मत कर इतना घमंड , ऐ तू ना-समझ इंसानतेरा घमंड ही एक दिन तुझे हरायेगा ।
मेरा बारे में तू सोचना छोड़ दे
मैं क्या हूँ , ये तुझे वक़्त बतायेगा ।।
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तू कितना भी कमाले , धन-दौलत
ये सब काम तेरे ना आयेगा ।
जैसा तू धरती पर आया है
वैसा ही धरती से जायेगा ।।
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किसे दिखा रहा है तू घमंड इस दौलत का
तेरा ये घमंड तेरे कुछ काम नही आयेगा ।
जिस दिन नज़र घुमाई परमात्मा ने
उस दिन तेरा ये घमंड चूर-चूर हो जायेगा ।।
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तेरी किस्मत में वही होगा
जो तू मेहनत करके लायेगा ।
मेहनत करेगा तू जितनी ज़्यादा
उतना ही मज़ा तुझे आयेगा ।।
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छोड़ दे करना , इन छोटे कर्मो को
नही तो बहुत पछतायेगा ।
सोच लिया जिस दिन तूने कुछ बड़ा करने का
सचमुच तू उस दिन कुछ बन जायेगा ।।
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मैने तो बहुत कुछ कर लिया अपने लिए
तू सोच, तू अपने लिए क्या कर पायेगा ।
इस घमंड को अपने आगे रख-कर
तू किस-किस से जीत पायेगा ।।
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सोच कर तो देख ऐ ग़ालिब
तू ज़िन्दगी में क्या कर पायेगा ।
भाग्य के भरोसे मत रह तू
वो खुद तुझसे मेहनत करवायेगा ।।
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कब तक दिखाता रहेगा , अपने शरीर की ताक़त
ये शरीर ज़्यादा समय तक तेरा नही रह पायेगा ।
कर ले तू अपने शरीर पर लाखो-करोड़ों ख़र्च
एक दिन तेरा ये पूरा शरीर मिटटी बन जायेगा ।।
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इस स्वाभाव को छोड़ दे काफ़िर
किस-किस को गुस्सा दिखायेगा ।
गुस्सा ही तेरे जीवन का अन्त करेगा
और फिर तू बड़ा पछतायेगा ।।
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दिलो से रिश्ता निभाता रह बस तू
एक दिन सभी को तू अपना पायेगा ।
घमंड ज़रा भी आया रिश्तों के बीच
तो फिर कोई भी तेरा नही हो पायेगा ।।
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मुश्क़िलों का सामना करके
जिस दिन तू दौलत कमायेगा ।
वो दौलत तेरी खुद की होगी
और तू ये खुशी-खुशी सबको बतायेगा ।।
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लगा रह सभी को खुश करने में
तुझे ईश्वर स्वयं खुश कर जायेगा ।
दुआ देंगे वो सभी तुझको
और करेंगे पूजा तेरी , जब तू मर जायेगा ।।
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जिस दिन छोड़-कर अपनी की परवाह
तू दूसरो के लिए कुछ बड़ा कर जायेगा ।
तू खुद उस दिन बहुत खुश होगा
और बहुत महान इंसान बन जायेगा ।।
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इतना तुझे समझाया है
शायद अब तू कुछ कर पायेगा ।
अगर अब भी तुझे समझ नही आया
तो फिर वक़्त ही तुझे समझायेगा ।।
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बहस करने से , घमंड करने से
ना जाने किस-किस को तू सतायेगा ।
दूसरो के लिए जीना सीख ले
फिर ये सारा संसार मसीहा तुझे बतायेगा ।।
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तूने भी ये कभी सोचा ना होगा कि
तुझे कभी कोई इतनी अच्छी बातें बतायेगा ।
शुक्रिया-अदा कर मेरे भाई मन्दीप का
जो दूसरो के लिए कुछ भी कर जायेगा ।।
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मैं भी नही जानता था कि
मन्दीप इसके लिए इतनी अच्छी लाइन बतायेगा ।
मुझे उम्मीद नही थी, मैं ये कविता पूरी कर सकूंगा
तब मन्दीप भाई ने ही मुझसे कहा-' नही मंजीत, ये तो बस तू ही कर पायेगा ।।
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ये मंजीत , ये मन्दीप कौन हैं
ये सब सोचने पर तू विवश हो जायेगा ।
हमारे बारे में इतना भी सोचने की ज़रूरत नही
हम कौन है , ये भी तुझे वक़्त बतायेगा ।।
मंजीत सिंह गौहर