Manchaha - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

मनचाहा - 29

तैयार होकर बाहर आती हुं तो अवि रुम के बाहर ही खड़े हैं।
अवि- मैंने रवि को फोन कर दिया है। वह हमें रिद्धि के एक्टिवा की चाबी दे जाएगा, बाद में हम चलते हैं।
मैं- एक्टिवा पर? बहुत ठंड लगेगी।
अवि- गर्म कपड़े पहने तो है। एसा करो अपनी शौल भी लेलों।
मैं अपनी शौल लेकर आती हुं। रूम लॉक करके नीचे आए तो रवि भाई चाबी लेकर नीचे खड़े थे।
रवि- बहुत दूर मत जाना।
अवि रवि को साईड में ले जाता है।
अवि- अबे बेवकूफ मेरी प्यार की नैया क्यों डुबो रहा है। कुछ वक्त साथ में गुजारने तो दो। आ जाते हो एवे ही ?।
रवि- कुछ उल्टा-सीधा करने की कोशिश की तो...?।
अवि- मैं अपनी लिमिट जानता हुं, फ़िक्र मत करों।
पाखि उनके पास आती है और पूछती है- यह क्या खुसुर फुसुर हो रही है? अब चलना भी है या मैं वापस जाउ?
अवि- मैं तो कबका रेडी हुं तुम्हारा भाई ही देरी करवा रहा है।
रवि- पाखि यह कमीना कुछ करने की कोशिश करें तो मुंह तोड लेना।
मैं - क्या भैया आप भी। मुझे विश्वास है इन पर। हां कोई ग़लत फहमी न रखें यही कहना चाहूंगी।
अवि- अब चले...?

अवि और पाखि निकल पड़ते हैं नैनीताल की सड़कों पर। ठंड आज कुछ कम लग रही है।
मैं- अवि, रात कितनी सुहानी लग रही है।
अवि- तभी तो बाहर आए हैं।
मैं- हम जा कहा रहे हैं?
अवि- वहां जाकर बताउंगा।
रात के साढ़े दस बजे है और रास्ते पर ट्राफिक न के बराबर है।
आधे- पोने घंटे के बाद हम एक Lake के पास पहुंचते हैं।
मैं- यह कौन सी जगह है? बहुत ही खूबसूरत है।
अवि- यह भीमताल है। हम आए थे यहा, भूल गई?
मैं- हां आए तो थे पर अंधेरा होने की वजह से पता नहीं चला। चांदनी में यह कितना खुबसूरत दृश्य लग रहा है।
हम एक्टिवा एक जगह पार्क करके एक अच्छी जगह ढूंढ कर बैठते हैं। हम में से कोई कुछ नहीं बोलता बस सामने रहे दृश्य को निहार रहे हैं। अवि थोड़ा मेरे पास खिसकते है।
मैं- क्या हुआ?
अवि- ठंड लग रही है।
मैं- पहले बताते। मैं शौल लाइ हुं न साथ में।
मैंने अपने पास पड़ी शौल उन्हें दें दी। पर कुछ देर बाद तो मुझे भी ठंड लगने लगी तो अवि ने शौल का एक छोर मेरी तरफ बढ़ा दिया। जैसे तैसे एक शौल में एडजस्ट हुए दोनों।
अवि- पाखि एक बात बताओ, क्या तुम मुझे पसंद नहीं करतीं?
मैं- पसंद न करती तो क्या यह बैठती आपके साथ।
अवि- तो मेरे प्रपोज का जवाब क्यों नहीं देती।
मैं- मैंने आपसे पहले भी कहा है, मेरे घरवालों की पसंद ही मेरी पसंद होगी। आप चाहें तो मैरिज प्रपोजल भेज देना, वक्त आए तब।
अवि- मानोगी नहीं।
मैं- ना।

