घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 11 Ranju Bhatia द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 11

घुमक्कड़ी बंजारा मन की

(११)

चैल हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश का नाम लेते हैं शिमला, घूमने का ध्यान आ जाता है, पर शिमला के पास ही और भी बहुत सुन्दर जगह है जहाँ दिल्ली से कुछ दूरी का सफ़र तय करके कुदरत की छाया में सकूंन पाया जा सकता है, चैल भी एक ऐसी ही जगह है जहाँ दिल्ली से कुछ ही घंटों में पहुंचा जा सकता है,

हमने भी दिल्ली की तपती गर्मी से परेशान हो कर वहां जाने का प्रोग्राम बनाया, दिल्ली से आप ट्रेन, शताब्दी से या बाय रोड जा सकते हैं, हमने बाय रोड अपनी कार से जाने का निश्चय किया. क्यूंकि एक तो यह रास्ता मुझे बहुत पोजिटिव लगता है, खूब खाने पीने की मस्ती, अनगिनत स्वादिष्ट खाने वाले ढाबे और रास्ते में ही आता है मेरा पंसद का शहर चंडीगढ़, जहाँ में हर बार जा सकती हूँ, खैर इस खूबसूरत शहर के बारे में भी जरुर लिखेंगे, पर अभी बात चैल की हमारी यात्रा सुबह ६ बजे दिल्ली से शुरू हुई, और पूरे रास्ते खाते पीते हम शाम को हिमाचल के इस सुन्दर जगह में दाखिल हुए. सूरज देवता भी सुबह से हमारे साथ चले हुए अब सोने की तेयारी में थे, सुन्दर नज़ारे, पहाड़ पेड़, और कई तरह के घर जाते परिंदे भी जाते जाते हमें यह कहते हुए स्वागत है हमारे इस स्वर्ग जैसे घर में, अभी सफ़र के थके हुए तुम भी आराम करो, हम भी उगते सूरज की ताजगी के साथ फिर मिलेंगे तुम्हे, और हमारा दिल था की इतनी ताज़ी हवा के साथ जैसे सब थकावट भूल चूका था, दिल्ली से चैल जाने में अमूमन 8 से 9 घंटे लगते है, लेकिन अगर ट्रैफिक ज्यादा हो तो ज्यादा समय भी लग सकता है। पर हमें ज्यादा ट्रेफिक नहीं मिला पर सफ़र की थकावट तो थी ही. रुकने के लिए हमारा पहले ही बुक था, पर उस से पहले चैल के बारे में जान लें.

चैल कहाँ है ?

चैल हिमाचल के सोलन जिले में स्थित है। समुंदरी तट से 2226 मीटर ऊँची और सध टिब पहाड़ी पर स्थित यह स्थान बहुत सुंदर है। लोर्ड़ किच्नर के आदेश अनुसार पटियाला के महाराजा, अधिराज भूपिंदर सिंह को शिमला से निर्वासित कर दिया गया, इसका बदला लेने के लिए उन्होंने चैल को अपनी गीष्मकालीन राजधानी बना कर यहाँ सुंदर चैल महल का निर्माण किया। चैल महल का निर्माण 1891 में हुआ और यह चैल की शाही विरासत है इसके अलावा यहाँ का वन्यजीव अभयारण्य जहाँ कई प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं, चैल के प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं। इस अभयारण्य में कई वन्यजीव जैसे इंडियन मुन्टैक, तेंदुआ, कलगीदार साही, जंगली सूअर, गोरल, साम्भर, यूरोपीय लाल हिरण पाए जाते हैं। चैल का क्रिकेट और पोलो मैदान समुंदरी तट से 2444 मीटर ऊँचा है। यह दुनिया का सब से ऊँचा स्थित क्रिकेट मैदान है।

चैल में कहाँ ठहरे ?

चैल में एक छोटा सा गांव बसा हुआ है। यह गांव देवदार के पेड़ों से घिरा है या आप कह सकते हैं कि गांव के इर्द-गिर्द देवदार का जंगल है। यहाँ रुकने के कई वाजिब दाम में होटल हैं, सस्ते होटल्स से लेकर थ्री स्टार होटल तक, जहां आपको बेहतरीन खाने की सुविधा भी मिलेगी। चैल का पैलेस भी आम लोगों के लिए होटल के तौर पर खोल दिया गया है। इस पैलेस में रहने का आनंद उठा सकते हैं। पर्यटकों के बीच में चैल पैलेस खासा लोकप्रिय है, इस पैलेस में बेहतरीन रेस्तरां के साथ साथ बार की सुविधा भी है। होटल मोनाल शिमला हिल्स के पास स्थित है इस होटल से चैल का अनोखा सुन्दर नजारा नजर आता है। इसके साथ ही एक और होटल है होटल सनसेट जोकि चैल और क्रिकेट स्टेडियम से और पैलेस से काफी नजदीक है। इन सभी होटल्स में पर्यटकों की सुविधा का खास ख्याल रखा जाता है।

