घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 7 Ranju Bhatia द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 7

घुमक्कड़ी बंजारा मन की

(७)

ऋषिकेश के दो रंग

जब घर से चले थे तो दिल्ली की गर्मी से निजात पाने की उम्मीद थी और दिल में था कुछ गुनगुनाता सा मीठा मीठा संगीत मंद बहती हवा का एहसास और.. आँखो में सपने थे.. पेडो से ढके पहाड़ की हरियाली और भी बहुत कुछ... ख़ुद बा ख़ुद दिल किसी गीत की रचना करने लगा था

कल- कल बहती गंगा यही संदेश देती है

चलते चलो - चलते चलो !!

बहती मस्त बयार,

ठंडी जैसे कोई फुहार

लहराते डगमगाते पहाडी से रास्ते

नयना ना जाने किसकी है राह तकते

सफ़र शुरू हुआ... दिल्ली की गर्मी भी सफ़र में दूर दूर तक साथ चलती रही.... शहर की भाग दौड़ से दूर दो पल शांत बिताने की चाहा हमे उतराँचल की गोद में ले गयी... तेज़ गर्मी और लंबा सफ़र के बीच मोदी नगर की जैन शिकजी और चीतल रिसोर्ट ने हमारे सफ़र को कुछ मीठा सा बना दिया.... हरिद्वार और ऋषिकेश को पार करते हुए थोडा सा आगे हम कोडियल के गड़वाल रेस्ट हाउस तक जब पहुचे तो जैसे सफ़र की सारी थकावट गंगा के कल कल बहते पानी को देख कर उतरने लगी.. पर गरमी का असर यहाँ भी ख़ूब दिख रहा

हवा का एक झोंका नही..

- ज़िंदगी जीने की चाहा में

सब कुछ अपना बनाने की राह में

यहाँ सब छूटा सा जाता है जंगल से पेडो का,

मंद बहती समीरो का साथ अब रूठा जाता है

पर चारो तरफ़ पहाड़ से घिरे और गंगा के किनारे बसे इस रेस्ट हाउस ने हमे जैसे अपने मोह में बाँध लिया.... अगले दिन रफ्टिंग का जोश सबके चेहरे पर दिख रहा था... बहुत ही रोमांचक लगता है गंगा की शीतल बहाव और तेज़ धारा में कूदना...

वहाँ से मेरिन ड्राइव से शिवपुरी का रास्ता कई रॅपिड को पार करते हुए मेरे लिए तो बहुत ही नया और रोमांचक अनुभव रहा..... उसके बाद भी कितनी देर हम यूँ ही गंगा की गोद में बैठे गर्मी को दूर करने में लगे रहे....

यह था पहला रंग अब यह है कुछ वक्त बाद गए देखे का दूसरा रंग

ऋषिकेश आपको कई रंग दिखाता है, पहले यह सोच थी कि यहाँ बस साधू सन्यासी और तीर्थ है पर हर बार यह सोच बदलने लगती है, जब शायद पहली बार गयी हुंगी मैं, तब इसी सोच के साथ ही गयी थी, फिर वहां की कुदरत और राफ्टिंग ने मन मोह लिया, बहती ठंडी हवा और कलकल गंगा में उछलती राफ्टिंग बोट पहले डर और फिर एक अदभुत ध्यान अवस्था में पहुंचा देती है, इस बार तक जाने तक मैं इसी अवस्था के मानसिक दौर में ही थी, पर इस बार जाने पर एक अलग ही अनुभव हुआ, हाँ हर बार जाने पर यहाँ पर विदेशी टूरिस्ट भी बहुत दिखाई देते हैं, न जाने क्या तलाशते हुए, शायद वही जो हम यहाँ रहते हुए कहीं भूलते जा रहे हैं, इस बार Hotel Hare Rama @samadhi कैफ़े में रुकना हुआ, यह एक बहुत ही अलग अनुभव लगा, छोटा सा प्यारा सा रुकने का स्थान,