धीरे-धीरे ठंडी हवाएं चलने लगती है। अवि मेरे पास सटक कर बैठ जाते है। मुझे थोड़ा धक्का लगता है तो अवि मुझे खिंचकर अपनी ओर लाता है। हम दोनों एक दूसरे के इतना नजदीक आते है कि एक दूसरे की सांसें महसूस करने लगते है। और वह सांसें कब एक होने लगी दोनों को पता भी न चला। अवि और मैं एक-दूसरे के आलिंगन में होंठों पर होंठ रख दूनिया को भूल जाते है।
अवि मन ही मन खुश हो रहा है, आखिरकार पाखि मान ही गई।
कुछ देर बाद पाखि एकदम से धक्का देकर खड़ी हो जाती है।
अवि- क्या हुआ?
मैं- यह मैं क्या कर रही थी? आप जानबूझकर मुझसे यह सब कर रहे हैं न।
अवि- क्या बोल रही हो तुम? मैं और जानबूझकर, पागल हो क्या?
मैं- और नहीं तो क्या? आप भी मनोज की तरह मौका ढूंढ रहे थे इसके लिए। मैं ही पागल थी जो आपके साथ चली आई।
अवि- मुझे तुम मनोज के साथ कम्पेयर कर रही हो? उसमें और मुझमें कोई फर्क नहीं दिखता तुम्हें??
मैं- नहीं दिखता, आप भी तो वही चाहते हैं जो वह चाहता था।

अवि पाखि के गाल पर एक चांटा लगा देता है और कहता है- तुम्हारी आंखों में बंधी पट्टी उतारो और फिर देखो?। तुम्हें मेरा प्यार नजर नहीं आता? क्या मैं वहशी दरिंदा लगता हुं तुम्हें? क्या अभी मैंने तुम्हे जबरदस्ती कीस कि? तुम क्या कही कि राजकुमारी हो जो इतना भाव खा रही हो। मेरे लिए लड़कियों की कोई कमी नहीं है। एक से एक तुमसे बढ़कर लड़की मिल सकती है और जो चाहे में उनके साथ कर सकता हूं। पर मैं उस तरह का बंदा नहीं हुं के किसी लड़की की इज्जत उछालू।
मैं- हरबार आप मेरी मर्जी के खिलाफ मुझे..
अवि (बीच में ही बोलता है)- इस बार तुम्हारी मर्जी के खिलाफ छुआ क्या?? तुम कोई हुर परी नहीं हो जो तुम्हें हासिल करने के लिए मरा जा रहा हूं। सच्चा प्यार करता हूं तुमसे, टाइमपास नहीं कर रहा। खबरदार जो मनोज के साथ मुझे कम्पेयर किया तो।
मैं कुछ नहीं बोल पाई। मुझसे यह गलती कैसे हो गई। मुझे अपना करियर बनाना है, यह सब नहीं करना। अपने भैया और भाभी का सपना पूरा करना है। इन सबसे मैं दूर ही रहुंगी।
अवि गुस्से से शौल मेरी तरफ फेंक कर एक्टिवा चालू करके रेस देने लगते है। मैं चुपचाप जाकर पिछे बैठ जाती हुं। पूरे रास्ते कोई कुछ नहीं बोला।

हम रिसोर्ट पहुंचे तो एक बजे गया था। मैं चुपचाप अपने रूम में आ गई। रात काफी हो गई है पर मुझसे निंद कोसों दूर है। मैं कुछ ज्यादा ही अवि को बोल गई शायद। मैंने मनोज का गुस्सा उन पर निकाला, कल माफी मांग लूंगी उनसे। और जो कुछ भी हुआ वह भूल जाऊंगी।