हमारी बुकिंग पैलेस से कुछ दुरी पर बनी सुन्दर सी कोटेज में थी, देवदारों के बीच में बसे हुए इस इस कोटेज में जैसे जन्नत का सा एहसास था, शोर शराबे से दूर यह स्थान भले ही अँधेरा होने पर कुछ रहस्यमय सा लगे पर सूरज की चमकती रौशनी में यह बहुत ही मन को लुभाने वाला है. रहस्यमय भी इसलिए कहा क्यूंकि यहाँ के बारे में कई कहानियाँ सुनी हुई थी, अभी हम बैठे इन के बारे में बात कर ही रहे थे कि एक अजीब सी आवाज़ गुजने लगी उस शाम के धुंधलके में, हम लोग डर कर अपने अपने कॉटेज में चले गए, बाद में पता चला कि शाम होते ही यहाँ गीदड़ की आवाज़े आने लगती है, सच है डर मन पर हावी हो जाता है, आप अपनी कॉटेज में ही चाय और खाना मंगवा सकते हैं, और यदि कुछ चलने का मन आये तो महल के रेस्टोरेंट में खाए पीये और नज़ारे लें, कॉटेज का किराया भी अधिक नहीं है खासकर jab

अगर आप अपनी ऑफिस की भागम भाग जिन्दगी से परेशान हो चुके है। तो मन को तरोताजा करने के लिए आप एक रिल्केस हॉलिडे चाहते हैं तो. यकीन मानिये यह जगह इतनी खूबसूरत है की आपको इससे प्यार हो जायेगा. और पूरा पैसा वसूल भी.

चैल के मुख्य आकर्षण

गुरुद्वारा साहिब, काली का टिब्बा, महाराजा महल यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह ट्रैकिंग और फिशिंग के लिए बढ़िया स्थान है। चैल के मुख्य आकर्षणों में यहां का महल भी आता है, यह एक खूबसूरत महल है जिसकी वास्तुकला कमाल की है। महल के मुख्य भागों में किया गया आर्टवर्क सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। वर्तमान में इस महल को हेरिटेज होटल में तब्दिल कर दिया गया है। अगर आप शाही अनुभव लेना चाहते हैं तो इस महल की सैर का आनंद जरूर उठाएं। यहां कई प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। सिद्ध बाबा का मंदिर चैल के चुनिंदा खास पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। इस स्थल से एक किवदंती भी जुड़ी है, माना जाता है कि जहां यह मंदिर स्थित है वहां कभी महाराजा भूपेंद्र सिंह महल बनाना चाहते थे, महल बनाने का काम भी शुरू हो गया था। एक रात एक संत महाराजा के सपने में आएं और उन्होंने उस स्थान पर महल न बनाने के लिए कहा। संत ने यह भी कहा कि जिस स्थान पर तुम महल बनाना चाहते हो वहां मैंने कई सालों तक तपस्या की है, अगर कुछ बनाना चाहते हो तो यहां एक मंदिर बनाओ। माना जाता है कि इस घटना के बाद महाराजा ने वहां महल नहीं बनाया बल्कि एक मंदिर उन संत के नाम बनाया। यह सिद्ध बाबा का मंदिर के रूप में जाना जाता है।

यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय मार्च और मई है, इन जगह पर इस स्थान पर यूँ ही घूमना भी बहुत ताजगी दे जाता है, चाहे पर प्रमुख पर्यटक स्थल को देखे या न देखे, सो हमने खूब वाक् की. लोकल लोगों से मिले, उनसे बहुत कुछ जाना यहाँ से शापिंग के नाम पर आप पश्मीना शाल ले सकते हैं, हमने तो यहाँ से चेरी, अखरोट, बादाम और अन्य फल खूब लिए खाए,

तीन दिन का यह वीकेंड वाकई याद गार बन गया हमारे लिए, शहर की भागमभाग से दूर वाकई यह छुट्टियां मजेदार ठंडी ताजगी भर गयी, अब वापसी का सफ़र था जो कुछ उदास भी था और थकावट से भरा हुआ भी था क्यूंकि वापसी में रास्ते में ट्रेफिक जम कर मिला हमें, फिर भी चैल की चहल कदमी हमारे दिल पर दस्तक समय समय पर देती रहेगी.

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