हाई...! घमंडी...
क्या लिखूं? कुछ समझ नहीं आ रहा है। कहना तो बहुत कुछ चाहता हूं। लेकिन क्या कहूं? कहा से शुरू करूं? कुछ सूझता नहीं है। डरता हूं कहीं फिर से तुम नाराज़ नहीं हो जाओ।
कल आपकी दोस्त अंजलि मिली थी। उसने बताया आप अभी भी मुझे बहुत मिस कर रही हो। अच्छा लगा सुनकर की आप मुझे अभी भी मिस के रही हो। लेकिन मैं आपको मिस नहीं करता। अब मेरा पत्र पाकर ये मत समझ लेना कि मैं भी आपको मिस करता हूं। नहीं बिल्कुल नहीं, बिल्कुल मिस नहीं करता। हम्म...
इतना लिखकर अंकित ने गहरी सांस ली और इधर उधर देखने लगा। कुछ देर रुका और फिर बैंच कि दराज की तरफ हाथ बढ़ाकर दराज खोली और दराज में रखी डायरी को निकाला और डायरी में रखी सरिता की फोटो को निकालकर निहारने लगा और ऐसे ही निहारते निहारते अंकित ने सिर कुर्सी पर टिका दिया था। और ओझल सी आंखो को बंद करके पुरानी यादों को ताजा करने लगा।
आपको याद है हम सबसे पहले कहा मिले थे। हम्म... ऊ... चलो छोड़ो अब ज्यादा मत सोचो क्योंकि आपको याद नहीं होगा। लेकिन मुझे याद है तो अब मैं नहीं बता देता हूं। बात उस समय की है जब हम पांचवीं में पढ़ रहे थे। शायद मैं आपको अच्छी तरह से जानता तक नहीं था। वह फागुन मास का महीना चल रहा था। आपके पड़ोसी लड़के आपके घर के पीछे होली का रोपण कर रहे थे। जो मेरे बचपन के कुछ खास दोस्त हुआ करते थे। और मैं उसी दिन आपके मोहले में आया था। इतना तो याद नहीं। फिर भी शायद वह मेरे लिए आपके मोहले कि पहली होली थी। मैंने आपको उस दिन पहली बार देखा था और बस देखता ही रह गया। आप थी भी इतनी खूबसूरत की मै तो क्या, हर कोई आपको बस देखता ही रह जाता। आपको याद होगा वह ढलती हुई सांझ जब आप अपनी छोटी बहिन के साथ होली के पास घर के पीछे की खिड़की से निकलकर आयी थी। और मैंने बिना जान पहचान के ही आपको अंग्रेजी में बोल दिया -
हाई क्युटी... हां.. हां... ह्म्म...???
और आपने मेरे सामने देखकर तीखे स्वर में बोली- क्या बोला? वापस बोल। और... और मैं बोला ओय छोरी मेरे से दोस्ती करोंगी। और मेरे सारे दोस्त हस पड़े थे। और ये सुनकर आप भी अपनी शरारती नाक सिकोंडती हुई पहले तो मुस्कुराई फिर अगले ही पल नाराज़ होकर गालियां देती हुई वहां से निकल पड़ी। सच कहूं तो उस दिन मुझे सिर्फ आपकी एक गाली समझ आयी थी। "आवारा सुना छोरा" बाकी क्या अनाफ- सनाफ बोली कुछ समझ नहीं आया था। हं.. हां..??? उस दिन के बाद जब भी आपको देखता हूं तो सबसे पहले वहीं बात याद आती है "आवारा सुना छोरा" ह्मम्...??
उस दिन के बाद तो मैं हर रोज आपके घर की तरफ चक्कर करने लगा। वैसे आप भी कम नहीं थी हर रोज घर के बाहर खड़ी रहती थी। मेरे इंतजार में और फिर मुझे देखकर वो आपका मंद मंद मुस्काना आज भी मेरी आंखो में फिल्मी दर्श्य की तरह स्मृति बनकर दिखाई देता है। मेरी हिम्मत तो नहीं होती थी आपसे फिर से बात करने की लेकिन हर रोज आपको देखकर मुस्कुरा देता था।
सच कहूं तो आज भी जब उदास मन में रहता हूं तो आपकी वह क्यूट सी प्यारी सी शरारती मुस्कान मेरे उदास मन को हरित के जाती है। मैं नहीं जानता दूसरो के लिए आप कितना महत्व रखती हो लेकिन मेरे आज भी जटिल से जटिल समस्या को आसानी से सरल लेने का राज आपकी वह बचपन की मुस्कान हैं। आपको याद होगा जब पप्पू की शादी थी तो फिर एक बार आपको करीब से देखने और मिलने। का मोका मिला। पप्पू... आपके ताऊ का लड़का अब उनका वास्तविक नाम तो मैं नहीं जानता क्योंकि बचपन से आज तक उनको पप्पू भया ही बोलते आए। आपको याद होगा उस समय फिर अपने ही अपना हाथ बढ़ते हुए हमें दोस्ती करने का प्रस्ताव दिया था। और... और मैंने जट से बिना कोई देर किये हाथ मिलाते हुए आपके उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। ह... ह्न्न...
