बीछीया Raje. द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बीछीया


मै बैठा था वही अपने घर के बाहिर वाले बाकडे पर, कुछ सोच कर मुस्कुरा रहा था। मानो एक जंग लडी थी मैने और एक आर्मी जवान छुट्टी पर घर लोटा हो। ठिक वैसा अनुभव हो रहा था। मगर हा, जंग मैने जीती थी। शायद इसिलिए २ महीने १३ दीन ७ घंटे बाद मेरी शादी तय हुई थी। मेरे समय बताने के अंलाज से आप समझ ही गए होगे। की मुझे इश्का कितना इंतजार होगा।

लेकीन मेरा ध्यान तब टुटा, जब कुछ लोग बाते करते जा रहे थे। मैने कहा क्या हुवा भाईओ ?

तभी उनमे से एक ने कहा- कोई तो भी लडकी थी, उम्र लगभग १७ साल होगी। चोराहे पर रास्ते के बीचो-बीच पडी है। चहेरा दीखा नही पर लाल कुरती, पैरो मे काली दोर और बाए हाथ के कान्डे पर पांच-छे तील है।

मै चौका! कहा-
हा। वो २ महीने बाद १८ साल कि हो जाएगी इसलिए तो शादी तब रखी है।
काली दोर मैने बांधी थी। उसमे पांच गाठे होगी। उसको नजर ना लगे इसलीए बान्धा था।
कान्डे पर तील नही वह आधा टेटु था, मेरा नाम लिखवा रही थी कोड लेन्गबेज मे। पर उसका बापु आ पहुचा था।
और क्या भागे थे हम वहासे, आज भी याद है।
पर कुरती तो सफेद ही पहनी थी उसने !
और वह बोल पडा कही खून तो न था ?
और मै वहा से जो भागा हु मानो उड रहा था।

चौराहे पर देखता हु तो.
मुह सडकने अपने आंचल मे छिपा रखा था। पर बाल चारो दीशामे बीखरे पडे थे।
जैसे बारीश मे पेड की डालीयो को पकडकर जैसे पानी उतरता है, ठिक वैसे ही उसके बालो से खून उतरकर रास्ते पर कोई नक्शा बना रहा था।
वैसे तो मुझे मालुम हो गया था की, ये वही है पर उम्मीद भी कोई चीज होती है। पर वो भी कोई चीडीया पीन्जरा तोड उड जाती है, ठिक वैसे फूर हो गई। जब मैने उसके गले के दो-इंच नीचे का घाव देखा। वो भी तभी लगा था जब टेटु के बाद हम भाग रहे थै।
मै भाग कर उसके पास गया और उसका सर गोद मे लेते हुए जोर से चील्लाया ' बीछीया' और आसू भरपुर आ रहै थे।
तभी कानो मे एक आवाज पडी, अरे बाबा कितनी बार कहा है! मेरा नाम वृन्दा है। ये बीछीया-वीछीया मुझे पसंद नही।
और रो क्यु रहे हो ?
मै यहा बैठी हु, वहा क्या कर रहे हो ?
धुन्धली आखो से देखा। एक लडकी रोड के कीनारे पत्थर पर बैठी है। मै आसू पोछते हुए देखा, तो ये क्या ? वह तो बीछीया थी।
मै उठकर तेजी से उसकी तरफ भाकेेा, और कशकर गले लगा लिया। बीछीया बोली पडी बस करो अब, गला दबाकर ही मारोगे क्या ?
फिरभी मैने न छोडा, दर्द से बोल उठी 'केशव' "यु हर्टीगं मी"।
तब जाके मेने उसे छोडा और उपर से लेकर नीचे तक उसकी तलाशी ली।
वह बोली- अरे बाबा। केशव ! मै ठिक हु। देखो 'आई केन वोक, आई केन डान्स और वह नाचने लगी। वैसे अंग्रेजी भाषा के यह शब्द मैने ही उसे शीखाए थे और वो मुझी पर आजमा रही थी।
मेने कहा बस करो अब, मै समज गया।
मैने कहा- पता जब उन्होने मुझे बताया की वहा रास्ते पर कोई लडकी पडी है, मेरी तो मानो जान ही नीकल गई थी।
इस बातको सुनकर वृदा थोडी मुस्कुराई।
मैने कहा मै सच बोल रहा हु। सच मे !
वह बोली हा हा सही बात है।

और तभी मेरा सीर ठनका और कहा बीछीया ?
तो फिर ये कौन हे ? उस लाश कि तरफ इशारा करते हुए। इसने भी तेरे जैसे ही कपडे पडने है। वो तो ठीक है, पर वो टेटु और गले का घाव ?
लेकीन बीछीया मु्स्कुरा रही थी।
तभी वृदा के माता-पीता वहा चीखते-चीलाते आ पहुचे और रोने लगे।
मेरी वृदा, हमारी बच्ची। ये क्या हो गया?
मैने कहा- ये क्या ? और उनको समझाने के लीए आगे बढा।
कि सुनीये, ये लडकी आपकी वृदा नही है। लेकीन मेरी कोई बात ही नही सुन रहा था।
मै कहकह कर थक गया की, आपकी वृदा यहा पर है। पर कोई मेरी एक सुने ?
फिर मैने बीछीया से कहा- तुम वहा खडी क्या कर रही हो ? यहा आओ और सबको बताओ कि तुम-तुम हो। ये नही। लेकीन वृदा सीर्फ मुस्कुरा रही थी।
मै बैचेन हो गया और उसके पास जाकर बोला, तुम ये क्या कर रही हो।
वह धीरे से आख मे आसू लाते हुए बोली- वो हमे नही सुनैगे।
मै गुस्सा हो गया और बोला- क्यु नही सुनैगे ?
तभी गोपाल भागते हुए वहा पहुचा। गोपाल मेरा दोस्त। और थोडा गभराया हुआ भी था, बोलने लगा- वहा...वहा..
केशव को कुछ हो गया है । सुदबुद खोए बैजान शा पडा है।
मैने कहा- मै ? और बीछीया की तरफ देखा। वह वहा खडी सीर्फ मुस्कुरा रही थी।
फिर वह मेरे पास आकर मुझे गले लगाया और मेरे कानो मे धीरे से बोली- 'इतना प्यार क्यू करते हो मुझसे' ? देखो अब जान पर बन आई ना।

मै भी सारी कहानी का हाल समझ गया, कि जान तो मेरी वो बाते सुनते ही नीकल गई थी। जब सुना की हाथो मे टेटु, काला धागा ओर सफेद कुरती।
फिर मैने एक गहरी सास ली और बिछिया को गले लगा कर कही खो गया।

-रेरा