Jin ki Mohbbat - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - 13

"शान अपनी अम्मी के पास पूरी रात बैठा l उनको सुलाने की कोशिश करता रहा।


लेकिन वो इतनी डरी हुई थी कि उनकी आंखो में नींद का नाम नहींl बस आंसू निकलते रहे थे l


यहां शान ज़ीनत की फिक्र में था कि "ज़ीनत क्या सोचती होगी पहली रात उसे अपने रूम में अकेले बिताना पड़ रही है?
"यहां शान को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कोन है जिसने जानवर को खाकर घर में फेक दिया...? अब आगे।


भाग 13



"इस तरह पूरी रात गुजर गई ज़ीनत ओर शान की सुहाग रात इंतजार कि रात बन के रहे गई ।

"इसी तरह कुछ दिन डर के साए में गुजरते रहे हर रोज़ एक नया डर सामने आता रहा ।

"ज़ीनत का दिन काम में गुजर जाता था l शान का दिन अपने ऑफिस में ।

"रात होने का दोनो को बे सबरी से इंतजार होता थाl लेकिन शान जब भी ज़ीनत के करीब आने की कोशिश करता ।

"तभी शान की अम्मी की चीखने चिल्लाने की आवाजें आने लगती थी ।

"आजकी रात शान की अम्मी को एक काला साया दिखाई देता है ।

जिसे देख वो चीखने लगी शान और ज़ीनत बाहर आएं l

"शान की अम्मी ने बताया की वो काले साये ने उनको हवा में उठा रखा थाl जब नींद से आंखे खोली तो देखा में ज़मीन से ऊपर हवा में थी ।

"ओर उसने मुझे अपने एक इशारे से नीचे फेंक दियाl अब शान की अम्मी अपने बेड से उठ भी नहीं सकती थी।

"उनके कमर की जैसे हड्डी टूट गई थी अब तो उनके पास ही रहना ज़रूरी हो गया था ।


"अम्मी की खिदमत करते हुए ज़ीनत की शादी को दो हफ्ते हो गए l लेकिन शान ज़ीनत को अब तक छू नहीं पाया था ।


"यहां शान के ऑफिस से शान को प्रमोशन मिला l उसे मुंबई जाने का मौका दिया गया ।

"शान बहुत खुश था l उसे इस मोके का बहुत दिन से इंतजार था l अब जा कर उसे ये मोका अल्ला ने दिया ।

"शान ये मोका गवाना नहीं चाहता था , वो अब ये बात ज़ीनत को ओर अपनी अम्मी को बोलने वाला है।

"लेकिन उसे एक डर सताने लगा कि अम्मी को ऐसी हालत में छोड़ के जाना सही नहीं होगा।

यहां ज़ीनत भी अकेली कैसे सभालेगी अम्मी को?

शान को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करे ।

"शान ने सोचा अभी नहीं बोलूंगा ज़ीनत ओर अम्मी को, लेकिन उसे ये सोच कर जाने का मन था

की उसकी मेहनत अब रंग लाई थीl

"उसे खुद को दुनिया के सामने लाने का मोका मिल रहा था ।

घर आकर शान चुप-चाप बैठ गया अकेले रूम में जा कर l

"ज़ीनत आई उसके पास बोली l

"क्या हुआ आपको..? आप चुप-चाप बैठे हो ? कोई परेशानी है तो बताओ ।

शान ने ज़ीनत की ओर देखते हुए कहा l


"ज़ीनत यहां बैठो तुम से बात करनी है।

ज़ीनत पास बैठी कहा !

"जी बोलिए क्या हुआ..?

तब शान ने कहा l

"ज़ीनत मान लो कि मुझे किसी काम के कुछ दिन के लिए बाहर जाना पड़े तो क्या तुम मुझे जाने दोगी ऐसी हालत में .? अम्मी की तबियत भी सही नहीं है तुम अकेली अम्मी को संभाल सकती हो ?

"ज़ीनत ने कहा l

अम्मी को में संभाल सकती हूं !

"लेकिन आपको में कहीं जाने नहीं दे सकती क्यू की में आपके बिना नहीं रहे सकती ।"

ऐसी हालत में की हम अभी तक हम एक दूसरे के पूरी तरह से नहीं हुए।


"
शान ज़ीनत की बात समझ गया l और कहा ठीक है में कहीं नहीं जाऊंगा ।


"
शान ने मुस्कुराते हुए ज़ीनत को बाजू से पकड़ा और बेड पर गिरा दिया ।

शान उसे किस करने लगा l


"
ज़ीनत बोली दरवाज़ा तो बंद करने दो कोई आ गया तो ।

ज़ीनत उठी और जाने लगी तभी शान ने झटके से ज़ीनत का हाथ पकड़ लिया l

उसे लिटा कर उसके ऊपर आ गया ।


"
इसी बीच ज़ीनत का ताबीज़ उसके हाथ से निकल कर ज़मीं पर गिर गया।


"
जिसका होश शान को या ज़ीनत को नहीं था ,लेकिन इसका एहसास उसे ज़रूर हो गया ।

जो कुछ दिन से ज़ीनत से दूर हो कर बहुत बेचेन ओर गुस्से में था ।


"अब
शान ज़ीनत को इस तरह छु रहा था कि ज़ीनत उसे आकर्षित होने लगी ।

लेकिन एक दम से शान को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे पीछे से पकड़ कर खींच कर ज़ीनत से दूर किया हो..!

क्रमश:




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