अगली सुबह
संजना दीदी की हल्दी रस्म शुरू हो गई है। सबने उन्हें हल्दी लगाई और बाद में रिद्धि को भी लगाईं। जब मैंने रिद्धि को हल्दी लगाई तो उसने भी मुझे यह कहकर हल्दी लगाई के मेरे बाद तेरा ही नंबर लगे शादी के लिए वो भी अवि सर के साथ।
मैं- क्या कुछ भी..।
रिद्धि- किसी को दिखे या ना दिखे, मुझे उनकी आंखों में तेरे लिए प्यार दिखता है।
मैं- छोड़ ना यह सब, अभी दीदी की हल्दी एंजॉय करते हैं।
सब लोग हल्दी एक-दूसरे को ऐसे लगा रहे थे मानो होली हो। बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर बाद सब अपने मुंह और हाथ-पांव धोकर वापस आते हैं। फिर DJ शुरू होता है और गाना चलता है," क्यूटी पाई..." फिर क्या नाचें है सब, मजा ही आ गया। इन सबके बीच मैंने देखा कि अवि एक भी बार मेरे नजदीक नहीं आएं या बात करने की कोशिश भी नहीं कि। लगता है ज्यादा नाराज़ हैं। मौका मिलते ही बात करती हुं। दोपहर का लंच खत्म करके सब शादी के लिए रेडी होने चले गए। सब लड़कियां इस वक्त मेरे कमरे में तैयार होने आई है। मज़ाक मस्ती का दौर चर रहा है। हमरा निशाना एक ही है दिशा
काव्या- दिशा तुमने अपने घर बताया कि तुम्हें राजा पसंद है?
दिशा- बताया नहीं है पर यहां से लौटकर बता दूंगी।
मीना- क्यों, शादी की जल्दी है?
काव्या- रहा नहीं जा रहा होगा बेचारी से संजना दीदी को देखकर।
दिशा- संजना दीदी कहा से बीच में आ गई?
निशु- उसी को देखकर तो शादी का मुड़ बना रहीं हों।?
दिशा- सही कह रही हो। मैं भी पापा से कहूंगी कि मेरी शादी भी इसी तरह कराएं। मजा आ रहा है इस फंक्शन्स में।
मैंने कहां- बड़ी उतावली हो रही है शादी के लिए।
दिशा- तेरी लाइफ में लड़का आने दे फिर बताऊंगी कितनी जल्दी करती है शादी की।
मीना- काव्या, तूझे कोई लड़का पसंद आया कि नहीं?
काव्या- रिद्धि का कजिन मनोज कैसा है? टोल, हेंडसम अच्छा है न?
मनोज का नाम सुनते ही मेरा दिमाग फटने लगता है।
मैं- नहीं, वह किसी के भी लायक नहीं है दरिंदा कहिका।
काव्या- क्या हुआ? एकदम गुस्सा क्यों हो गईं मनोज का नाम सुनकर?
मैं- कुछ नहीं, वह मुझे पसंद नहीं इसलिए बोला।
काव्या- उसमें दरिंदा कहा से आ गया। पसंद नहीं है ऐसा भी बोल सकती थी।
मैं- (जासूस का दिमाग फिर से चलने लग गया ?) कुछ नहीं ऐसे ही मुंह से निकल गया।
सब हंसी मजाक कर रहे थे तब मैं रूम की बाल्कनी में आईं। मेरे पिछे निशु भी बाल्कनी आ गई।
निशु- पाखि, जो भी पूछूं सच बताना तुम्हें रवि की कसम है। कल रात क्या हुआं था? सच-सच बताना।
मैं- तुम्हें कैसे पता कुछ हुआं था। रविभाई ने बताया?
निशु- मुझे किसीने नहीं बताया। मैंने रवि से जब तुम्हारे बारे में पूछा तो वह गुस्से में कुछ बोले बिना ही चला गया। तु यह सब छोड़ ये बताओ कि हुआं क्या था। तुझे रवि की कसम दी है झूठ मत बोलना।
मैंने निशु से धीरी आवाज में वह सब कुछ बताया जो मेरे साथ कर हुआ था।
निशु- इतना सब होने गया और किसीने हमें बताया तक नहीं। उस कमिने की हिम्मत कैसे हुईं इसी हरकत करने की। उसे सबक सिखाया के नहीं?
मैं- अवि और रविभई ने बहुत पीटा है उसको। और अंकल ने भी पीटा था उसे। हम में से कोई नहीं चाहता था यह बात बाहर आएं।
निशु- पर अविभाई तुम्हारे रूम में कैसे आएं।
मैं- (अब इसे क्या बताऊं? ) पता नहीं, शायद अपने रूम में जा रहे हो और मेरी चिल्लाने की आवाज सुनाई दी हों।
निशु- हां, शायद ऐसा ही होगा। वैसे मैं भी तुम्हें कुछ बताना चाहती हुं।
मैं- क्या?
निशु- मै आज रवि को प्रपोज करने वाली हुं।
मैं ( खुशी से)- क्या??
अंदर से काव्या की आवाज आती है- क्या हुआ? चिल्लाई क्यों?
निशु- कुछ नहीं, ऐसे ही बात कर रहे है। पाखि, मरवाएगी क्या? धीरे बोलना।
मैं- sorry, पर खुशी के मारे मुंह से निकल गया। कब प्रपोज करेंगी?
निशु- पता नहीं परन्तु आज तो कर ही दूंगी। अब और नहीं सहा जाता। मुझे पता है उस उल्लू को तो पता वैसे तो चलेगा नहीं तो अब उसे बता ही देती हुं।
निशु बातें कर रही थी तब मैं सोच रही थी कि अवि के बारे में मैं निशु को बताऊं या नहीं। मुझे सोच में पड़ा देख वह पूछती है- क्या हुआ? किस सोच में पड़ गई?
मैं- कुछ नहीं बस यही सोच रही थी कि तुम दोनों एकसाथ बहुत अच्छे लगोगे।?
निशु- thanks dear, पर तेरा भाई भी तो मानना चाहिए न।
मैं- मानेंगे, क्यों नहीं मानेंगे? तु एकबार प्रपोज कर दे फिर मैं मनाऊंगी उन्हें।
निशु- सच्ची?
मैं- मुच्ची ?।

