उसके नीचे वाले चबूतरे पर तीनों बैठ जाते हैं। रात के समय अक्टूबर के महीने में ठंड लगने लगती है। तीनों के दिलों की धड़कन इस समय तेज हो चुकी होती है। उन्हें डर लग रहा होता है कि हम लोगों ने जिससे भूत देखने की बात कह तो दी लेकिन अगर कुछ इसका परिणाम गलत हो गया तो क्या होगा। 15 मिनट बाद खट खट खट की आवाज से तीनों चौक जाते हैं। ऐसे लगता है जैसे कोई चलता हुआ इन्हीं की तरफ आ रहा है। इन्हें एक काले रंग का साया दिखाई देता है तीनों घबराकर एक दूसरे का हाथ कस के पकड़ लेते हैं। रोशनी में आने से पता चलता है यह साया अघोरी है। अघोरी इन तीनों को देख कर मुस्कुराता है और बोलता है आ गए तुम लोग मुझे यकीन तो नहीं था कि तुम लोग आओगे, लेकिन अब आ गए हो तो मेरे पीछे-पीछे आओ। अघोरी इन तीनों को लेकर श्मशान के दूसरी तरफ के हिस्से में जहां मुर्दों को गाढ़ा जाता है वहां ले आता है। वहां कोने में एक जगह में यह तीनों देखते हैं एक लाल रंग का कपड़ा बिछा हुआ है, उसके ठीक सामने एक काले रंग का कपड़ा बिछा हुआ है, जिस पर नींबू, कुछ खास तरह के रंग लगी हुई पत्थर, अलग सी डिब्बी में सिंदूर, अगरबत्ती, धूप बत्ती, चाकू, एक कटोरी में लाल रंग का शायद मांस और बगल में ही एक शराब की बोतल रखी होती है। इन समान के सामने एक आदमी की खोपड़ी देख कर तीनों का दिल मुंह को आ जाता है। तीनों का मन तो होता है कि इसी समय यहां से भाग जाएं लेकिन मन ही मन तीनो एक दूसरे को देख कर यह सोचते हैं कि अब आ ही गए हैं तो भूत को देखे बिना वापस तो नहीं जाएंगे। आर्यन डरते-डरते कांपती हुई आवाज में अघोरी से पूछता है, यह भूत है? अघोरी खोपड़ी को हाथ में लेता है हंसता है, उसके हसने से ऐसे लगता है जैसे शमशान में कोई हड्डियां आपस में रगड़ रहा हो। अघोरी बोलता है ये भूत नही है, भूत इसके अंदर आएगा। तुम लोगों सामने एक गोल घेरा देख रहे हो उस घेरे के अंदर जाकर बैठ जाओ और चाहे कुछ भी हो जाए उस घर से बाहर मत निकलना। वहां से तीनों लोग 5 फुट की दूरी पर उस गोल घेरे के अंदर आकर बैठ जाते हैं और एक दूसरे का हाथ पकड़ लेते हैं।


सबसे पहले अघोरी एक बोतल जिसमे पानी भरा होता है उसको लेकर सारे सामान के ऊपर छिड़कता है। अपने ऊपर भी छिड़कता है, फिर वह दूसरी बोतल जिसमें शराब भरी होती है वह लेकर अपने ऊपर छिड़कता है सारे सामान को सामने रखता है और उसमें थोड़ी सी शराब अपनी हथेली में लेकर उस इंसान की खोपड़ी के मुंह में डालता है। उसके बाद अघोरी अपने सामने एक छोटा सा हवन कुंड रख उसमें कुछ लकड़ियां डालकर अग्नि प्रज्वलित करता है और कुछ संस्कृत के शब्दों से संबंधित मंत्र बोलने लगता है। मंत्र से इन लोगों को कुछ समझ में तो नहीं आता लेकिन इन लोगों यह जरूर पता चल जाता है कि अघोरी भूत को बुला रहा है। 10 मिनट बाद आर्यन घड़ी देखता है 12:00 बज के 5:00 मिनट हो रहे होते हैं। तभी अचानक आंखे बंद किये हुए अघोरी बोलता है आ गया तुम्हारा भूत। डर के मारे आर्यन, हेमंत और प्रिंस तीनों की सांसे रुक जाती है। धड़कने दिल की तेज हो जाती हैं। तीनों एक दूसरे का हाथ कस के दबा के पकड़ लेते हैं। अघोरी मानव कंकाल की खोपड़ी धीरे से दोनों हाथों से उठाकर जलते हुए उस अग्नि के छोटे से कुंड में बीचो-बीच रख देता है। सही से खोपड़ी को बैठाने के बाद अघोरी दोनों हाथों को उल्टा करके आपस में चिपका कर आंखें बंद करके धीरे-धीरे होठों को कुछ मंत्र गुदगुदाने लगता है। तीनों आश्चर्य से देखते हैं कि अघोरी ने जलती हुई अग्नि में मानव कंकाल की खोपड़ी को जब अग्नि के कुंड में रखा था तो अघोरी के ना हाथों में कुछ जला ना उसे ही