मेरे तो दिल की इच्छा ही यही थी और आखिरकार आपने ही मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया ओर इस क़दर हमारी जरा जरा सी दोस्ती हुई थी और धीरे धीरे कब ये अटूट प्रेमभरी दस्ता का रूप ले लिया कुछ पता भी नहीं चला। वार- त्यौहार, शादी - ब्यह तो एक बहाना था वास्तव में तो हम एक दूसरे से मिलने के लिए आते थे। जिस फंक्शन में आप नहीं दिखती थी वहां मेरा मन भी नहीं लगता और वहां से मैं घर लौट आया करता था। ह... ह्म..
अब उस समय मोबाइल फोन भी तो नहीं था जो पहले से सूचना देकर मिलने आते । बस एक अंदाजा होता था घर से बाहर निकलने का और अंदाजे के साथ मिलने आ जाए करते थे। बचपन मेरे बहुत कम दोस्त थे लेकिन जितने भी बहुत अच्छे थे। बचपन दोस्ती एक निस्वार्थ निः छल और एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण की दोस्ती थी।
चलो छोड़ो बहुत हो गई बचपन की बातें।
वैसे बहुत सी ऐसी बचपन की बाते है जो शायद आपको याद नहीं होगी लेकिन आज भी मेरी यादों में बचपन जिंदा है।
अरे हां आपको याद है जब हम आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे और मुझे उस समय गांव के स्टेडियम में होने वाली स्वतंत्रता दिवस की परेड के लिए लीडर नियुक्त किया था। आप भी अपनी स्कूल परेड में आया करती थी। हमारे परेड पी. टी. सर ने 14 अगस्त रक्षाबंधन के दिन हमें परेड प्रेक्टिस के लिए बुलाया था। लेकिन दिन सर को आने थोड़ी सी दर गई। कुछ देर तो हम सभी सर के इंतजार में खड़े रहे। फिर अपने अपने घर की तरफ रवाना हुए तो बारिश शुरू हो गईं और हम सभी बारिश से बचने के लिए स्टेडियम की छत के नीचे जा पहुंचे और आप उस बारिश की बौछार में भीगने का लुप्त रही थी। बचपन की वो एक अजीब सी आजादी थी। कुछ भी करो कोई रोक टोक नहीं थी। लेकिन शायद उस दिन आप भूखे पेट अाई थी। और उस रोज सर तो समय पर नहीं आयें लेकिन आपको चक्कर जरूर आ गया था। ह..ह..??? और आप बेहोश होकर गिर पड़ी थी। मैं स्टेडियम की सीढ़ियों से भागकर आप तक पहुंचता उससे पहले आपके पास लड़कियों की भीड़ इक्कठी हो गई और मैं आपकी तरफ तेज रफ्तार से बढ़ते हुए कदमों को रोक दिया था। पता नहीं आपके स्कूल के एक मेम कोन थे जो आपको अपने टू- विल्हर पर बिठाया और स्कूल की तरफ निकल पड़े। आगे मेम बीच आप और पीछे आपकी दोस्त आपको पकड़ कर बैठी थी। आपके निकलने के बाद मैंने भी अपने परेड साथियों को यह कहते हुए रवाना दिया कि सर अपने बहिन। से राखी बंधवाने में व्यस्त हो गए चलो अब हम भी लौट चलते है। कल सुबह जल्दी यहां उपस्थित होना है। और कुछ ही देर में सारा स्टेडियम रानीवाड़ा की वृक्षहीन उच्च भूमि की तरह बिल्कुल खाली सा हो गया था। और