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विदाउट यू (WITHOUT YOU))

यार ! मयंक यह हमारे देश में क्या हो रहा है ? देश में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ कैसी दरिंदिगी हो रही हैं। मेरा तो मन कर रहा है जान से मार दूँ। खून खौल रहा है क्या। पुलवामा में जो देश के जवानों केे साथ हुआ मुझे तो सारी रात नींद नहीं आई।" क्या कर सकते है यार! यह देश अब रहने लायक नहीं रहा। मैं तो बस अपनी इंजीनियर की पढ़ाई खत्म करके नौकरी के लिए विदेश जाकर रहने वाला हूँ। तुझे तो पता ही है मेरे चाचाजी भी वहीं रहते हैं। अब तो बस परीक्षा का इंतज़ार है।" "क्या मयंक तुझे क्या अपने देश से कोई लगाव नहीं है ? हमेशा देश छोड़ने की बात करता है। तू तो कॉलेज का टॉपर है । जब पूरा बचपन और जवानी इस देश की सेवा में लगा दी और अब देश को लौटाने का समय आया तो किसी पराये देश की चाकरी करो ।" साहिल ने चिढ़ते हुए कहा। "साहिल मैं तेरी तरह नहीं सोच सकता देश सेवा में जीवन नहीं गुज़ार सकता।" "लो निशि भी आ गयी" साहिल ने कहा।"


निशि तुम बताओ क्या पढ़ाई कर हमें अपने देश को छोड़कर विदेश में रहना सही है? क्या हमें अपनी पढ़ाई का लाभ देश को नहीं पहुँचाना चाहिए ? जब वो इंजीनियर आंतकवादी बन सकते है तो क्या हम इंजीनियर देश से आतंक ख़त्म नहीं कर सकते?" साहिल ने कहा। "मैं तो खुद बाहर ही सेटल होना चाहती हूँ । देख नहीं रही इंडिया में लड़किया बिलकुल भी सेफ नहीं है।" निशि उदास होकर बोली। "तो क्राइम किस देश में नहीं है क्या वहाँ रेप, बलात्कार, चोरी, छीना झपटी नहीं होती ? साहिल गुस्से से बोली। "जो भी है, क्लास के लिए देर हो रही है। चलो मयंक बाद में इस टॉपिक पर बात करेंगे।" कहकर निशि चली गई।


"बेटा कितना पढ़ेगा चल सो जा और कितना पढ़ेगा ?" "बस माँ कुछ ही दिन रह गए परीक्षा शुरू होने में फ़िर तो तो सोना ही सोना है। बस थोड़ा सा और पढ़ लेता हूँ।" मयंक ने कहा । "ठीक हैं पर सो लेना" कहकर माँ चली गई। "मयंक की माँ दरवाज़ा खोलो जल्दी खोलो ।" "यह तो निशि की मम्मी है ।" मयंक भागता हुआ दरवाज़ा खोलने गया। "क्या हुआ आंटी सब ठीक है न ? "अरे! मयंक !मयंक! निशि दोपहर को कोचिंग लेने गयी थी अभी तक घर नहीं लौटी "आंटी रोते हुए बता रही थी। क्या मयंक सुनकर बेहोश होते- होते बचा । घर के लोग भी जाग चुके थे। "आप अंदर आईये बहनजी" मयंक की माँ सरिता ने कहा । "मैं अभी जाकर दोस्तों से पूछता हूँ आप परेशान मत होइए ।" मयंक कहकर बाहर जाने को हुआ। "अरे ! बेटा सबसे पूछा पुलिस के पास भी गए. कोचिंग भी गए और पुलिस के पास भी गए वो कह रहे है अभी २४ घंटे तक इंतज़ार करो"। निशि की मम्मी बताते हुए लगातार रोते जा रही थी ।


