कमसिन - 6 Seema Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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कमसिन - 6

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(6)

अचानक उसकी आँख खुल गयी ! उसका एक हाथ रवि के धडकते सीने पर रखा हुआ था और उसके हाथ के ऊपर रवि का हाथ था ! वे बराबर में ही लेटे हुए थे दूसरी रजाई ओढकर और वो इस वक्त बहुत गहरी नींद में थे ! अरे इनकी रजाई तो सोफे पर रख दी थी फिर यहाँ कैसे !

राशी अपना हाथ हटाना तो चाहती थी किन्तु रवि की कहीं नींद न खुल जाये इसलिए उसे यूँ ही रहने दिया ! उसे बहुत तेज घबराहट होने लगी ! इतनी सर्दी में भी उसका पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो गया ! एकदम से गर्मी लगने लगी ! उसने अपने एक हाथ से रजाई हटानी चाहीं लेकिन रजाई बहुत भारी थी और एक हाथ से उसे हटाना मुश्किल लग रहा था और आखिर उसकी रजाई हटाने की कोशिश असफल हो गयी ! दिल की धड़कन बढती ही जा रही थी ! एक कमरा और वे दोनों अकेले, तनहा, कोई भी नहीं, रात का गहन अँधेरा और सन्नाटा ! उसने अपने हाथ को हिलाने की कोशिश की तभी रवि कसमसा उठे !

उसने अपना हाथ वहीँ का वहीँ पे छोड़ दिया ! दूसरे हाथ से तकिये के बराबर में रखे अपने मोबाइल की लाइट जला कर टाइम देखा ! रात के तीन बज रहे थे ! राशी ने मोबाइल रख दिया ! पर वो सरक कर नीचे गिर गया !

मोबाइल के गिरने की हलकी सी आवाज हुई ! कहीं टूट न गया हो ! उसने सोचा !

वो हिल भी नहीं पा रही थी ! बस मन ही मन ईश्वर से प्राथना की ! हे ईश्वर, जल्दी से सुबह हो जाये ! दिन निकल आये ! दिन निकलते ही मन का सारा अंधकार दूर हो जायेगा, सब भ्रम मिट जायेगा !

अँधेरा छंट जायेगा क्योंकि अँधेरा ही मन में बुराइयाँ पैदा करता है! मन में पाप भरता है ! राशी ने सोने की असफ़ल कोशिश की किन्तु रवि के हाथ का दवाब अपने हाथ पर महसूस किया उसे तेज घबराहट हुई क्या करे वो ? अब रवि ने करवट लेकर उसकी तरफ मुँह कर लिया था ! उसने अपने हाथ को खीचने की कोशिश की पर रवि ने करवट ले कर उस के हाथ को अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया ! राशी से सहा नहीं जा रहा था ! उसने बेड की साइड में लगे स्विच को ऑन कर दिया कमरे में दुधिया रोशनी फैल गयी !

अब वे चौंक कर जग गए और उससे पूछने लगे, क्या हुआ राशी ? क्या तुम्हें नींद नहीं आ रही ? वो सोफ़े पर बहुत ठंड लग रही थी तो मैं बेड पर आ गया ! उनके कहने के ढंग में थोड़ी हिचकिचाहट सी थी !

सो जाओ राशि ! मैं नीचे सो जाऊंगा !

वो कुछ नहीं बोली, रवि उठकर जाने लगे !

आप लेटे रहिए !

सर्दी बढ़ती ही जा रही थी दोनों रजाइयाँ ओढ़ने के बाद भी शरीर ठंड से काँप रहे थे ! अपने पैर पेट मे घुसा कर एकदम गठरी जैसी बन कर किनारे से लेटी हुई थी ! बाहर बहुत तेज हवाएँ चल रही थी और बारिश भी हो रही थी ! वो इतने करीब होकर भी बहुत दूर थे जबकि ठंड इतनी थी कि बर्दास्त के बाहर थी शायद वे पहली दफा पहाड़ी इलाके में आए थे इसलिए ठंड बहुत महसूस हो रही थी ! रवि के दांत ठंड से किटकिटा रहे थे ! इस सर्दी को शरीर की गर्मी से कुछ कम किया जा सकता था ! पर डर शर्म और हिचकिचाहट के कारण अपने आप में ही सिमटे हुए थे ! अचानक रवि ने उसे अपनी बाँहों में जकड लिया !