इस गलती के लिए मुझे बहुत सारा सुनना भी पड़ा। और हमारा ये सफ़र यूहीं १२ वीं तक जारी रहा। १२ वीं परिणाम के समय तो मैने हद ही कर दी बिना बताए अचानक आपके घर तक आ पहुंचा। यह जानने के लिए की आपका परिणाम किया रहा। और घर के बाहर खड़ी आपकी मां ने बताया की आप पास हो गई। फिर आगे आपके प्रतिशत पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुई। और बाहर से ही मैं खुश होकर लौट आया आपसे मिलना तो चाहा लेकिन फिर चला आया। मैं नहीं जानता कि ये सारी बाते आज आपको क्यों बता रहा हूं। लेकिन आज के बाद शायद हमारी मुलाकात फिर कभी नहीं होने वाली है इसीलिए बता रहा हूं। ऐसी बहुत सारी बाते है जो शायद आपको याद नहीं होगी लेकिन आज भी मेरी डायरी में आपके और मेरे बचपन से जुड़े वो यादगार लम्हे कैद है जो शायद हम अब चाहकर भी वापस नहीं ले आ सकते। अगर आप से पहले मर गया तो आपको जरूर मोका मिलेगा। मेरी डायरी पढ़ने का। ह..ह..??? ह्म्म।
अब आप मेरे जल्दी मरने की दुआ मत करना। क्योंकि अभी तो बहुत सारी जिममेदारियां है जो पूरी करनी है और कुछ सपने भी।
हमें पता है कि आप हमसे बहुत नाराज़ है क्योकि एक साल हो गया ना आपसे मिले।
क्या करे १२ वीं के बाद शहर चला गया और वहां जाकर फिर कॉलेज की पढ़ाई और पार्ट टाइम जॉब करना। पढ़ाई और कमाने के चक्कर में आपसे मिलना तो हुआ भी नहीं तो आपका नाराज़ होना तो लाजमी है। लेकिन जब आपकी शादी की बात सुनी तो साला शहर ही छूट गया। ह...हा..?? पता नहीं क्या हुआ कि आज तक वापिस शहर की तरफ नहीं लौट पाया। अब तो जेब भी पूरी तरह खाली हो गई। ह... ह..??
मुझे पता है आप किया सोच रही होगी लेकिन सच बता रहा हूं शहर में रहा था लेकिन किसी भी लड़की के साथ सम्बन्ध या दोस्ती नहीं बनाई है।
बॉस के साथ कार में बैठकर शहर की गलियों में घूमना, बड़ी बड़ी होटलों में नाश्ता करना, पार्टी करना आज भी जिंदगी के वों हसीन पल याद आते है। लेकिन अब उस शहर की तरफ जाने की ईच्छा नहीं होती।
जब होली के दिन घर आया तो मम्मा बताया की आपकी शादी होने वाली है और उस दिन से शहर छूट गया। उस दिन बिना कोई देर किये आपसे मिलने आपके घर आ गया लेकिन शायद तब तक बहुत देर हो गई थी। समय के साथ आपको एक नया हमसफ़र, आपका जीवन साथी मिल गया। जो शायद मेरे से ज्यादा आपका ख्याल रखेगा, बेइंतहां आपको प्यार करेगा। जो शायद आपके लिए हर बात में मेरे से बेहतर है। जिंदगी की संघर्ष भरी राह पर हर हाल में आपके साथ खड़ा रहेगा।
वैसे लोग कहते है कि ऊपर वाले ने सभी के लिए कोई ना कोई हमसफ़र बनाया है। मुझे भी समय के साथ मेरा हमसफ़र मिल ही जाएगा।
हां थोड़ा सा वक़्त जरूर लगेगा लेकिन मिल जायेगा।ह.. ह...???