"इंतज़ार करेंगे पागल है पुलिसवाले मैं पता लगाता हूँ निशि का ।" मयंक भागता हुआ साहिल के पास पंहुचा साहिल भी मयंक के साथ निशि और अपने सभी दोस्तों के पास गया पर निशि का पता नहीं चला । सारे मोहल्ले में बात फैल चुकी थी । सब अपनी-अपनी तरह से निशि का पता लगा रहे थे। पर कुछ पता नहीं चला पुलिस भी अब निशि को ढूंढ़ने लग गयी थी । "साहिल निशि को कुछ हो गया तो भाई मैं भी नहीं बचूँगा" मयंक रोते हुए साहिल के गले लग गया । यार ! "मुझे नहीं पता था कि तू उससे इतना प्यार करता है हम तो तुम दोनों को दोस्त ही समझते थे ।" साहिल ने मयंक को सँभालते हुए पूछा । "हाँ यार! दोस्त ही है। मैंने सोचा था कि परीक्षा के बाद मैं निशि को अपने दिल की बात बताऊंगा दोनों भविष्य में अमेरिका में सेटल हो जायेंगे। लाइफ कितनी हसीं हो जाती पर यह सब" मयंक ने आँसू पोंछते हुए कहा। "यार! घबरा मत हम निशि को ढूँढ निकालेंगे बस थोड़ा होंसला रख । हम सब दोस्त निशि की फोटो मिसिंग पीपल में अपलोड करेंगे सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स और उसके बड़े-बड़े पोस्टर लगवाकर सभी मेट्रो रेलवे स्टेशन हर जगह लगाएंगे निशि मिल जाएंगी ।"


अगले दिन यह सब दोस्तों ने टेक्नोलॉजी का सद्पयोग करके निशि को ढूँढ़ने लग गए । वही मयंक के दिमाग में कुछ और चल रहा था । उसने अपने चाचाजी को अमेरिका कॉल करके उनके रिसर्च के सारे नोट्स मेल के ज़रिये मंगा लिए और न जाने किस खोज में लग गया । निशि को गुम हुए तीन दिन बीत चुके थे । तभी मयंक को अपनी खोज सफल होती नज़र आई। उसने निशि का मोबाइल नंबर अपने सिस्टम पर डाला और उसे लगा वह निशि का पता लगा लेगा । निशि का मोबाइल कोचिंग के बाहर से बन्द आ रहा था । बंद नंबर से जगह का पता नहीं लगाया जा सकता। वही मयंक ज़ोर से चिल्लाया उसकी खोज का पहला प्रयास असफ़ल हो गया। "मैं निशि को कुछ नहीं होने दूंगा वो अख़बार की एक ख़बर बनकर नहीं रह जायेंगी। दामिनी को भी उसका दोस्त उन भेड़ियो से बचा नहीं पाया था । लेकिन मैं निशि को कुछ नहीं होने दूँगा ।" मयंक बार-बार खुद को यह बात बता रहा था । तभी उसका बनाया यंत्र काम करने लगा और धीरे-धीरे एक जगह जो दिल्ली से बाहर किसी उत्तर प्रदेश के गाँव में थी। उसके बारे में बताने लगा ।


निशि मिल गयी! निशि मिल गयी चार दिन से सोया नहीं मयंक बेतहाशा भागता हुआ पुलिस को खींचता हुआ वही पहुंचा । जहाँ 200 से ज्यादा बच्चे और जवान लड़कियाँ कैद थीं । वह इस भीड़ में अपनी निशि को ढूँढ़ता लगा । 'निशि!' वह ज़ोर से चिल्लाया। तभी एक लड़की भागती हुई मयंक के गले लग गई । तुमने मुझे ढूँढ लिया मयंक मुझे लगा मैं कभी भी तुमसे, अपने मम्मी पापा से नहीं मिल पाओगी । कुछ दिन और देर हो जाती तो ये लोग हमें बेच देते। " रोते हुए निशि बोले जा रही थी। "निशि मैं तुम्हें कभी कुछ नहीं होने दूँगा।" यह कहकर उसने निशि को कसकर गले लगा लिया। सभी अपराधी पकड़े गए और एक मानव तस्करी का खतरनाक़ गिरोह पकड़ा गया ।