वो बहुत तेज डर गयी थी क्या हो रहा है ये सब ? वो खुद को उनकी जकड से छूड़ा भी नहीं पा रही थी !

वैसे उसे भी तो उस जकडन में राहत महसूस हो रही थी ! खुद के भीतर सकूँ का अनुभव हो रहा था ! शरीर की गर्माहट से ठंड कुछ कम हुई, खून का दौरान भी बढ़ा ही होगा और सर्दी से जमते खून मे रवानगी जरूर हुई होगी !

उनकी बाँहों का दवाब बढता ही जा रहा था ! वह घबरा उठी ! आखिर गलती तो उसकी ही है वो उसपर विश्वास करके एक कमरे में सोने को तैयार जो हो गयी ! लेकिन उसे कहाँ पता था कि रवि इस हरकत पर उतर आएंगे ! एक बार मम्मी ने कहा भी था कि अकेले कमरे मे अगर तुम्हारे साथ कोई कितना भी अपना हो विश्वास मत करना क्योंकि घास और फूस को एक साथ रहने पर चिंगारी लग कर आग लगने मे देर नहीं लगती ! तब यह बात समझ नहीं आई ! अनुभव ही हमें समझदार बनाता है !

राशी क्या बात है तुम डरो मत ! ऐसा व्यवहार क्यों कर रही हो ?

क्या तुम मुझे चाहती नहीं हो ?

हाँ सिर्फ तुम्हें ही चाहती हूँ ! उसने कहना चाहा था ! ख़ुशी का भाव एक पल को आया और चला गया !

शादी से पहले यह सब नहीं नहीं ! ये सही नहीं है गलत है ! उनकी बाँहों से एक बार फिर खुद को छुड़ाना चाहा !

तभी अचानक बादलों की तेज गडगडाहट के साथ बारिश शुरू हो गयी ! बारिश इतनी तेज थी कि लग रहा था मानों आज कोई बहुत तेज तूफान आने वाला है और सब कुछ तबाह करके चला जायेगा !

बादल जोर जोर से गरज रहे थे ! चारो तरफ ऊँचे ऊँचे पहाड़ों से घिरा वो होटल ! इस तेज बारिश में कहीं कोई पहाड़ तो टूट कर नहीं गिर जायेगा !

राशि अभी तक जिस का साथ पाने को कितना तरस रही थी आज वो उसके पास होकर भी उनसे दूर जाने का अहसास हो रहा था !

एक बार फिर तेज बिजली गरजी ! राशी के मुँह से घबराहट के कारण आवाज निकल गयी !

क्या हुआ राशी ? डरो मत मैं हूँ न !

और उन्होंने उसे अपनी मजबूत बाहों में भर लिया !

उसके दिल को सकूँ भरा करार आया !

कितना तरसी थी ! कितना याद किया था ! पल पल पाने की चाहत मन में भरी रहती थी ! हर वक्त आवाजें देकर जिन्हें बुलाती थी आज वो उसके बहुत करीब था ! दिन रात ईश्वर से एक ही तो चीज मांगी थी ! बस मुझे मेरे रवि से मिला दो, बस एक बार ही मिला दो !

राशि उन बाँहों में खुद को सूरक्षित पा रही रही थी ! अंदर से कुछ पिघल रहा था ! रवि की मजबूत पकड़ में वो पिघलने लगी ! रवि ने उसके होठो पर अपने होंठ रख दिये ! एक बार फिर उसने अपने को छुड़ाना चाहा !

नहीं नहीं रवि शादी से पहले यह सब ठीक नहीं है !

राशी ने उसकी बाँहों से खुद को छुड़ाकर कमरे की लाइट जला दी ! पूरा कमरा रोशनी से भर गया !