हमेशा अपने हमसफ़र के साथ हर परस्थिति में खड़ी रहना, आप जिद्दी बहुत है।
उसकी खुशियों का ख्याल रखना। अपने अहंकार और जिद्द में कभी उनको हर्ट मत कर देना।
रिश्तों और प्यार में हमेशा हारने में ही जीत छुपी होती है। हारने से रिश्तों और प्यार में मजबूती बढ़ती है। अपने बीते कल को भूलाकर जिंदगी। में आगे बढ़ जाना। शुरुआत हमेशा परेशान करती है फिर धीरे धीरे सब कुछ आसान हो जाता है। चाहे वो नया रिश्ता हो या बिजनेस। जिंदगी में सबसे कठिन है तो वो है शुरुआत। वो कहते है ना समय बड़ा से बड़ा घाव भर देता है। जिंदगी के हर लम्हे को हमेशा आनंद के साथ जीना। शायद आप और मैं जिंदगी में हमेशा खुश रहे इसलिए मैं आपको मेरी तरफ से आजाद करना चाहता हूं। लेकिन हा सिर्फ इस जन्म में ही नहीं हर जन्म में आप मेरी दोस्त बनकर लौटेंगी। और हां अगले जन्म में सिर्फ दोस्त ही नहीं बल्कि जीवन भर साथ चलने के लिए हमसफ़र बनकर लौटेंगी। बस इतना सा वादा करना होगा।
इस जन्म की दोस्ती का कर्ज हमेशा आपके ऊपर रहेगा जो आपको अगले जन्म में चुकाता करना है। ह्मम... और हां आप घमंडी नहीं हो वो तो बस यूंही आपको चिढाने के लिए और आपसे ये सुनने के लिए की "मैं घमंडी नहीं हूं" इसलिए बोला करता था। ह.. ह..???
गलत मत समझना आप अपने आगे के जीवन को आनंदपूर्वक अपने हमसफ़र के साथ जी सको इसलिए में आपको इस प्यार के गुमनाम रिश्ते से आपको आजाद करता हूं। नहीं कभी नहीं लौटूंगा आज के बाद आपकी जिंदगी में।
अंजलि ने बताया कि कैसे आपका बार बार मुझे याद करना आपकी शादी - शुदा जिंदगी में समस्या खड़ी कर सकता है। तो मत किया करो मुझे इतना याद। हम सिर्फ दोस्त थे और शायद इतना ही हमारे लिए काफी है। हम्म...
और अगर याद रखना है तो हमारी दोस्ती को एक अच्छा सा सपना समझ कर याद रख लो। लेकिन इस दोस्त की तरफ से तो अंतिम पत्र बचपन की दोस्त के नाम।
और हां एक ओर बात आज आपसे झूठ नहीं बोलूंगा। मैने आपको इतना करीब और बारीकी से पहली बार आपकी शादी में ही देखा था जो कि पहले कभी भी आपको इतनी सिद्धत से नहीं देखा। वाकई में आप बहुत खूबसूरत दिख रही थी मुझे तो खुद को पता नहीं था कि मेरा एक दोस्त इतना खूबसूरत भी है। ओर आपका वो कान के पास आकर धीरे से पूछना " अब हम आपके है कौन?" ओर मेरा कहना कि फिर कभी बताऊंगा। हमेशा याद रहेगा। वैसे आपके हाथो की चाय हमेशा याद आएगी। अच्छी बना लेती हो।
ओर हां आपने अंजलि को बताया कि हम आपकी जिंदगी के सबसे अच्छे दोस्त है सुनकर अच्छा लगा। थैंक्स
लेकिन आज यही अच्छा वाला दोस्त आपसे बहुत दूर जा रहा है। ओर हां अगर जिंदगी के सफ़र में कभी इस दोस्त को मिस करने लगो तो अपनी आंखे बंद करना ओर हमारी वो शादी के समय आपको स्माइल के लिए इशारा करने वाली सूरत याद करके मुस्कुरा देना। लेकिन मैं कभी भी आपको मिस नहीं करूंगा। क्योंकि आप ही तो कहती थी ना कि मिस उसे किया जाता है जिसे हम भूल जाते है। सही कहती थी आप। लेकिन आप तो हमेशा मेरे साथ हो बचपन से लेकर आज तक मेरी यादों में, मेरी डायरी में ओर मेरे दिल में। ओर कोशिश करूंगा कि आपकी बचपन वाली मुस्कान की स्मृति को हमेशा मेरी यादों में संजोंये रखूं।
अब ओर कुछ नहीं लिख सकता क्योंकि इतना लिखते लिखते मेरी आंखे भर आयी। मेरी तरफ से तो मैने आपको माफ़ के दिया। बस एक दुआ है कि आप अपने आपको माफ़ कर सको ओर मैं भी।
बस आखिर में यही कहना चाहूंगा जो शायद आप सुनना पसंद नहीं करेंगी - बाय!
लेकिन मैं भी क्या करूं नहीं चाहते हुए भी कहना पड़ रहा है।
हमेशा के लिए अलविदा।
तुम्हारा बचपन का दोस्त
अंकित(अंकू)
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