हम सब शादी के लिए तैयार होने लगें। सबने लाइट मेकअप और खूले बाल रखने का decide किया है। कल सुबह दिल्ली भी निकलना है तो हेयर स्टाइल की वजह से फिर हेयर वोश करने पड़ते हैं तो कोई हेयर स्टाइल नहीं लेने वाला। आज सबने डिजाइनर गाऊन पहना है। सबकी सब कोई मोडल से कम नहीं लग रही।
दिशा- आज तो बिजली ही गिरने वाली है देख लेना।
मीना- हां और सीधे राजा पर ही गिरने वाली है ?।
दिशा- वो तो गिरने ही वाली है पर उसके साथ दूसरों पर भी गिरेगी हीं।
काव्या- मैं तो यही इंतजार कर रही हुं कबसे के किसी पर तो बिजली गिरे।
मैं- चलो चलो अब, बहुत बातें हो गई। नीचे चलना है या यही बिजली गिराकर सब खाक करने का इरादा है।

इस बात पर सब हंसते हुए नीचे आए। नीचे लड़के कबसे तैयार होकर आ गए थे। सबकी आंखें हमें देख फटी की फटी ही रह गई। मैंने अवि को देखा पर उसने मुझे देख कोई इशारा भी नहीं किया, नहीं कुछ कहा। लगता है अभी तक नाराज़ हैं। कोई नहीं ठीक ही है, मुझसे दूर तो रहेंगे। मुझे कोई माफी-बाफी नहीं मांगनी। हम सब शादी का पंडाल जहां था वहां चले गए। बारात आ गई है और हम सब भी बारातियों के साथ डांस करने चले गए। रिद्धि और रजत भी आ गए थे हमारे साथ। बहुत मजा आया। जब रिद्धि की मम्मी हमारे पास आएं तो मुझे देखकर बोले तुम्हें खुश देखकर अच्छा लगा। अब आंटी को क्या पता मैं कैसे अपने आप पर कंट्रोल कर रही हुं, कैसे संभाल रही हुं ?।
निशु मेरे कंधे पर हाथ रखती है और धीरे से कहती हैं- सब बुरा सपना समझकर भूल जा।
मैं- हमम्! कोशिश यही कर रही हुं। चल छोड़ना यह सब शादी एंजॉय करते है।

शादी बहुत अच्छे से खत्म हुई। हम सब रंजना दीदी और जीजाजी के साथ खाना खाने जा रहे है। रिद्धि और रजत सबको बिठाकर बड़े चाव से खाना खिला रहे है। अंकल आंटी भी अपने संबधीओ को बड़े आग्रह से खाना परोस रहे है। इत्तेफाक से अवि मेरे बाजू में बैठ गए थे। मुझे बाजु में देख खड़े होने गए तो आंटीजी बोले- अरे बैठो न बेटा, रजत जरा इनका भी ध्यान रखना। कहीं भूखे न रहें जाए। कल वैसे भी चले जाएंगे तो आज ही खातिरदारी बढ़िया से करना सबकी।
रजत- जी मम्मीजी, ध्यान तों रखना ही होगा, हमारी शादी में भी तो बुलाना है।
अवि- खातिरदारी नहीं करोगे तब भी हम आएंगे ही ?।
जब सब खाना खाने लगे तब मैंने अवि से माफी मांगने की सोची। मैं कुछ ज्यादा ही बोल गई थी। माफी मांगने से छोटी नहीं हो जाऊंगी।
मैं ने कुछ देर बाद अवि से नजरें मिलाए बगैर ही कहा- कल के लिए सोरी। मनोज का गुस्सा आप पर निकाल बैठी।
अवि ने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने फिर से उन्हें सोरी कहा तो फिर भी सामने तक नहीं देखा। मैंने सोचा इतना एटिट्यूड? न बोलने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुझे माफी मांगनी थी तो मांग ली। उसे बोलना न बोलना उसकी मर्जी। मैं भी चुपचाप खाना खाने लगीं।
सामने के तरफ निशु रवि भाई के साथ बैठी है। दोनों धीरे-धीरे बातें कर रहे हैं।
निशु- plz रवि मान जाओ न। मै तुमसे बहुत प्यार करती हु वो भी बचपन से।
रवि- पर मैंने कभी इस बारे में सोचा नहीं हैं। ऐसे एकदम से कैसे हा करदू?
निशु- क्या मैं तुझे अच्छी नहीं लगती? मुजमे कोई कमी है?
रवि- मैने कब कहा कि तुजमे कमी है? तुम अच्छी ही हो पर मुझे सोचने का मौका तो दो।
निशु- आज रात तक का समय हैं तुम्हारे पास। कल सुबह तक मुझे जवाब चाहिए। फिर जो कुछ भी होगा उसके जिम्मेदार तुम होंगे।
रवि- ए तू धमकी मत दे। मैने कहा न सोचकर बताऊंगा।
निशु- पोजीटिव ही सोचना।
रवि- मेरी मां, अभी तो खाना खाने दे।
निशु- हा हा ठूस ले, मेरी तो कहा पड़ी ही है तुम्हें।
रवि बिना कुछ बोले खाने लगा। उसके दिमाग में धमासान युद्ध शुरू हो गया। ये मुजसे प्यार करती है मुझे तो यक़ीन ही नहीं हो रहा। मैंने कभी इसके बारे में क्यों नहीं सोचा? पर अवि क्या सोचेगा इस रिश्ते के बारे में। में उसे के बारे में कल ही बात करूंगा। पर पहले पाखि से बात करता हुं।