अगर आज हम एक नहीं हुए तो यह सर्दी यह तूफान हमें जीवित नहीं रहने देगा ! मैं इस ठंड में मर जाऊंगा ! मैं तुमसे अपने प्यार की भीख मांगने के साथ अपने जीवन की भी भीख मांग रहा हूँ !

राशी हम एक दुसरे को प्यार करते हैं, हम अलग नहीं हैं ! हम एक हैं फिर ये झिझक कैसी ?

लेकिन शादी से पहले यह सब सही नहीं है !

आओ हम शादी कर लेते हैं ! कहकर रवि ने उसके गले में अपनी दोनों बाहें डाल दी !

लो हो गया हमारा विवाह ! हमने गंदर्भ विवाह कर लिया है ! वैसे भी मन के रिश्ते सामाजिक रिश्तों से ज्यादा बड़े होते हैं ! उसे याद आया उसने एक बार शकुन्तला और दुष्यंत की कहानी पढ़ी थी ! उसमे भी राजा दुष्यंत ने शकुन्तला से गंधर्भ विवाह करके अपना बना लिया था ! और फिर अपनी पहचान के लिए उसे अपने हाथ की अंगूठी दे गए थे !

राशी के मन में यह जानकर अथाह प्रेम भर आया ! उसका जी चाहा कि वो अपना सर्वस्व उनपर वार दे ! अब तो वो ही उसके मालिक हैं उसके सबकुछ वही तो हैं ! भूल गयी दुनियां के सारे रीति रिवाज, रस्म ! अपना पति मानकर वो स्वयं उनके सीने से लग गयी और अपना सारा प्यार उनपर उड़ेलने को आतुर हो उठी !

उसे क्या पता था कि ये विवाह समाज में स्वीकृत नहीं है ! लेकिन वो तो बेकाबू नदी की तरह सागर में विलीन हो जाना चाहती थी ! रवि ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए ! कितनी प्यासी हो गयी थी कितनी घनी प्यास मन में जग गयी थी ! एक दूसरे में समाने को बेताव वे दोनों खुद को समर्पित कर बैठे थे !

सदियों से दौड़ती चली आ रही नदी सागर में समा गयी ! एक पल को आया तूफानी पल सबकुछ बदल कर गुजर गया ! बाहर भी अब बारिश थम गयी थी ! न बादल गरज रहे थे, न बिजली चमक रही थी !

सब शांत ! स्थिर थमा हुआ ! एक उफान सा आया और गुजर गया तृप्त कर गया ! शायद तूफान भी उन्हें एक करने के लिए ही आया था ! रात निकल गयी, पल भी निकल गया ! बदल गया उन्हें और उनके जीवन को ! कहीं ख़ुशी और कहीं गम का अहसास मन में भरते हुए ! सूरज की किरणें फूट गयी थी ! कमरे में हल्का हल्का प्रकाश भरने लगा था ! राशी अभी भी रवि की बाँहों में सिमटी हुई थी उसका बिलकुल भी जी नहीं चाह रहा था कि वो उनकी बाँहों से पल भर को भी दूर हो !

रवि उठ गए थे और वो बिस्तर में ही लेटी हुई थी ! रवि ने इलेक्ट्रिक केतली निकाल कर उसमें पानी डाला और उसका प्लग लगा दिया ! साथ ही गुनगुनाते जा रहे थे !

ओहरे ताल मिले नदी के जल में नदी मिले सागर में

सागर मिले कौन से जल में कोई जाने न ! !

कल तक जो अनजाने थे, सदियों के मीत हैं !

केतली का पानी खौल गया था ! उस पानी को कांच के दो गिलासों में थोडा थोडा डाल दिया ! नेस्ले का मिल्क पावडर एक एक चम्मच डाला और थोड़ी चीनी डालकर चम्मच से हिलाया ! फिर गिलासों में ताजमहल चाय के डीप वाले पाउच डाल दिए ! एक गिलास उसे पकडाते हुए बोले, लो राशी मेरे हाथ की चाय पीओ और जल्दी से उठ जाओ !

