Manchaha - 25 books and stories free download online pdf in Hindi

मनचाहा - 25

सब शोपिंग में मस्त थे। निशु, अवि और रवि भाई एक केंडल शोप में थे। मीना, काव्या और दिशा एक handicraft की शोप में थी और मैं, साकेत और राजा सामने नैनीताल की रेलिंग के पास साइड में खड़े थे तभी सामने से मनोज अपने दोस्तों के साथ आ रहा था। हमें देख वह हमारे पास आएं।
मनोज- आप लोग यहां? पहले बताया होता मैं भी आ जाता अपके साथ।
साकेत- तुम यहां कैसे?
मनोज- वो मेरे फूफाजी ने कुछ सामान मंगवाया था, वही लेने आए हैं। बाकी सब कहां है?
साकेत- सब अपनी अपनी शोपिंग में व्यस्त हैं। तुमने सामान ले लिया?
मनोज- बस वही लेने जा रहे थे तो आप सब को देखकर रुक गया। ठीक है मिलते हैं फिर, बाय..।

राजा- यह इंसान मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
मैं- क्यो? अच्छा तो है।
राजा- नहीं पाखि, तु समझ रही है इतना भी सीधा नहीं है।
साकेत- चला गया न वो, छोडना फिर। तु तेरी वाली का ध्यान रख ज़रा।
राजा- क्यो? तुम्हें लगता है मुझे उसका ख्याल रखना चाहिए? उल्टा वोही मेरा ख्याल रखती है।?
साकेत- बे बावरी पूंछ! तेरा क्रेडिट कार्ड उसके पास है।
राजा- क्या ?, उसके पास? कब लिया उसने?
साकेत- जब तुमने उसे पानी की बोतल लेने के लिए पर्स थमाया था तब ले लिया था।
राजा- और तु अब बता रहा है? इसकी शोपिंग का बिल देखकर मेरा बाप मार डालेगा मुझे। कौनसी दूकान में गई है ढुंढता हुं। मेरी मां कहां चली गई...?

मैं और साकेत हंसते ही रहे।?
मेरी नज़र उस दूकान पर पड़ी जहां नीशु अवि और रवि भाई के साथ थी। अवि भी हमारी तरफ ही देख रहे थे। उसका मुंह फुला हुआ और आंखें अंगारे बरस रही थी। यह देखकर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है। शायद उनको जलन हो रही है। तब तो मजा आएगा और जलाती हुं। मैंने साकेत के कंधे पर हाथ रखा और दिशा- राजा के बारे में बात करने लगी और हम ज़ोर से हंसते भी जा रहे थे। ओह गॉड! क्या बंदर जैसे मुंह कर रहे हैं अवि, लगता है अभी बंदर की तरह उछलकर आ जाएंगे यहां। सब अपनी अपनी शोपिंग में व्यस्त थे तभी अचानक पूरे मार्केट में लाईट चली गई। हम सब जहां थे वहीं खड़े रह गए। तभी मेरे पिछे कोई आया जिसने मेरी गर्दन को चूम लिया। जैसे में पलटी तो पिछे अंधेरे की वजह से कोई दिखा नहीं। भले कोई दिखा नहीं पर उसने जो परफ्यूम लगाया था उसकी स्मेल मुझे आ गई थी।
मैंने साकेत को पुछा कि,- कोई मेरे पिछे खड़ा था तुम देख पाए उसे? उसने ना में जवाब दिया।
साकेत- अंधेरा एकदम से हुआ तो आंखें एडजस्ट नहीं हुई थी। क्यों क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं, मुझे लगा पिछ कोई था।
मैंने सोचा अभी कहने का कोई मतलब नहीं है। रिसोर्ट जाकर बात करती हुं। पर उस परफ्यूम वाले को छोडूंगी नहीं मैं। कुछ पांच मिनट बाद लाइट्स आ गई। रवि भाई मेरे पास आए। उन्होंने मेरा चेहरा देखकर कहा,- गुस्से में है?
