वीकेंड चिट्ठियाँ - 13 Divya Prakash Dubey द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

वीकेंड चिट्ठियाँ - 13

वीकेंड चिट्ठियाँ

दिव्य प्रकाश दुबे

(13)

चिट्ठियाँ लिखने का एक फ़ायदा ये है कि आपको लौट कर बहुत सी चिट्ठियाँ वापिस मिल जाती हैं। इधर एक चिट्ठी ऐसी आई जिसमें किसी ने मुझसे पूछा कि मान लीजिये आज आपका इस दुनिया में आखिरी दिन है और आपके पास कोई 20 साल का लड़का कहानी लिखना सीखने के लिए आए। आपकी हालत ऐसी नहीं हैं आप बोल पाएँ। तब आप उसको अपनी आखिरी चिट्ठी में क्या लिखकर देंगे।

शुरू में तो मैंने टाल दिया क्यूंकि अभी तक मैंने कोई इतना नहीं लिख दिया है कि किसी को भी कोई राय या टिप्स दे पाऊँ। लेकिन मुझे मरना-वरना शुरू से बड़ा fascinate करता है। तो सोच लिया एक दिन कि आज आखिरी दिन है और लिखा डाली चिट्ठी।

तो बरखुरदार तुम कहानी लिखना चाहते हो।

  • इस बात के लिए तैयार रहो कि तुम्हारे आस पास वाले तुम्हें या तो बुरा मानेंगे या बहुत बुरा। हाँ बस पढ़ने वाले तुम्हें अच्छा माने वो भी बड़े ‘शायद’ के साथ।
  • जिंदगी भर बीमार रहने के लिए तैयार हो जाओ। नहीं डरो मत लिखना ऐसी बीमारी है जिसका इलाज़ भी लिखना है।
  • दलित ‘विमर्श’, स्त्री ‘विमर्श’, मार्क्स’वाद’ ये वाद वो वाद etc टाइप किसी भी विमर्श या विचारधारा को ‘समझना’ जरूर लेकिन इनके चक्कर में मत पड़ना। ज़िन्दगी ‘वाद’ और विमर्श से आगे की कोई बात है।
  • बार बार प्यार में पड़ना, बिना प्यार में पड़े लिखा ही नहीं जा सकता। जिसके भी बारे में लिखना बच्चे से लेकर बूढ़े तक, बच्ची से लेकर बूढ़ी तक सबके प्यार में पड़कर ही लिखना। बच्चे के बारे में लिखना तो लिखते हुए बच्चा ही हो जाना।
  • कोशिश करना कि रोज़ जैसे सोते, उठते, बैठते, नहाते, धोते हो वैसे ही रोज़ लिखना। अगर तुम केवल अच्छे मूड में ही लिख पाते हो तो दोस्त ऐसी लिखाई करके अपने आप को धोखा मत देना।
  • ट्रेन में, फ्लाइट में, बस में, होटल में लिफ्ट में जाते हुए हैड फोन लगाकर गाना सुनने का नाटक करना लेकिन दूसरों की बातें सुनना। असली डाइलॉग कागज़ पर नहीं दुनिया में मिलते हैं।
  • किसी भी पुरस्कार के लिए अप्लाई मत करना। कम से कम हिन्दी के करीब करीब सारे पुरस्कार फ़्राड हैं।
  • कम से कम एक बार शादी जरूर करना, कम से कम एक बार किसी के साथ बिना शादी के रहना। कम से कम एक बच्चे को जरूर बड़ा होते हुए देखना।
  • जब कभी तुम्हें लगे कि तुम बहुत कुछ पा गए हो उस दिन शमशान पर जाकर लाश को जलते हुए देखना।
  • जब लिखने बैठना तो ये सोचकर लिखना कि ये तुम्हारी लिखी हुई आखिरी चीज होने वाली है
  • आखिरी बात मेरे जैसे किसी भी चिट्ठी लिखने वाले की बात के भरोसे बैठ के कहानी लिखने का मत सोचना। अपने रास्ते खुद ढूँढना। जो तुम्हें रस्ता बताए उसका भरोसा मत करना। उम्मीद है तुम अपने हिस्से का भटक सकोगे क्यूंकि जिन्दगी की मंजिल भटकना है कहीं पहुँचना नहीं।

    प्यार, दिव्य प्रकाश

    Contest

    Answer this question on info@matrubharti.com and get a chance to win "October Junction by Divya Prakash Dubey"

    दिव्य प्रकाश दुबे की वेबसाइट का एड्रेस क्या है ? –