जब संजना दीदी की विदाई का समय हुआ तो सब की आंखो में पानी आ गया। लड़कियां ही क्यों जाती है मायके से, लड़के क्यों नहीं? एकबार अपना घर छोड़कर ससुराल में रहके तो दिखाए। सारी रस्में, सारे रिवाज लड़कियों के लिए ही है? लडको के लिए कुछ नहीं? सब नई दुल्हन को आते ही एडजेस्ट होने को कहते है। ऐसा क्यों कोई नहीं कहता कि तुम अपने तरीके से ससुराल में भी रह सकती हो। यह अब तुम्हारा ही घर है। पर नहीं ऐसा कोई नहीं बोलता।? पता नहीं मेरा ससुराल कैसा मिलेगा? दीदी के विदा होते ही सब मेहमान धीरे धीरे निकलने लगे। हम सब को भी सुबह निकालना था तो अपने अपने रूम में पैकिंग के लिए आ गए।

जैसे में रूम में आई उतने में रविभाई का फोन आया।
रविभाई- पाखि तुमसे बात करनी है अगर तुझे डिसटर्ब ना होतो।
मै- कैसी बात कर रहे है भैया? कितनी भी बिज़ी क्यों ना हु, आपके लिए हमेशा मेरे पास टाइम रहेगा। बोलिए क्या बात है?
रविभाई- वों निशु ने मुझे प्रपोज किया आज।
मैं अनजान बनकर पूछती हुं- क्या कह रहे है, कब किया प्रपोज उसने?
रविभाई- आज शादी के वक्त ही। जब फेरे चल रहे थे तब।
मै- oh wow! आपने क्या कहा?
रविभाई- यार मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। मैंने कभी उसे इस नजर से देखा नहीं है, मै क्या बोलु?
मै- आप हा कह दीजिए। देखिए वह आपकी बचपन की फ्रेंड है। आप उसे जानते भी अच्छे से है। कहा किसी और को बिना जाने पसंद करना और उसे समझना। निशु को तो आप बचपन से पहचानते है। उसकी पसंद नापसंद आप जानते ही है तो... अच्छा रहेगा।
रविभाई- हा पर मुझे अवि के बारे में भी तो सोचना है। वो क्या सोचेगा मेरे बारे में। मेरी ही बहन पर डोरे डाले, एसा नहीं कहेगा वह?
मै- क्यों वो भी तो किसी और कि बहन पर लाइन मार ही रहा है न।? फिर आपको कैसे कुछ कहेगा।
रविभाई- फिर भी यार, उसके जैसा कमिना नहीं बन सकता मै। निशु ने आज रात तक का ही समय दिया है सोचने के लिए। कल मेरे सिर पर खड़ी रह जाएगी जवाब मांगने।
मै- आप बेजीजक हा बोल दे, अवि को तो देख लेंगे।
रवीभाई- कुछ गरबड़ हुई तो?
मै- देख लेंगे। अब आप सो जाएं और मुझे भी आराम करने दे।

क्रमश:


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