मैंने रवि भाई को एक साइड आने को कहा।
मैं- भैया जो बोलूं वह सूनना और धीरे से बात करना, जब लाइट्स चली गई थी तब किसी ने मेरे पिछे आकर मेरी गर्दन पर कीस किया।
रवि- क्या?? तुम साकेत के साथ थी। कहीं उसने तो..?
मैं- नहीं भैया वो मेरे सामने था। और मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा हुआ था। तो वो मेरे पिछे कैसे होगा? पर मैं जानती हूं शायद वो कौन है। आज उसकी खैर नहीं।
रवि (सोचते हुए) ये नालायक (अवि) मरवा कर छोड़ेगा। यह उसी का काम होगा।? वापस जाकर बात करता हुं उससे, क्या है यह सब।
रवि- तुम्हें कुछ लेना नहीं है पाखि?
मै- नहीं, कविभाई और मिताभाभी आ चूके हैं यहां। तब यहां की फेमस सब चीजें लाए थे, जो अब भी पड़ी है घर पर। तो मुझे कुछ नहीं लेना, सिर्फ खाना है वो भी मोमोज।?
सबकी शोपिंग हो चूकी थी तो हम नैनीलैक के पास कुछ देर तक बैठ गए। अभी अभी पूनम की रात गई थी तो चंद्रमा का उजाला अभी था। चांद के उजाले में तालाब के पानी को देखना अच्छा लगता है। मैंने रवि भाई से कहां- अब चले, मुझे बहुत निंद आ रही है अब और रिद्धि से भी काम है मुझे। वो क्या सोचेगी कि हम उसके साथ रहने के बजाय सिर्फ घूमते रहते हैं।
रवि भाई- सच कह रही है तु। अच्छा सब लोग सुनो.., अब हम चलते हैं और रिसोर्ट पर रिद्धि के साथ बैठते हैं। देर रात तक बातें करेंगे मज़ा आएगा। जब कार पार्किंग एरिया तक पहुंचे तो वहां पर मनोज भी अपने फ्रेंड्स के साथ आया था अपनी कार लेने। उसे देख काव्या ने पूछा,- मनोज तुम यहां कब आए? हमसे मिले भी नहीं?
मनोज- मैं मिला था पाखि को। मेरा मतलब जब राजा और साकेत साथ थे तब। आप सब अपनी शोपिंग करने में व्यस्त थे। आप रिसोर्ट जा रहे तों यह कुछ सामान भिजवाना है अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो। मुझे कुछ और सामान भी लेना है ग्रोसरी स्टोर से।
रवि- हां-हां क्यों नहीं, रखवादो कार में।
उन लोगो ने कुछ सामान कार में रखा और फूफाजी को देने को बोला। हम सब फिर रिसोर्ट आ गए। रिद्धि, रजत और संजना दीदी अपने फ्रेंड्स के साथ बैठे हुए थे। छोटा-सा केंप फायर किया गया था और हम सब आसपास बैठकर गप्पे लड़ाने लगे। कुछ देर बाद मनोज भी आ गया। मैंने रिद्धि से कहां कि मुझे तुमसे कुछ काम है तेरे रूम में चले? उसने हां कहा और हम कुछ देर में आते हैं यह कहकर उसके रूम में चले गए। उसके रूम में पहुंचकर रिद्धि ने पूछा,- क्या हुआ पाखि? हम इस तरह रूम में क्यों आएं।
मैंने मोल रोड पर अंधेरे में जो घटना हुई वह बताया और उस इन्सान का नाम भी जिस पर मुझे शक था।
रिद्धि- पर पाखि उसके जैसे परफ्यूम तो कई सारे लोग लगाते होंगे।
मैं- तु सही कह रहीं हैं, पर शायद तु भुल गई के हर एक इंसान की अपने शरीर की एक स्मेल होती है। जितनी भी बार यह शख्स मेरे आसपास आया है मैंने इसी स्मेल को परफ्यूम के साथ महसूस किया है।
रिद्धि- वैसे वे कभी झूठ नहीं बोलते तो पूछ लेते हैं न उनसे।
मैं- इसी लिए मैंने तुझे ही यह बात बताई है। किसी और को बताती तो हंगामा खड़ा कर देता।
रिद्धि कोल करके उस शख्स को अपने रूम में बुलाती है और अकेले आने का भी कहती हैं।
रूम के दरवाजे पर दस्तक हुई तो रिद्धि ने डोर खोला। जैसे ही वह अंदर आया, उसे देख मुझे गुस्सा आ गया और उसके पास जाकर गाल पर एक जोर से थप्पड़ जड़ दिया। रिद्धि को भी गुस्सा आया और उसने भी एक लगा दी थोबड़े पर।
रिद्धि- तुमसे यह उम्मीद नहीं थी मनोज। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पाखि को इस तरह परेशान करने की।
मनोज- ओह! तो तुम्हें पता चल गया कि मैं ही था?
