Jin ki Mohbbat - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - 14

कुछ दिन से ज़ीनत से दूर हो कर बहुत बेचेन ओर गुस्से में था ।
"अब शान ज़ीनत को इस तरह छु रहा था कि ज़ीनत उसे आकर्षित होने लगी ।
लेकिन एक दम से शान को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे पीछे से पकड़ कर खींच कर ज़ीनत से दूर किया हो..! अब आगे ।



भाग 14

शान अपने बेड से दूर जा कर गीरा l शान को कुछ समझ नहीं आया ।
उसे लगा की ज़ीनत ने उसे खुद से दूर किया है शान गुस्से से बोला l
"ज़ीनत मेरा करीब आना तुम्हे पसंद नही तो बोल दो
मुझे इस तरह से दूर फेकना ये सब क्या है..?"
इतना बोल कर शान बाहर जाकर बैठ गया l
ज़ीनत हैरान थी कि "मेरे शान आखिर ऐसा क्यू बोले..? खुद ही दूर गए फिर भी ।
दोनो कशमकश में थे ये सब हो क्या रहा है ?"
शादी को इतने दिन हुए अभी तक दोनों मिया बीवी के रिश्ते में मजबूती नही ला सके ।
ज़ीनत चुप चाप अपने काम में लग गई , लेकिन उसका दिल शान के बारे मैं सोच रहा था ।
तभी ज़ीनत को पीछे से आकर शान ने अपनी बाहों में भर लिया ।
ज़ीनत को लगा की शान उस वक़्त मज़ाक कर रहे थे ओर मुझे सताना उनको अच्छा लगता है ।
शान ज़ीनत से ऐसे लिपटा रहा जैसे सदियों के बाद उसे ज़ीनत मिली हो ।
उसने ज़ीनत को अपने सामने खड़ा किया और उसे इतनी हसरत से देख रहा था जैसे उसे सब कुछ मिल गया हो ।
शान उसे देखते हुए बोला l
" बहुत इंतजार किया है मेने तुम्हरे लिए !आज जा कर मुझे तुम मिली हो ।
अब में तुम्हे किसी भी हाल में खोना नही चाहता ! तुम्हें मुझसे अब कोई अलग नहीं कर पाएगा ।
ज़ीनत को शान की बाते कुछ अजीब सी लगी l लेकिन ज़ीनत को उसकी बातो में सच्चा प्यार नजर आ रहा था ।
जिसे ज़ीनत कभी खोना नही चाहती थी ।
वो खुद को रोक ना पाई ओर शान के आगोश में खोने लगी
कुछ ही पल में ।
ज़ीनत की सास ने आवाज़ देते हुए कहा l
"बेटा ज़ीनत मुझे प्यास लगी है थोड़ा पानी देे दो ।
ज़ीनत सास की आवाज़ से जैसे नींद से जागी हो शान की बाहों से छूट कर बोली l
" में अम्मी को पानी देकर आती हूं ।
सास को पानी पिलाने के बाद रूम से बाहर आने लगी तो देखा शान बाहर से घर में दाखिल हो रहा है ।
ओर हाथ में उसकी अम्मी की दवाइयां है !
ये सब देख के ज़ीनत अपने रूम में गई और देखा शान वहां नहीं था ।
वो कुछ सोचती उससे पहले शान ने उसे बुला लिया l
ज़ीनत अम्मी के रूम में आई कहा l
"जी बोलिए ।"
शान ने मुंबई जाने का मन बना लिया था l
उसने ज़ीनत को बोलाl
" में कल रात में मुंबई जा रहा हूं ऑफिस के काम से ।
ज़ीनत ने कहा l
"जी ठीक है लेकिन लोट ना कब होगा ?
शान ने बहाना बनाते हुए कहाl
2 -3 दिन में लौटना होगा ।
उदासी भरी नज़रों से देखती ज़ीनत ओर कुछ ना बोल पाई l
"ठीक है में आपकी पेकिंग कर देती हूं ।"
बोलते हुए रूम में चली गई l
लेकिन शान ने ज़ीनत को सच नहीं बोला l
वो 6 महीने के लिए जा रहा है ।
शान ज़ीनत को ग़लत समझ रहा था l ओर ज़ीनत कुछ समझ ही नहीं पा रही थी कि शान कुछ देर पहले मुझसे दूर जाना नहीं चाहते थे, ओर अब मुंबई जाने का बोल रहे है ।
शान अम्मी के पास ही सो गया l
ज़ीनत पूरी रात अपने रूम में अकेली रही ।
रात गुजर गई l
सुबह होते ही ज़ीनत से रहा नहीं गया l
आखिर उसने नाश्ता करते शान से पूछ लिया ।
"आप ऐसा क्यू कर रहे है..?
शान ने कहा l "क्या किया है मेने..? "
ज़ीनत-" मुझे ऐसे छोड़ के जाना सही है क्या बोलो..?"
"शान में छोड़ के कहा जा रहा हूं 2- 3 दिन में तो आना है अब काम करना भी तो जरूरी है बॉस का हुक्म है ।
मानना तो पड़ेगा, नहीं मानूंगा तो नौकरी छोड़नी पड़ेगी ओर ये जॉब में छोड़ना नहीं चाहता ।
शान ने अपना बैग लिया ओर अम्मी और ज़ीनत से कहा !
"में जा रहा हूं रात में ऑफिस से ही निकल ना है घर नहीं आ सकता ।
आप लोग अपना ख्याल रखनाl
" ज़ीनत से कहा l
" अम्मी को किसी चीज की परेशानी ना हो ये तुम्हारी ज़िम्मेदारी है ।
शान घर से निकल गया l पूरा दिन ज़ीनत बेचेन सी रही रात करीब 12:30 बजे गेट की आवाज़ हुई ज़ीनत पास गई और कहा कोन... कोन है गेट पर..?

क्रमश:

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