उसके मन में रात की खुमारी अभी भी भरी हुई थी, न जाने कैसा नशा मन में भर गया था ! उसका जी चाह रहा था कि रवि को बाँहों में भरकर रजाई लिपटा कर सो जाये और बस यूँ ही लेटी रहे ! कभी सुबह न हो और पूरी ज़िन्दगी ऐसे ही गुजर जाये ! लेकिन सोचने से कभी कुछ हुआ है ! न मन का चाहा कभी पूरा हुआ है !

राशी ने रवि के हाथ से लिया हुआ चाय का गिलास साईड टेबल पर रख दिया था ! उसे उठाया और डीप को हिला कर चाय पीने लगी !

चाय बहुत टेस्टी बनी थी और चाय पीने से मन थोडा फ्रेश हो गया था !

वो उठ गयी और वाथरूम में चली गयी ! वापस आई तबतक रवि अपनी चाय ख़त्म करके सेविंग करने लगे थे ! वे बोले राशी नहा लो और तैयार हो जाओ फिर बाहर कहीं चलते हैं ! वहीँ नाश्ता कर लेंगे !

ठीक है, अभी आती हूँ !

राशी पीछे की तरफ खुलने वाले दरवाजे की तरफ से बाहर को निकल गयी ! उधर बड़ा सा गलियारा था और उसके सामने को खूब सुंदर सा बगीचा, जहाँ रंगबिरंगे फूलों के पौधे थे ! ऊँची ऊँची पहाड़ियों की चोटियाँ, सेबों के बाग़, बड़े उन्नत चीड़ और देवदार के बाहें फैलाये वृक्ष ! मन को मोहने वाली खुशबू हरतरफ फैली हुई थी ! पहाड़ियों की चोटियों के पीछे से सूर्यदेव अपने प्रकाश को फ़ैलाने के लिए झाकने लगे थे और पहाड़ पर धूप उतरने लगी थी !

बाग़ के नीचे वाली पहाड़ी पर एक स्कूल था ! जहाँ पर बच्चे फुटबाल और बास्केटबाल खेल रहे थे ! उसने अपनी आँखों को चारो तरफ घुमाया और वहाँ की सुन्दरता को अपनी आँखों में समेटने की कोशिश की ! एक गहरी स्वांस लेकर उस खुशबू को अपने भीतर भर लिया !

पता नहीं ये सुन्दरता कब तक आँखों में चमकती रहेगी ! तब तक रवि भी वहां पर आ गए थे !

क्या हो रहा है भाई ? वे मुस्कुराते हुए बोले !

कितनी मोहक और मादक हंसी है रवि की ! राशी ने मन ही मन सोचा !

बहुत ही अच्छा लग रहा है यहाँ पर !

अच्छा तो लगना ही हुआ ! इतनी खुबसूरत जगह जो है !

रवि क्यों न हम यहीं पर अपना आशियाना बनायें ! और रह जाएँ यहीं पर हमेशा के लिए ! एक प्यारा सा घर हो अपने सपनों का घर ! जहाँ सिर्फ वे दोनों हो और कोई न हो ! जब सुबह को जागे तो बर्फ पर सूर्य के दर्शन हो !

और रात को सोने पर चाँद उनके घर में उतर आये !

खुशियों से झोली भरी हो और वे एक रंग में रंगे रहे, मुस्कान उनके चेहरे से दूर न जाए ! कोई भी उनके प्यार के बीच न आये ! वो उन्हें अपने आँचल में छिपा ले और वे उसे अपने दिल में हमेशा के लिए बसा लें !

बस यही एक छोटा सा ख्वाब ही तो होता है हर प्यार करने वाली लड़की का ! अपने प्यार को पा लेना और उसी के संग अपना पूरा जीवन बिता देना !