मैं- तुम्हे शर्म आनी चाहिए ऐसी हरकत करते हुए। तुम्हें लगा अंधेरे का फायदा उठाऊं?
मनोज- नहीं मेरा ऐसा कोई intense नहीं था। मैं अपने इमोशन्स को रोक नहीं पाया। I'm sorry पाखि। मैं तुमसे प्यार करने लगा हुं पर सब आसपास रहते थे तुम्हारे तो कह नहीं पाया था। आज मैं उस वक्त कहने ही वाला था पर मेरे फ्रेंड ने मुझे खींच लिया था।
देर हो गई और हम पहुंचे नहीं तो रवि भाई ने फोन किया।
रवि भाई- हल्लो पाखि कहां है तु?
मैं- मैं रिद्धि के रूम में हुं।
रवि भाई- कौन सा रूम नंबर है उसका?
मैंने उन्हें रिद्धि का रूम नंबर बताया। पांच मिनट में वो रिद्धि के रुम पर पहुंच गए। दरवाजा पर लोक नहीं था तो वे नोक करके अंदर आए। हमारे साथ मनोज को देखा साथ में मुझे और रिद्धि को गुस्से में।
रवि भाई- क्या बात है? तुम गुस्से में क्यो है?
मैं- भैया मैंने आपसे कहां था न मुझे गर्दन पर किसीने.. वो यही था मनोज।
रविभाई- क्या??
और उन्हें जो गुस्सा आया है। मैंने आज तक उन्हें इतने गुस्से में नहीं देखा। वो सीधे मनोज पर लपके और दो-चार मुक्के लगा दिए। मैंने उन्हें अपनी कसम देकर रोका। और कहा कि मैंने और रिद्धि ने पहले ही इसे थप्पड़ लगाए हैं। मनोज का होंठ मार के कारण थोड़ा फट गया और उसमें से खून निकलने लगा। मुझे थोड़े चक्कर आने लगे। सोचने लगी इन सब को में ही मिली थी। अवि, साकेत और यह रह गया था मनोज। चक्कर कब बेहोशी में बदल गया फिर क्या हुआ पता ही न चला। एन वक्त पर रिद्धि ने संभाला वरना गिर ही जाती। रिद्धि ने अपने सामान में से stethoscope निकाला और रवि भाई को दे दिया, मुझे चेक करने के लिए।
रवि भाई- तु stethoscope साथ रखती है रिद्धि?
रिद्धि- पूरी बेग साथ में हैं। शायद कोई बिमार पड़ जाए तो जल्दी से फर्स्ट एड मिले।
रवि भाई- (मुझे चेक करते हुए) वैसे खास कुछ है नहीं। मानसिक तनाव के कारण ही बेहोश हुई है। पांचेक मिनट में ठीक हो जाएगी।
रिद्धि ने मनोज को गुस्से से घुरा और कहा यह सब तुम्हारे कारण हुआ है। बैठो यहां पर तुम्हारा घाव देख लेती हुं। मनोज का घाव साफ किया और ointment लगा दिया। फिर रिद्धि ने उसे वहां से जाने के लिए कह दिया।
रिद्धि- रवि सर, क्या हम सबको बताए पाखि के बारे में?