आज मयंक को राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिला। हर अख़बार, मीडिया, चैनल हर जगह उसकी तारीफ़ हो थी । मंच पर मयंक बुलाया गया। "आज मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं क्या कहो। किसी ने सही कहा है कि 'जाके पाव फटे न बिवाई ओ क्या जाने पीड़ पराई।' । । । आज मेरे किसी अपने को चोट लगी तब जाकर मुझे समझ में आया कि अपने को खोने का क्या दर्द होता है । मैंने एक निशि को नहीं बल्कि कितनी ही निशि बचाया है ।" अब मेरे द्वारा बनाया गया यह बटन रूपी यंत्र सभी देश की बहने अपने साथ लेकर चल सकती है खतरा आने पर बटन दबाते ही पाँच मिनट में पुलिस की स्पेशल स्क़ॉड की टीम आप तक पहुँच जाएँगी । और बंद नंबर की जगह पता लगाई जा सकेंगे। हमारे देश के वीर जवान भी अपनी वर्दी के साथ इसे लगाए और आने वाले खतरे को भाँपकर दुश्मन का ख़ात्मा कर सकें । मैं भी अब पुलिस की स्पेशल स्क्वॉड टीम मैं इंजीनियर के पद पर कार्य कर अपने देश भारत को सुरक्षित बनाने का कार्य करूँगा। इस बटन का नाम है विदाउट यू (WITHOUT YOU)"। तालियों से पूरा हॉल गूंज उठा । पूरा देश और ख़ासतौर से उन लापता बच्चो और बेटियों के माता-पिता उसे दुआएँ दे रहे थें। उसकी माँ ने उसे गले लगा लिया मयंक!मयंक!


"मयंक ! मयंक! मयंक उठ जा 10 बज चुके है। बेटा! उठ उठ तू तो कुर्सी पर ही सो गया । कब तक सोया रहेगा मेरे लाल"। माँ मयंक ने हड़बड़ी से आँखें खोली और बोला" माँ आप? "हां! और कौन नीचे निशि कुछ नोट्स लेने के लिए तेरा इंतज़ार कर रही है।" "उठ जा! निशि निशि नीचे हैं यानि वो ठीक है। वह नीचे गया और देखा तो निशि उसके पापा से बात कर रही थी। "यानि मैं सपना देख रहा था ऐसा कुछ नहीं हुआ"। मयंक बड़बड़ाते हुए बोला। "निशि मयंक मुझे कुछ स्टडी मटेरियल चाहिए। " निशि ने कहा। "अभी 10 मिनट में आ रहा हूँ । तुम बैठो ।" मयंक आँख मलता हुआ चला गया।


"थैंक्यू मयंक तुम्हारे नोट्स तो हमेशा हेल्प करते है। और बताओ आगे का प्लान क्या है। अब तो बस हमें देश के बाहर अच्छी सी जॉब मिल जाएं । और बस फिर तो लाइफ सेट क्यों ?" "मैं सोच रहा था निशि बाहर भी चले जायेंगे पहले कुछ देश में रहकर देश के लिए कुछ कर लिया जाए।" क्या मतलब" ? निशि ने पूछा। "मैं सोच रहा हूँ हमारे देश की लड़कियाँ और देश के जवान बिलकुल सुरक्षित नहीं है । "मैं कुछ ऐसा यंत्र रूपी बटन आई मीन डिवाइस बनाना चाहता हूँ जिसे इनके परिवार वाले इन्हे खोने के डर में न जिए । कम से कम कोशिश तो कर ही सकता हूँ "। "अच्छा तुम सेंटी हो रहे हो" निशि ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा। जिन्हे मोहब्बत हो जाती है फिर वो अक्सर ऐसी ही बात करते हैं । "कौन है वो ख़ुशनसीब लड़की? निशि थोड़ा गंभीर होकर बोली बताऊँगा बस थोड़ा इंतज़ार करो ।" मयंक ने मुस्कराते हुए कहा । निशि उसकी मुस्कान को समझ चुकी थी। थोड़ा शरमाते हुए और बात को बदलते हुए बोली "नाम क्या रखोंगे उसका ?" "उसका किसका "? "उसी बटन का"। विदाउट यू (WITHOUT YOU)) मयंक निशि की आँखों में देखते हुए बोला ।

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