अपने सपनों के राजकुमार को पा लेना इतना आसन नहीं होता, कोई कोई ही इतना खुश किस्मत होता है ! जिसे अपना प्यार मिलता है और बाकी यूँ ही भटकते रहते हैं ! आज वो अपने आप को दुनियां की सबसे खुशकिस्मत लड़की समझ रही थी ! जिसे चाहा, उसे पाया अब घर वालों को मनाना इतना कठिन भी नहीं है ! वो सबको मना लेगी ! वे लोग मान जायेंगे और उसके रंग भरे सपनों को अपनी स्वीकृति से चमकीला कर देंगे ! उसे पूरा विश्वास है कि उसकी बात अवश्य ही रखी जाएगी ! आखिर अपने मम्मी पापा की एकलौती बेटी है ! उनका उसके सिवा कोई और भी तो नहीं है ! तभी तो उन लोगों ने उसकी ख़ुशी में शामिल होकर उसे इतनी दूर पढने भेजा और अब उसके प्यार को भी जरुर अपना लेंगे ! उसे खुद पर नाज हो आया ! चेहरे पर शर्मीली मुस्कान बिखर गयी !

राशी क्या सोच कर मुस्कुरा रही हो ? उठोगी नहीं ? क्या यहीं पर बैठी रहोगी ?

हालाँकि उसका मन वहीँ पर बैठे रहकर अपने ख्वाबों को बुनने का कर रहा था ! एक खुबसूरत आसमां जिसपर वो मन ही मन उड़ जाना चाहती थी !

उसने मुस्कुराते हुए गर्दन को हिलाया और कहा, हाँ चल रही हूँ बस !

वे दोनों नहा धोकर तैयार हो गए थे बाहर जाकर नाश्ता करने के लिए कि रवि ने उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहा, बहुत प्यारी लग रही हो तुम इन कपड़ों में !

राशी ने पिंक कलर का सूट पहन रखा था और उस पर मल्टी कलर का दुपट्टा डाला हुआ था ! पिंक कलर की हलकी सी लिपस्टिक, आँखों में काजल लगाया हुआ था ! बस और कुछ भी नहीं !

रवि भी तो कितने प्यारे लग रहे हैं पिंक कलर की शर्ट और ब्लेक पेंट में ! उनका खूब गोरा रंग है तो सब कलर ही अच्छे लगते हैं !

राशी ने उनके कंधे पर सर टिकाते हुए कहा, आपको बहुत प्यार करती हूँ आप ही मेरा प्यार हो, विश्वास हो और जीवन जीने की उर्जा भी !

मुझे पता है मेरी जान ! ये कहकर उसे अपनी बाहों में भींच लिया था !

राशी ने उनके गाल पर एक चुम्बन ले लिया फिर रवि ने उसे अपने चुम्बनों से निहाल कर दिया था !

वह शरमा गयी ! मुस्कुरा उठी ! खुद को इस दुनियां का सबसे खुशनसीब इन्सान समझने लगी !

शरीर में रोमांच भर आया ! या रब ! ! ! ये पल यहीं ठहर जाये और वे दोनों एक जिस्म और एक जान बने रहें लेकिन कभी सोचने से थोड़े ही न कुछ होता है ! पल को सरकना था सरक गया ! लम्हें को जाना था चले गये !

ऐसे पल बस अपनी यादें छोड़ जाते हैं ! जिन्दगी भर याद आने के लिए ! समय के आगे सब बेबस हो जाते हैं क्योंकि समय न रुका है न कभी रुकेगा, किसी के लिए भी नहीं रुक सकता ! समय तो गतिमान है !

और समय की यही खासियत भी होती है ! जो अच्छे और बुरे पलों को दे कर आगे बढ़ जाता है !

आज भी तो यह बड़ा सा कमरा उसके प्यार का गवाह बन गया ! उसने ऊपर रोशनदान पर देखा जहाँ एक चिड़िया बैठी थी जो उनके प्यार की एकमात्र गवाह थी ! वो टुकुर टुकुर उन लोगों को ही देखे जा रही थी !

वे कमरे से बाहर निकल आये ! सूरज की छाया बहुत भली लग रही थी ! धूप धीरे धीरे पहाड़ियों पर उतरने लगी थी ! बेहद ठंडी हवा चल रही थी जो मन में शीतलता का अहसास भर रही थी !

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