उसका इतना ‌बोलते ही अवि का फोन रवि पर आया।
अवि- तुम भाई-बहन की जोड़ी कहा गुम हो गई?
रवि- हम रिद्धि के रूम में है।
अवि- वहां क्या कर रहे हो?
रवि- पाखि ‌को जरा चक्कर आ गए थे तो मैं यहां आ गया।
अवि- रूम नंबर बता।
रवि- टेंशन मत ले ठीक है वह।
अवि- तु रूम नंबर बता।?
रवि- थर्ड फ्लोर पर आजा 302 में।
अवि धीरे से वहां से खिसका जहां सब बैठे थे और रिद्धि के कमरे में आ गया। रूम में पाखि को देख उसे अंदाजा आ गया यह चक्कर की वजह से आंखें बंद नहीं है। टेबल पर रखा stethoscope उठकर पाखि को चेक करने लगा।
रवि- मैंने चेक किया है थकान के कारण बेहोश हुई है। अभी थोड़ी देर में ही होश में आ जाएंगी।
अवि- रवि यह बेहोश है और तुम मुझे inform नहीं कर सकता था?
फिर रिद्धि को देखकर चुप हो गया और पाखि का सर सहलाने लगा। पांच सात मिनट में पाखि को होश आ जाता है। वह रूम में अवि को देखकर असहज हो जाती है।
रवि- तुम ठीक हो?
मैंने हां में सिर हिलाया। रिद्धि ने मेरा ब्लड प्रेशर चेक किया जो अब नोर्मल बता रहा था।
मैंने रिद्धि से कहां- इन्हें (अवि को) बोलो यहां से जाए वरना मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ने में देर नहीं लगेगी।
रवि- वो सिर्फ तुम्हें देखने आया है। मैंने ही बताया था।
मैं- आप के होते हुए मुझे किसी की जरूरत नहीं है। बेहोश होने में इनका भी उतना ही हाथ है जितना मनोज का था।
रिद्धि- अविनाश सर का हाथ? उन्होंने क्या किया?
रवि- कुछ नहीं, बेहोशी का असर है अभी। पूरी तरह ठीक होने दे इसे।
रिद्धि- मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। एक मिनट मम्मी का फोन आ रहा है।
आंटी- कहा है तु? कब से तेरे पापा पूछ रहे हैं तेरे बारे में।
रिद्धि- मम्मा वो भागदौड़ में मेरी कमर दर्द करने लगी थी तो पाखि को लेकर कुछ देर आराम करने आ गई अपने रूम में।
आंटी- ठीक है, अच्छा लगे तो आ जाओ नीचे अभी सब बैठे हैं। और फिर रजत भी अभी यहीं है उसे तो बताकर जा।
रिद्धि- मैं आ ही रही थी कि तुम्हारा फोन आ गया। चलिए फोन रखिए में रास्ते में ही हुं।
रवि- रिद्धि इस बारे में किसी को भी मत बताना, खामखां टेंशन हो जाएगी।
रिद्धि- ठीक है सर। पाखि को आप आराम करवाएं मै नीचे जाकर आती हुं।
पाखि- मैं अपने कमरे में ही आराम करती हुं। मुझे वैसे भी अब नीचे नहीं आना।
रवि- चल मैं तुझे तेरे रूम तक छोड देता हुं।
अवि ने पिछे से रवि के कंधे पर हाथ रखा और इशारे से कहा मैं छोड़ देता हुं। रिद्धि साथ में थी तो मैं भी कुछ आगे नहीं बोल पाई। रवि भाई और रिद्धि नीचे चले गए और अवि मेरे कमरे तक मेरे साथ आए। हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। अवि ने मुझसे रूम की चाबी लेकर रूम खोला और मेरे रूम में आकर दरवाज़ा अंदर से लोक कर दिया।
अवि- अब बताओ तुम बेहोश क्यों हुईं थीं। थकान की वजह से तो नहीं ही हुइ थी इतना तो मुझे पता चलता है।
मैं- मेरे मामलों में दखल मत दीजिए plz। मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी। आप जाइए यहां से , मुझे अकेला छोड़ दे plz।
अवि- कही नहीं जाने वाला में। पहले सच बताओं।
मैं- सच सुनना है? तो सुनिए पहले आप मेरी लाइफ में आए परेशान करने बाद में साकेत और अब ये मनोज ?।
अवि- साकेत और मनोज? इन दोनों को छोड़ूंगा नहीं मैं।
मैं- आप को कुछ करने की जरूरत नहीं है। साकेत को ग़लत फहमी हुई थी जो अब दूर हो गई है। और मनोज को उसका जवाब मिल गया है।
अवि- मैंने पहले ही कहां था वो बंदा ठीक नहीं है पर मेरी कौन सुनता है।
मैं- इतनी सारी लड़कियां हैं यहां। सबको मैं ही मिली? एक बात कान खोलकर सुन लीजिए। मैं किसी से प्यार करना नहीं चाहती समझें।
अवि- पर क्यों? प्यार से परहेज़ क्यों?