तेज आज का कुछ महसूस हुआ। कुछ ही सेकंड बीते होंगे कि श्मशान में हल्की सी आंधी चलने लग जाती है। पेड़ो के पत्ते खड़ खड़ खड़ खड़ आवाज से एक दूसरे से टकराने लगते हैं। जिस पीपल के पेड़ पर इन्होंने हंडिया लटकी हुई देखी थी वह हंडिया धीरे-धीरे हिलने लग जाती हैं। तीनों लड़के डर के मारे एक दूसरे को कस के पकड़ लेते हैं। लेकिन अघोरी वैसे ही चुपचाप शांत अपने होठों से मंत्र बुदबुदा रहा होता है। उसे बाहरी स्थिति से कोई मतलब नहीं होता कि बाहरी वातावरण में क्या हो रहा है। तभी अग्नि के उस छोटे से कुंड में जो मानव कंकाल की खोपड़ी रखी होती है उस खोपड़ी के दांत आपस में कट कट कट आवाज करने लगते हैं। तीनों लड़कों के माथे से पसीने की बूंदे निकल कर गालों तक आ जाती हैं। तीनों ध्यान से देखते हैं मानव कंकाल की खोपड़ी कट कट आवाज करती हुई अग्नि के कुंड से धीरे-धीरे ऊपर हवा में उड़ती है, कुंड के बिल्कुल ऊपर आकर वह खोपड़ी रुक जाती है। तीनों ध्यान से उसको खोपड़ी को देख रहे होते हैं। खोपड़ी अघोरी की तरफ घूमती है, वैसे ही कट कट करके आवाज निकालती है फिर वापस इन तीनों लड़कों की तरफ़ कट कट आवाज करती हुई धीरे-धीरे इनके करीब आने लगती है। तीन लड़के एक साथ चीखने चिल्लाने लग जाते हैं। बाबाजी, बाबाजी इस खोपड़ी को रोक लीजिए, बाबाजी, बाबाजी खोपड़ी को अपनी तरफ बुला लीजिए लेकिन अघोरी पर उनकी बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता ऐसा लगता है जैसे उसे बाहर का कुछ सुनाई देना बिल्कुल बंद हो गया है। वह वैसे ही चुपचाप दोनों हाथों को उल्टा जोड़कर अपने होठों से मंत्र बोल रहा होता है। प्रिंस कि अचानक चीख निकल जाती है, दोनों बच्चे प्रिंस को कस के पकड़ लेते हैं ताकि वह घेरे से बाहर ना गिर जाए। दोनों डरते-डरते अघोरी की तरफ देखते अघोरी धीरे से आंख खोलता है उसके आंख खुलते ही मानव खोपड़ी वापस हवा में ही पीछे जाने लगती है। पीछे जाकर वापस अघोरी के सामने खोपड़ी जमीन पर बैठ जाती है। अघोरी शराब की बोतल में से थोड़ी शराब निकालकर खोपड़ी को पर डालता है खड़ा होता है और बच्चों के पास आता है। उसके एक हाथ में एक गिलास में शायद पानी होता है। वह पानी हेमंत को देकर कहता है कि इस लड़के पर यह थोड़े छींटे डालो और उसे पानी पिलाओ। हेमंत तुरंत अघोरी की बात मानता है। 2 मिनट बाद प्रिंस को होश आ जाता है। रात के 2:00 बज चुके होते हैं अघोरी तीनों से कहता है देख लिया भूत इस खोपड़ी के अंदर मैंने एक आत्मा को ही बुलाया था। अब आगे से ऐसी जिद मत करना। अब घर जाओ, तीनों लड़के अघोरी के सामने हाथ जोड़ कर घर के लिए भागने लगते हैं। भागते-भागते तीनों हेमंत के घर आते हैं। बाउंड्री फांदते हैं और सबकी नजरें बचाकर चुपचाप हेमंत के कमरे में जाकर बैठ जाते हैं। तीनों का डर के मारे अभी भी बुरा हाल होता है। हेमंत नीचे जाता है तीन गिलास पानी ले कर आता है, तीनों पानी पीते हैं और बिना एक दूसरे से कुछ बोले चुपचाप सो जाते हैं। तीनों की सुबह 9:00 बजे आंख खुलती है, तीनों आपस में यह तय करते हैं कि अब हम कभी श्मशान नहीं जाएंगे क्योंकि जिस तरह भगवान का अस्तित्व है, उसी तरह शैतान का भी अस्तित्व है। हम लोगों को ईश्वर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए। शैतान, भूत, प्रेत, अघोरी, तांत्रिक इन लोगों से कभी भी कोई मतलब नही रखना चाहिए। तीनों आपस में यह वादा करते हैं कि अब कभी दोबारा वह शमशान वाले रास्ते पर नहीं जाएंगे और ना ही उस अघोरी से दोबारा कभी जिंदगी में मिलेंगे। तीनों अच्छे नागरिक बनेंगे और माता-पिता द्वारा बताए गए रास्ते पर ही चलेंगे।