बेस्ट लोकेशन जहाँ आपके होटल रूम की खिड़की से गंगा बहती हुई दिखती हो, पीछे की तरफ देखे तो घने जंगल का नजारा और शांत जगह, मन जैसे अपने आप ही शांत होता जाता है, अपने नाम “समाधि “को सार्थक करता हुआ यह cafe वाकई बहुत अदभुत है, जिसका खाना तो स्वादिष्ट है ही पर उसके साथ उनके स्टाफ का प्यार से खिलाना दिल खुश कर देता है, आप चाहें तो अपने रूम में मगंवा सकते हैंपर जब इतना अच्छा rooftop कैफ़े बना हो तो फिर कहाँ दिल करता है, वहां से बहती कल कल गंगा, मंदिरों से आती मधुर घंटो की आवाज़, हाथ में गर्म काफी का कप और खुद में ही कहीं अंतर्ध्यान की अवस्था वाकई समाधी सी लगती है, यहाँ विदेशी टूरिस्ट ही दिखे अधिक जो वहीँ योग और वहां बने बुक कार्नर से बुक पढ़ते या वहीँ बने म्यूजिक कार्नर में गिटार से मधुर संगीत बजाते दिखाई दिए, यह माहौल मेरे लिए टिपिकल ऋषिकेश के रंग से बिलकुल अलग सा अनुभव रहा, rooftop के इस नजारे में एक नजारा योग और मेडिटेशन रूम का भी है वहां खुले में लगी आरामदायक चेयर्स आपको जैसे बहती गंगा की हवा के साथ खुद से परिचित करवा देती है, वहीँ अन्दर शांत कमरे में लगे योग मेट आपको स्वस्थ रहने की प्रेरणा देते लगते हैं, वीकेंड के लिए यह एक बिलकुल पेरफ़ेक्ट जगह है जहाँ आप ऋषिकेश को अलग ही नजरिये से देख सकते हैं अच्छा लगता है जब आज के युवा अपने शहर से कुछ अधिक पाने की लालसा में शहर से बाहर भाग रहे हैं, और समाधी कैफ़े को उत्साह से चलाने वाले युवा दिल्ली से पढ़ कर वहां उसको उत्साह से नए तरीके से आज के वक़्त से और भी सुन्दर ढंग से चला रहे हैं, ऋषिकेश को एक टूरिस्ट एडवेंचर जगह बनाने के सपने को अंजाम दे रहे हैं.

यहाँ के कमरे बहुत ही आरामदायक और बजट में है, खाने के रेट बहुत ही वाजिब और देसी विदेशी खाने के साथ आप ले सकते हैं, यही से आप राफ्टिंग के लिए बुकिंग करवा सकते हैं, ट्रेकिंग के लिए जाना चाहे तो भी यहाँ से आपको हर तरह की सुविधा मिलेगी, और यदि आप हमारी तरह जंगल सफारी में रूचि रखते हैं तो भी आपको यहाँ का स्टाफ हर तरह से बुकिंग में मदद करेगा,

जंगल सफारी मेरे लिए बिलकुल ही नया अनुभव रहा, होटल से टैक्सी ले कर चीला तक गंगा के साथ जाते हुए आप राजा जी नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं वहां से खुली जीप में भागते हुए हिरन, नाचते हुए मोर, साम्भर, जंगली पिग और हाथी देखना वाकई बहुत ही रोमांचक अनुभव रहा, और वह और भी रोमांचक हो गया जब हमारे साथ मेरी ३ साल की नातिन समायरा की उत्सुकता और नयी नयी कहनियाँ हो, ३४ किलोमीटर में फैला हुआ यह नेशनल पार्क थोडा थका जरुर सकता है, पर हर पल कुछ नया देखने की उत्सुकता और जंगल की एक अपनी महक आपको हर पल आपको तरोताजा बनाए रखती है, मेरे लिए यह बहुत ही amazing experience रहा वाकई तो इस बार ऋषिकेश को इस नजरिये से देखिये बहती गंगा के साथ राफ्टिंग अनुभव और सफारी का अनुभव छोटे से वीकेंड को वाकई बहुत ही तरोताजा कर गया

ऋषिकेश का यह दो रंग का सफ़र वाकई यादगार है जो हमेशा याद रहेंगे

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