मैं- मैंने पहले से ही सोच रखा है, मेरा जीवनसाथी मेरे घरवाले ही ढूंढेंगे। वो जिसे मेरे लिए चुनेंगे उसी से शादी करुंगी।
अवि- तुम्हारी जाति में शादी करवाएंगे?
मैं- मेरे घर में जात-पात को तवज्जो नहीं दी जाती।
अवि- तो मुझमें क्या प्रोब्लेम है?
मैं- आप में कोई प्रोब्लेम नहीं है, आप अच्छे हीं है।
अवि- तो तुम भी मुझे पसंद करती हो?
मैं- मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहां। हां , चाहे तो आप अपने मम्मी पापा से कहकर रिश्ता भिजवा सकते हैं। अगर मेरे घरवाले आपको पसंद करेंगे तभी मैं हां कहुंगी।
अवि- तुम्हारे घरवाले मुझे कभी ना नहीं कहेंगे। मैं हुं ही इतना स्मार्ट।?
मैं- रहने दीजिए। मेरे घरवालों को कम मत आंकना। मेरे एटीट्यूड से आपको उनका स्वभाव भी पता चल जाना चाहिए।
अवि मुझे अपनी तरफ खींच कर कहते हैं,- शादी तों मैं तेरे साथ ही करुंगा वो भी लव मैरिज।
मैं- जो मैं कभी करुंगी नहीं। किसी वहम में मत रहिएगा। और यह क्या बार बार मुझे खींचते रहते हैं, छोड़िए मुझे।
अवि- छोड़ने से पहले क्या करता हुं यह भी पता है तुम्हें।
यह कहते ही पाखि के होंठ सिल जाते है। जब अवि पाखि को छोडता है तो उसके चहरे पर मुस्कान है और पाखि के चहरे पर गुस्सा। अवि जब उसे छोड़ जाने लगता है तो पाखि पास में पड़े पर्स को अवि की ओर फेंकती है और गुस्से से कहती है,- मार डालूंगी में आपको।?
अवि शरारत से वह पर्स को catch करता है और उसे चूमके वापस पाखि की ओर उछालता है।
मैं- यह सुधरने वाले नहीं हैं। अगर निशु को पता चला तो क्या सोचेगी मेरे बारे में और अंकल-आंटी जो मुझे अपनी बेटी की तरह मानते हैं वह क्या सोचेंगे। नहीं नहीं मैं ऐसा होने ही नहीं दूंगी। अब रवि भाई को बताने का वक्त आ गया है। वरना इनकी हिम्मत बढ़ती जाएगी। कल ही में भैया से बात करती हुं। अभी मुझे मेरा करियर बनाना है इन सब चीजों का टाइम नहीं है मेरे पास।
पाखि सोने से पहले अपने घर फोन करके बात करती है और बाद में फ्रेश होकर बिस्तर के हवाले हो जाती है। कल सुबह snow view भी देखने जाना है तो अलार्म लगा के सो जाती है।

क्रमशः


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