निकल जाओ रूपा। देवराज इंद्र ने रूपा अप्सरा को श्राप देते हुए कहा। तुम्हारा मन स्वर्ग के कार्यों में नहीं लगता। जाओ आज से तुम पृथ्वी लोक में रहोगी।
देवराज इंद्र मुझे क्षमा कर दीजिए। रूपा ने अनुुुनय करते हुए कहा। इंद्लेेे थोड़ा पसीजे। बोले ठीक है लेकिन 1000 वर्षों तक तुम पृथ्वी पर ही रहोगी ।रूपा ने राहत की सांस ली।
रूपा स्वर्ग लोक की रूपवती, गर्वोन्मत, विदुषी अप्सरा थी। क्षणभर में ही वो पृथ्वी वासियों जैसे कपड़ों में पृथ्वी के सुजानपुर गांव में थी।
गांव के ठाकुर रणवीर अपनी जीप में वहां से गुजर रहे थे। वे रूपा से बोले तुम कौन हो और यहां क्या कर रही हो ? रूपा बोली मैं रूपा हूं। मुझे काम की तलाश है। मेरे मां-बाप, भाई-बहन कोई नहीं है।
ठाकुर बोले तुम क्या-क्या कार्य जानती हो ? रूपा बोली मैंने गणित से एम.एससी. किया है। इसके अलावा में घर के सभी कार्यों में निपुण हूं।
ठाकुर बोले ठीक है मैं तुम्हें अपना पीए नियुक्त करता हूं और तुम्हारी सैलरी ₹500000 प्रतिमाह होगी। रहना-खाना हमारे साथ ही होगा।
रणवीर का चरित्र चंद्रमा व सूर्य की तरह निर्मल व सबल था।
ठाकुर रणवीर ने रूपा को अपना पीए नियुक्त किया। साथ ही रूपा को गांव में घूम-घूम कर सभी लोगों के कष्टों के बारे में जानकार एक रिपोर्ट बनाने को कहा गया।
रूपा ने पाया कि गांव के कुछ लोग बेहद अमीर हैं, कुछ साधारण हैं तो कुछ बेहद गरीब। खेतों में पानी की कमी है। रोजगार कम हैं। गांव के अधिकांश मकान टूटे-फूटे हैं। हफ्ते भर में ही यह रिपोर्ट रणबीर को सौंपी गई।
रणवीर एक स्वस्थ, स्फूर्तिवान व जुझारू व्यक्ति था। वह इन सब समस्याओं का समाधान शीघ्र करना चाहता था। अब धन की कमी आड़े आ रही थी।
रूपा दिव्य दृष्टि की स्वामिनी थी। उसकी दृष्टि ने भांप लिया कि रणवीर की पुश्तैनी हवेली में सात गुप्त धन से भरे तहखाने हैं। जिन पर नाग देवताओं का पहरा है।
रूपा ने अपनी दिव्य दृष्टि से से रणवीर को सपने में यह जानकारी दी। रणबीर ने जागते ही नाग पूजा करवाई और स्वप्न में देखी जगहों पर खुदाई शुरू करवाई। सातों तहखानों में अकूत धन मिला। रणवीर ने सबसे पहले अपनी हवेली की मरम्मत, रंग रोगन व सौंदर्यीकरण करवाया। फिर गांव के मकानों की मरम्मत, रंग रोगन करवाया। अब रणवीर का गांव स्वर्ग से सुंदर दिखाई देने लगा। फिर गांव के खेतों की चकबंदी करवाई। सिंचाई के लिए नहर खुदाई नहर खुदवाई। आवारा पशुओं को बधिया किया। खेती और पशुपालन में उन्नत बीजों व उन्नत तकनीकों का प्रयोग किया। गांव वालों को उचित मात्रा में धन अपनी तरफ से प्रदान किया और सब का ऋण माफ कर दिया। बंदरों, सुअरों आदि जंगली पशुओं व आवारा कुत्तों का उचित समाधान कर दिया।
अब ठाकुर रणवीर का गांव विश्व के उन्नतशील व विशिष्ठ गांवों की लिस्ट में आ गया।
गांव के लिए एक उचित कोष की व्यवस्था की जो एक बैंक के रूप में बिना ब्याज लिए गांव वालों की मदद करे।
इस सब में रणवीर को तहखाने से मिले धन का 10% ही खर्च करना पड़ा। अन्य 10% धन को उसने उद्योग-धंधों में लगवा दिया।
बाकी 80% धन को उचित रूप में रणबीर ने एक बड़े आधुनिक तहखाने में सुरक्षित रखवा दिया।